मां शारदा चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

शारदा चालीसा (Sharda Chalisa)

आज के इस लेख में हम आपके साथ शारदा चालीसा (Sharda Chalisa) का पाठ करने जा रहे हैं। जब हम स्कूल में पढ़ते थे तब अवश्य ही हम सभी ने शारदा माता की प्रार्थना की होगी। इससे हमें पता चलता है कि शारदा माता का संबंध विद्या से है अर्थात वे सरस्वती माता का ही एक रूप मानी जाती हैं।

हालाँकि वास्तविकता में शारदा माता का संबंध माता सती के एक शक्तिपीठ से है जो मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले में स्थित है। यहाँ माता सती के गले का हार गिरा था जिस कारण इसे मैहर भी कहते हैं। मां शारदा चालीसा (Maa Sharda Chalisa) के माध्यम से आपको शारदा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चूँकि शारदा माता को मैहर माता भी कहते हैं, ऐसे में इनकी चालीसा को मैहर चालीसा भी कहा जा सकता है। आज के इस लेख में आपको शारदा चालीसा हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में आपको शारदा चालीसा के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं शारदा माता की चालीसा हिंदी में।

Sharda Chalisa | शारदा चालीसा

॥ दोहा ॥

मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज।
माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय शारदा महारानी, आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।

रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता, तीन लोक महं तुम विख्याता।

दो सहस्त्र बर्षहि अनुमाना, प्रगट भई शारद जग जाना।

मैहर नगर विश्व विख्याता, जहाँ बैठी शारद जग माता।

त्रिकूट पर्वत शारदा वासा, मैहर नगरी परम प्रकाशा।

शरद इन्दु सम बदन तुम्हारो, रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो।

कोटि सूर्य सम तन द्युति पावन, राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।

कानन कुण्डल लोल सुहावहिं, उरमणि भाल अनूप दिखावहिं।

वीणा पुस्तक अभय धारिणी, जगत्मातु तुम जग विहारिणी।

ब्रह्म सुता अखंड अनूपा, शारदा गुण गावत सुरभूपा।

हरिहर करहिं शारदा बन्दन, वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन।

शारद रूप चंडी अवतारा, चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा।

महिषासुर बध कीन्हि भवानी, दुर्गा बन शारद कल्याणी।

धरा रूप शारद भई चण्डी, रक्त बीज काटा रण मुण्डी।

तुलसी सूर्य आदि विद्वाना, शारद सुयश सदैव बखाना।

कालिदास भए अति विख्याता, तुम्हारी दया शारदा माता।

वाल्मीक नारद मुनि देवा, पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।

चरण-शरण देवहु जग माया, सब जग व्यापहिं शारदा माया।

अणु-परमाणु शारदा वासा, परम शक्तिमय परम प्रकाशा।

हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा, शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा।

ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा, शारद के गुण गावहिं वेदा।

जय जग बन्दनि विश्व स्वरूपा, निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा।

सुमिरहु शारदा नाम अखंडा, व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।

सूर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे, शारद कृपा चमकते सारे।

उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी, बन्दउ शारद जगत तारिणी।

दुःख दरिद्र सब जाहिं नसाई, तुम्हारी कृपा शारदा माई।

परम पुनीति जगत अधारा, मातु शारदा ज्ञान तुम्हारा।

विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी, जय जय जय शारदा भवानी।

शारदे पूजन जो जन करहीं, निश्चय ते भव सागर तरहीं।

शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना, होई सकल विधि अति कल्याणा।

जग के विषय महा दुःख दाई, भजहुँ शारदा अति सुख पाई।

परम प्रकाश शारदा तोरा, दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा।

परमानन्द मगन मन होई, मातु शारदा सुमिरई जोई।

चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना, भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना।

रचना रचित शारदा केरी, पाठ करहिं भव छटई फेरी।

सत्-सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना, शारद मातु करहिं कल्याणा।

