आज हम आपके साथ स्कंद माता की आरती (Skand Mata Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। हम हर वर्ष नवरात्र का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। नवरात्र नौ दिवस का पर्व है जिसमें हर दिन मातारानी के भिन्न रूप की पूजा की जाती है जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। इसमें मातारानी का हरेक रूप अपने भिन्न गुणों व शक्तियों के कारण पूजनीय है। स्कंदमाता नवदुर्गा का पंचम रूप है जो मोक्ष व पुत्र प्राप्ति का परिचायक है।
इस लेख में आपको स्कंद माता आरती (Skand Mata Aarti) के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आप स्कंदमाता की आरती Lyrics का भावार्थ भी समझ पाएंगे। अंत में हम आपके साथ स्कंदमाता की आरती PDF फाइल, पाठ करने के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं स्कंदमाता की आरती।
Skand Mata Ki Aarti | स्कंद माता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुम्हें ध्याता रहू मैं॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तुम ही खंडा हाथ उठाए॥
दास को सदा बचाने आयी।
चमन की आस पुजाने आयी॥
Skand Mata Aarti | स्कंदमाता की आरती Lyrics – अर्थ सहित
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
स्कंद माता की जय हो। वे नवदुर्गा के नौ रूपों में से पांचवां रूप हैं जो माँ आदिशक्ति के मातृत्व के गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
स्कंदमाता हम सभी के मन की बात को जानती हैं अर्थात उन्हें हमारा हर रहस्य पता है। वे ही इस सृष्टि की रचना करने वाली हैं और हम सभी की ईश्वरी हैं।
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुम्हें ध्याता रहू मैं॥
हे स्कंद माता!! मैं हमेशा आपके नाम की ज्योति जलाता रहूँ और आपके नाम का ध्यान करता रहूँ। एक तरह से मैं स्कंदमाता की भक्ति में डूबा रहता हूँ।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
स्कंद माता के तो कई नाम हैं और उसी के अनुसार ही उनके रूप हैं। हर रूप में वे अपने भिन्न-भिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं। मुझे तो केवल स्कंद माता का ही आश्रय है और मैं उन्हीं की शरण में आया हुआ हूँ।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
स्कंदमाता अपने किसी रूप में तो पहाड़ों पर निवास करती हैं जैसे कि वैष्णो देवी, नैना देवी इत्यादि तो वहीं दूसरी ओर, अपने कई रूपों में इनका शहरों में भी वास है जैसे कि कलकत्ता काली मंदिर।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
मातारानी के हर मंदिर में भक्ति का अलग ही नजारा देखने को मिलता है। स्कंदमाता के मंदिर में तो सभी भक्तगण मातारानी के नाम का ही गुणगान करते हुए पाए जाते हैं।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
हे स्कंद माता!! आप मुझ पर कृपा कर मुझे अपनी भक्ति दे दीजिये अर्थात मुझे अपना भक्त बना लीजिये। साथ ही मेरे सभी बिगड़े हुए कामो को बना दीजिये।
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
स्वर्ग लोक में सभी देवता इंद्र सहित आपके द्वार पर आकर खड़े हो गए हैं और आपके नाम का ही जय-जयकार कर रहे हैं।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तुम ही खंडा हाथ उठाए॥
जब कभी भी अधर्म की बढ़ोत्तरी हुई है और धर्म की हानि हुई है तब-तब आपने अस्त्र-शस्त्र उठाकर दुष्टों, दानवों, दैत्यों व असुरों का वध कर दिया है।
दास को सदा बचाने आयी।
चमन की आस पुजाने आयी॥
आप हमेशा से ही अपने सेवकों, भक्तों व दासों की रक्षा करने के लिए आगे आयी हैं। आपने ही इस स्कंदमाता आरती के रचयिता चमन की इच्छा को पूरा किया है।
स्कंदमाता की आरती PDF
अब हम स्कंदमाता आरती PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: स्कंदमाता की आरती PDF
ऊपर आपको लाल रंग में स्कंदमाता आरती की पीडीएफ फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
स्कंद माता की आरती का महत्व
स्कंदमाता का स्वरुप नवदुर्गा के अन्य आठ स्वरूपों से सबसे अलग व अद्भुत है। इसमें मातारानी अकेली नहीं अपितु अपने साथ एक बालक को लिए हुए होती हैं और वह बालक कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान कार्तिकेय हैं। इस तरह से कार्तिकेय की माता होने के कारण उन्हें माता पार्वती भी कहा जाता है। कार्तिकेय भगवान का एक अन्य नाम स्कंद है और इसी कारण नवदुर्गा के इस रूप का नाम स्कंद माता पड़ा अर्थात स्कंद की माता।
स्कंद माता की आरती के माध्यम से हमें स्कंदमाता के गुणों, शक्तियों, कर्मों व उद्देश्य के बारे में बताया गया है। इसी के साथ ही उनकी आराधना भी की गयी है ताकि हमारा कल्याण हो सके और हम मोक्ष को प्राप्त कर सकें। यही स्कंद माता आरती का महत्व होता है।
स्कंद माता आरती के लाभ
जो भक्तगण प्रतिदिन सच्चे मन के साथ स्कंदमाता आरती का पाठ करते हैं, इससे उन्हें अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलते हैं। इसका सबसे मुख्य लाभ तो यही है कि व्यक्ति अपने मन को नियंत्रण में करना सीख जाता है और सांसारिक मोहमाया से दूर हो जाता है। स्कंदमाता की कृपा से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और वह मन को केंद्रित कर पाता है। इससे उसका ध्यान नहीं भटकता है और वह कुशलता के साथ कार्य पूरे कर पाता है।
जिन लोगों को संतान प्राप्ति नही हो पा रही है या इसमें किसी प्रकार की बाधा आ रही है तो वह भी स्कंद माता की कृपा से प्राप्त हो जाती है। इसके लिए भक्तों को प्रतिदिन सुबह के समय स्कंदमाता की आरती का पाठ करना चाहिए और दंपति को एक साथ ही यह कार्य करना चाहिए। यही मां स्कंदमाता आरती के मुख्य लाभ होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने स्कंद माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Skand Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने स्कंद माता आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको स्कंदमाता की आरती PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
स्कंदमाता आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: स्कंद माता का भोग क्या है?
उत्तर: स्कंद माता को हलवा या मीठी वस्तुएं बहुत पसंद आती है। इसी के साथ फलों में केला स्कंद माता का प्रिय भोजन है। तो आप स्कंदमाता को केले व हलवे का भोग लगा सकते हैं।
प्रश्न: स्कंद माता कौन है?
उत्तर: स्कंद माता को पार्वती माता का ही रूप माना जाता है। वे हिमालय की पुत्री व कार्तिकेय की माता मानी जाती हैं। स्कंद माता के रूप में कार्तिकेय भगवान उनकी गोद में बैठे दिखाई देते हैं।
प्रश्न: स्कंदमाता का अर्थ क्या होता है?
उत्तर: स्कंद भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम है। ऐसे में कार्तिकेय की माता होने कारण उन्हें स्कंदमाता भी कहा गया। स्कंदमाता पार्वती माता का ही एक रूप हैं।
प्रश्न: मां स्कंदमाता को कौन सा रंग पसंद है?
उत्तर: मां स्कंदमाता को पीला रंग पसंद आता है। ऐसे में यदि आप पीले रंग के वस्त्र पहन कर उन्हें पीले रंग की वस्तुओं का भोग लगाएंगे तो मातारानी जल्दी प्रसन्न होंगी।
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