सुलोचना लक्ष्मण की बेटी कैसे हुई? जाने सुलोचना का सती होना

Sulochana Kaun Thi

कुछ रामायण में सती सुलोचना की कहानी (Sati Sulochana Ki Kahani) का उल्लेख देखने को मिलता है। सुलोचना का उल्लेख वैसे तो रामायण में बहुत कम मिलता है लेकिन उसके बारे में जितना भी लिखा गया है, वह एक साहसी महिला के चरित्र को दिखाने के लिए पर्याप्त है। उसे लक्ष्मण की बेटी तो वहीं मेघनाथ की पत्नी बताया गया है।

अब यहाँ प्रश्न उठता है कि सुलोचना लक्ष्मण की बेटी कैसे हुई!! साथ ही उसने ऐसा क्या किया था कि मेघनाथ का कटा हुआ सिर भी हंसने लग गया था? यह सब जानने के लिए आपको सुलोचना का सती होना (Sulochana Ka Sati Hona) व उससे संबंधित घटनाक्रम के बारे में पढ़ना होगा। चलिए जानते हैं।

Sati Sulochana Ki Kahani | सती सुलोचना की कहानी

सुलोचना मेघनाद की पत्नी व भगवान विष्णु के शेषनाग वासुकी की पुत्री थी। चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के ही अवतार थे इसलिए वे सुलोचना के पिता व मेघनाथ के ससुर लगते थे। सुलोचना को नाग कन्या कहा जाता था व कुछ पुस्तकों के अनुसार उसका नाम प्रमिला भी बताया गया है। युद्धभूमि में जब मेघनाथ लक्ष्मण के हाथों वीरगति को प्राप्त हो गया था तब सुलोचना अपने पति के शरीर के साथ सती हो गई थी।

हालाँकि इस कथा का उल्लेख ना तो वाल्मीकि रचित रामायण व ना ही तुलसीदास रचित रामचरितमानस में मिलता है। कुछ अन्य भाषाओं मुख्यतया तमिल भाषा की कथाओं में इसका प्रमुखता से उल्लेख मिलता है। इसलिए आज हम आपको सुलोचना का चरित्र व उसकी सती होने की कथा के बारे में बताएंगे।

मेघनाथ का युद्ध पर जाना

तीसरी बार युद्ध में जाते समय मेघनाथ को यह ज्ञात हो गया था कि श्रीरामलक्ष्मण कोई साधारण मानव नहीं अपितु स्वयं नारायण का रूप हैं। इसीलिए वह अपने माता-पिता व सुलोचना से अंतिम बार मिलने आया। वह अपने माता-पिता से मिलकर जाने लगा तब उसने सुलोचना को देखा। सुलोचना से वह इसलिए नहीं मिलना चाहता था क्योंकि उसे लग रहा था कि कहीं सुलोचना के आंसू देखकर वह भी भावुक हो जाएगा व युद्ध में कमजोर पड़ जाएगा। किंतु जब उसने सुलोचना का मुख देखा तो वह अचंभित रह गया।

सुलोचना की आँख में एक भी आंसू नहीं था तथा वह अपने पति को गर्व से देख रही थी। हालाँकि उसे भी पता था कि आज उसका अपने पति के साथ अंतिम मिलन है। लेकिन एक पतिव्रता व कर्तव्यनिष्ठ नारी होने के कारण उसने अपने पति को युद्ध में जाने से पूर्व उनके कर्तव्य में उनका साथ दिया व अपनी आँख से एक भी आंसू नहीं गिरने दिया।

मेघनाथ की भुजा पहुँची सुलोचना के पास

जब लक्ष्मण मेघनाथ का वध करने जाने लगे तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि चूँकि सुलोचना एक पतिव्रता नारी है इसलिए मेघनाथ का मस्तक भूमि पर ना गिरे। इसलिए जब लक्ष्मण ने मेघनाथ का मस्तिष्क काटकर धड़ से अलग कर दिया तो उसे श्रीराम के चरणों में रख दिया।

भगवान श्रीराम लंका व सुलोचना को यह बता देना चाहते थे कि युद्ध में मेघनाथ वीरगति को प्राप्त हो चुका है। इसी उद्देश्य से उन्होंने मेघनाथ की दाहिनी भुजा को काटकर धनुष-बाण से सुलोचना के पास पहुँचा दिया। जब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा देखी तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने उस भुजा से युद्ध का सारा वृतांत लिखने को कहा। उसके बाद एक कलम की सहायता से मेघनाथ की भुजा ने युद्ध मे घटित हुई हर घटना का वृतांत सुलोचना को लिखकर बता दिया।

सुलोचना पहुँची रावण के पास

इसके बाद सुलोचना अपने पति की भुजा लेकर रावण के पास पहुँची व उनसे अपने पति के साथ सती होने की आज्ञा मांगी। रावण ने उसे यह आज्ञा दे दी किंतु पति के सिर के बिना वह सती नहीं हो सकती थी। इसलिए उसने रावण से मेघनाथ के धड़ की मांग की किंतु रावण ने शत्रु के सामने याचना करने से मना कर दिया।