शारद महिमा को जग जाना, नेति-नेति कह वेद बखाना।

सत्-सत् नमन शारदा तोरा, कृपा दृष्टि कीजै मम ओरा।

जो जन सेवा करहिं तुम्हारी, तिन कहँ कतहुं नाहि दुःखभारी।

जो यह पाठ करै चालीसा, मातु शारदा देहुँ आशीषा।

॥ दोहा ॥

बन्दऊँ शारद चरण रज, भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर, सदा बसहु उरगेहुँ॥

जय-जय माई शारदा, मैहर तेरौ धाम।
शरण मातु मोहिं लीजिए, तोहि भजहुँ निष्काम॥

Maa Sharda Chalisa | मां शारदा चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥

मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज।
माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज॥

हे शारदा माता!! आप मूर्ति रूप में मैहर में विराजित हैं। आपने अपने हाथों में माला, पुस्तक व वीणा ले रखी है और यही आपका रूप है।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय शारदा महारानी, आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।

रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता, तीन लोक महं तुम विख्याता।

दो सहस्त्र बर्षहि अनुमाना, प्रगट भई शारद जग जाना।

मैहर नगर विश्व विख्याता, जहाँ बैठी शारद जग माता।

शारदा माता की जय हो, जय हो, जय हो। आप ही माँ आदिशक्ति हो जो इस जगत का कल्याण करती हैं। आपकी चार भुजाएं हैं और आपकी प्रसिद्धि तीनों लोकों में फैली हुई है। दो हज़ार वर्षों से आप शारदा माता के रूप में प्रकट हुई हैं। आपकी नगरी मैहर है जिसे सारा संसार जानता है और आप वहां पर शारदा माता के रूप में विराजित हो।

त्रिकूट पर्वत शारदा वासा, मैहर नगरी परम प्रकाशा।

शरद इन्दु सम बदन तुम्हारो, रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो।

कोटि सूर्य सम तन द्युति पावन, राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।

कानन कुण्डल लोल सुहावहिं, उरमणि भाल अनूप दिखावहिं।

त्रिकूट पर्वत पर आपका वास है और मैहर नगरी आपके कारण ही प्रकाशमान है। आपका शरीर शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा जैसा शीतल है और यह रूप हम सभी को बहुत प्यारा लगता है। आपके अंदर करोड़ो सूर्य जितना तेज है और राज हंस आपका वाहन है। आपने अपने कानों में कुंडल पहन रखे हैं व साथ ही कई तरह के मणियों से जड़ित आभूषण पहन रखे हैं।

वीणा पुस्तक अभय धारिणी, जगत्मातु तुम जग विहारिणी।

ब्रह्म सुता अखंड अनूपा, शारदा गुण गावत सुरभूपा।

हरिहर करहिं शारदा बन्दन, वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन।

शारद रूप चंडी अवतारा, चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा।

आपने वीणा व पुस्तक पकड़ी हुई है और इस जगत में घूमकर आप ही इसका कल्याण करती हैं। आप ब्रह्म रूप हैं और स्वयं देवता भी आपके इस रूप के गुण गाते हैं। भगवान विष्णु भी आपकी वंदना करते हैं और वरुण, कुबेर इत्यादि देवता आपका अभिनन्दन करते हैं। आपने अपने चंडी अवतार में चंड-मुंड राक्षसों का वध कर दिया था।

महिषासुर बध कीन्हि भवानी, दुर्गा बन शारद कल्याणी।

धरा रूप शारद भई चण्डी, रक्त बीज काटा रण मुण्डी।

तुलसी सूर्य आदि विद्वाना, शारद सुयश सदैव बखाना।

कालिदास भए अति विख्याता, तुम्हारी दया शारदा माता।

दुर्गा माता के रूप में आपने दुष्ट महिषासुर का भी वध कर दिया था। चंडी अवतार में आपने रक्तबीज की युद्ध में मुंडी काट दी थी। तुलसी माता व सूर्य देव इत्यादि विद्वान भी आपके यश का वर्णन करते हैं। कालिदास को आपकी दया के कारण ही इतनी प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी।

वाल्मीक नारद मुनि देवा, पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।

चरण-शरण देवहु जग माया, सब जग व्यापहिं शारदा माया।

अणु-परमाणु शारदा वासा, परम शक्तिमय परम प्रकाशा।

हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा, शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा।

