शिवलिंग क्या है और कैसे बना? (Shivling Means In Hindi)

Shivling Kya Hai

शिवलिंग हम सभी के लिए बहुत बड़ा रहस्य है। ऐसे में हर किसी के मन में यह प्रश्न उठता है कि शिवलिंग क्या है (Shivling Kya Hai)। दरअसल हम सभी शिवजी के ही प्रतिरूप में शिवलिंग की आराधना करते हैं और इसे शिवजी से जोड़कर देखते हैं लेकिन कभी हमने इसके बारे में विशेष तौर पर जानने का प्रयास नहीं किया होगा। अब सभी ईश्वर के अवतार मनुष्य रूप में हैं तो शिवलिंग का आकार ऐसा क्यों है?

ऐसे में आज हम आपके साथ शिवलिंग क्या है और कैसे बना (Shivling Means In Hindi), के बारे में ही विस्तार से बात करने वाले हैं। इसी के साथ ही बहुत से अनसुलझे रहस्यों जैसे कि शिवलिंग के नीचे क्या है, शिवलिंग का निर्माण कैसे हुआ, शिवलिंग का नाम कैसे पड़ा, इत्यादि से भी पर्दा उठाने वाले हैं। आइये सबसे पहले शिवलिंग क्या होता है (Shiv Ling Kya Hota Hai), इस विषय के बारे में जान लेते हैं।

शिवलिंग क्या है (Shivling Kya Hai)

सनातन धर्म में कई तरह के ईश्वर को मानने की परंपरा है लेकिन सर्वोच्च ईश्वर के रूप में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश की पूजा की जाती है। इसमें भी विष्णु व शिव को सर्वोच्च ईश्वर या एक ही ईश्वर माना गया है। ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता, विष्णु पालनहार और शिव को विनाशक के तौर पर देखा जाता है।

अब यदि हम विशाल संदर्भ में देखें तो जो विनाश कर रहा है, वही निर्माण करता है। वह इसलिए क्योंकि जहाँ कहीं भी निर्माण होगा, तो कहीं ना कहीं उसके बराबर तत्वों का विनाश करना आवश्यक होगा। यह ब्रह्माण्ड भी इसी का ही सूचक है जो अथाह व अनंत है। हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं वह इसी ब्रह्माण्ड का एक बहुत ही छोटा अंग है।

ब्रह्माण्ड लगातार फैलता जा रहा है जो एक समान चारों दिशाओं में नहीं बल्कि ऊपर नीचे फैलता है अर्थात अंडाकार में। शिवलिंग इसी ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करता है। शिवलिंग का जो आकार है, वह ब्रह्मांड के फैलने और उसके रूप का ही प्रतिबिंब है। इस शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का ही वास होता है। इसे बेहतर तरीके से आप शिवलिंग के तीन भागों के बारे में जानकर (Meaning Of Shiv Ling In Hindi) समझ सकते हैं। आइये जाने।

  • शिवलिंग का निचला भाग

शिवलिंग के तीन भागों में सबसे पहले उसका निचला भाग आता है जो भूमिगत होता है अर्थात भूमि के अंदर दबा हुआ होता है। इस भाग को ना तो हम देख सकते हैं और ना ही छू सकते हैं। यह भाग ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करता है। चूँकि ब्रह्मा जी ही इस सृष्टि के रचयिता हैं और रचना बीज के माध्यम से होती है जो किसी भी चीज़ की नींव होती है। इस कारण शिवलिंग में सबसे निचला स्थान भगवान ब्रह्मा को दिया गया है।

  • शिवलिंग का मध्यम भाग

अब यह शिवलिंग का मध्यम भाग होता है, जिस पर ऊपर का भाग टिका हुआ होता है। यह समतल भाग होता है जिसे आप देख और छू सकते हैं। यह शिवलिंग के ऊपरी भाग अर्थात अंडाकार भाग को अपने ऊपर स्थान देता है अर्थात ऊपर वाला भाग इसी पर ही टिका होता है। इस समतल भाग का प्रतिनिधित्व भगवान विष्णु कर रहे होते हैं जिन्हें हम सृष्टि के पालनहार के रूप में जानते हैं। वे ही हमारे द्वारा चढ़ाई गयी हर चीज़ को अपने ऊपर ले लेते हैं और वहीं से ही सब बहकर निकल भी जाता है।

