ओम का अर्थ क्या है? जाने ॐ का अर्थ व महत्व

OM Meaning In Hindi

आज हम आपको ॐ का अर्थ (OM Meaning In Hindi) बताने वाले हैं हम सभी यह जानते हैं कि सनातन धर्म में ॐ शब्द का क्या महत्व है। ॐ का महत्व तो हम सभी को पता होता है लेकिन ॐ का अर्थ बहुत लोग नहीं जानते हैं। हमारे द्वारा हर धार्मिक कार्य में ॐ मंत्र का मुख्य तौर पर जाप किया जाता है लेकिन यदि आप ॐ का अर्थ भी जान लेंगे तो यह आपके लिए बहुत लाभदायक रहेगा।

ॐ को ओम भी बोल दिया जाता है। ऐसे में आज हम आपके साथ ओम का अर्थ क्या है (AUM Meaning In Hindi) और क्यों इसे सभी मंत्रों में सर्वोच्च मंत्र माना गया है, इसके बारे में बताएँगे। इस लेख को पढ़कर आप ओम का अर्थ सहित इस शब्द के पीछे छुपे रहस्यों के बारे में भी जान पाएंगे। आइये जाने ओम का अर्थ क्या होता है।

OM Meaning In Hindi | ॐ का अर्थ

ॐ एक ऐसा शब्द है जो इस सृष्टि का प्रारंभ शब्द माना जाता है। इसे आप एक अक्षर भी कह सकते हैं क्योंकि यह ॐ के रूप में लिखा जाता है, शब्द के रूप में इसे ओम कहकर संबोधित किया जा सकता है तो वहीं यह मंत्र भी माना जाता है। सरल शब्दों में कहें तो ॐ अपने आप में संपूर्ण है और इससे महान अक्षर, शब्द व मंत्र कोई नहीं है।

अब यदि आप यहाँ ओम का अर्थ (OM Ka Arth) जानने को आये हैं तो हम आपको विस्तार से ॐ शब्द की परिभाषा को समझाने वाले हैं। दरअसल ॐ शब्द तीन अक्षरों के मेल से बना हुआ है जिन्हें हम हिंदी में “अ”, “ऊ” व “म” कहते हैं तो वहीं अंग्रेजी में “A”, “U” व “M” कहकर संबोधित किया जाता है। इस तरह से हिंदी में ॐ को हम अऊम व अंग्रेजी में AUM कहकर लिख सकते हैं।

यही कारण है कि आज हम आपके साथ ओम का अर्थ साझा करने वाले हैं। ऐसे में यदि आपको ओम की परिभाषा समझनी है तो उसके अंतर्गत आने वाले इन तीन शब्दों के बारे में जानना आवश्यक है। आइये जान लेते हैं।

#1. ओम में “अ” अक्षर का अर्थ

ॐ में सबसे पहला अक्षर अ होता है अर्थात ॐ शब्द की शुरुआत अ अक्षर से होती है। अब यदि आप हिंदी वर्णमाला को देखें तो उसमें भी अ अक्षर से ही शुरुआत की जाती है। दरअसल अ एक ऐसा अक्षर होता है जो हमारी उत्पत्ति को दर्शाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जब कोई शिशु जन्म लेता है तो उसे बोलना नहीं आता है लेकिन फिर भी वह अ अक्षर की ध्वनि बोल सकता है।

ओम के अर्थ को जानने की शुरुआत अ अक्षर के अर्थ और उसके महत्व को जानने से ही होगी। ऐसे में आइये ॐ में अ अक्षर का क्या अर्थ निकलता है और वह किस चीज़ का सूचक है, जान लेते हैं।

  • ॐ में अ अक्षर का प्रकटन

ओम में हम जो प्रथम अक्षर अ बोलते हैं, वह हमारी नाभि से निकलता है। आप चाहें तो इसी समय अ को बोलकर देखें तो आपको पता चल जाएगा कि आपकी नाभि में कंपन्न हो रही है या वहां पर जोर पड़ रहा है। जब हम अपनी माँ के गर्भ में होते हैं तो हमें अन्न व जल की आपूर्ति नाभि से जुड़ी हुई गर्भनाल से ही होती है। इस तरह से यह हमारी रचना को प्रदर्शित करता है।