महर्षि वाल्मीकि व देवर्षि नारद मुनि भी बार-बार आपकी ही सेवा करते हैं। सभी देवता आपके चरणों में अपना शीश झुकाते हैं और आपकी माया इस जगत में हर जगह व्याप्त है। सृष्टि के प्रत्येक अणु व परमाणु में शारदा माता का वास है और वही उनमें शक्ति व प्रकाश प्रदान करती हैं। शारदा माता स्वयं ब्रह्म का स्वरुप हैं और भगवान शिव, मनुष्य इत्यादि उनकी पूजा करते हैं।

ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा, शारद के गुण गावहिं वेदा।

जय जग बन्दनि विश्व स्वरूपा, निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा।

सुमिरहु शारदा नाम अखंडा, व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।

सूर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे, शारद कृपा चमकते सारे।

ब्रह्म शक्ति का कोई एक भेद नहीं है और सभी वेद भी शारदा माता की महिमा के गुण गाते हैं। शारदा माता इस जगत में वंदनीय हैं और निर्गुण व सगुण दोनों ही उनके रूप हैं। जो भी शारदा माता के नाम का सुमिरन करता है, उसका इस कलियुग में कल्याण हो जाता है। ब्रह्माण्ड में स्थित सूर्य, चन्द्रमा इत्यादि तारे शारदा माता की कृपा से ही चमकते हैं।

उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी, बन्दउ शारद जगत तारिणी।

दुःख दरिद्र सब जाहिं नसाई, तुम्हारी कृपा शारदा माई।

परम पुनीति जगत अधारा, मातु शारदा ज्ञान तुम्हारा।

विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी, जय जय जय शारदा भवानी।

प्रलय काल की स्थिति में भी शारदा माता की कृपा से हमारा कल्याण होता है। शारदा माता की कृपा से हमारे सभी दुःख व गरीबी समाप्त हो जाते हैं। इस जगत की आधार शारदा माता ही हैं और शारदा माता ही ज्ञान का भंडार हैं। शारदा माता की कृपा से ही हमें विद्या, बुद्धि व सुख की प्राप्ति होती है। हे शारदा माँ!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो।

शारदे पूजन जो जन करहीं, निश्चय ते भव सागर तरहीं।

शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना, होई सकल विधि अति कल्याणा।

जग के विषय महा दुःख दाई, भजहुँ शारदा अति सुख पाई।

परम प्रकाश शारदा तोरा, दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा।

जो कोई भी शारदा माता की पूजा करता है, वह भवसागर को पार कर जाता है। शारदा माता की कृपा से ही हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और हमारा कल्याण हो जाता है। इस जगत में दुःख ही दुःख है लेकिन शारदा माता के भजन करने से हमें सुख की प्राप्ति होती है। शारदा माँ का प्रकाश बहुत ही दिव्य है और अब आप अपने प्रकाश की एक किरण मुझे भी दीजिये।

परमानन्द मगन मन होई, मातु शारदा सुमिरई जोई।

चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना, भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना।

रचना रचित शारदा केरी, पाठ करहिं भव छटई फेरी।

सत्-सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना, शारद मातु करहिं कल्याणा।

जो भी शारदा माता के नाम का सुमिरन करता है, उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है। शारदा माता के भजन करने से हमारा मन शांत हो जाता है। शारदा चालीसा के पाठ से हमारे सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं और संकट के बादल छंट जाते हैं। जो भी इस शारदा चालीसा को ध्यान से पढ़ता है, शारदा माता की कृपा से उसका कल्याण हो जाता है।

शारद महिमा को जग जाना, नेति-नेति कह वेद बखाना।

सत्-सत् नमन शारदा तोरा, कृपा दृष्टि कीजै मम ओरा।

जो जन सेवा करहिं तुम्हारी, तिन कहँ कतहुं नाहि दुःखभारी।

जो यह पाठ करै चालीसा, मातु शारदा देहुँ आशीषा।

शारदा माँ की महिमा को तो संपूर्ण विश्व जानता है और स्वयं वेद भी यही वर्णन करते हैं। शारदा माता को मेरा शत-शत नमन है और अब आप मुझ पर कृपा दृष्टि कीजिये। जो भी मनुष्य शारदा माता की सेवा करता है, उसे किसी भी तरह का दुःख नहीं सताता है। जो भी इस शारदा चालीसा का पाठ करता है, उसे शारदा माता का आशीर्वाद मिलता है।

