तीज आरती (Teej Aarti) | हरतालिका तीज व्रत आरती (Hartalika Teej Vrat Aarti)

Hartalika Teej Vrat Aarti

तीज माता की आरती (Teej Mata Ki Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय को हरतालिका तीज का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन तीज माता के रूप में पार्वती माता की पूजा की जाती है क्योंकि उन्होंने हजारों वर्षों की तपस्या के पश्चात भगवाव शिव को पुनः पति रूप में प्राप्त किया था। ऐसे में माता पार्वती के इस रूप की पूजा करने के लिए तीज माता की आरती (Teej Mata Ki Aarti) की जाती है।

चूँकि इस दिन महिलाएं तीज माता के नाम का व्रत भी रखती हैं। इस कारण तीज आरती (Teej Aarti) को हरतालिका तीज व्रत आरती (Hartalika Teej Vrat Aarti) के नाम से भी जाना जाता है। आज के इस लेख में हम आपके साथ तीज की आरती का अर्थ भी सांझा करेंगे ताकि आप इसका भावार्थ समझ सकें। अंत में तीज माता आरती का महत्व व लाभ भी पढ़ने को मिलेगा। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं तीज माता की आरती।

हरतालिका तीज व्रत आरती (Hartalika Teej Vrat Aarti)

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥

अरिकुल पदम विनासिनी निज सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता॥

सिंह को वाहन साजे कुण्डल हैं साथा।
देबबंधु जस गावत नृत्य करत ता था॥

सतयुग रूप शील अतिसुन्दर नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी सखियन संगराता॥

शुंभ निशुंभ विदारे हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धारिके चक्र लियो हाथा॥

सृष्टि रूप तू ही है जननी शिव रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता॥

देवन अरज कीनी हम मन चित्त को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंग आता॥

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी नित रहता सुख संपत्ति पाता॥

तीज आरती इन हिंदी (Teej Aarti In Hindi)

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥

पार्वती माता की जय हो, जय हो। वे ही ब्रह्म तथा सत्य हैं अर्थात सृष्टि की शुरुआत और अंत वही हैं और वही हमें शुभ फल प्रदान करती हैं।

अरिकुल पदम विनासिनी निज सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता॥

पार्वती माता हमारे शत्रुओं का नाश कर देती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। वे ही हम सभी को जीवन प्रदान करने वाली हैं और हम सभी उनकी महिमा का वर्णन करते हैं।

सिंह को वाहन साजे कुण्डल हैं साथा।
देबबंधु जस गावत नृत्य करत ता था॥

माँ पार्वती सिंह पर सवारी करती हैं और यही उनका वाहन है। उन्होंने अपने कानो में कुंडल पहन रखे हैं। सभी देवता माता पार्वती के स्वागत में भजन गाते हैं और नृत्य करते हैं।

सतयुग रूप शील अतिसुन्दर नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी सखियन संगराता॥

सतयुग में माता पार्वती ने बहुत ही सुन्दर रूप लिया था जिनका नाम सती था। इसके बाद उन्होंने हिमालय पर्वत के यहाँ पुत्री रूप में जन्म लिया और पार्वती कहलायी। उन्होंने अपनी सखियों सहित बहुत मौज-मस्ती की।

शुंभ निशुंभ विदारे हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धारिके चक्र लियो हाथा॥

माँ पार्वती ने माँ काली के रूप में शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध कर दिया था और उनका निवास स्थान पर्वत पर है। उन्होंने शत्रुओं का नाश करने के लिए अपनी हजारों भुजाओं में अनेक अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए हैं।

सृष्टि रूप तू ही है जननी शिव रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता॥

इस सृष्टि को जन्म और इसे यह रूप माता पार्वती ने ही दिया है। इस कार्य में वे भगवान शिव की सहयोगी रही हैं। माता पार्वती के स्वागत में तो नंदी भी अपने हाथों में भृंगी व बीन लिए मदहोश होए जा रहा है।

