क्या आप जन्माष्टमी पर निबंध (Janmashtami Essay In Hindi) लिखने जा रहे हैं!! ऐसे में आज हम जन्माष्टमी पर एक अच्छा सा निबंध लिखकर आपको देंगे। जन्माष्टमी का पर्व केवल भारत देश में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। अब आपका प्रश्न होगा कि आखिरकार जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?
दरअसल इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण मानव रूप में धरती पर अवतरित हुए थे। उन्होंने ना केवल दुष्टों का सर्वनाश किया था बल्कि समाज को कई संदेश भी दिए थे। इसलिए जन्माष्टमी को सभी लोग बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। ऐसे में आज हम जन्माष्टमी की कहानी (Janmashtami Ki Kahani) भी जानेंगे। चलिए शुरू करते हैं।
Janmashtami Essay In Hindi | जन्माष्टमी पर निबंध
हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन की अर्ध रात्रि के समय भगवान विष्णु ने मथुरा नगरी में कंस के कारावास में माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था। यह देवकी व वासुदेव का आठवां पुत्र था। कंस ने इससे पहले जन्मे सभी पुत्रों का वध कर दिया था। इसलिए श्रीकृष्ण का जन्म होते ही उनके पिता वासुदेव भगवान के चमत्कार स्वरुप उन्हें रात रात में ही गोकुल गाँव छोड़ आए थे।
वासुदेव श्रीकृष्ण को यमुना पार करके नंद बाबा के घर छोड़ आए थे। उस समय माता यशोदा को भी एक पुत्री का जन्म हुआ था जिसे वे अपने साथ ले आए थे। यह पुत्री स्वयं माया देवी थी जो बाद में आकाश में अदृश्य हो गई थी। तभी से भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में हर वर्ष अर्ध रात्रि (12 बजे) के समय को उनके जन्म के समय के रूप में मनाया जाता है। यही जन्माष्टमी की कहानी (Janmashtami Ki Kahani) है।
जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?
कृष्ण जन्माष्टमी को भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी और नवमी दोनों दिन मनाया जाता है। वह इसलिए क्योंकि कृष्ण जी का जन्म रात बारह बजे हुआ था। अब इस दिन कृष्ण जी का जन्म हुआ था जिन्होंने हमें कई तरह के संदेश दिए थे और बुरे का अंत किया था, इस कारण हर वर्ष जन्माष्टमी मनाई जाती है।
इस दिन देश-विदेश के सभी कृष्ण मंदिरों को मुख्य रूप से तथा अन्य मंदिरों को भी सजा दिया जाता है। पूरे मंदिर को विभिन्न पुष्पों, मालाओं व अन्य साज-सज्जा के सामान से सजाया जाता है। सुबह से ही भक्तों की भीड़ मंदिर में आने लगती है तथा कान्हा के दर्शन करती है। इस अवसर पर मंदिर परिसर में पालने में झूलते लड्डूगोपाल को भी सुलाया जाता है जिसे लोग बारी-बारी से झुलाते हैं।
लोग अपने छोटे बच्चों को कान्हा, राधा व अन्य भगवान के रूप देते हैं तथा झांकियां भी निकाली जाती है। आप भी कभी बचपन में जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हा या राधा बने होंगे। इसके लिए बच्चों में विशेष उत्साह भी देखने को मिलता है।
लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं या सात्विक आहार लेते हैं। घर पर विशेष पकवान तथा मिठाइयाँ बनाई जाती है। लोग अपने घर पर रखे हुए लड्डूगोपाल का भी जन्मदिन मनाते हैं तथा उनके लिए केक इत्यादि लेकर आते हैं। आपको विदित होना चाहिए कि जिन घरों में लड्डूगोपाल होते हैं वे उन्हें अपने पुत्र की भाँति रखते हैं। इसमें उन्हें दिन रात भोजन करवाना, सुलाना इत्यादि सम्मिलित है।
विभिन्न राज्यों में जन्माष्टमी का पर्व
वैसे तो पूरे भारत में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन कुछ जगह इसका विशेष महत्व है। उन जगह इसे विशिष्ट तौर पर मनाने की परंपरा है।
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मथुरा में जन्माष्टमी
यह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। इसलिए पूरी ब्रज भूमि जिसमें मथुरा, गोकुल, वृंदावन, बरसाना, नंद गाँव इत्यादि आते हैं, वहाँ इस पर्व की छाप सबसे भिन्न होती है। इस दिन पूरी मथुरा नगरी भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों से भर जाती है। देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु मथुरा वृंदावन पहुँचते हैं और बांके बिहारी व श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करते हैं।
इस दिन मथुरा नगरी में सुरक्षा के विशिष्ट प्रबंध किए जाते हैं। साथ ही पूरी नगरी को सजा दिया जाता है। हर ओर रंग, पुष्प उड़ते हुए दिखाई देते हैं तथा कृष्ण की भक्ति में भक्त झूमते नजर आते हैं।
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महाराष्ट्र में जन्माष्टमी
महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के अवसर पर दही हांडी के उत्सव का आयोजन किया जाता है। इसमें दो मकानों के बीच में ऊपर रस्सी के सहारे दही से भरी मटकी को लटका दिया जाता है। फिर कृष्ण का रूप लिए छोटे-बड़े बच्चे एक के ऊपर एक कतार बनाकर उस तक पहुँचने तथा उसे फोड़ने का प्रयास करते हैं। यह एक बहुत ही रोचक खेल है।
जब कान्हा गोकुल गाँव में माखन चुराया करते थे तब गोकुल वाले कान्हा से बचाने के लिए माखन की मटकी को ऊंचाई पर टांग दिया करते थे। तब श्रीकृष्ण अपने सखाओं की सहायता से इसी प्रकार हांडी को फोड़कर माखन चुराया करते थे। बस उसी प्रकार से यह पर्व महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है।
इस तरह से जन्माष्टमी पर निबंध (Janmashtami Essay In Hindi) यहीं पर समाप्त होता है। आप इस निबंध को लिखकर या इसमें कुछ और जोड़कर कहीं भी दे सकते हैं।
जन्माष्टमी पर निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: जन्माष्टमी का शुभ दिन कब है?
उत्तर: जन्माष्टमी का शुभ दिन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इसी दिन रात्रि बारह बजे श्रीकृष्ण का जन्म दुष्ट कंस के कारावास में हुआ था।
प्रश्न: हमें जन्माष्टमी कब मनानी चाहिए?
उत्तर: हमें जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनानी चाहिए। हालाँकि भक्तगण दोनों दिन अर्थात अष्टमी व नवमी के दिन जन्माष्टमी का आयोजन करते हैं।
प्रश्न: असली जन्माष्टमी कब की है?
उत्तर: असली जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी अर्थात आठवीं तारीख को होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दिन जुलाई से लेकर अगस्त महीने के बीच में पड़ता है।
प्रश्न: श्री कृष्ण जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: श्री कृष्ण जी का जन्म आज से लगभग पांच हज़ार वर्ष पहले भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात्रि बारह बजे हुआ था। तब से हम सभी कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।
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