  • शिवलिंग का ऊपरी भाग

यह शिवलिंग का सबसे ऊपरी भाग होता है जिसकी हम सभी पूजा करते हैं। यह अंडाकार या ओवल के रूप में होता है और इसे ही हम मुख्य शिवलिंग मानते हैं। जो कुछ भी चढ़ाया जाता है या शिवलिंग के जिस भाग की पूजा की जाती है, वह यही भाग होता है। यह शिव का प्रतीक होता है जो ब्रह्माण्ड के अनादि-अनंत को दर्शाता है। यह हमें बताता है कि ब्रह्माण्ड का कोई अंत नहीं है, वह अथाह है, वह यूँ ही फैलता चला जाएगा, उसे रोका नहीं जा सकता है।

इस तरह से आपने शिवलिंग क्या है (Shivling Kya Hai), इसके बारे में जान लिया है। शिव को हर जगह व्याप्त माना जाता है क्योंकि वही अंधकार है। अब हम सभी अंधेरे से डरते हैं लेकिन वही सत्य है। अंधकार हर जगह व्याप्त है जबकि प्रकाश हमें सूर्य से मिल रहा है। सूर्यास्त होते ही हमें ब्रह्माण्ड में फैला अथाह अंधेरा घेर लेता है और वही शिव है। ऐसे में शिवलिंग के माध्यम से ब्रह्माण्ड के स्वरुप का चित्रण किया गया है।

शिवलिंग का निर्माण कैसे हुआ?

शिवलिंग के निर्माण की कथा को जानकर आप यह समझ पाने में सक्षम होंगे कि शिवलिंग क्या है और कैसे बना (Shivling Means In Hindi)? हालाँकि ऊपर आपने शिवलिंग क्या होता है (Shiv Ling Kya Hota Hai), इसके बारे में तो जान लिया है लेकिन इसी के साथ ही शिवलिंग का निर्माण कैसे हुआ, इसकी कथा जानना भी जरुरी हो जाता है।

इस कथा के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा व विष्णु के बीच विवाद हो जाता है और दोनों ही एक दूसरे से श्रेष्ठ होने का दम भरते हैं। इसी बीच आकाश में एक बहुत बड़ी ज्योति उत्पन्न होती है जिसे अग्निलिंग कहा गया था। भगवान शिव दोनों को ही ऊपर व नीचे उसका अंत ढूंढने को भेजते हैं। यह आकृति शिवलिंग के समान ही थी जो ब्रह्माण्ड का परिसूचक थी।

उसी समय के बाद से शिवलिंग का चित्रण (Meaning Of Shiv Ling In Hindi) शुरू हो गया था जो भगवान शिव के द्वारा ही शुरू किया गया था। अब यदि आप इस कथा के बारे में विस्तार से जानने को इच्छुक हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक कर उसके बारे में पढ़ सकते हैं।

शिवलिंग का आकार ऐसा क्यों है?

बहुत से लोगों का यह प्रश्न भी होता है कि शिवलिंग का आकार ऐसा ही क्यों है (Shivling Ka Aakar Aisa Kyon Hai)!! यह चौकोर, गोलाकार या किसी अन्य आकार में ना होकर अंडाकार में ही क्यों बना हुआ है। तो इसका स्पष्ट व सीधा उत्तर है ब्रह्माण्ड का इसी तरह से फैलना या इसी रूप में होना। यदि आप आज के समय में वैज्ञानिकों के द्वारा ब्रह्माण्ड के बनाये गए चित्रों या रूप को देखेंगे तो वह आपको अंडाकार रूप में ही दिखेगा।

तो जो चीज़ आज के समय में वैज्ञानिकों ने बताई है, वह हमारे धर्म में सदियों पहले ही बता दी गयी थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं शिवलिंग का रूप ही है। चूँकि शिवलिंग ब्रह्माण्ड का ही प्रतिनिधित्व कर रहा होता है, इसलिए उसे हमेशा अंडाकार रूप में ही बनाया जाता है। वहीं उसके नीचे के धरातल को विष्णु को समर्पित किया गया है जबकि भूमिगत वाला भाग ब्रह्मा जी को समर्पित है।

शिवलिंग के नीचे क्या है?