देवन अरज कीनी हम मन चित्त को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंग आता॥

सभी देवता मिलकर माता पार्वती के सामने याचना करते हैं और हम सभी पार्वती माँ का ही ध्यान करते हैं। हम पूजा की थाली लेकर माता पार्वती के रंग में रंगकर उनकी आराधना करते हैं।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी नित रहता सुख संपत्ति पाता॥

जो कोई भी भक्तगण माता पार्वती की आरती गाता है, वह माता पार्वती की कृपा से हमेशा सुख को प्राप्त करता है और उसके घर में भी सुख-संपत्ति का वास होता है।

तीज माता की आरती (Teej Mata Ki Aarti) – महत्व

हरतालिका तीज के दिन का सभी महिलाओं के लिए बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। वह इसलिए क्योंकि अपनी प्रथम पत्नी सती के द्वारा आत्मदाह करने के पश्चात भगवान शिव ने मोहमाया को त्याग दिया था और समाधि में चले गए थे। उन्हें समाधि से उठाना स्वयं देवताओं के भी अधिकार क्षेत्र में नहीं था। ऐसे में माँ सती ने पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया था किन्तु शिव को पाना इतना सरल नहीं था।

इसके लिए उन्होंने हजारों वर्षों तक पहाड़ों पर कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ही भगवान शिव ने समाधि से उठकर उन्हें पुनः पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। जिस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, वह हरतालिका तीज का ही दिन था। ऐसे में माँ पार्वती के प्रति अपनी श्रद्धा व भक्ति प्रकट करने के लिए यह हरतालिका तीज का त्यौहार आयोजित किया जाता है और व्रत कर तीज माता की आरती उतारी जाती है।

तीज आरती के लाभ (Teej Aarti Benefits In Hindi)

जो महिलाएं हरतालिका तीज व्रत आरती करती हैं और इस दिन माता पार्वती का सच्चे मन से ध्यान करती हैं तो उन पर माँ पार्वती अपनी कृपादृष्टि रखती हैं। जो महिलाएं सुहागिन हैं, उन्हें माँ पार्वती से सदैव सुहागिन बने रहने और अपने पति के स्वस्थ रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि उसका पति किसी तरह के संकट में है या चिंता में डूबा हुआ है, तो वह भी दूर होता है। उसके घर में सुख-शांति का वास होता है और अपने पति से संबंध मधुर बनते हैं।

वहीं जो कन्याएं योग्य वर की तलाश में हैं, उन्हें तीज आरती करने से और साथ ही तीज माता के नाम का व्रत करने से जल्द ही एक सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। जिस वर की उन्हें तलाश थी, वही उन्हें प्राप्त होता है। यदि उनके विवाह में किसी तरह की अड़चन आ रही थी, तो वह भी स्वतः ही दूर हो जाती है। यही तीज माता की आरती करने के मुख्य लाभ होते हैं।

तीज माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: तीज का व्रत कब खोला जाता है?

उत्तर: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय को पूरा दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर उसके अगले दिन अर्थात चतुर्थी तिथि को तीज का व्रत खोला जाता है।

प्रश्न: तीज के व्रत की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: तीज के व्रत की पूजा करने के लिए महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। फिर संध्या के समय पुनः नहा धोकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और तीज माता की आरती भी की जाती है।

प्रश्न: क्या तीज पर बाल धोना चाहिए?

उत्तर: जी हां, आप तीज के दिन चिंतामुक्त होकर अपने बाल धो सकते हैं और इसके लिए किसी तरह की कोई मनाही नहीं है।

प्रश्न: तीज के व्रत में पानी कब पीना चाहिए?

उत्तर: तीज वाले दिन पानी नहीं पीना होता है और इसी कारण इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है। तीज के अगले दिन अर्थात चतुर्थी तिथि को पानी पिया जाता है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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