सनातन धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा (Peepal Ke Ped Ki Puja) का बहुत अधिक महत्व है। किसी भी धार्मिक कार्य, यज्ञ-अनुष्ठान इत्यादि में पीपल के पेड़ को प्राथमिकता दी जाती है। पीपल के पेड़ का महत्व केवल धार्मिक रूप में ही नहीं बल्कि औषधीय रूप में भी बहुत है। इसके उपयोग से कई प्रकार की जड़ी-बूटियां बनाई जाती है जो विभिन्न रोगों का उपचार करने में हमारी सहायता करती है।
ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको पीपल के वृक्ष का महत्व (Importance Of Peepal Tree In Hindi) समझाएंगे। साथ ही आपको बताएंगे कि आखिरकार क्यों पीपल के पेड़ को हिंदू धर्म में इतना पूजनीय माना गया है।
Peepal Ke Ped Ki Puja | पीपल के पेड़ की पूजा
हिन्दू धर्म में ईश्वर के साथ-साथ प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों को पूजनीय माना गया है। मुख्य तौर पर उन वस्तुओं की पूजा करने को कहा गया है जो मनुष्य जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक व लाभदायक है। उसी में एक पीपल का वृक्ष भी है जिसके बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है। इसी कारण पीपल के पेड़ का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
पीपल का संबंध कई तरह के देवी-देवताओं से है जिनमें से प्रमुख शनि देव व भगवान श्रीकृष्ण हैं। ऐसे में हम आपको पीपल के पेड़ की पूजा (Peepal Ke Ped Ka Mahatva) करने के तीन प्रमुख कारण नीचे देंगे ताकि आपको इसका महत्व समझ में आ सके।
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पीपल के पेड़ में भगवान श्रीकृष्ण का वास
जी हां, पीपल के पेड़ में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का वास होता है जिसका उल्लेख उन्होंने स्वयं श्रीमद्भागवत गीता में किया है। अर्जुन को उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण ने कहा कि अश्वत्थः अहं वृक्षाणां जिसका वर्णन गीता के 10वें अध्याय में मिलता है। इसका अर्थ है कि सभी वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ अर्थात स्वयं भगवान श्रीकृष्ण पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं।
उनके द्वारा पीपल के पेड़ को इतना महत्व देने के पीछे भी कई कारण हैं जो कि इस वृक्ष की विशेषताएं है। पीपल के पेड़ के नीचे घास नहीं उगती है अर्थात यह नए जीवन की सरंचना को रोकता है व साथ ही इस वृक्ष पर फल भी नही लगते हैं। इसके साथ पीपल के पेड़ अन्य वृक्षों के अनुपात में सैकड़ों वर्षो तक जीवित रहते हैं। पृथ्वी पर सदा रहने के कारण भी भगवान श्रीकृष्ण ने इसे अपना रूप बताया था।
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पीपल के पेड़ से शनि देव का संबंध
एक पुरानी कथा के अनुसार महर्षि दधीचि के पुत्र मुनि पिप्पलाद अपने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध देवताओं से लेना चाहते थे। उनके प्रकोप से बचने के लिए देवताओं ने कहा कि उस समय शनि देव की दृष्टि सही नही थी, इसलिए असली दोषी वही हैं। यह जानने के बाद पिप्पलाद शनि देव पर ब्रह्मास्त्र चलाने वाले थे। तब शनि देव ने उनके सामने क्षमा मांगी व प्रण लिया कि वे 12 वर्ष से कम आयु के किसी भी मनुष्य को परेशान नही करेंगे।
मुनि पिप्पलाद का पीपल के पेड़ से जुड़ाव था क्योंकि अपने माता-पिता की मृत्यु के पश्चात उनका लालन-पोषण पीपल के पेड़ के नीचे ही हुआ था। तभी से पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि देव का प्रकोप भी कम होता है। इस कारण भी हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का महत्व (Importance Of Peepal Tree In Hindi) इतना बढ़ जाता है।
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पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास
धार्मिक ग्रंथ स्कंदपुराण में भी इस वृक्ष का उल्लेख मिलता है जिसमे इसे भगवान विष्णु का संपूर्ण जीवंत रूप माना गया है। इसमें बताया गया है कि पीपल वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का वास होता है, उसके तने में श्रीकृष्ण का व शाखाओं में स्वयं नारायण बसते हैं। इसके अलावा इसके पत्तों में श्रीहरि व फलों में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। पीपल के पेड़ में सभी देवताओं और स्वयं नारायण का वास होने के कारण इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है।
इस तरह से आपने जाना कि क्यों हम सभी के द्वारा पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और क्यों इसका हिंदू धर्म में इतना अधिक महत्व (Peepal Ke Ped Ka Mahatva) है। केवल इतना ही नहीं, पीपल के पेड़ में और भी कई गुण होते हैं जिनके बारे में हम आपको नीचे बताएंगे। इससे आपको पीपल के पेड़ के बारे में और अधिक जानकारी होगी।
पीपल का पेड़ रात में ऑक्सीजन देता है या नहीं?
