केदारनाथ में स्थित वासुकी ताल ट्रेक की पूरी जानकारी

वासुकी ताल (Vasuki Tal)

आज हम बात करेंगे केदारनाथ से ऊपर स्थित वासुकी ताल (Vasuki Tal) के बारे में। उत्तराखंड के हर एक मंदिर, पहाड़, सरोवर, ताल, नदी का संबंध पौराणिक कथाओं से है। साथ ही वे पहाड़ों पर स्थित होने के कारण सैलानियों व ट्रेकर्स के बीच रोमांच का केंद्र भी है। इन्हीं में से एक है केदारनाथ मंदिर से 8 किलोमीटर ऊपर स्थित वासुकी ताल।

वासुकी ताल केदारनाथ (Vasuki Tal Kedarnath) से भी ऊपर स्थित है जिसका ट्रेक कुल 24 किलोमीटर का है। इस ताल का संबंध भगवान विष्णु से है, इसलिए इसे वासुकी ताल के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको वासुकी ताल का इतिहास व उससे संबंधित हर चीज़ के बारे में विस्तार से बताएँगे। आइए जाने वासुकी ताल की संपूर्ण जानकारी।

Vasuki Tal Kedarnath | वासुकी ताल केदारनाथ के बारे में

क्या आप जानते हैं कि वासुकी ताल अपने यहाँ पाए जाने वाले ब्रह्म कमल के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। केदारनाथ भगवान को चढाने के लिए ब्रह्म कमल को यहीं से लाया जाता है। भगवान विष्णु के नाग वासुकी का संबंध भी इसी जगह से है और इसी कारण इसका नाम वासुकी ताल पड़ा है। हालाँकि जो लोग केदारनाथ के दर्शन करने आते हैं, उनमें से बहुत कम ही वासुकी ताल के लिए आगे निकलते हैं।

इसका मुख्य कारण है वासुकी ताल ट्रेक (Vasuki Tal Trek) का अत्यधिक कठिन व दुर्गम होना। केदारनाथ जाने के लिए तो सभी तरह की सुविधाएँ भारत व उत्तराखंड सरकार के द्वारा दी गई है किन्तु वासुकी ताल पहुँचने के लिए आपको इनमें से कोई भी सुविधा नहीं मिलेगी। इसके लिए सामान्य तौर पर ट्रेक करके आगे पहुंचना होता है। हालाँकि आप अपने साथ एक गाइड रख सकते हैं। आइए वासुकी ताल के इतिहास से लेकर इसकी कहानी, सुंदरता इत्यादि के बारे में जान लेते हैं।

वासुकी ताल का इतिहास

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि वासुकी ताल का नाम ही इसलिए पड़ा है क्योंकि इसका संबंध भगवान विष्णु के नाग वासुकी से है। इतना ही नहीं, यहाँ के सरोवर में स्नान करने स्वयं भगवान विष्णु भी आए थे। इस जगह की सुंदरता का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है। इसे तो केवल वासुकी ताल का ट्रेक करके ही अनुभव किया जा सकता है। पहले हम वासुकी ताल के इतिहास से जुड़ी जरुरी बातें जान लेते हैं।

  • मान्यता है कि रक्षाबंधन के पावन अवसर पर स्वयं भगवान विष्णु ने इस सरोवर में स्नान किया था। तब से इस स्थल की महत्ता भक्तों के बीच बढ़ गई।
  • एक अन्य मान्यता के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इस सरोवर में स्वयं वासुकी नाग के दर्शन होते हैं। वासुकी नाग को सभी नागों का राजा माना जाता है।
  • सावन के महीने में केदारनाथ में स्थित शिवलिंग पर ब्रह्मकमल चढ़ाए जाते हैं। यह ब्रह्मकमल वासुकी ताल के आसपास ही मिलते हैं। केदारनाथ मंदिर के पुजारियों के द्वारा इस ताल तक पहुंच कर ब्रह्म कमल लाए जाते हैं जिन्हें केदारनाथ के शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।

इन्हीं सब बातों के कारण वासुकी ताल का महत्व (Vasuki Tal) अत्यधिक बढ़ जाता है। ऐसे में केदारनाथ मंदिर की यात्रा पर आने वाले कुछ लोगों में वासुकी ताल जाने की भी इच्छा होती है। हालाँकि इसके लिए आप शारीरिक व मानसिक रूप से एकदम फिट होने जरुरी हैं। तभी आप वासुकी ताल की यात्रा पर जा सकते हैं।

वासुकी ताल कहां स्थित है?

