अयोध्या की प्रजा वनवास में श्रीराम के पीछे कहाँ तक आई?

रामायण (Ramayan In Hindi)

तमसा नदी अयोध्या (Tamsa Nadi Ayodhya) के पास ही बहती थी। यह वही नदी है जहाँ भगवान श्रीराम अयोध्यावासियों को अकेले छोड़कर वनवास का वचन निभाने के लिए आगे चले गए थे। अयोध्यावासी अपने प्रभु श्रीराम से अत्यधिक प्रेम करते थे। इस कारण जब उन्हें वनवास मिलने की घोषणा हुई तो सभी उनके साथ चल पड़े थे।

उस समय श्रीराम के सामने भी धर्मसंकट आ खड़ा हुआ था और अयोध्या का राज सिंहासन हिलने लगा था। इस कारण श्रीराम उन्हें इसी तमसा नदी के किनारे छोड़ गए थे और संपूर्ण अयोध्या वनवास (Ayodhya Vanvas) काल में चली गई थी।

तमसा नदी अयोध्या (Tamsa Nadi Ayodhya)

जब भगवान राम को माता कैकेयी के द्वारा रचे गए षडयंत्र के आधार पर 14 वर्षों का वनवास मिला तब पूरी अयोध्या की प्रजा में रोष व्याप्त हो गया था। भगवान श्रीराम राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे इस कारण अयोध्या की प्रजा शुरू से ही अपना अगला राजा उन्हें मान चुकी थी। इसके साथ ही भगवान राम अपने आदर्शों, व्यवहार व प्रजा के प्रति अपनी निष्ठाभाव के कारण उनके बीच बहुत प्रसिद्ध हो चुके थे।

राजा दशरथ ने एक दिन पहले अयोध्या में श्री राम के राज्याभिषेक की घोषणा कर दी थी जिस कारण सभी लोगों में एक आशा जागृत हो गई थी। अयोध्या की जनता में अगले दिन होने वाले भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक व उत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी थी। इसी खुशी में कई लोग तो रातभर सोए तक नहीं थे। अगले ही दिन जैसे ही यह घोषणा हुई कि भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का कठोर वनवास (Ram Vanvas Ayodhya) मिला है व उनके छोटे भाई भरत को अयोध्या का अगला राजा बनाया गया है तो लोगों ने भरत को राजा मानने से ही मना कर दिया।

स्वयं भगवान श्रीराम ने उन्हें समझाया लेकिन वे नहीं माने। वे सभी मन से श्री राम को ही अपना राजा मानते थे व उनको वन में नहीं जाने देने का दबाव बना रहे थे। भगवान राम अपने पिता के वचन को निभाने के लिए अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ रथ से वन की ओर निकल पड़े। यह रथ दशरथ के मंत्री सुमंत चला रहे थे। पूरी अयोध्या भी उसी रथ के पीछे-पीछे पैदल चलने लगी।

भगवान राम रथ में बैठकर तमसा नदी के घाट पर पहुंचे जो अयोध्या से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। अयोध्या की प्रजा भी उनके पीछे-पीछे वहाँ तक पैदल आ गई। यह देखकर भगवान श्रीराम ने रथ वहाँ रुकवा दिया व उन्हें वापस लौट जाने का अनुरोध किया लेकिन प्रजा उन्हें अकेले जाने देने को तैयार नहीं हुई।

भगवान राम के मन में यह आशंका थी कि कहीं इससे राज्य में अस्थिरता ना पैदा हो जाए व उन्हें प्रजा को भड़काने का दोषी ना मान लिया जाए। साथ ही प्रजा के साथ जाने से उन्हें अपना उद्देश्य पूरा करने में परेशानी होती। इसलिए उन्होंने रथ रोककर सभी को वहीं विश्राम करने को कहा। उन्होंने प्रजा को कहा कि अब वे सुबह अपनी यात्रा प्रारंभ करेंगे। इसके बाद सभी ने वहीं भोजन किया व सो गए।

अयोध्या वनवास (Ayodhya Vanvas)

प्रातः काल सूर्योदय से पहले ही भगवान श्रीराम उठ गए व उन्होंने लक्ष्मण व माता सीता के साथ निकल जाने का निर्णय किया ताकि अयोध्या की प्रजा को पता ना चले। उन्होंने आर्य सुमंत को बिना आवाज़ किए रथ को उत्तर दिशा में व फिर दक्षिण दिशा में ले जाने का आदेश दिया ताकि अयोध्या की प्रजा भ्रमित हो जाए व उनके पीछे ना आ पाए। इसके बाद वे अयोध्या की सोती हुई प्रजा को प्रणाम कर वहाँ से चले गए।

वहाँ से वे सीधा अपने देश कौशल की सीमा को पार कर निषादराज गुहा के राज्य श्रृंगवेरपुर में पहुँच गए। जब अयोध्या की प्रजा सूर्योदय के बाद उठी तो अपने राजा श्रीराम को वहाँ ना पाकर बहुत निराश हुई। उन्हें पता चल चुका था कि श्रीराम माता सीता व लक्ष्मण समेत उनके उठने से पहले ही जा चुके हैं। इसके बाद सब निराश होकर अयोध्या में अपने-अपने घरों की ओर लौट गए।

ऐसे में तमसा नदी अयोध्या (Tamsa Nadi Ayodhya) के लोगों सहित सभी हिन्दुओं के लिए रामायण के एक प्रतीक के तौर पर याद की जाती है। आज भी हर वर्ष लाखों लोग तमसा नदी के किनारे आकर उस अद्भुत क्षण को याद कर भाव-विभोर हो जाते हैं।

तमसा नदी अयोध्या से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: तमसा नदी क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: यह वही नदी है जहाँ भगवान श्रीराम वनवास पर जाने से पहले अयोध्यावासियों को छोड़ गए थे इस कारण यह आमजन के बीच प्रसिद्ध है

प्रश्न: तमसा नदी का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: तमसा नदी का दूसरा नाम नामटोंस नदी है यह उत्तर प्रदेश राज्य में अयोध्या से बहती हुई मध्य प्रदेश को जाती है

प्रश्न: तमसा नदी कहाँ पर है?

उत्तर: तमसा नदी उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश राज्य में बहने वाली माँ गंगा की सहायक नदी में से एक है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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