राम मंदिर मूर्तिकार (Ram Mandir Murtikar): राम मंदिर में रामलला की मूर्ति बनाने का काम पिछले कई महीनो से चल रहा है। इसके लिए देश के सैकड़ों मूर्तिकारों में से तीन सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकारों का चयन किया गया था। उसके बाद पिछले लगभग 6 माह से तीनो मूर्तिकार राम मंदिर परिसर में रहकर रामलला की मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं जो अब पूरी हो चुकी है।
29 दिसंबर को राम मंदिर ट्रस्ट की मीटिंग हुई जिसमें तीनो ही कलाकारों ने अपनी बनायी मूर्ति का प्रदर्शन किया। सुनने में आ रहा है कि ट्रस्ट व बाकि सदस्यों ने एक मूर्ति का चयन तो कर लिया है लेकिन रामलला की तीनो मूर्तियाँ ही इतनी अद्भुत है कि अलौकिक प्रतीत होती है। फिर भी किसी एक मूर्ति को ही गर्भगृह में विराजित किया जा सकता है जबकि अन्य दो मूर्तियों को भी राम मंदिर के प्रथम व द्वितीय तल पर विराजित किया जाएगा।
ऐसे में आज हम आपको रामलला की मूर्ति बनाने वाले तीनो मूर्तिकारों के बारे में ही संक्षिप्त परिचय देंगे। आइये जानते हैं कौन है ये तीन मूर्तिकार जिन्हें देश के सैकड़ों मूर्तिकारों में से इस ऐतिहासिक कार्य के लिए चुना गया है।
रामलला की मूर्ति बनाने वाले तीनो मूर्तिकार (Ram Mandir Murtikar)
रामलला की मूर्ति बनाने वाले तीनो मूर्तिकार में से दो कर्नाटक राज्य से तो एक राजस्थान से है। तीनों की बनायी मूर्तियाँ देश में ही नहीं अपितु विदेशों तक में प्रसिद्ध है। इनकी बनायी मूर्तियाँ देश-विदेश के प्रसिद्ध मंदिरों, ऐतिहासिक स्थलों व अन्य प्रमुख स्थानों पर लगी हुई है। उदाहरण के तौर पर आप चाहे केदारनाथ मंदिर में लगी पूजनीय शंकराचार्य जी की मूर्ति ले लें या फिर इंडिया गेट पर लगी स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा।
तीनो ही कई वर्षों से मूर्तियाँ बनाने का काम कर रहे हैं जिनकी प्रतिमाओं में एक अलग ही अलौकिकता दिखायी देती है। इनकी बनायी मूर्तियाँ इतनी जीवंत होती है कि सामने वाला इन्हें बस देखता ही रह जाता है। आइये तीनो मूर्तिकारों के बारे में जान लेते हैं।
कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज (Murtikar Arun Yogiraj)
रामलला की मूर्ति बनाने में लगे मूर्तिकारों में जिस मूर्तिकार का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है, वह है कर्नाटक राज्य के अरुण योगीराज (Murtikar Arun Yogiraj)। आपने भी पिछले कुछ समय में समाचारों और सोशल मीडिया में अरुण योगीराज का नाम सुन लिया होगा और इनकी बनायी रामलला की मूर्ति के दर्शन भी कर लिए होंगे। बीच में यह समाचार चला था कि अरुण योगीराज की बनायी मूर्ति को राम मंदिर मूर्ति के रूप में चुन लिया गया है लेकिन यह बस एक अफवाह थी।
राम मन्दिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय जी ने कहा है कि अभी तक चुनी गयी मूर्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी है। हालाँकि तीनो में से एक मूर्ति का चयन हो चुका है लेकिन आम भक्तों को इसके बारे में जानकारी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन अर्थात 22 जनवरी को ही मिलेगी। वैसे इसकी बहुत प्रबल संभावना है कि राम मूर्ति के लिए अरुण योगीराज जी की ही बनायी मूर्ति का चयन किया जाएगा।
अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ति श्यामल रंग में बनायी है जो वाल्मीकि रामायण के अनुसार उनके शरीर का रंग था। यह प्रतिमा 51 इंच लंबी है जो श्रीराम का 5 वर्षीय बाल स्वरुप है। इससे पहले भी अरुण योगीराज ने कई एतिहासिक मूर्तियों का निर्माण किया है और इनके काम की प्रशंसा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी कर चुके हैं।
