राम मंदिर मूर्ति (Ram Mandir Idol): अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है, उसके बीचोबीच भव्य राम मंदिर बन रहा है लेकिन उसी राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की जो मूर्ति विराजित होगी, वह इन सभी से भव्य रहने वाली है। देश-विदेश से करोड़ों भक्तों को अयोध्या खींचने का आकर्षण अयोध्या या राम मंदिर में नहीं अपितु वहां विराजित होने वाली रामलला की मूर्ति (Ramlala Murti) में होगा।
इसके लिए देश के सैकड़ों मूर्तिकारों में से तीन सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकारों को रामलला की मूर्ति बनाने का ऑर्डर दिया गया था। उनके नाम जयपुर से सत्यनारायण पांडे व कर्नाटक के अरुण योगीराज व गणेश भट्ट हैं। अब इनमें से किसकी मूर्ति पर अंतिम मुहर लगती है, यह चर्चा का विषय हो सकता है लेकिन तीनो की बनायी मूर्तियाँ ही अद्भुत व दिव्य है।
यह हम नहीं बल्कि श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय जी ने कहा है। कुछ दिन पहले ही मंदिर ट्रस्ट की इसी बात को लेकर बैठक हुई थी जिसे गोपनीय रखा गया था। इस दौरान सभी को तीनों मूर्तियाँ बहुत भव्य लगी और किसी में कोई भी कमी निकालना कठिन हो गया। फिर भी किसी एक मूर्ति को ही गर्भगृह में स्थापित किया जा सकता है।
रामलला की मूर्ति होगी अलौकिक (Ram Mandir Idol)
22 जनवरी 2024 के दिन देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी उसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर देंगे जिसे मंदिर ट्रस्ट, शंकराचार्य, पंडित गणेश्वर शास्त्री इत्यादि के द्वारा बहुमत से चुना जाएगा। तीनो मूर्तिकारों में से जिस किसी की भी मूर्ति गर्भगृह में स्थापित हो, यह चर्चा का विषय नहीं होना चाहिए क्योंकि तीनो ही अपने आप में अद्भुत व अलौकिक है।
अब राम मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति (Ramlala Murti) में क्या कुछ विशेषताएं होंगी और वह किन गुणों का प्रतिनिधित्व कर रही होंगी, आइये उसके बारे में भी एक-एक करके जान लेते हैं। यहाँ हम यह बता दें कि तीनों मूर्तिकारों सत्यनारायण, योगीराज व गणेश जी के द्वारा इन सभी विशेषताओं का ध्यान रखा गया है।
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आयु
राम जन्म भूमि में श्रीराम की जो मूर्ति विराजित होगी वह उनके बाल स्वरुप को प्रदर्शित करेगी। ऐसे में राम जी 5 वर्ष की आयु में जैसे दिखते थे, उनकी मूर्ति उसी का ही प्रतिरूप होगी। इसके लिए वाल्मीकि रामायण व तुलसीदास जी की रामचरितमानस से श्रीराम के स्वरुप का वर्णन लिया गया है।
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वर्ण
रामायण व रामचरितमानस के अनुसार विष्णु रूप श्रीराम का अवतार सांवले रंग का था जबकि उनके छोटे भाई लक्ष्मण गौर वर्ण के थे। राजस्थान के सत्यानारायण जी ने संगमरमर के पत्थर से श्वेत वर्ण की मूर्ति बनायी है क्योंकि उत्तर भारत के अधिकांश मंदिरों में श्रीराम के श्वेत वर्ण की ही प्रतिमा स्थापित है जबकि अन्य दो मूर्तिकारों ने कर्नाटक के काले पत्थरों से मूर्ति बनायी है। ऐसे में यह चयनकारों पर निर्भर करेगा कि वे श्रीराम की किस मूर्ति का चयन मुख्य मूर्ति के रूप में करते हैं।
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लंबाई
रामलला की तीनों मूर्ति की लंबाई 51 इंच की है। त्रेता युग में मनुष्य के शरीर की लंबाई और उसकी आयु दोनों ही कलियुग के समयकाल से बहुत ज्यादा हुआ करती थी। ऐसे में 5 वर्ष की आयु में भी श्रीराम के शरीर की लंबाई 51 इंच अर्थात 4 फीट 3 इंच थी।
