आज हम आपके लिए कृष्ण चालीसा इन हिंदी (Krishna Chalisa In Hindi) में लेकर आए हैं। भगवान श्री कृष्ण की चालीसा के माध्यम से श्रीकृष्ण के कर्मों, गुणों, शक्तियों, उद्देश्यों व महत्व के बारे में बताया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि श्रीकृष्ण की भक्ति करने से हमें क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं।
इस लेख में सर्वप्रथम आपको श्री कृष्ण चालीसा इन हिंदी में पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात संपूर्ण कृष्णा चालीसा को पीडीएफ फाइल (Krishna Chalisa PDF) और इमेज के जरिए भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इसे आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव करके रख सकते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री कृष्ण चालीसा हिंदी में।
Krishna Chalisa In Hindi | कृष्ण चालीसा इन हिंदी
॥ दोहा ॥
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्ब फल, नयन कमल अभिराम॥
श्री कृष्ण भगवान के हाथों में बांसुरी उनकी शोभा को बढ़ा रही है, उनके शरीर का रंग सांवला है जो नील कमल की भांति प्रतीत होता है। उनके सुंदर होंठ बिम्ब फल के समान है तो आँखें किसी को भी मोहित कर देने वाली है।
पूर्ण इंद्र अरविंद मुख, पीताम्बर शुभ साज।
जय मन मोहन मदन छवि, कृष्ण चन्द्र महाराज॥
उनका मुख कमल के पुष्प के समान खिला हुआ है और उन्होंने अपने शरीर पर पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं। हे हमारे मन को मोहित कर देने वाले, सुंदर छवि वाले कृष्ण भगवान की जय हो।
॥ चौपाई ॥
जय यदु नंदन जय जग वंदन, जय वसुदेव देवकी नंदन।
जय यशोदा सुत नंद दुलारे, जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
श्री कृष्ण यादव वंश के हैं और वासुदेव व देवकी के पुत्र हैं। वे यशोदा माता के दुलारे हैं तो वहीं अपने सभी भक्तों की आँखों के तारे भी हैं।
जय नटनागर नाग नथइया, कृष्ण कन्हैया धेनु चरइया।
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो, आओ दीनन कष्ट निवारो॥
श्री कृष्ण कालिया नाग के ऊपर नृत्य करते हैं और गाय माता को चराते हैं। हे श्री कृष्ण भगवान, आप अपने भक्तों के दुखों का पहाड़ एक बार फिर से अपने नाखूनों पर उठा दो और सभी के कष्टों को दूर कर दो।
वंशी मधुर अधर धरि टेरी, होवे पूर्ण विनय यह मेरी।
आओ हरि पुनि माखन चाखो, आज लाज भारत की राखो॥
हे श्री कृष्ण भगवान, हम सभी को अपनी बांसुरी की मधुर धुन सुनाओ, मेरी यह विनती पूरी हो। हे श्री कृष्ण आप वापस आइए और मक्खन का स्वाद चखिए, अपने भक्तों के मान-सम्मान की रक्षा कीजिए।
गोल कपोल चिबुक अरुणारे, मृदु मुस्कान मोहिनी डारे।
रंजित राजिव नयन विशाला, मोर मुकुट बैजन्ती माला॥
श्री कृष्ण के गोल-गोल गाल हैं और उस पर उनकी मधुर मुस्कान सभी का मन वश में कर लेती है। उनकी आँखें बड़ी-बड़ी व कमल के पुष्प के समान है, उन्होंने सिर पर मोर मुकुट और गले में बैजंती माला पहनी हुई है।
कुंडल श्रवण पीतपट आछे, कटि किंकणी काछनी काछे।
नील जलज सुन्दर तनु सोहे, छवि लखि सुर नर मुनि मन मोहे॥
आपने कानों में कुण्डल तो कमर में कमरबंद पहना हुआ है। आपका नीले रंग का शरीर बहुत ही सुंदर है और आपका रूप देखकर देवता, मनुष्य, ऋषि-मुनि सभी मोहित हो जाते हैं।
मस्तक तिलक अलक घुँघराले, आओ कृष्ण बांसुरी वाले।
करि पय पान, पूतनहि तारयों, अका बका कागासुर मारयो॥