॥ दोहा ॥

बन्दऊँ शारद चरण रज, भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर, सदा बसहु उरगेहुँ॥

जय-जय माई शारदा, मैहर तेरौ धाम।
शरण मातु मोहिं लीजिए, तोहि भजहुँ निष्काम॥

मैं शारदा माता के चरणों में अपना शीश झुकाकर उन्हें प्रणाम करता हूँ और उनसे प्रार्थना करता हूँ कि वे मुझे अपनी भक्ति व ज्ञान दें। वे मेरी अविद्या को दूर करें और मेरे हृदय में वास करें। हे शारदा माता!! आपकी जय हो, जय हो। मैहर नगरी में आपका धाम है। मुझे अपनी शरण में ले लीजिये और मैं बिना किसी स्वार्थ के आपके नाम का भजन करता हूँ।

शारदा चालीसा का महत्व

श्री शारदा चालीसा के माध्यम से माता शारदा के बारे में हरेक जानकारी दी गयी है। ऊपर का लेख पढ़कर आपने जाना कि माता शारदा की क्या कुछ शक्तियां हैं, उनका क्या औचित्य है, वे किन गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं, मैहर माता के रूप में उनकी मान्यता क्यों है तथा उनका माँ आदि शक्ति के द्वारा प्रकटन किस उद्देश्य के तहत किया गया था।

तो यही सब बातें आम जन को बताने और माता शारदा का महत्व बताने के लिए ही यह शारदा चालीसा लिखी गयी है। इसे नित्य रूप से पढ़कर हमें शारदा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे हमारा जीवन सुखमय बन जाता है। यही माँ शारदा चालीसा का महत्व होता है।

शारदा चालीसा के लाभ

जो व्यक्ति नित्य रूप से शारदा माता की चालीसा को पढ़ता है या सुनता है, उसके सभी काम बन जाते हैं। मां शारदा उससे बहुत प्रसन्न होती हैं और उसकी हर मनोकामना को पूरा कर देती हैं। शारदा चालीसा के प्रतिदिन पाठ से ना केवल एक व्यक्ति अपनी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है बल्कि उसका करियर भी बन जाता है। यदि वह नौकरी कर रहा है तो वहां उसका प्रोमोशन होता है तो वहीं व्यवसाय में उन्नति देखने को मिलती है।

इसी के साथ ही उस व्यक्ति के जीवन में भी कई तरह के ऐसे अवसर आते हैं जो उसे तेज गति से आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं। घर में भी सुख-शांति का वास होता है तथा सभी काम आसानी से बन जाते हैं। व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है तथा उसके यश में वृद्धि देखने को मिलती है। यही शारदा चालीसा को पढ़ने के मुख्य लाभ होते हैं। ऐसे में हर किसी को प्रतिदिन शारदा माता चालीसा का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने शारदा चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Sharda Chalisa) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने शारदा चालीसा के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

शारदा चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मां शारदा की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: मां शारदा की पूजा करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर व अपने नित्य कर्म निपटा कर, शारदा माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठ जाना चाहिए। फिर पूरे विधि-विधान के साथ शारदा चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए।।

प्रश्न: शारदा माता किसका रूप है?

उत्तर: वैसे तो शारदा माता सती के गले के हार से गिरकर बना एक शक्तिपीठ है किन्तु इन्हें माता सरस्वती का भी रूप माना जाता है जिनसे हमें विद्या व बुद्धि प्राप्त होती है।

प्रश्न: मां शारदा का अर्थ क्या है?

उत्तर: मां शारदा का अर्थ होता है ऐसी देवी जो हम सभी को शिक्षा, विद्या व बुद्धि प्रदान करने वाली हैं। इसी कारण इन्हें माता सरस्वती का ही एक रूप माना जाता है।

प्रश्न: शारदा पूजा कब है?

उत्तर: वर्ष में जिस दिन सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है, उसी दिन ही शारदा माता की भी पूजा करने का विधान है क्योंकि दोनों एक ही हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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