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आंखें
जो भी श्रीराम मंदिर में रामलला के दर्शन करेगा, उनकी नज़रें सीधा श्रीराम की आँखों पर ही पड़ेगी। ऐसे में श्रीराम की आँखों को इस तरह का रूप दिया गया है जिससे उनमें दैवीय शक्ति दिखे। इसी के साथ ही रामलला की आँखें गंभीरता भी लिए हुए होगी।
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मुस्कान
राम मंदिर में लगने वाली रामलला की मूर्ति (Ramlal Ki Murti) में श्रीराम की मुस्कान का विशेष ध्यान रखा गया है। रामलला की मूर्ति निश्छल मुस्कान लिए हुए तो होगी लेकिन उनके अंदर बालकृष्ण गोपाल के जैसा नटखटपन नहीं होगा। जहाँ श्रीकृष्ण अपने बालरूप में नटखट स्वभाव के थे तो वहीं श्रीराम गंभीर व मर्यादा रखने वाले थे।
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स्वरुप
श्रीराम को हम मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम भी जानते हैं क्योंकि कैसी भी विकट परिस्थिति हो, उन्होंने सदा मर्यादा में रहकर कार्य किया। वहीं उन्होंने अपनी पत्नी सीता का अपहरण करने वाले रावण का उसकी पूरी सेना सहित वध कर अदम्य साहस का भी परिचय दिया। ऐसे में रामलला की मूर्ति में मर्यादा व साहस दोनों के गुण ही दिखाई देंगे।
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हाव भाव
राम मंदिर मूर्ति (Ram Mandir Murti) में रामलला के हाव भाव अलौकिक व दिव्य होंगे। उन्हें देखने मात्र भर से ही भक्तों के मन को शांति मिल सकेगी, इस तरह का कार्य तीनों मूर्तिकारों के द्वारा किया गया है। यह प्रतिमा अद्भुत रहने वाली है जिसकी कप्लना भी नहीं की जा सकती।
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चमक
मूर्ति को जिन पत्थरों से बनाया गया है, वह इस तरह के हैं जिससे मूर्ति की चमक कई सदियों तक बनी रहेगी। वहीं तीनों मूर्तियों में यह भी देखा जाएगा कि किस मूर्ति की आयु ज्यादा है और वह कितनी मजबूत है। उसी मूर्ति का चयन ही रामलला की मुख्य मूर्ति (Ram Mandir Idol) के रूप में किया जाएगा।
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प्रकाश
मूर्ति के चयन में यह भी देखा जाएगा कि जब सूर्य देव के प्रकाश की किरणें रामलला की मूर्ति (Ramlal Ki Murti) पर पड़ेगी तो कौन सी मूर्ति ज्यादा आकर्षक लगेगी। राम मंदिर के गर्भगृह को इस तरह से डिजाईन किया गया है कि सूर्य का प्रकाश मूर्ति पर जाकर उसे और आकर्षक बना देगा।
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पत्थर
रामलला मूर्ति (Ramlala Murti) के गुणों में एक गुण यह भी होगा कि इसके पत्थर को कुछ इस तरह से तराशा गया है कि इसमें सालों साल तक कोई दाग नहीं पड़ेगा। धार्मिक अनुष्ठान में श्रीराम को चंदन व अन्य मिश्रण का लेप लगाया जाता है, तो उससे भी मूर्ति पर किसी तरह का दाग शेष नहीं रहना चाहिए। इसके लिए तीनों मूर्तियों पर ही चंदन का लेप लगाकर उसकी जांच की जाएगी।
सबसे अंतिम और महत्वपूर्ण बात यह है कि राम मंदिर मूर्ति (Ram Mandir Murti) में इस तथ्य का बहुत ही ध्यान रखा गया है कि रामलला का स्वरुप ठीक वैसा ही हो जैसा कि धर्मग्रंथों में लिखा गया है। इसके लिए महर्षि वाल्मीकि जी की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरितमानस को मुख्य आधार माना गया है। उसमें श्रीराम के स्वरुप का जिस प्रकार वर्णन दिया गया है, ठीक उसी तरह की ही तीनों मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
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