कुछ समय पहले केदारनाथ मंदिर में शंकराचार्य जी की 12 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की गयी है, वह इन्हीं अरुण योगीराज जी के हाथों ही बनायी गयी है। इसी के साथ ही इनकी बनायी सुभाष बोस की मूर्ति को भी इंडिया गेट पर स्थापित किया गया है। ऐसे में लोगों का यह मानना है कि रामलला मूर्ति के लिए भी अरुण योगीराज की बनायी मूर्ति को ही चुना गया होगा।
कर्नाटक के मूर्तिकार गणेश भट्ट (Murtikar Ganesh Bhatt)
रामलला की मूर्ति बनाने का उत्तरदायित्व जिस दूसरे मूर्तिकार को मिला है, वे कर्नाटक राज्य के ही मूर्तिकार गणेश भट्ट (Murtikar Ganesh Bhatt) हैं। गणेश भट्ट जी अपने शिष्य विपिन भदौरिया के साथ मिलकर रामलला की मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने भी कर्नाटक के काले पत्थरों से रामलला की श्यामल रंग की मूर्ति का निर्माण किया है।
गणेश भट्ट जी के द्वारा अभी तक लगभग एक हज़ार से भी ज्यादा मूर्तियों का निर्माण किया जा चुका है जो देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी देश का मान बढ़ाने का काम कर रही है। उनकी बनायी मूर्तियाँ अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी व फ्रांस जैसे देशों में भी निर्यात की गयी है। उनके कार्य के लिए कर्नाटक राज्य में उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।
राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे (Murtikar Satyanarayan Pandey)
राम मंदिर में मूर्ति बना रहे तीसरे मूर्तिकार के रूप में जिनका चयन किया गया था वे हैं राजस्थान के सत्यनारायण पांडे जी (Murtikar Satyanarayan Pandey)। सत्यनारायण पांडे जी प्रसिद्ध मूर्तिकार रामेश्वर लाल पांडे जी के बेटे हैं। उनका परिवार लगभग 7 दशकों से मूर्ति बनाने का काम कर रहा है। इनके द्वारा राजस्थान के सफेद संगमरमर जो कि मकराना का है, उससे मूर्ति का निर्माण किया जाता है।
सत्यनारायण पांडे जी के द्वारा रामलला की मूर्ति को भी इसी सफेद संगमरमर से ही बनाया गया है। ऐसे में इसकी संभावना बहुत कम है कि पांडे जी की मूर्ति को रामलला की मुख्य मूर्ति के रूप में चयनित किया जाएगा। वह इसलिए क्योंकि वाल्मीकि रामायण व तुलसीदास जी की रामचरितमानस दोनों में ही श्रीराम का वर्ण श्याम रंग बताया गया है।
ऐसे में मंदिर ट्रस्ट के द्वारा उसी मूर्ति का चयन किया जाएगा जो श्रीराम के स्वरुप से एकदम मेल खाती हो। फिर भी पांडे जी की बनायी रामलला की मूर्ति को मंदिर में ही दूसरे या पहले तल पर स्थापित किया जाएगा। यह मूर्ति भी श्रीराम के अन्य सभी गुणों का प्रतिनिधित्व करती है बस इसका वर्ण श्वेत है। दरअसल उत्तर भारत में श्रीराम के श्वेत वर्ण की पूजा की जाती है तो वहीं श्रीकृष्ण के श्याम वर्ण की किन्तु वास्तविकता में भगवान विष्णु के सभी अवतारों का वर्ण श्याम था।
अब यह तो 22 जनवरी को ही पता लग पायेगा कि मंदिर ट्रस्ट, शंकराचार्य जी व अन्य गणमान्य व्यक्तियों के द्वारा रामलला की किस मूर्ति (Ram Mandir Murtikar) का चयन किया गया है। ऐसे में जो भी मूर्ति चयनित की गयी है और जो प्राण प्रतिष्ठा की साक्षी बनेगी, उसी में ही स्वयं भगवान श्रीराम वास करेंगे। अन्य दो मूर्तियों को भी मंदिर में उचित स्थान मिलेगा जिसका श्रद्धालु कुछ समय पश्चात दर्शन कर पाएंगे।
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