शिवलिंग का ऊपर का और मध्य का भाग तो हम सभी को दिख जाता है लेकिन जब कभी हम मंदिर जाते हैं तो मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि शिवलिंग के नीचे क्या होता है (Shivling Ke Niche Kya Hota Hai)!! क्या शिवलिंग के नीचे भी अंडाकार वाला भाग होता है या फिर कुछ और होता है। तो यहाँ हम आपको पहले ही बता दें कि जिस मध्य भाग को आप शिवलिंग में देखते हैं, कुछ उसी तरह का भाग नीचे होता है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि अंडाकार वाला भाग एक ही होता है जो ऊपर होता है जबकि मध्य में जो भाग होता है, ठीक उसी तरह का भाग नीचे भूमिगत होता है। शिवलिंग का नीचे वाला भाग भगवान ब्रह्मा को समर्पित होता है। वह इसलिए क्योंकि ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचनाकार माना जाता है और शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतीक है। ऐसे में इस सृष्टि की रचना करने के संदर्भ में ब्रह्मा जी को नींव या बीज रूप में नीचे स्थान दिया गया है।

शिवलिंग का नाम कैसे पड़ा? (Shivling Name In Hindi)

शिवलिंग नाम कैसे पड़ा, इसके लिए आपको शिवलिंग शब्द को ही समझना होगा। शिवलिंग संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है जो दो शब्दों के मेल से बना है: शिव व लिंग। यहाँ शिव का अर्थ भगवान शिव से है तो वहीं लिंग का अर्थ प्रतीक या चिन्ह से होता है। बहुत लोग लिंग का अलग अर्थ निकाल लेते हैं क्योंकि हिंदी भाषा में लिंग को पुरुष गुप्तांग से जोड़कर देखा जाता है।

ऐसे में यहाँ लिंग का तात्पर्य प्रतीक या चिन्ह से है। जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व भगवान शिव ही करते हैं, वही देवों के देव महादेव हैं, उनका कोई आदि-अंत नहीं है और वही विनाशक और निर्माण करने वाले हैं। ऐसे में ब्रह्माण्ड के प्रतीक के रूप में बनायी गयी इस आकृति को भी शिवलिंग नाम दिया गया अर्थात शिवजी का प्रतीक या चिन्ह।

शिवलिंग का रहस्य क्या है? (Shivling Ka Rahasya)

पृथ्वीवासियों के लिए शिवलिंग किसी रहस्य से कम नहीं है क्योंकि हम कभी भी शिव को पूर्ण रूप में जान ही नहीं सकते हैं। इसे हम इसी उदाहरण से समझा देते हैं कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे हम स्वर्ग या नरक में स्थान देते हैं। वहीं यदि कोई बहुत ही पुण्यात्मा है तो उसे मोक्ष प्राप्ति हो जाती है अर्थात विष्णु लोक में स्थान मिल जाता है लेकिन शिवलोक में स्थान पाया ही नहीं जा सकता है।

वह इसलिए क्योंकि शिव को पूर्ण रूप में समझना और पाना किसी के भी नियंत्रण में नहीं है। शिव इस ब्रह्माण्ड में फैला अथाह अंधकार है जिसकी कोई सीमा नहीं है। यही शिवलिंग के रहस्य कहे जा सकते हैं जिन्हें शब्दों में भी नहीं समेटा जा सकता है। शिव ही मृत्यु है तो मृत्यु ही जीवन का परम सत्य है, शिव ही अंधकार है लेकिन अंधकार ही प्रकाश का कारण है, शिव निराकार है और निराकार में ही आकार रूप लेते हैं। इस तरह से शिवलिंग के एक नहीं बल्कि हजारों रहस्य हैं।

शिवलिंग के प्रकार (Shivling Types In Hindi)

आपको शिवलिंग के विभिन्न प्रकारों के बारे में भी जान लेना चाहिए। हालाँकि आपको बहुत जगह शिवलिंग के तरह-तरह के प्रकार बताकर भ्रमित किया जाएगा। ऐसे में आपका सही रूप में जानकारी लेना सही रहता है ताकि कोई आपको गलत जानकारी ना दे पाए। ऐसे में हमारी जानकारी में शिवलिंग के प्रकारों को कई रूप में विभाजित किया जा सकता है जो उनकी बनावट, स्थापित करने की जगह, इत्यादि कई कारकों पर निर्भर करता है।