वासुकी ताल उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में सोनप्रयाग के पास स्थित है। समुंद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 4,135 मीटर (13,565 फीट) है। इसकी चढ़ाई वहीं से शुरू होती है जहाँ से केदारनाथ की चढ़ाई शुरू होती है। ऐसे में केदारनाथ मंदिर तक पहुँचने के बाद वासुकी ताल के लिए आगे बढ़ा जाता है।

इसी के साथ ही आप यह भी ध्यान रखें कि वासुकी ताल के ट्रेक में या वहां पहुँच कर रुकने की कोई व्यवस्था नहीं होती है। ऐसे में आपको सुबह जल्दी उठकर वहां पहुंचना होता है और दिन छिपने तक वापस केदारनाथ पहुंचना होता है। यदि आपके पास खुद का टेंट है तो आप ऊपर रुक सकते हैं।

Vasuki Tal Trek | वासुकी ताल ट्रेक

यदि आप वासुकी ताल होकर आना चाहते हैं तो इसके ट्रेक के बारे में जानना भी आवश्यक है। इसका ट्रेक गौरीकुंड से शुरू होता है जो केदारनाथ होता हुआ आगे जाता है। इसलिए जो भक्तगण केदारनाथ के दर्शन करने आते हैं, उनमें से कुछ भक्त आगे वासुकी ताल भी होकर आते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

  • गौरीकुण्ड से वासुकी ताल की दूरी 24 किलोमीटर है व इसे आप एक दिन में पूरा नहीं कर सकते हैं।
  • इसके लिए आप सबसे पहले गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर जाएं जो कि 16 किलोमीटर का ट्रेक है।
  • इस ट्रेक में आपको सभी प्रकार की सुविधाएँ जैसे कि मेडिकल, खाने-पीने की दुकाने, विश्रामगृह, शौचालय इत्यादि मिलेंगी।
  • इसके साथ ही आप चाहें तो केदारनाथ तक का ट्रेक पैदल कर सकते हैं या फिर इसे करने के लिए पालकी, घोड़ा, टट्टू, पिट्ठू इत्यादि कई तरह की सुविधाएँ भी उपलब्ध है।
  • इन सभी के अलावा, आप गुप्तकाशी के पास फाटा एयरबेस से हेलीकॉप्टर लेकर सीधे केदारनाथ मंदिर भी पहुँच सकते हैं।
  • केदारनाथ पहुँचने के बाद वहां के मंदिर के दर्शन करें। वहां पास में स्थित आदि शंकारचार्य समाधि स्थल, भीमशिला व श्री भैरवनाथ मंदिर के दर्शन करना ना भूलें।
  • वासुकी ताल का ट्रेक उसी दिन पूरा नही किया जा सकता है क्योंकि वहां ऊपर रुकने की कोई सुविधा उपलब्ध नही है।
  • इसलिए उस दिन केदारनाथ मंदिर के पास में ही स्थित केदारनाथ बेसकैंप में मंडल निगम के द्वारा जो कैम्पस या कमरे दिए जाते हैं, वहां रुकें।
  • अगले दिन सुबह-सुबह वासुकी ताल के लिए निकलें। केदारनाथ से वासुकी ताल की दूरी 8 किलोमीटर की है।
  • आप केदारनाथ से सुबह जल्दी वासुकी ताल के लिए निकलें ताकि दिन छिपने से पहले वापस केदारनाथ पहुंचा जा सके।
  • वासुकी ताल केदारनाथ (Vasuki Tal Kedarnath) से 8 किलोमीटर ऊपर होने के कारण, यहाँ से आने-जाने का ट्रेक कुल 16 किलोमीटर का हो जाएगा।
  • ध्यान रखें दिन छिपने से पहले तक केदारनाथ बेसकैंप पहुँच जाएं क्योंकि रात में यह क्षेत्र ट्रेक के लिए सुरक्षित नही माना जाता है।
  • दरअसल केदारनाथ का यह संपूर्ण क्षेत्र केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत आता है जिसमें कई जंगली भालू देखे जाते हैं।
  • एक बात का और ध्यान रखें, केदारनाथ तक के ट्रेक में आपको जो सभी प्रकार की सुविधाएँ मिल रही थी, वह वासुकी ताल के ट्रेक में नही मिलेंगी।
  • केदारनाथ से वासुकी ताल बहुत कम लोग ही जाते हैं और यहाँ सुविधाएँ नामात्र ही हैं या यूँ कहें कि हैं ही नही। ऐसे में आप अपने खाने-पीने का सामान साथ में ही लेकर चलें।
  • वासुकी ताल जाने के लिए शुरूआती 4 किलोमीटर का ट्रेक सही है लेकिन उसके बाद 3 किलोमीटर के लिए सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
  • कुल 7 किलोमीटर का ट्रेक करके आप वासुकी पहाड़ी के शिखर पर पहुँच जाते हैं। फिर यहाँ से लगभग 1 किलोमीटर नीचे जाकर आप वासुकी ताल तक पहुँच जाएंगे।