चूँकि राम एक मर्यादा पुरुषोत्तम पुरुष थे व उनकी सेना में ऐसे अनेक धर्मात्मा थे इसलिए उसने सुलोचना को स्वयं श्रीराम के पास जाकर मेघनाथ का मस्तिष्क लेकर आने की आज्ञा दे दी। सुलोचना लंका नरेश से आज्ञा पाकर श्रीराम की कुटिया की ओर प्रस्थान कर गई।

सुलोचना ने माँगा मेघनाथ का सिर

जब सुलोचना भगवान श्रीराम के पास पहुँची तो श्रीराम व उनकी सेना के द्वारा उनका उचित आदर-सम्मान किया गया व श्रीराम ने उनकी प्रशंसा की। सुलोचना ने भगवान को प्रणाम किया व अपने पति का मस्तिष्क माँगा। श्रीराम ने भी बिना देरी किए महाराज सुग्रीव को मेघनाथ का सिर लाने को कहा किंतु सभी के मन में यह आशंका थी कि आखिर सुलोचना को यह सब कैसे ज्ञात हुआ। तब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा के द्वारा उसे सब बता देने की बात बताई।

सुग्रीव का अनुरोध

यह सुनकर मुख्यतया वानर राजा सुग्रीव हतप्रभ थे व उन्होंने सुलोचना से मांग की कि यदि उसके पतिव्रत धर्म में इतनी शक्ति है तो वह इस कटे हुए सिर को हंसाकर दिखाए। यह सुनकर सुलोचना ने उस मस्तिष्क को अपने पतिव्रत धर्म की आज्ञा देकर उसे सबके सामने हंसने को कहा। इतना सुनते ही मेघनाथ का कटा हुआ सिर जोर-जोर से हंसने लगा। सब यह देखकर आश्चर्य में पड़ गए किंतु भगवान श्रीराम सुलोचना के स्वभाव व शक्ति से भलीभाँति परिचित थे।

उन्होंने उस दिन युद्ध विराम की घोषणा की व लंका की सेना को अपने युवराज का अंतिम संस्कार करने को कहा ताकि सुलोचना के सती होने में किसी प्रकार का रक्तपात ना हो। इसलिए उस दिन कोई युद्ध नहीं हुआ था।

सुलोचना का सती होना

इसके बाद श्रीराम के आदेशानुसार मेघनाथ का सिर उसकी पत्नी सुलोचना को सौंप दिया गया। वह अपने पति का कटा हुआ सिर लेकर लंका लौट आई। श्रीराम ने अगले दिन के लिए युद्ध विराम की घोषणा की ताकि लंकावासी अपने राजकुमार की मृत्यु का शौक मना सके और उसका अंतिम संस्कार किया जा सके। राम-रावण युद्ध शुरू होने के बाद से एक दिन के लिए भी नहीं रुका था लेकिन ऐसा पहली बार था जब श्रीराम ने एक दिन के युद्ध विराम की घोषणा की थी। यह श्रीराम का एक महान योद्धा को दिया गया सम्मान था।

रावण ने युद्ध में अपने सभी भाई-बंधू खो दिए थे लेकिन यह पहली बार था जब रावण इतना अधीर व व्याकुल था। वह अपने परिजनों की मृत्यु पर और क्रोध से भर उठता था लेकिन मेघनाथ की मृत्यु पर वह बुरी तरह रो रहा था। अगले दिन मेघनाथ की अर्थी को भव्य रूप से सजा दिया गया था। सुलोचना अपने पति का कटा हुआ सिर लेकर उस अर्थी पर बैठी हुई थी। रावण के आदेश पर मेघनाथ की चिता को अग्नि दे दी गई और अपने पति के साथ सुलोचना भी जलकर भस्म हो गई।

इस तरह से सती सुलोचना की कहानी (Sati Sulochana Ki Kahani) का यहीं अंत हो जाता है। सुलोचना ने कभी भी अपने पति को हतोत्साहित नहीं किया था। वह युद्ध का परिणाम भलीभाँति जानती थी लेकिन उसने हमेशा युद्ध पर जाते अपने पति मेघनाथ के आत्म-विश्वास को बढ़ाने का ही काम किया था। इसका उल्लेख तब भी देखने को मिलता है जब सुलोचना को पता था कि यह उसके पति का अंतिम युद्ध है और अब वे वापस नहीं लौटेंगे।

सती सुलोचना की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: सुलोचना लक्ष्मण की बेटी कैसे हुई?

उत्तर: सुलोचना नाग कन्या थी जबकि लक्ष्मण स्वयं शेषनाग के अवतार थे। इस कारण सुलोचना को लक्ष्मण की बेटी माना जाता है।

प्रश्न: मेघनाद की पत्नी का क्या नाम था?

उत्तर: मेघनाद की पत्नी का नाम सुलोचना था। सुलोचना ने मेघनाथ की मृत्यु के बाद सती होना चुना था।

प्रश्न: लक्ष्मण की पुत्री सुलोचना कैसे हुई?

उत्तर: लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे जबकि सुलोचना नागकन्या थी। इसी कारण लक्ष्मण की पुत्री में सुलोचना का नाम भी आता है।

प्रश्न: सुलोचना किसकी पत्नी थी?

उत्तर: सुलोचना रावण के सबसे बड़े पुत्र मेघनाद की पत्नी थी। जब मेघनाद युद्ध में मारा गया था तब सुलोचना भी सती हो गई थी।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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