Dasa Mahavidya Mantra: दस महाविद्या मंत्र और साधना

दस महाविद्या (Das Mahavidya)

दस महाविद्या मंत्र (Das Mahavidya Mantra) वह होते हैं जो मातारानी के 10 गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन मंत्रों के जाप से उन महाविद्या की शक्तियां मनुष्य के अंदर समाहित होती है। मातारानी की हरेक महाविद्या एक अलग गुण व शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसे में यदि आप सच्चे मन के साथ 10 महाविद्या मंत्र (10 Mahavidya Mantra) का जाप करते हैं तो अवश्य ही आपका उद्धार तय है।

मुख्य रूप से गुप्त नवरात्रि के समय महाविद्याओं की पूजा की जाती है। महाविद्याओं की पूजा मुख्य रूप से तांत्रिक विद्या व शक्तियां अर्जित करने के उद्देश्य से की जाती है तो वहीं सामान्य भक्तगण माँ के गुणों को धारण करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। तो आइये इस लेख के माध्यम से दस महाविद्या मंत्र और साधना (Dasa Mahavidya Mantra) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली जाए।

Das Mahavidya Mantra | दस महाविद्या मंत्र

जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने के लिए शिव से पूछा तो शिवजी ने अनहोनी की आशंका के चलते उन्हें वहां जाने से मना कर दिया। माता सती यज्ञ में जाने के लिए अड़ गयी थी लेकिन शिवजी नहीं मान रहे थे। तब माता सती ने शिवजी को अपनी शक्तियां 10 महाविद्या के रूप में दिखायी थी। इसके बाद शिवजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी थी।

मातारानी की इन्हीं दस महाविद्या की पूजा हम गुप्त नवरात्र के दस दिनों में करते हैं। उस समय महाविद्या मंत्र की सहायता से मातारानी की उन शक्तियों को अपने अंदर समाहित किया जाता है। इसलिए आज हम आपको दस महाविद्या बीज मंत्र (Das Mahavidya Beej Mantra) व उनसे मिलने वाले लाभ के बारे में बताएँगे ताकि आप मातारानी के महाविद्या रूप का महत्व जान सकें।

#1. काली मंत्र (Kali Mantra)

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिका क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥

काली बीज मंत्र लाभ

  • शत्रुओं व दुष्टों का नाश होना
  • स्वयं में परिवर्तन आना
  • मन से बुरी प्रवत्तियों का निकलना
  • अभय का प्राप्त होना
  • समय की महत्ता होना इत्यादि।

#2. तारा मंत्र (Tara Mantra)

ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्॥

तारा बीज मंत्र लाभ

  • मातृत्व भाव का जागृत होना
  • संकटों को दूर करना
  • आर्थिक क्षेत्र में उन्नति
  • मोक्ष प्राप्ति इत्यादि।

#3. त्रिपुर सुंदरी या षोडशी मंत्र (Shodashi Mantra)

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

त्रिपुर सुंदरी बीज मंत्र लाभ

  • सुंदर रूप की प्राप्ति होना
  • वैवाहिक जीवन का सुखमय रहना
  • जीवनसाथी की तलाश पूरी होना
  • मन का नियंत्रण में रहना
  • आत्मिक शांति का अनुभव करना इत्यादि।

#4. भुवनेश्वरी मंत्र (Bhuvaneshwari Mantra)

ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:॥

भुवनेश्वरी बीज मंत्र लाभ

  • संतान प्राप्ति की कामना का पूरा होना
  • आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति होना
  • शरीर में ऊर्जा का अनुभव करना
  • कार्य करने की शक्ति प्राप्त होना इत्यादि।

#5. भैरवी मंत्र (Tripur Bhairavi Mantra)

ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा॥

भैरवी बीज मंत्र लाभ

  • बुरी आत्माओं, प्रवत्तियों व शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलना
  • अभय का मिलना व डर का समाप्त होना
  • वैवाहिक व प्रेम जीवन का सुखमय रहना
  • शत्रुओं से मुक्ति इत्यादि।

#6. छिन्नमस्ता मंत्र (Chinnamasta Mantra)

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा॥

छिन्नमस्ता बीज मंत्र लाभ

  • शत्रुओं का समूल नाश
  • भय का दूर होना
  • विपत्तियों का समाप्त होना इत्यादि।

#7. धूमावती मंत्र (Dhumavati Mantra)

ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा॥

धूमावती बीज मंत्र लाभ

  • संकटों का हरण होना
  • नकारात्मक गुणों का समाप्त होना
  • किसी प्रकार की कमी का दूर होना
  • भूख का शांत होना इत्यादि।

#8. बगलामुखी मंत्र (Baglamukhi Mantra)

ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः॥

बगलामुखी बीज मंत्र लाभ

  • शत्रुओं का समूल नाश व उन पर लगाम लगाना
  • दुष्टों को अपंग बनाना
  • विपत्ति का हल करना
  • आगे का मार्ग प्रशस्त करना इत्यादि।

#9. मातंगी मंत्र (Matangi Mantra)

ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा॥

मातंगी बीज मंत्र लाभ

  • बुद्धि व विद्या का विकास होना
  • कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति
  • वाणी पर नियंत्रण व मधुर बनना
  • जादू टोना या माया के प्रभाव से मुक्ति इत्यादि।

#10. कमला मंत्र (Kamla Mantra)

ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः॥

कमला बीज मंत्र लाभ

  • आर्थिक स्थिति में सुधार होना
  • व्यापार व नौकरी में उन्नति का होना
  • सभी इच्छाओं की पूर्ति होना
  • सुख व वैभव में वृद्धि होना इत्यादि।

मातारानी के 10 रूपों क्रमशः काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगीकमला के बारे में विस्तार से जानने के लिए उनके नाम पर क्लिक कर पढ़ें।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने दस महाविद्या मंत्र (Das Mahavidya Mantra) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। इस बात का मुख्य तौर पर ध्यान रखें कि गुप्त नवरात्रि में मातारानी के महाविद्या रूप की पूजा और उनके मंत्रों का पाठ गुप्त रूप से किया जाता है। जितना यह गुप्त रूप से किया जाता है, उतना ही अधिक लाभ देखने को मिलता है।

दस महाविद्या मंत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: 10 महाविद्या कैसे सीखें?

उत्तर: 10 महाविद्या सीखने के लिए आपको प्रत्येक महाविद्या के रूप के सामने उनके मंत्र का जाप कर उनकी साधना करनी चाहिए इससे ही आपके अंदर महाविद्या की शक्तियां आएँगी

प्रश्न: 10 mahavidya कौन कौन si hai?

उत्तर: 10 mahavidya के नाम माँ काली, तारा, त्रिपुरसुन्दरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला माता है

प्रश्न: महाविद्या का पाठ कब करना चाहिए?

उत्तर: महाविद्या का पाठ मुख्य तौर पर गुप्त नवरात्रि के समय किया जाता है इसके अलावा शुभ समय अमावस्या या रात्रि काल का होता है

प्रश्न: महाविद्या पाठ से क्या होता है?

उत्तर: महाविद्या पाठ से आपके अंदर महाविद्या की शक्तियां आती है प्रत्येक महाविद्या एक अलग शक्ति की परिचायक होती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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