इस तरह आप वासुकी ताल ट्रेक को एक दिन में पूरा कर सकते हैं। जो लोग प्रॉपर ट्रेकर होते हैं और अपने साथ टेंट व अन्य खाने-पीने का सामान लेकर चलते हैं, वे वासुकी ताल या उसके ट्रेक के बीच में कहीं पर पड़ाव डाल सकते हैं। फिर भी हम तो आपको यही परामर्श देंगे कि आप केदारनाथ आकर ही रुकें क्योंकि वहां जंगली जानवर आप पर हमला कर सकते हैं।

वासुकी ताल की सुंदरता

केदारनाथ के बाद 8 किलोमीटर का जो ट्रेक आपने बिना सुविधाओं के किया है और जो कठिनाई झेली है वह वासुकी ताल (Vasuki Tal) पहुँच कर व्यर्थ नही जाएगी। यहाँ पहुँच कर आपको इसकी सुंदरता का अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा। साथ ही वासुकी के शिखर से आपको हिमालय की चौखम्भा पहाड़ियों के मनोहर दृश्य देखने को मिलेंगे वो अलग।

Vasuki Tal Kedarnath
Vasuki Tal Kedarnath

इसके बाद जब आप एक किलोमीटर की ढलान पर वासुकी ताल पहुंचेंगे तो यहाँ उगे ब्रह्मकमल देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे। यहाँ आपको असंख्य ब्रह्मकमल देखने को मिल जाएंगे। इसलिए इसे लैंड ऑफ़ ब्रह्मकमल भी कहा जाता है। इन्हीं ब्रह्म कमलों को सावन के महीने में केदारनाथ के शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है।

यदि आपके पास टेंट है तो वासुकी ताल के आसपास कैंप लगाने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है। इसलिए आप आसानी से यहाँ कैंप लगा सकते हैं लेकिन यदि आपके पास कैंप नही है तो समय रहते यहाँ से निकल जाएं। ताकि दिन छिपने से पहले-पहले आप केदारनाथ के बेसकैंप तक सुरक्षित पहुँच सकें।

वासुकी ताल कब जाएं?

चूँकि हमने आपको बताया कि वासुकी ताल केदारनाथ मंदिर (Vasuki Tal) से 8 किलोमीटर ऊपर ट्रेक करके स्थित है। इसलिए यहाँ जाने का समय केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने व बंद होने पर निर्भर करता है। केदारनाथ मंदिर के कपाट मई माह में अक्षय तृतीया के दिन खोल दिए जाते हैं व उसके बाद दीपावली के अगले दिन से बंद कर दिए जाते हैं।

सर्दियों में छह माह तक केदारनाथ के कपाट भीषण बर्फबारी के कारण बंद हो जाते हैं। उस समय वहां के स्थानीय नागरिक भी नीचे रहने चले जाते हैं और केदारनाथ जाने के सभी मार्ग पूरी तरह बंद हो जाते हैं। इसलिए आप मई माह से लेकर अक्टूबर माह के बीच में ही वासुकी ताल की यात्रा कर सकते हैं।

वासुकी ताल कैसे जाएं?

इसके लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के ऋषिकेश, देहरादून या हरिद्वार पहुंचना पड़ेगा। फिर वहां से सोनप्रयाग के लिए स्थानीय बस, टैक्सी या कार लेनी होगी। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर दूर है गौरीकुण्ड, यहाँ से शेयर्ड जीप में बैठकर गौरीकुण्ड पहुंचना पड़ेगा।

गौरीकुण्ड से केदारनाथ की 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू होती है। आप चाहें तो पैदल केदारनाथ का ट्रेक कर सकते हैं या फिर वहां उपलब्ध पालकी, घोड़ी, पिट्ठू, खच्चर इत्यादि की सुविधा ले सकते हैं। इसके अलावा आप गुप्तकाशी के पास स्थित फाटा एयरबेस से हवाई सेवा के द्वारा सीधे केदारनाथ भी पहुँच सकते हैं।

वहां केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने के पश्चात आप आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि को भी देख सकते हैं और कुछ देर वहां बैठकर ध्यान लगा सकते हैं। फिर एक दिन वहीं रूककर अगले दिन सुबह जल्दी वासुकी ताल (Vasuki Tal Kedarnath) के लिए निकल जाएं और उसी दिन वापस केदारनाथ बेसकैंप पहुँच जाएं। अगले दिन केदारनाथ से वापस गौरीकुण्ड पहुँच कर अपने-अपने शहर के लिए निकल जाएं।

वासुकी ताल से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: वासुकी ताल क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: वासुकी ताल में ब्रह्म कमल पाए जाते हैं जो भगवान केदारनाथ को चढ़ते हैं इसी के साथ ही यहाँ के सरोवर में भगवान विष्णु ने स्नान किया था

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर से वासुकी ताल कैसे पहुंचे?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर से वासुकी ताल पहुँचने के लिए लगभग 8 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है यह बहुत ही कठिन व दुर्गम ट्रेक है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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