श्री राम के बाद अयोध्या का राजा कौन था? जाने श्रीराम के उत्तराधिकारी

लव कुश रामायण (Lav Kush Ramayan)

क्या आप जानते हैं कि राम के बाद अयोध्या का राजा कौन बना (Ram Ke Baad Ayodhya Ka Raja Kaun Bana) था? यह तो हम सभी जानते हैं कि श्रीराम के दो पुत्र थे जिनके नाम लव व कुश हैभगवान श्रीराम का इस धरती पर जन्म कई महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए तथा मानव जाति को कई संदेश देने के लिए हुआ था। इस दौरान उन्होंने रावण का वध कर पृथ्वी सहत तीनों लोकों के प्राणियों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई थी।

अब जब श्रीराम ने अपने सभी कर्तव्य पूर्ण कर लिए थे और उनका इस पृथ्वी को छोड़कर जाने का समय आ गया था, तब उत्तराधिकारी घोषित किए जाने का समय था। श्रीराम सहित उनके तीनों भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के भी दो-दो पुत्र थे। श्रीराम के साथ ही उनके तीनों भक्यों, सुग्रीव, निषादराज व अन्य लोगों ने पृथ्वी को छोड़ दिया था।

ऐसे में श्रीराम ने किसे अपना उत्तराधिकारी घोषित किया या फिर श्री राम के बाद अयोध्या का राजा कौन था (Ram Ke Bad Ayodhya Ka Raja Kaun Bana), यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। ऐसे में आज हम आपके इस प्रश्न का उत्तर तो देंगे ही और साथ ही यह भी बताएँगे कि उन्होंने अपने भतीजों को कहाँ का राजा नियुक्त किया था।

राम के बाद अयोध्या का राजा कौन बना?

भारतीय इतिहास में यहीं परंपरा रही है कि जो राजा होता है, उसके सबसे बड़े पुत्र को ही उसका उत्तराधिकारी बनाया जाता है। इसी कारण राजा दशरथ के बाद उनके सबसे पुत्र श्रीराम को अयोध्या का अगला राजा नियुक्त किया गया था। हालांकि कैकई ने षड़यंत्र रचा था लेकिन उसका परिणाम उसे और पूरी अयोध्या को भुगतना पड़ा था। अंत में चलकर श्रीराम ही अयोध्या के राजा बने थे और भरत ने उनके सहयोगी के तौर पर काम किया था।

अब हम सभी श्रीराम के पुत्रों का नाम लव कुश करके लेते हैं। इसमें लव का नाम कुश से पहले आता है। बहुत लोगों को लगता है कि लव कुश में लव बड़े हैं क्योंकि उनका नाम पहले लिया जाता है जबकि ऐसा नहीं है। दोनों भाइयों में कुश बड़े थे और लव उनसे छोटे। ऐसे में आपके प्रश्न राम के बाद अयोध्या का राजा कौन था (Ram Ke Bad Ayodhya Ka Raja Kaun Bana), का उत्तर कुश होगा

श्रीराम ने महाप्रस्थान अर्थात सरयू में जल समाधि लेने से पहले अपने बड़े पुत्र कुश को अयोध्या का अगला राजा नियुक्त कर दिया था। हालांकि श्रीराम ने अपने छोटे पुत्र लव का भी ध्यान रखा था और उन्हें भी किसी अन्य राज्य का राजा नियुक्त किया गया था। कौशल प्रमुख राज्य था जबकि अयोध्या उसकी राजधानी हुआ करती थी। इसे में आइये जाने श्रीराम ने अपने दोनों पुत्रों में किस तरह राज्य का बंटवारा किया था।

  • कुश का शासन

श्रीराम के बड़े पुत्र कुश को कौशल का राज्य मिला जिसकी राजधानी कुशावती थी। दक्षिण कौशल में ही अयोध्या नगरी भी आती थी। हालांकि कुश ने कुशावती नामक नई नगरी बसाई थी। इसी कारण उसका नाम कुशावती रखा गया था। कुश के बाद अयोध्या के अगले राजा उनके बड़े पुत्र अतिथि बने थे।

वर्तमान में कुशावती छत्तीसगढ़ का मुख्य शहर बिलासपुर है। कौशल प्रदेश बहुत बड़ा था जिसके अंदर उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश इत्यादि के जिले आते थे।

