राम मंदिर समाचार (Ram Mandir News): 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए हरेक भारतीय व सनातनी में उत्साह है लेकिन इसी के साथ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दूसरे धर्म के होकर भी उतने ही उत्साहित हैं। इसी में एक है उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में रहने वाले कार सेवक मोहम्मद हबीब (Kar Sevak Mohammed Habib)।
सन 1992 में जब विवादित ढांचे को गिराया गया तब उसमें लाखों हिन्दुओं ने भाग लिया था। उसी भीड़ में से एक थे मोहम्मद हबीब जी। उस समय वे मिर्जापुर के भाजपा जिला युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष थे। जब भाजपा व अन्य हिंदूवादी संगठनों ने कार सेवकों से अयोध्या में जुटने का आह्वान किया था, तब उसमें से एक मोहम्मद हबीब भी थे।
उन पलों को याद करते हुए मोहम्मद हबीब (Karsevak Mohammed Habib) अभी भी जोश में भर जाते हैं। आज जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता उनके घर राम मंदिर का अक्षत निमंत्रण पत्र लेकर पहुंचे तो वे भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि वे एक बार नहीं बल्कि बार-बार श्रीराम मंदिर के दर्शन करने जाएंगे और रामलला का आशीर्वाद लेंगे।
Kar Sevak Mohammed Habib: मोहम्मद हबीब जिन्होंने 1992 में की थी कार सेवा
मोहम्मद हबीब जी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के जमालपुर में जाफराबाद के रहने वाले हैं। 1992 के समय में वे अपने जिले में भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते थे। अपने धर्म का पालन करते हुए भी उनके मन में श्रीराम के प्रति अपार श्रद्धा थी। यही कारण था कि भाजपा के एक आह्वान पर उन्होंने भी सक्रिय रूप से राम मंदिर में अपना योगदान देने की ठान ली थी।
उस समय पूरे देश में ही राम मंदिर को फिर से बनाये जाने और विवादित ढांचे को गिराए जाने की लहर दौड़ रही थी। देश के कोने-कोने से कार सेवक अयोध्या पहुँच रहे थे। इसी कड़ी में वे भी अयोध्या के लिए रवाना हो गए थे। मोहम्मद हबीब जी (Karsevak Mohammed Habib) ने इसके लिए एक बार भी मना नहीं किया था और वे पूरे जोश के साथ अयोध्या के लिए निकले थे।
50 कार सेवकों के साथ पहुँच गए अयोध्या
जब भाजपा व विहिप ने विवादित ढांचा गिराने के लिए देशभर से कार सेवकों को अयोध्या पहुँचने का आग्रह किया तो मोहम्मद हबीब (Kar Sevak Mohammed Habib) भी बिना देरी किये अयोध्या के लिए निकल पड़े। वे अन्य 50 कार सेवकों के साथ वाराणसी केंट रेलवे स्टेशन से अयोध्या के लिए रवाना हो गए।
मोहम्मद हबीब 2 दिसंबर 1992 को ही अयोध्या पहुँच गए थे जबकि इसके 4 दिन बाद अर्थात 6 दिसंबर 1992 के दिन उस विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था। यह 4 से 5 दिन मोहम्मद जी वहीं अयोध्या में ही डेरा डाले हुए थे।
“विहिप व बजरंग दल के नेताओं का भाषण सुना”
मोहम्मद हबीब (Mohammed Habib) बताते हैं कि जब वे अयोध्या रुके हुए थे तब उन्होंने विहिप नेता अशोक सिंघल व बजरंग दल के नेता विनय कटियार का भाषण सुना था। उन सभी से कहा गया था कि सभी लोग पास के सरयू तट पर जाएं और वहां से स्नान करके रेत लेकर आएं।मोहम्मद जी ने भी वैसा ही किया और विवादित ढांचे के टूटने के बाद उस पर सरयू नदी की रेत डाली गयी ताकि उसका शुद्धिकरण हो सके।
“ढांचा समतल होने पर ही वहां से गए”
उन दिनों को याद करते हुए मोहम्मद हबीब कहते हैं कि जब तक विवादित ढांचा पूरी तरह से समतल नहीं हो गया, तब तक वे अन्य लोगों के साथ वहीं रुके रहे। जब वह पूरी तरह समतल हो गया तो कुछ देर में उन सभी को वापस अपने-अपने घर लौट जाने का आदेश मिला। इसके बाद वे पुनः अपने घर मिर्जापुर लौट गए।
“बार-बार जाऊंगा राम मंदिर”
अब जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का अक्षत निमंत्रण पत्र मोहम्मद हबीब (Kar Sevak Mohammed Habib) को मिला है तो वे इसको लेकर बहुत ही खुश हैं। उन्होंने कहा कि यदि मंदिर ट्रस्ट की ओर से उन्हें बुलाया जाएगा तो वे अवश्य ही 22 जनवरी को रामलला के दर्शन करने अयोध्या पहुचेंगे। यदि नहीं भी बुलाया जाता है तो वे 22 जनवरी के बाद रामलला के दर्शन करने जाएंगे और वो भी बार-बार।
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