आपने मस्तक पर तिलक लगाया हुआ है और आपके बाल घुंघराले हैं, अब श्री कृष्ण बांसुरी वाले हम सभी के पास आ जाओ। आपने पूतना राक्षसी का स्तनपान करते हुए संहार कर दिया तो कंस के भेजे अकासुर, बकासुर व कागासुर को भी मार गिराया।
मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला, भये शीतल लखतहिं नंदलाला।
सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई, मूसर धार वारि वर्षाई॥
मधुवन आग में जल रहा था लेकिन जैसे ही उसने आपको देखा, वह शीतल हो गया। इंद्र देव ने अपनी पूजा ना करने पर रुष्ट होकर ब्रज क्षेत्र में मूसलाधार वर्षा की लेकिन आपने अपनी एक ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत धारण कर सभी की रक्षा की।
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो, गोवर्धन नखधारि बचायो।
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई, मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥
इंद्र देव इतने क्रोधित थे कि वे पूरे बृज क्षेत्र को ही बहा देना चाहते थे लेकिन श्री कृष्ण ने अपनी छोटी ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत धारण कर सभी की रक्षा की। जब आपको मिट्टी खाने पर यशोदा माता ने डांटा था तब वे आपके मुख में चौदह ब्रह्मांड के दर्शन कर भ्रमित हो गयी थी।
दुष्ट कंस अति उधम मचायो, कोटि कमल जब फूल मंगायो।
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें, चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
दुष्ट कंस ने मथुरा नगरी में आंतक मचाया हुआ था और उसने करोड़ो कमल पुष्प देने की मांग रखी। तब आपने अपने चरण चिन्ह देकर उसके अहंकार का नाश किया था।
करि गोपिन संग रास विलासा, सबकी पूरण करि अभिलाषा।
केतिक महा असुर संहारियो, कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥
आपने ब्रज क्षेत्र में सभी गोपियों संग रासलीला रचाई और सभी की मनोकामना पूर्ण की। आपने कई असुरों का नाश किया है और कंस जैसे राक्षस को तो बाल पकड़कर मार दिया।
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई, उग्रसेन कहँ राज दिलाई।
महि से मृतक छहों सुत लायो, मातु देवकी शोक मिटायो॥
कंस को मारने के बाद आपने अपने माता-पिता को कारावास से मुक्त करवाया और उग्रसेन को राजा बनाया। आपने माता देवकी को उनके 6 मृत पुत्र वापस लाकर उनके दुखों का निवारण किया।
भौमासुर मुर दैत्य संहारी, लाये षट दश सहस कुमारी।
दे भीमहिं तृण चीर सहारा, जरासिंधु राक्षस कहँ मारा॥
आपने भौमासुर व मुर नामक दैत्यों का वध कर उनके चंगुल से सोलह हज़ार कन्याओं को मुक्ति दिलाई। आपके कहने पर ही महाबली भीम ने जरासिंधु राक्षस का वध किया और उसके शरीर को चीर कर रख दिया।
असुर बकासुर आदिक मारयो, भक्तन के तब कष्ट निवारियो।
दीन सुदामा के दुःख टारयो, तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥
आपने बकासुर राक्षस का वध कर अपने भक्तों के कष्टों का निवारण किया। आपने अपने मित्र सुदामा के दुखों का अंत किया और उसके द्वारा दिए गए कच्चे चावल को बड़े ही आनंद के साथ खाया।
प्रेम के साग विदुर घर मांगे, दुर्योधन के मेवा त्यागे।
लखि प्रेम की महिमा भारी, ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
आप हस्तिनापुर में दुर्योधन के न्योते को ठुकराकर अपने भक्त विदुर के घर गए। आपने धन से अधिक प्रेम को महत्ता देकर अपने भक्त की लाज रखी, श्री कृष्ण सभी दीन बंधुओं का हित करते हैं।
मारथ के पारथ रथ हांके, लिया चक्र कर नहिं बल थांके।
निज गीता के ज्ञान सुनाये, भक्तन हृदय सुधा वर्षाये॥
