जितनी महत्वपूर्ण भगवान विष्णु की आरती या चालीसा है, उतना ही महत्व विष्णु स्तुति (Vishnu Stuti) भी रखती है। श्री विष्णु स्तुति में भगवान विष्णु के कार्यों, गुणों, रूपों, महत्ता इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसे पढ़कर हमे भगवान विष्णु की इस सृष्टि के संचालन में उनकी भूमिका के बारे में पता चलता है।
इस लेख में सर्वप्रथम आपको विष्णु स्तुति इन संस्कृत में पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात विष्णु स्तुति अर्थ सहित (Vishnu Stuti In Hindi) आपको समझाई जाएगी ताकि आप इसका संपूर्ण ज्ञान ले सके। फिर आपको विष्णु स्तुति के लाभ और महत्व के बारे में बताया जाएगा। आइए सबसे पढ़ते हैं विष्णु स्तुति हिंदी में।
Vishnu Stuti | विष्णु स्तुति
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्,
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
औषधे चिंतये विष्णुम भोजने च जनार्धनम,
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिम,
युद्धे चक्रधरम देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं,
नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे,
दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दम संकटे मधुसूधनम,
कानने नारासिम्हम च पावके जलाशयिनाम,
जलमध्ये वराहम च पर्वते रघु नन्दनं,
गमने वामनं चैव सर्व कार्येशु माधवं।
षोडशैतानी नमानी प्रातरुत्थाय यह पठेत,
सर्वपापा विर्निमुक्तो विष्णुलोके महीयते।
Vishnu Stuti In Hindi | विष्णु स्तुति अर्थ सहित
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्,
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।
भगवान विष्णु आकाश में विराजमान हैं और उन्होंने श्वेत व पीले रंग के वस्त्र धारण किये हुए हैं, उनका वर्ण चंद्रमा के समान नीला व श्वेत है, उनकी चार भुजाएं हैं। हम सभी को मिलकर उन विघ्नहर्ता भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए जिससे हमे आन्तरिक प्रसन्नता अनुभव होगी।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
भगवान विष्णु का रूप व स्थिति शांत मुद्रा में है, वे शेषनाग के ऊपर सोते हैं, उन्होंने अपने हाथों में कमल पुष्प धारण किया हुआ है और वे सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। भगवान विष्णु इस विश्व के आधार हैं, वे आकाश अर्थात अंतरिक्ष में समाये हुए हैं, उनका वर्ण बादलों के समान नीला व श्वेत है, उनका हर एक अंग शुभ फल देने वाला है।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
वे माँ लक्ष्मी के पति हैं, उनके नेत्र कमल पुष्प के समान हैं, उन्हें योग के द्वारा ध्यान कर प्राप्त किया जा सकता है। भगवान विष्णु की हम सभी वंदना करते हैं, वे ही विश्व को भय मुक्त बनाते हैं और सभी लोकों के स्वामी हैं।
औषधे चिंतये विष्णुम भोजने च जनार्धनम,
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिम,
युद्धे चक्रधरम देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं,
नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे,
दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दम संकटे मधुसूधनम,
कानने नारासिम्हम च पावके जलाशयिनाम,
जलमध्ये वराहम च पर्वते रघु नन्दनं,
गमने वामनं चैव सर्व कार्येशु माधवं।
शरीर के रोगग्रस्त होने पर औषधी लेते समय भगवान विष्णु का ध्यान कीजिए, भोजन ग्रहण करते समय उनके जनार्धन रूप का ध्यान कीजिए, सोते समय उनके पद्मनाभ रूप का ध्यान कीजिए, विवाह के समय उनके प्रजापति रूप का ध्यान कीजिए, युद्ध में जाते समय उनके चक्रधारी रूप का ध्यान कीजिए तो वहीं प्रवास करते समय उनके त्रिविक्रम रूप का ध्यान कीजिए।
मृत्यु के समय उनके नारायण स्वरुप का ध्यान कीजिए, प्रेम के समय उनके श्रीधर रूप का ध्यान कीजिए, बुरे सपने आने पर उनके गोविंद रूप का ध्यान कीजिए तो वहीं संकट के समय उनके मधुसूधन रूप का ध्यान कीजिए।
तूफान में उनके नरसिंह रूप का ध्यान करें, अग्नि के समय उनके समुंद्र में सोते हुए रूप का ध्यान करें, जल में फंस जाने पर उनके वराह रूप का ध्यान करें तो पर्वतों जंगलों में होने पर उनके रघु नंदन रूप का ध्यान करें, विचरण करते समय उनके वामन रूप का ध्यान करें तो सभी कार्य करते समय उनके माधव रूप का ध्यान करें।
षोडशैतानी नमानी प्रातरुत्थाय यह पठेत,
सर्वपापा विर्निमुक्तो विष्णुलोके महीयते।
जो भी भक्तगण प्रातःकाल उठकर इन सोलह नामों को पढ़ता है तो उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है।
श्री विष्णु स्तुति का महत्व
भगवान विष्णु ही हम सभी के पालनहार है। उनके बिना धर्म का कोई अस्तित्व नहीं है। भगवान ब्रह्मा ने इस सृष्टि की रचना की है जबकि भगवान शिव इसका संहार करते हैं। इस बीच हमारी सुध लेने वाले केवल भगवान विष्णु ही है। यहीं कारण है कि जब कभी भी इस धरती पर अधर्म धर्म से ज्यादा बढ़ जाता है, तब-तब भगवान विष्णु मानव रुपी अवतार में जन्म लेते हैं।
श्री विष्णु स्तुति के माध्यम से भगवान विष्णु की आराधना की गई है। इसमें भगवान विष्णु की शक्तियों, गुणों और महत्व के ऊपर प्रकाश डाला गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि विष्णु जी की स्तुति करने से हमें क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं। यहीं विष्णु स्तुति का महत्व होता है।
विष्णु स्तुति के लाभ
विष्णु भगवान की स्तुति करने से हमें कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। श्रीराम, श्रीकृष्ण, परशुराम इत्यादि सभी भगवान विष्णु के ही अवतार है। ऐसे में यदि आप सच्चे मन के साथ विष्णु स्तुति का पाठ करते हैं तो विष्णु जी सहित उनके सभी अवतार की कृपा भी आप पर होती है।
अब यदि आप पर भगवान विष्णु के सभी अवतारों की कृपा हो जाती है तो आपके जीवन में कोई भी संकट या दुविधा शेष नहीं रह जाती है। आपकी हरेक समस्या का समाधान निकल जाता है और आगे का मार्ग दिखाई देता है। साथ ही आप शारीरिक व मानसिक रूप से भी स्वस्थ बनते हैं। यहीं श्री विष्णु स्तुति के लाभ होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने विष्णु स्तुति (Vishnu Stuti) पढ़ ली है। साथ ही आपने विष्णु स्तुति के पाठ से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं।
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