देवासुर संग्राम जब राजा दशरथ ने कैकई को दिए दो वचन

कैकई के तीन वचन

कैकई के तीन वचन कौन से थे? क्या आपको भी लगता है कि महाराज दशरथ के द्वारा रानी कैकई को दो नहीं बल्कि तीन वचन दिए गए थे? ऐसे में दो वचन के बारे में तो हर कोई जानता है लेकिन यह तीसरा वचन क्या था? आज हम आपके सामने कैकई के इन्हीं तीन वचनों का रहस्य खोलने वाले हैं।

साथ ही क्या देवासुर संग्राम राजा दशरथ (Raja Dashrath Devasur Sangram) के द्वारा लड़ा गया था!! यदि वह देव-देवों का युद्ध था तो उसमें राजा दशरथ की क्या भूमिका थी। देवासुर संग्राम रामायण (Devasur Sangram Ramayan) में तो नहीं बताया गया है लेकिन राजा दशरथ की जीवनी में इसके बारे में लिखा गया है। आइए कैकई के दो वरदान सहित देवासुर संग्राम के बारे में जान लेते हैं।

कैकई के तीन वचन

कुछ लोगों का मानना है कि देवासुर संग्राम रामायण (Devasur Sangram Ramayan) में महाराज दशरथ ने रानी कैकई को दो नहीं बल्कि तीन वचन दिए थे। उनके अनुसार, रानी कैकई ने एक वचन उसी समय माँग लिया था जबकि दो वचनों को भविष्य में मांगने का वादा ले लिया था। ऐसे में जो लोग यह सोच रहे हैं कि राजा दशरथ के द्वारा कैकई को तीन वचन दिए गए थे तो वे गलत हैं।

कैकई के तीन वचन का उल्लेख ना तो वाल्मीकि रचित रामायण में मिलता है और ना ही तुलसीदास जी के द्वारा रचित रामचरितमानस में। ऐसे में कैकई के तीन वचनों की बात सरासर मिथ्या है। रानी कैकई को केवल दो वचन मिले थे और यही दो वचन महाराज दशरथ समेत पूरे रघुकुल को बहुत भारी पड़ गए थे।

आइए जानते हैं देवासुर संग्राम का वह युद्ध जब राजा दशरथ ने रानी कैकई को दो वचन देने की इच्छा प्रकट की थी

देवासुर संग्राम राजा दशरथ (Raja Dashrath Devasur Sangram)

दंडक वन में एक असुर रहता था जो वहां पर कई वर्षों से शासन कर रहा था। उस राक्षस का नाम था शंभरासुर/ शंबासुर/ तिमिध्वज। देवराज इंद्र के साथ उसका कई समय से युद्ध चल रहा था जिसमें देवता हार रहे थे। राक्षस शंबरासुर के पास कई मायावी शक्तियां थी जिस कारण असुरों की सेना देवताओं पर भारी पड़ रही थी।

इसी से परेशान होकर देवराज इंद्र अयोध्या के नरेश महाराज दशरथ से सहायता मांगने के लिए गए। चूँकि दशरथ परमप्रतापी राजा थे व भारत के शक्तिशाली साम्राज्य अयोध्या उनके अधीन था इसलिए वे अपनी सेना के साथ असुरों से लड़ने के लिए मान गए।

कैकई भी गई साथ

राजा दशरथ की 3 पत्नियाँ थी जिसमें से कैकई उनकी दूसरी व सबसे प्रिय पत्नी थी। कैकई रूप में दोनों रानियों से अधिक सुंदर थी व साथ में युद्ध कौशल में भी निपुण थी। रानी कैकई ने भी राजा दशरथ के साथ युद्ध में चलने की इच्छा प्रकट की तो राजा दशरथ ने मना नहीं किया।