आपने महाभारत के भीषण युद्ध में अर्जुन के सारथी की भूमिका को निभाया और अपने चक्र से कई महान योद्धाओं का वध किया। आपने युद्धभूमि पर अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया और भक्तों के हृदय में अमृत की वर्षा की।
मीरा थी ऐसी मतवाली, विष पी गई बजाकर ताली।
राणा भेजा सांप पिटारी, शालिग्राम बने बनवारी॥
आपकी भक्त मीरा आपके प्रेम में तो ऐसी मतवाली थी कि वह विष को भी मीठा पानी समझ कर पी गयी। राणा ने मीरा का वध करने के कई प्रयत्न किये लेकिन विफल हुए। उनके भेजे सांप पुष्प माला बन गए तो शालिग्राम पत्थर में भी आप जीवित हो उठे।
निज माया तुम विधिहिं दिखायो, उर ते संशय सकल मिटायो।
तब शत निन्दा करी तत्काला, जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
आपने अपनी माया का प्रभाव दिखाया और सभी के संशय दूर कर दिए। शिशुपाल के जब 100 अपराध आपने क्षमा कर दिए तब आगे अपराध करने पर आपने उसका शीश धड़ से अलग कर उसका जीवन मुक्त कर दिया।
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई, दीनानाथ लाज अब जाई।
तुरतहिं वसन बने नंदलाला, बढ़े चीर भये अरि मुँह काला॥
जब भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तब उन्होंने आपसे अपनी लाज बचाने की याचना की। आपने बिना समय गंवाए द्रौपदी के मान-सम्मान की रक्षा की। आप ही द्रौपदी के वस्त्र बन गए और वह वस्त्र बढ़ता ही गया और देखते ही देखते सभा में साड़ी का पहाड़ खड़ा हो गया और शत्रुओं का मुहं काला हो गया।
अस अनाथ के नाथ कन्हैया, डूबत भंवर बचावत नइया।
सुन्दरदास आस उर धारी, दयादृष्टि कीजै बनवारी॥
मैं तो अनाथ हूँ हे श्री कृष्ण और आप ही मेरे स्वामी हो। मेरे डूबते जहाज को आप ही बचा सकते हैं। सुन्दरदास आपसे यह आशा करता है कि आप मुझ पर अपनी दया की दृष्टि रखेंगे।
नाथ सकल मम कुमति निवारो, क्षमहु बेगि अपराध हमारो।
खोलो पट अब दर्शन दीजै, बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥
मेरी बुद्धि यदि भ्रष्ट हो गयी है तो उसे सही मार्ग पर लेकर आइए और हमारे सभी अपराध को क्षमा कर दीजिए। हे प्रभु! अपने द्वार खोलकर हमे दर्शन दीजिए। सभी कृष्ण कन्हैया की जय बोलिये।
॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करे उर धारि।
अष्ट सिद्धि नव निद्धि फल, लहै पदारथ चारि॥
जो भी भक्तगण श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करता है और उनका ध्यान करता है, उन्हें आठों सिद्धियाँ, नौ निद्धियाँ व चारों पद की प्राप्ति होती है।
इस तरह से आज आपने श्री कृष्ण चालीसा इन हिंदी में अर्थ सहित (Krishna Chalisa Lyrics In Hindi) पढ़ ली है। अब हम आपके साथ कृष्ण चालीसा की PDF फाइल और इमेज भी साझा कर देते हैं।
कृष्ण चालीसा इमेज
यह रही कृष्ण चालीसा की इमेज:
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Krishna Chalisa PDF | कृष्ण चालीसा PDF फाइल
अब हम कृष्ण चालीसा की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: Krishna Chalisa PDF
ऊपर आपको लाल रंग में कृष्ण चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने कृष्ण चालीसा इन हिंदी (Krishna Chalisa In Hindi) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको इसकी इमेज और पीडीएफ फाइल भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको इमेज या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
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