राम मंदिर समाचार (Ram Mandir News): जैसे-जैसे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का समय पास आता जा रहा है, वैसे-वैसे ही मंदिर ट्रस्ट के द्वारा विभिन्न गणमान्यों लोगों सहित 1992 के दौर में कारसेवा में शामिल रहे रामभक्तों को भी इसका न्यौता भेजा जा रहा है। इसी में एक है मुंबई की रहने वाली 96 वर्षीय कार सेवक शालिनी दबीर (Kar Sevak Shalini Dabir)।
1990 से 92 के दौर में लाखों लोगों ने कारसेवा में भाग लिया था और राम मंदिर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उस समय मुंबई की रहने वाली शालिनी दबीर (Shalini Dabir) भी कारसेवा में सक्रिय थी, जिसके लिए उन्होंने अपना घर तक छोड़ दिया था। अब जब अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है तो उसका निमंत्रण पत्र पाकर शालिनी की आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
शालिनी कहती हैं कि इस उम्र में अब उनके पैर ठीक से काम नहीं करते हैं, जिस कारण वे चल नहीं पाती हैं, किन्तु अपने रामलला का मंदिर बनते हुए देखकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है। आज भी जब शालिनी 1990 के उस दौर को याद करती हैं तो उनके चेहरे पर गौरव दिखाई देता है। आइये जानते हैं कारसेवा करने वाली शालिनी जी के बारे में।
Kar Sevak Shalini Dabir: कौन है 96 वर्षीय कार सेवक शालिनी दबीर?
लगभग 500 वर्ष पहले दुष्ट आक्रांता बाबर के द्वारा राम जन्मभूमि पर स्थित राम मंदिर को तोड़कर जिस बाबरी मस्जिद को खड़ा किया गया था, उसके विरुद्ध पूरे देश में ही माहौल बना हुआ था। देश के तमाम शहरों और गावों से लाखों लोग अयोध्या कूच कर रहे थे ताकि गुलामी के उस विवादित ढांचे को गिराकर पुनः उस पर श्रीराम का भव्य मंदिर खड़ा किया जा सके।
इसी में एक थी 63 वर्षीय शालिनी दबीर (Kar Sevak Shalini Dabir) जो मुंबई के दादर में रहती थी। जब उन्हें इसके बारे में पता चला तो वे अपना घर बार सब छोड़कर कार सेवकों के साथ अयोध्या निकल पड़ी। इसी बीच उत्तर प्रदेश की पुलिस ने सरकारी आदेश पर महिलाओं के उस समूह को अयोध्या से लगभग 60 किलोमीटर पहले ही रोक लिया।
पुलिस ने कर दिया था जेल में बंद
जब शालिनी दबीर सहित महिलाओं के समूह को पुलिस के द्वारा रोक लिया गया तो सभी इसका विरोध करने लगे। उस समय तक उत्तर प्रदेश की लगभग हर जेल कार सेवकों से पूरी तरह भर चुकी थी। ऐसे में उत्तर प्रदेश ने शालिनी सहित उन सभी महिलाओं को गाँव के एक स्कूल में बंधक बना लिया था।
कुछ समय बाद गाँव के लोगों की भीड़ आ गयी और स्कूल में बंद सभी महिलाओं को पुलिस के चंगुल से आजाद करवा दिया। स्कूल से बाहर निकल कर भी शालिनी (Karsevak Shalini Dabir) का साहस कम नहीं हुआ और उन्होंने अयोध्या जाने की ठान ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या जाने वाले सभी साधनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
यह देखकर शालिनी पैदल ही 60 किलोमीटर की यात्रा कर अयोध्या के विवादित स्थल तक पहुँच गयी थी। वहां कार सेवकों की भारी भीड़ थी और शालिनी भी उसी में शामिल हो गयी। यह भीड़ लगातार अयोध्या के विवादित ढांचे की ओर बढ़ती जा रही थी।
शालिनी ने सुनायी पुलिस की बर्बरता
शालिनी (Karsevak Shalini Dabir) उन पलों को याद करते हुए कहती हैं कि हम सभी बाबरी के उस ढांचे की ओर श्रीराम के नाम का जयकारा लगाते हुए बढ़ते जा रहे थे। दूसरी ओर, पुलिस के द्वारा सरकारी आदेशों पर हम पर लगातार अत्याचार किया जा रहा था।
उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार हम पर डंडे बरसा रही थी, आंसू गैस की गोलियां छोड़ रही थी, पानी की बौछारें की जा रही थी। चाहे पुरुष हो या महिला, युवा हो या वृद्ध हर कोई पुलिस के अत्याचारों को सह रहा था। खुद शालिनी भी 63 वर्ष की थी लेकिन फिर भी वे पुलिस के तमाम तरह के अत्याचारों को सहते हुए आगे बढ़ती जा रही थी।
“छू कर निकल गयी थी गोलियां”
शालिनी दबीर जी (Kar Sevak Shalini Dabir) उन भयावह पलों को याद करते हुए कहती हैं कि पुलिस के द्वारा कार सेवकों पर डंडे बरसाने और आंसू गैस की गोलियां बरसाने तक तो ठीक था लेकिन अचानक से उन्हें असली गोलियां चलाने का आदेश मिल गया। इसके बाद शुरू हुआ सबसे भयानक दौर।
पुलिस कार सेवकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाने लगी और देखते ही देखते शालिनी के आसपास कार सेवकों की लाशें बिछती चली गयी। इसी बीच एक गोली उन्हें भी छूकर निकली लेकिन वे बेच गयी। इसके लिए वे हनुमान जी का धन्यवाद अर्पित करती हैं। गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच भी शालिनी जी नहीं रुकी और निरंतर अन्य कार सेवकों के साथ आगे बढ़ती चली गयी।
“सभी कार सेवक गा रहे थे भजन”
शालिनी जी (Shalini Dabir) बताती हैं कि जब पुलिस के द्वारा कार सेवकों पर गोलियों की बौछार कर दी गयी तो उनके आसपास सब लोगों ने राम भजन गाने शुरू कर दिए। शालिनी जी को भी इससे साहस मिला और वे निरंतर आगे बढ़ती चली गयी। उन्होंने बताया कि सभी कार सेवकों को हनुमान जी ने ही ताकत दी थी।
“एक बंदर ने गिरा दी थी बाबरी की दीवार”
अपनी बात रखते हुए शालिनी जी कहती हैं कि उनके सामने बाबरी का विध्वंस हो रहा था लेकिन एक दीवार बहुत कोशिशों के बाद भी नहीं गिर रही थी। तभी अचानक से एक बंदर वहां आ गया और उस दीवार के ऊपर बैठ गया। उसने जैसे ही दीवार पर जोर लगाया तो सब जगह धूल-धूल हो गयी। एक मिनट में ही वह दीवार टूट कर नीचे गिर गयी। इसे देखकर सभी ने ही हनुमान जी के नाम का जयकारा लगाया था।
“अपनी आँखों से देखा बाबरी के ऊपर भगवा”
शालिनी जी (Shalini Dabir) कहती हैं कि जब एक व्यक्ति बाबरी मस्जिद के ऊपर चढ़ गया था और उसने वहां भगवा ध्वज फहराया था, तो उस समय वह भी वहां थी। उन्होंने अपनी आँखों से इस दृश्य को देखा था और बहुत गौरवान्वित महसूस किया था।
“अब मैं खिलाऊँगी मिठाई”
शालिनी जी बताती हैं कि जब बाबरी का वह ढांचा गिर गया था, तब दूसरे धर्म के एक व्यक्ति ने उन्हें गुस्से में मिठाई खिलायी थी और कहा था कि अब जो आपका था, वो आपको मिल गया है ना। शालिनी जी कहती हैं कि अब मैं उन्हें लड्डू खिलाऊँगी और कहूँगी कि जो हमारा था, वो तो मिल गया है लेकिन अब मेरे प्रभु श्रीराम भी लौट रहे हैं। इन पलों को याद कर शालिनी जी बहुत भावुक हो गयी थी।
राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के द्वारा ऐसे ही सैकड़ों कार सेवकों को अक्षत चावल भेजकर निमंत्रण पत्र भेजा गया है जिसमें से एक शालिनी जी भी (Ram Mandir News) हैं। शालिनी जी के पैर तो अब ठीक से काम नहीं करते हैं जिस कारण वे शायद ही प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल हो पाएं लेकिन रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है, यह सुनकर ही शालिनी जी बहुत भावुक हो जाती हैं।
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