रामायण में जब सही मायनों में लव कुश राम मिलन (Lav Kush Ram Milan) हुआ था तब राजभवन में हर कोई आश्चर्यचकित रह गया था। वैसे तो श्रीराम की उन दोनों से भेंट वाल्मीकि आश्रम के पास ही हुई थी। उस दौरान दोनों ही एक-दूसरे से अपने रिश्ते के बारे में नहीं जानते थे और बात युद्ध तक आ पहुँची थी।
हालाँकि उसके बाद एक समय ऐसा आया जब लव कुश को श्रीराम के अपने पिता होने के बारे में पता था। ऐसे में जब श्रीराम को भी पता चला कि लव कुश ही उन्हीं के पुत्र हैं तो उसने सभी की आँखों में आँसू ला दिए थे। इसे ही लव कुश और राम का मिलन (Luv Kush Aur Ram Ka Milan) कहा जाता है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।
लव कुश राम मिलन
जब भगवान श्रीराम को चौदह वर्ष का कठोर वनवास मिला था तब उनके साथ उनकी पत्नी सीता तथा भाई लक्ष्मण भी गए थे। चौदह वर्ष समाप्त होने के पश्चात श्रीराम का अयोध्या के राजसिंहासन पर राज्याभिषेक हुआ था और उसके बाद सभी हंसी-खुशी रहने लग गए थे। इसके कुछ दिनों के बाद ही माता सीता के चरित्र पर लांछन लगाया गया जिसके परिणामस्वरुप माता सीता को जीवनपर्यंत का वनवास मिला।
उसके बाद माता सीता अकेले महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी। माता सीता वनवास में कहाँ गई तथा इसके बाद उनके साथ क्या हुआ, इसके बारे में अयोध्यावासियों तथा स्वयं श्रीराम को भी कुछ नहीं पता (Lav Kush Ram Milan) था।
वहाँ वनवास काल में माता सीता के दो पुत्र लव कुश हुए लेकिन वे अभी अपने असली माता-पिता के नाम से अपरिचित थे। जब वे बड़े हो गए तब उन्होंने श्रीराम के अश्वमेघ घोड़े को रोककर उनके साम्राज्य को चुनौती दी। बाद में महर्षि वाल्मीकि के कहने पर दोनों राजकुमारों ने वह घोड़ा श्रीराम को लौटा दिया लेकिन तब तक दोनों को एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं पता था।
बाद में माता सीता व महर्षि वाल्मीकि के द्वारा लव-कुश को उनके असली माता-पिता का परिचय दिया गया। महर्षि वाल्मीकि ने उन्हें अयोध्या जाकर अपनी लिखी रामायण को संगीत के माध्यम से अयोध्या की प्रजा को सुनाने का आदेश दिया। गुरु के आदेश पर लव-कुश प्रतिदिन अयोध्या की प्रजा को राम कथा सुनाते व सबका मन मोह लेते।
उनकी प्रसिद्धि दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही गई। यह देखकर श्रीराम ने दोनों वनवासियों को अपने दरबार में आमंत्रित किया तथा उन्हें सबके सामने रामकथा सुनाने का आदेश दिया। श्रीराम के कहेनुसार अब दोनों वनवासी रामदरबार में आते तथा सभी के सामने रामकथा का गुणगान करते।
लव कुश और राम का मिलन
लव और कुश ने श्रीराम के बचपन से लेकर माता सीता के वनवास जाने तक की कथा छंदबद्ध तरीके से सुनाई तथा सभी मोहित होकर उनके द्वारा गाई जा रही रामायण को सुनते। ऐसे करते-करते उन्होंने माता सीता के वन में जाने के बाद की कथा भी सभी को सुनाई जिसे कोई नहीं जानता (Luv Kush Aur Ram Ka Milan) था।
माता सीता का वनवास में वाल्मीकि आश्रम में जाना, वहाँ दो पुत्रों को जन्म देना तथा उनके जीवनयापन की कथा सुनकर सब भावुक हो गए। अंत में लव-कुश ने सभी के सामने स्वयं को माता सीता व श्रीराम के पुत्र होने का बताया तथा अयोध्या के भावी राजकुमार के रूप में अपना परिचय दिया।
यह सुनकर वहाँ खड़े सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए थे तथा स्वयं श्रीराम भी असमंजस में पड़ गए थे। तब श्रीराम को पहली बार माता सीता व अपने दो पुत्र होने का पता चला था जो कि उनके सामने ही खड़े थे। किंतु प्रजा के मत को देखते हुए उन्होंने माता सीता को स्वयं वहाँ आकर यह बताने को कहा कि ये दोनों उन्हीं के पुत्र हैं। इस तरह लव कुश राम मिलन (Lav Kush Ram Milan) ने वहाँ उपस्थित सभी को भावुक कर दिया था।
लव कुश राम मिलन से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: क्या राम की लव कुश से मुलाकात हुई थी?
उत्तर: लव कुश के द्वारा श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को पकड़े जाने के पश्चात पहली बार उन दोनों की मुलाकात हुई थी। हालाँकि यह मुलाकात विपरीत परिस्थितियों में हुई थी।
प्रश्न: लव कुश बड़े होकर क्या बने?
उत्तर: लव कुश बड़े होकर श्रीराम के उत्तराधिकारी बने थे। श्रीराम ने महाप्रस्थान से पहले दोनों के बीच कौशल नगरी को बाँट दिया था।
प्रश्न: भगवान राम अभी कहां है?
उत्तर: भगवान राम श्रीहरि के अवतार थे जो पुनः उसी में समा गए थे। जब श्रीराम का पृथ्वी पर आने का उद्देश्य पूरा हो गया था, तब वे पुनः हरिलोक चले गए थे।
प्रश्न: राम जी की कितनी पत्नियां थी?
उत्तर: राम जी ने अपने जीवन में केवल एक बार विवाह किया था। उनकी पत्नी का नाम सीता था। सीता त्याग के पश्चात भी उन्होंने जीवनपर्यंत विवाह नहीं किया था।
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