  • ॐ में अ अक्षर का उच्चारण

अब यदि हम अ अक्षर का उच्चारण करेंगे तो उसकी कंपन्न तो नाभि में होती है लेकिन मुहं भी खोलना पड़ता है। तो ॐ में पहले अक्षर की शुरुआत मुहं के खोलने से होती है। इसके लिए दोनों होंठ एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और शरीर के अंदर से अ अक्षर की ध्वनि निकलती है।

  • ॐ में अ अक्षर का धार्मिक महत्व

अब ऊपर आपने जाना कि अ अक्षर का प्रकटन नाभि से होता है और वही हमारी रचना को दर्शाता है। ठीक उसी तरह ब्रह्मा जी को इस सृष्टि का रचयिता माना जाता है। ऐसे में अकेले ॐ शब्द में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनो का वास होता है। इसी में ॐ का प्रथम अक्षर अ ब्रह्मा जी से जुड़ा हुआ है और उन्हें संबोधित करता है।

  • ॐ में अ अक्षर का काल से संबंध

ओम शब्द का संबंध काल से भी है। काल अर्थात हमारा भूत, वर्तमान व भविष्य काल। तो ॐ के अ अक्षर को भूतकाल से जोड़कर देखा जाता है अर्थात जो बीत चुका है। ब्रह्मा जी ने हमारा निर्माण कर दिया जो हमारा भूतकाल था। इसी कारण इसे हमारे पिछले समय से जोड़ दिया गया है।

  • ॐ में अ अक्षर व मनोस्थिति

ॐ का संबंध हमारी मनोस्थिति अर्थात शरीर की अवस्था से भी होता है। हम तीन तरह की अवस्था में होते हैं जो है जागृत, स्वप्न व निद्रा। तो इसमें से अ अक्षर हमारी जागृत अवस्था को बताता है अर्थात जब हम जगे हुए हैं और चेतना में हैं।

#2. ओम में “ऊ” अक्षर का अर्थ

ओम में जो दूसरा अक्षर आता है वह है ऊ। अ की तरह ही ऊ अक्षर का भी ॐ में उतना ही महत्व है। जहाँ एक ओर अ ने ब्रह्मा, भूतकाल, जागृत अवस्था के बारे में बताया था तो वहीं ऊ उससे आगे बढ़ जाता है।

ॐ का अर्थ (OM Meaning In Hindi) बहुत ही ज्यादा व्यापक है जो हमें इस सृष्टि व ब्रह्माण्ड के बारे में अद्भुत ज्ञान देकर जाता है। ऐसे में इसके तीनो अक्षर मिलकर इसे संपूर्ण रूप देते हैं। उसी कड़ी में अब हम ओम के दूसरे अक्षर ऊ के महत्व व अर्थ को जानेंगे।

  • ॐ में ऊ अक्षर का प्रकटन

जिस प्रकार आपने पहले अ बोलकर देखा था, ठीक अब उसी तरह ऊ अक्षर को बोलकर देखिये। आपको अपने शरीर के किस अंग में ज्यादा कंपन्न महसूस हुआ!! तो शरीर का वह अंग है हृदय जिससे हमारे शरीर का सञ्चालन होता है। एक मौके मनुष्य का दिमाग काम करना बंद कर सकता है और उस समय उसे मंदबुद्धि या पागल कहा जायगा लेकिन यदि हृदय काम करना बंद कर दे तो उसे मृत्यु माना जाता है।

  • ॐ में ऊ अक्षर का उच्चारण

अब यदि आप ऊ अक्षर को बोलेंगे तो उस समय आपके मुख की स्थिति कुछ भिन्न हो जाती है। ऊ बोलते समय आपका मुहं गोल आकार ले लेता है या यूँ कहें कि दोनों होंठ मिलकर गोलाकार रूप ले लेते हैं। इसे हम आधा खुला हुआ मुहं कह सकते हैं। इस अक्षर का उच्चारण भी कोई भी शिशु अ के समान ही आसानी से कर पाता है।