राजा दशरथ का मुर्छित होना

जब राजा दशरथ अपनी सेना के साथ दंडक वन में पहुंचे तो दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ। राजा दशरथ अपने रथ पर सवार थे व युद्ध कर रहे थे किंतु असुरों की मायावी शक्तियों के कारण उनके शरीर पर कई घाव हो गए थे। रानी कैकई उनकी सारथि थी जो उनका रथ चला रही थी। अचानक से राजा दशरथ के ऊपर असुरों का प्रहार हुआ व वे बुरी तरह घायल हो गए।

रानी कैकई की समझदारी

राजा दशरथ को मुर्छित देखकर कैकई ने स्वयं अपनी तलवार निकाली व युद्ध किया। युद्ध करते-करते रानी अपनी समझदारी से असुरों से बचते हुए रथ को युद्ध क्षेत्र से बाहर एक खाली व सुरक्षित स्थल पर ले गई। वहां ले जाकर उन्होंने राजा दशरथ का उपचार किया।

जब राजा दशरथ को चेतना आई तो स्वयं को सुरक्षित पाकर व रानी कैकई को अपनी सेवा करते देखकर वे बहुत खुश हुए। कैकई ने ना केवल उन्हें युद्ध भूमि से सुरक्षित बाहर निकाला था बल्कि इतने समय तक उनकी सेवा भी की थी जिस कारण आज वे स्वस्थ थे। राजा दशरथ ने कैकई से कहा कि आज तुम्हारे ही कारण मुझे जीवनदान मिला है इसलिए मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ।

कैकई के दो वरदान

इसी प्रसन्नतावश राजा दशरथ ने कैकई को 2 मनचाहे वर मांगने को कहा। कैकई ने बहुत विचार किया लेकिन उस समय अयोध्या एक संपन्न राष्ट्र था व कैकई राजा की पत्नी थी। साथ ही राजा की सबसे बड़ी पत्नी ना होने के बाद भी उनकी सबसे प्रिय पत्नी व राजमहल की प्रमुख रानी थी। अयोध्या में राजा दशरथ के बाद उनका ही प्रभाव सबसे अधिक था। इसलिए उन्हें समझ नहीं आया कि वह इसके अलावा राजा से और क्या ही मांगे।

तब कैकई ने समझदारी दिखाते हुए वर लेने से मना नहीं किया व उन्हें उचित समय पर मांग लेने की इच्छा प्रकट की। राजा दशरथ ने भी वचन दिया कि कैकई जीवन में कभी भी उनसे वह 2 वर मांग सकती है व वे उसे अपने प्राण देकर भी पूरा करेंगे। आगे चलकर इन्हीं दो वरों में रानी कैकई ने प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास व अपने पुत्र भरत का अयोध्या का राज्याभिषेक माँगा था जिसके कारण राजा दशरथ की मृत्यु तक हो गई थी। इस तरह से कैकई के तीन वचन नहीं बल्कि केवल दो वचन ही थे।

कैकई के तीन वचन से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: कैकई के तीन वचन कौन कौन से थे?

उत्तर: महाराज दशरथ ने रानी कैकई को तीन नहीं बल्कि दो वचन दिए थे उसमें से पहला भरत को अयोध्या का राज सिंहासन व दूसरा श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास था

प्रश्न: राजा दशरथ ने कैकई को कितने वचन दिए थे?

उत्तर: राजा दशरथ ने कैकई को दो वचन दिए थे कैकई ने देवासुर संग्राम में राजा दशरथ की जीवन रक्षा की थी जिस कारण उन्हें यह वचन मिले थे

प्रश्न: कैकई ने कौन कौन से दो वरदान मांगे?

उत्तर: कैकई ने अपने पहले वरदान में अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राज सिंहासन व दूसरे वरदान में भगवान श्रीराम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा था

प्रश्न: राजा दशरथ ने कैकई को कौन सा श्राप दिया था?

उत्तर: जब श्रीराम सुमंत के साथ पुनः अयोध्या नहीं लौटे तो कुपित होकर राजा दशरथ ने कैकई का हमेशा के लिए त्याग कर दिया था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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