  • लव का शासन

श्रीराम के द्वारा अपने छोटे पुत्र लव के लिए वर्तमान पाकिस्तान का चयन किया गया था। उस समय पाकिस्तान भारत का ही अंग हुआ करती थी और वहां केवल हिन्दू धर्म के लोगों का ही वास था। लव ने वहां जिस जगह को अपनी राजधानी बनाकर बसाया, उसका नाम लवपुरी या लवपुर रखा गया था। बाद में जब यह क्षेत्रफल मुस्लिम आक्रांताओं ने हथिया लिया तब इसका नाम बदल कर लाहौर कर दिया गया। वर्तमान में लाहौर पाकिस्तान का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा शहर है।

कुछ लोगों के अनुसार श्रीराम ने कौशल प्रदेश को दो भागों में बाँट दिया था। उन्होंने दक्षिण कौशल का राजा कुश को नियुक्त किया था जिसकी राजधानी कुशावती ही थी। वही लव को उत्तर कौशल का राजा बनाया गया जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी। श्रावस्ती वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य का बिलासपुर शहर है।

भरत पुत्रों का शासन

श्रीराम के छोटे भाई भरत थे जो कैकई के पुत्र थे। कैकई महाराज दशरथ की दूसरी पत्नी थी जिसने श्रीराम को वन में भेजने और भरत को अयोध्या का राजा बनाने का षड़यंत्र रचा था। हालांकि भरत उस षड़यंत्र में शामिल नहीं थे और जब उन्हें इस षड़यंत्र का पता चला तो उन्होंने अयोध्या का राज सिंहासन ठुकरा दिया था। श्रीराम की तरह ही भरत के दो पुत्र थे जिनके नाम तक्ष व पुष्कल थे। आइए जाने उनमें कहाँ का राजा नियुक्त किया गया था।

  • तक्ष का शासन

भरत के बड़े पुत्र तक्ष को पश्चिमी भारत में स्थित तक्षशिला का राज्य दिया गया। तक्ष की दादी अर्थात भरत की माँ कैकई इसी प्रदेश की राजकुमारी थी। यह भारत के नाना का राज्य था जो बहुत ही समृद्ध और शक्तिशाली हुआ करता था। तक्ष के नाम पर वहां का नाम तक्षशिला पड़ा जो वर्तमान में पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर है। तक्ष के द्वारा ही यहाँ पर भारत विश्व प्रसिद्ध तक्षिला गुरुकुल/ विश्व विद्यालय की स्थापना की गई थी।

  • पुष्कल का शासन

भरत के दुसरे पुत्र पुष्कल को तक्षशिला के पास ही पुष्कलावती नगरी का शासन सौंप दिया गया था। आज के समय में पुष्कलावती पाकिस्तान का पेशावर शहर है। तक्षशिला तथा पुष्कलावती संपूर्ण रूप से गांधार प्रदेश का भाग थे। द्वापर युग में कौरवों की माँ इसी गांधार प्रदेश थी जिस कारण उसका नाम गांधारी था।

लक्ष्मण पुत्रों का शासन

श्रीराम के सबसे प्रिय भाई लक्ष्मण के पुत्रों के लिए नई नगरी बसाई गई थी। वह इसलिए क्योंकि भारत के पुत्रों को देने के लिए गांधार प्रदेश था क्योंकि वहां पर कैकई और भरत का सीधा हस्तक्षेप हुआ करता था। वही शत्रुघ्न के पुत्रों के लिए मथुरा नगरी थी जिसके बारे में हम आपको नीचे बताएँगे।

लक्ष्मण श्रीराम को छोड़कर कहीं नहीं गए थे और उन्होंने ना ही कहीं का शासन स्वीकार किया था। वे आजीवन श्रीराम के पास ही रहे और सुख-दुःख में उनकी सहायता की। ऐसे में जब लक्ष्मण के प्य्त्रों को राजा नियुक्त करने की बारी आई तो श्रीराम दुविधा में पड़ गए।

श्रीराम ने अपनी दुविधा भरत के सामने रखी। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण के पुत्रों के लिए नई नगरी बसाने की आवश्यकता है लेकिन इसके तहत प्रकृति, पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं का कम से कम नुकसान हो। भरत ने बहुत सोच-विचार कर कारुपद को इसके लिए उपयुक्त जगह बताया। श्रीराम को भी यह सुझाव पसंद आया। ऐसे में श्रीराम ने लक्ष्मण के पुत्रों अंगद व चित्रकेतु के लिए नई नगरी बसाने के आदेश पारित किए।