  • ॐ में ऊ अक्षर का धार्मिक महत्व

ॐ में ऊ अक्षर का संबंध भगवान विष्णु से माना जाता है। भगवान विष्णु ही हम सभी के पालनहार हैं और वही हमारा भरण-पोषण करते हैं। ऐसे में जब तक हमारा हृदय धड़क रहा है तभी तक शरीर में प्राण है। यह सबकुछ भगवान विष्णु की कृपा से ही संभव हो पाया है।

  • ॐ में ऊ अक्षर का काल से संबंध

ओम में ऊ अक्षर को वर्तमान काल से जोड़कर देखा जाता है क्योंकि विष्णु ही वर्तमान है। हम आज जो कर रहे हैं, वही हमारा वर्तमान होता है। ऐसे में ऊ को काल के वर्तमान से जोड़कर देखा जाता है जो हम जी रहे हैं।

  • ॐ में ऊ अक्षर व मनोस्थिति

ॐ में ऊ अक्षर हमारी स्वप्न अवस्था को प्रदर्शित करता है। स्वप्न अवस्था वह होती है जब हम ना तो जागृत अवस्था में होते हैं और ना ही निद्रा में होते हैं अर्थात उस समय ना तो हम जाग रहे होते हैं और ना ही सो रहे होते हैं। ऐसे में हमारी स्वप्न अवस्था को ॐ का ऊ शब्द प्रदर्शित करता है।

#3. ओम में “म” अक्षर का अर्थ

अब करते हैं ॐ के आखिरी अक्षर म की बात। जिस प्रकार एक शिशु बिना कुछ सीखे ही अ व ऊ अक्षर का उच्चारण कर पाता है, ठीक उसी तरह वह म अक्षर भी बोल पाता है। इसके लिए उसे किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।

अभी तक आपने ओम का अर्थ (OM Ka Arth) में अ व ऊ अक्षर का अर्थ जान लिया है। ऐसे में आपने अवश्य ही म अक्षर के अर्थ का भी अनुमान लगा लिया होगा। फिर भी हम आपके सामने ॐ में म अक्षर का क्या अर्थ व महत्व होता है, उसके बारे में जानकारी दे देते हैं।

  • ॐ में म अक्षर का प्रकटन

अब यदि आप म शब्द को बोलकर देखेंगे तो मुख्य तौर पर आपके कंठ अर्थात गले में ही कंपन्न महसूस होगी। इस तरह से ॐ में म अक्षर की ध्वनि हमारे कंठ से निकलती है। यह ॐ के अंत को दर्शाती है जहाँ उसकी शुरुआत नाभि से होकर हृदय और फिर हृदय से कंठ तक पहुँचती है।

  • ॐ में म अक्षर का उच्चारण

अब ॐ में म अक्षर का उच्चारण करते समय आपका मुहं पूरी तरह बंद हो जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप बंद मुहं से भी म अक्षर का उच्चारण कर सकते हैं। ऐसे में शिशु अ व ऊ अक्षर की तरह म अक्षर भी आसानी से बोल लेता है।

  • ॐ में म अक्षर का धार्मिक महत्व

ओम में म अक्षर को भगवान शिव जी से जोड़कर देखा जाता है। चूँकि शिव ही विध्वंस करते हैं और वही हमारा व इस सृष्टि का अंत करते हैं, तो ॐ का आखिरी अक्षर भी उन्हीं को ही समर्पित किया गया है। इसमें हमारा मुहं भी बंद होकर अंत को दर्शाता है।

  • ॐ में म अक्षर का काल से संबंध

ओम में म अक्षर को भविष्य काल से जोड़कर देखा जाता है। हम आगे जो देखने वाले हैं या जब हमारा अंत आएगा, उसी को ही म अक्षर के द्वारा बताया गया है।

  • ॐ में म अक्षर व मनोस्थिति

ओम में म अक्षर हमारी निद्रा अवस्था को बताता है। उस समय ना हमें चेतना रहती है और ना ही हम स्वप्न अवस्था में रहकर किसी और दुनिया में खोये होते हैं। उस समय हमारा दिमाग सो जाता है और शरीर निष्क्रिय हो जाता है। ऐसे में अंत को निद्रा अवस्था से जोड़कर भी देखा जाता है।

AUM Meaning In Hindi | ओम का अर्थ क्या है?