  • बनावट के आधार पर

इसमें शिवलिंग किस तरह से बनाया गया है, उस आधार पर इन्हें भिन्न-भिन्न प्रकारों में बांटा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर पत्थर से बने शिवलिंग अलग होते हैं तो वहीं मिट्टी के बने शिवलिंग अलग। इसी तरह कुछ प्रसिद्ध शिवलिंग के नाम पारद शिवलिंग व स्फटिक शिवलिंग है। इनके अलावा भिन्न-भिन्न धातुओं या फल-फूल से भी शिवलिंग का निर्माण किया जा सकता है।

  • स्थापित होने की जगह के आधार पर

शिवलिंग जहाँ स्थापित होता है या बनता है, उसके आधार पर भी इनमें भेद किया जा सकता है। इसमें मुख्य तौर पर ज्योतिर्लिंग व स्वयंभू शिवलिंग आते हैं। ज्योतिर्लिंग कुल बारह हैं जिन्हें बहुत पहले महान ऋषियों व ईश्वर-देवताओं के मानवीय रूपों के द्वारा स्थापित किया गया था जैसे कि सोमनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम इत्यादि। वहीं स्वयंभू शिवलिंग वह है जो अपने आप बनता है या बना हुआ होता है जैसे कि अमरनाथ, श्रीखंड महादेव इत्यादि।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने शिवलिंग क्या है और कैसे बना (Shivling Means In Hindi), के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। इतना ही नहीं, शिवलिंग के रहस्य सहित उससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को भी आपने इस लेख के माध्यम से जान लिया है। ऐसे में आगे से कभी कोई शिवलिंग के बारे में आपसे पूछे तो आप उसे बहुत कुछ बता सकते हैं।

हालाँकि शिवलिंग केवल ब्रह्माण्ड की परिभाषा तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह शिव-शक्ति, पदार्थ-ऊर्जा इत्यादि का भी परिचायक है। यदि आप शिवलिंग क्या है (Shivling Kya Hai), इसके बारे में बेहतर तरीके से जानना चाहते हैं और शिवलिंग के अर्थ को समझना चाहते हैं तो आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ना होगा।

शिवलिंग क्या है से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: शिवलिंग की सच्चाई क्या है?

उत्तर: शिवलिंग की सच्चाई यह है कि यह ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करता है। ब्रह्माण्ड की आकृति कुछ उसी तरह की है जिस तरह से शिवलिंग बना होता है। यही शिवलिंग की सच्चाई है।

प्रश्न: शिवलिंग का सही अर्थ क्या है?

उत्तर: शिवलिंग का सही अर्थ होता है शिवजी का प्रतीक। शिवलिंग संस्कृत भाषा का शब्द है जिसमें शिव का अर्थ महादेव से है तो वहीं लिंग का तात्पर्य प्रतीक या चिन्ह से होता है।

प्रश्न: शिवलिंग का इतिहास क्या है?

उत्तर: शिवलिंग के इतिहास के अनुसार एक बार भगवान विष्णु व ब्रह्मा के बीच हुए विवाद को शांत करने के लिए भगवान शिव ने अपनी शक्ति से शिवलिंग को प्रकट किया था।

प्रश्न: शिवलिंग को लिंग क्यों कहा जाता है?

उत्तर: शिवलिंग में लिंग इसलिए जुड़ा हुआ है क्योंकि लिंग का अर्थ प्रतीक या पहचान से होता है। शिवलिंग शिवजी का प्रतीक होता है और इसी कारण इसमें लिंग शब्द जोड़ा गया है।

प्रश्न: शिव और शिवलिंग में क्या फर्क है?

उत्तर: शिव स्वयं महादेव हैं जबकि शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग ब्रह्माण्ड व सृष्टि का सूचक होता है जो शिव के गुणों को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न: क्या है शिवलिंग का रहस्य?

उत्तर: शिवलिंग रहस्यों से परिपूर्ण है क्योंकि कोई भी मनुष्य ब्रह्माण्ड के संपूर्ण रहस्यों का पता नहीं लगा सकता है। ऐसे में शिवलिंग ब्रह्माण्ड के इन्हीं रहस्यों को अपने में समेटे हुए है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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