  • अंगद का शासन

लक्ष्मण के बड़े पुत्र अंगद के लिए कारुपद में अङ्गदीया नगरी बसाई गई थी। वह भूमि चारों ओर से पूरी तरह सुरक्षित थी व वनों और पहाड़ों से घिरी हुई थी। कोई भी शत्रु इसे जल्दी से जीत नहीं सकता था क्योंकि यह बहुत ऊँचाई पर स्थित थी। साथ ही यह भगवान शिव की भूमि भी कही गई। वर्तमान में इसे उत्तराखंड के नाम से जाना जाता है।

  • चित्रकेतु का शासन

लक्ष्मण के छोटे पुत्र चित्रकेतु के लिए कारुपद के नीचले हिस्से को बसाया गया था। चित्रकेतु लक्ष्मण की तरह ही बलवान और हष्ट-पुष्ट शरीर वाले थे। ऐसे में उन्हें कारुपद की नीचली भूमि दी गई जहाँ पहाड़ तो थे लेकिन भूमि भी ज्यादा थी। उनके लिए चंद्रकांता नगरी बसाई गई थी जो बहुत ही ज्यादा सुंदर थी। वर्तमान में इसे हिमाचल प्रदेश के नाम से जाना जाता है।

शत्रुघ्न पुत्रों का शासन

जब श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था, उसके कुछ ही दिनों में शत्रुघ्न को मात्र नगरी का नया राजा नियुक्त कर दिया गया था। दरअसल मथुरा नगरी के लोग अपने यहाँ के राजा लवणासुर से बहुत परेशान थे। वह दुष्ट प्रवृत्ति का राजा था जो साधु-संतों और ऋषि-मुनियों पर अत्याचार किया करता था।

ऐसे में श्रीराम ने शत्रुघ्न को मथुरा जाकर लवणासुर का वध करने और फिर वहां का शासन संभालने का आदेश दिया था। उसके बाद से शत्रुघ्न मथुरा पर ही शासन किया करते थे। ऐसे में उनके दोनों पुत्रों सुबाहु और श्रुतसेन को श्रीराम के द्वारा राजा नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई।

  • सुबाहु का शासन

सुबाहु शत्रुघ्न के बड़े पुत्र थे। फलस्वरूप उन्हें मथुरा का राजा नियुक्त किया गया था। इस तरह से शत्रुघ्न के बाद मथुरा के राजा सुबाहु बने थे।

  • श्रुतसेन का शासन

शत्रुघ्न के छोटे पुत्र श्रुतसेन को विदिशा का राज्य मिला था। वर्तमान में विदिशा मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है।

इस प्रकार श्रीराम ने अपने व अपने भाइयो के सभी पुत्रों में भारतवर्ष के विभिन राज्य बाँट दिए थे। सभी को राज्य का संचालन संपूर्ण रूप से सौंप देने के पश्चात वे अपने सभी भाइयो व भक्तो के साथ अयोध्या के निकट सरयू नदी में जलसमाधि लेने चले गए थे।

श्रीराम के उत्तराधिकारी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: राम के बाद अयोध्या का राजा कौन है?

उत्तर: प्रभु श्रीराम के बाद अयोध्या के राजा उनके बड़े पुत्र कुश बने थे कुश कौशल प्रदेश के रहा थे जबकि अयोध्या उसका सबसे प्रसिद्ध शहर था कुश ने कुशावती को अपनी राजधानी बनाया था

प्रश्न: अयोध्या में राम के बाद अगला राजा कौन था?

उत्तर: अयोध्या में राम के बाद अगला राजा उनके बड़े पुत्र कुश थे जलसमाधि से पहले श्रीराम ने कुश को अयोध्या के अगले राजा के रूप में नियुक्त कर दिया था

प्रश्न: राम के बाद अयोध्या का राजा कौन हुआ?

उत्तर: राम के बाद अयोध्या का राजा उनके बड़े पुत्र कुश हुए थे श्रीराम के दो पुत्र लव व कुश थे कुश बड़े पुत्र थे जिस कारण उनका अयोध्या के अगले राजा के रूप में अभिषेक हुआ था

प्रश्न: राम के वंश का आखिरी राजा कौन था?

उत्तर: राम के वंश का आखिरी राजा सौमित्र को माना जाता है वर्तमान में जयपुर के राजघराने को श्रीराम और कुश का वंशज माना जाता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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