ऊपर आपने ॐ शब्द के अंदर आने वाले तीनो अक्षरों का अर्थ जान लिया है। ऐसे में अब हम उन तीनो को एक साथ जोड़कर जो ॐ या ओम शब्द बनता है, उसके बारे में स्पष्ट व सरल परिभाषा आपके सामने रखने जा रहे हैं। इसे पढ़कर आपको भी ओम का महत्व व उसके अर्थ का भलीभांति ज्ञान हो जाएगा।

  • ॐ की उत्पत्ति

जिस प्रकार आपने ऊपर ओम में आने वाले अ, ऊ व म शब्द की उत्पत्ति या प्रकटन के बारे में जाना, कुछ उसी तरह ॐ हमारे संपूर्ण शरीर को दर्शाता है। ॐ शब्द की शुरुआत हमारी नाभि से होती है क्योंकि उसके प्रथम अक्षर को बोलने के लिए नाभि पर पर जोर लगाना पड़ता है। यह हमारे जन्म लेने को दर्शाता है क्योंकि माँ के गर्भ में हमें यहीं से भोजन मिलता था।

अब इसी में ॐ का मध्यम अर्थात ऊ अक्षर का जोर हमारे हृदय पर रहता है। यह हमारे जीवित रहने के बारे में बताता है क्योंकि जब तक यह धड़कता है तब तक हमारे शरीर में प्राण है। वहीं इसका अंतिम अक्षर म हमारे अंत को बताता है। इस तरह से मनुष्य जीवन की शुरुआत से लेकर उसका अंत बताने को ही ॐ की उत्पत्ति के रूप में देखा जा सकता है।

  • ॐ का उच्चारण

अब समय है ॐ के उच्चारण का। जहाँ कहीं भी ॐ का उच्चारण हो रहा होता है, वहां एक अलग ही कंपन्न देखने को मिलता है। यह कंपन्न व्यक्ति के शरीर में तो होता ही है बल्कि उसके आसपास का वातावरण भी ओम के उच्चारण से पवित्र व सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।

इसका उच्चारण मुहं को पूरा खोलने से शुरू होता है, फिर हम मुहं को आधा बंद कर देते हैं और अंत में मुहं पूरा बंद हो जाता है। आप चाहें तो ओम के तीनो अक्षर अ, ऊ व म को बोलकर देख लीजिये या फिर ॐ को ही एक रूप में बोलकर देखें। ॐ के पहले दोनों अक्षर अ व ऊ मिलकर ओ की ध्वनि बना देते हैं जिस कारण उसे अऊम की बजाये ओम बोल दिया जाता है।

  • ॐ का महत्व

अब बात करते हैं ओम के महत्व के बारे में। वैसे तो ओम का महत्व किसी से छुपा हुआ नहीं है और वैज्ञानिक दृष्टि से लेकर धार्मिक, आध्यात्मिक इत्यादि हर क्षेत्र में इसका महत्व है किन्तु यहाँ हम आपको ओम के धार्मिक महत्व के बारे में बताने वाले हैं।

ॐ शब्द का संबंध सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा, पालनकर्ता भगवान विष्णु व संहारक भगवान शिव से है। इस तरह से यह ओम शब्द हमारे जन्म, जीवन व मृत्यु को प्रदर्शित करता है। यह अपने आप में अद्भुत है क्योंकि एक शब्द के अंदर ही जीवन का संपूर्ण रहस्य समा जाता है। ओम का अर्थ (OM Ka Arth) ही ओम के महत्व को दर्शाता है।

  • ॐ का विज्ञान

बहुत से लोग ॐ का वैज्ञानिक महत्व भी जानना चाहते हैं। हालाँकि इसके धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व आपस में ही जुड़े हुए हैं क्योंकि जो ब्रह्मा, विष्णु व महेश हमें बताते हैं, वही इसका विज्ञान भी है। ओम शब्द का संबंध हमारे काल से है जिसमें हमारा भूत, वर्तमान व भविष्य तीनो काल आ जाते हैं।

एक तरह से समय का चक्र ॐ शब्द के अधीन है। इस ब्रह्माण्ड में समय को रोका नहीं जा सकता है और यह ब्रह्माण्ड लगातार फैलता जा रहा है। ऐसे में ॐ एकमात्र ऐसा शब्द है जो संपूर्ण ब्रह्मांड में गुंजायेमान है। इससे ऊपर कोई शब्द या मंत्र नहीं होता है।

  • ॐ की सिद्धि

आपने ऊपर जाना कि ओम शब्द हमारी तीन अवस्थाओं के बारे में बताता है, जो है जागृत, स्वप्न व निद्रा। अब आप सोच रहे होंगे कि मनुष्य केवल इन्हीं तीन अवस्थाओं का ही अनुभव करता है लेकिन वास्तविकता में हमारी कुल चार अवस्था होती है। ऐसे में यह चौथी अवस्था है ध्यान जिसमें हम अपने शरीर व आसपास की अनुभूति को खो देते हैं और परमपिता परमात्मा के पास पहुँच जाते हैं।

ध्यान मुद्रा में हम ना जाग रहे होते हैं, ना सपना देख रहे होते हैं और ना ही सो रहे होते हैं। तो इसी मुद्रा में जाने का सबसे सरल उपाय होता है ॐ मंत्र का निरंतर जाप। आपने कई धार्मिक सीरियल में भी देखा होगा कि किस प्रकार ऋषि-मुनि या अन्य लोग ॐ मंत्र का जाप कर ईश्वर को पा लेते थे। तो यही योग की सिद्धि व शक्ति होती है।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने ॐ का अर्थ (OM Meaning In Hindi) जान लिया है। वैसे तो ॐ शब्द केवल एक शब्द ना होकर संपूर्ण मंत्र है। इस मंत्र के अंदर ऐसे-ऐसे रहस्य व गूढ़ ज्ञान छिपा हुआ है कि उसे एक लेख में या शब्दों में समाहित नहीं किया जा सकता है।

फिर भी आज के लेख के माध्यम से हमने आपको ओम का अर्थ समझाने का पूरा-पूरा प्रयास किया है। आशा है कि आज का लेख पढ़कर आपको ॐ शब्द की परिभाषा का संपूर्ण ज्ञान हो गया होगा।

ॐ के अर्थ से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: ओम शब्द का अर्थ क्या होता है?

उत्तर: ॐ शब्द का अर्थ भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश से है इसका संबंध समय चक्र व हमारी मनोस्थिति से भी होता है इन सभी के बारे में हमने इस लेख में विस्तार से बताया है

प्रश्न: हिंदू धर्म में ओम का क्या अर्थ है?

उत्तर: हिंदू धर्म में ओम का अर्थ ब्रह्मांड की वास्तविकता से है यह हमारे जन्म, जीवन व मृत्यु को प्रदर्शित करता है इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आपको यह लेख पढ़ना होगा

प्रश्न: ओम का वैज्ञानिक अर्थ क्या है?

उत्तर: ओम का वैज्ञानिक अर्थ समय के चक्र से बंधा हुआ है जो हमारे भूत, वर्तमान व भविष्य काल को दिखाता है यह हमें ध्यान की मुद्रा में भी ले जाता है जो ईश्वर के निकट जाने का बहुत ही सरल तरीका है

प्रश्न: ओम का फुल फॉर्म क्या है?

उत्तर: ओम शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है जो कि अ, ऊ व म है ऐसे में ओम की फुल फॉर्म हिंदी में अऊम व अंग्रेजी में AUM कही जा सकती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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