पीपल के पेड़ को भगवान श्रीकृष्ण ने अपना रूप बताया था जिसका एक मुख्य कारण इसका रात में भी प्राणवायु ऑक्सीजन छोड़ना है। सभी वृक्षों में केवल पीपल का पेड़ व माँ तुलसी का पौधा ही 24 घंटे ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। सुबह सूर्य की रोशनी में पीपल का पेड़ ओजोन का उत्सर्जन भी करता है जो महिलाओं के लिए अत्यधिक लाभदायक है।
सभी वृक्ष सुबह कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं व ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं व रात में इसका उल्टा करते हैं किन्तु पीपल का वृक्ष दिन रात ऑक्सीजन का निर्माण करता है व कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है। इसलिए इस पेड़ को हिंदू धर्म में प्राणवायु वृक्ष या ऑक्सीजन का भंडार भी कहा जाता है।
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को जल क्यों चढ़ाते हैं?
अब बात करते हैं कि आखिर शनिवार के दिन ही मुख्य रूप से पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है? आखिर पीपल के पेड़ का शनिवार से कैसा संबंध। तो जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि पीपल के पेड़ से संबंध रखने वाले मुनि पिप्पलाद ने ही शनि देव को क्षमा दी थी और शनि देव का संबंध शनिवार के दिन से होता है।
इसलिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को जल चढ़ाने व उसकी पूजा करने से शनि देव भी खुश होते हैं व उनका प्रकोप हम पर कम होता है। इसी के साथ पीपल के पेड़ को क्षति पहुँचाने पर उस व्यक्ति को शनि देव का प्रकोप भी झेलना पड़ता है।
रात में पीपल के पेड़ के पास क्यों नहीं जाना चाहिए?
अक्सर आपने देखा होगा या सुना होगा कि रात में पीपल के पेड़ के पास नहीं जाना चाहिए अन्यथा भूत पीछे पड़ जाते हैं इत्यादि। ऐसी बहुत सी बातें सदियों से चली आ रही है लेकिन यदि हम आपको कहें कि इसमें कुछ गलत नही है तो आपको कैसा लगेगा? दरअसल पुराने समय में लोगों को जब गलत करने से रोकना होता था तब उसके पीछे ऐसी भ्रांतियां फैला दी जाती थी जबकि इसके पीछे का उद्देश्य अच्छा ही होता था।
होता ये है कि जब हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तब अंतिम क्रिया में पीपल के पेड़ की ही लकड़ियाँ मुख्य रूप से प्रयोग में लायी जाती है। इसके साथ ही उस समय पीपल के वृक्ष की ही पूजा करने का विधान है। इन सभी परंपराओं के अनुसार पीपल के पेड़ में पितरों का वास भी माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इसी कारणवश रात में पीपल के पेड़ के पास जाने से मना किया जाता है।
क्यों पीपल का पेड़ घर से दूर लगाया जाता है?
ज्यादातर आपने पीपल का पेड़ या तो गाँव से बाहर या किसी खाली जगह में लगा हुआ ही देखा होगा जैसे कि विशाल उद्यान इत्यादि। दरअसल पीपल के पेड़ की जड़ें बहुत ज्यादा फैलती है जिस कारण यह आसपास के भवनों की नींव को कमजोर कर सकता है। इसके अलावा यह भूमि से पानी भी अत्यधिक मात्रा में सोख लेता है। इसी कारण पीपल के पेड़ को एक दूर खाली जगह पर लगाया जाता है।
इसके साथ ही पुराने समय में इसे दूर लगाने का एक और महत्त्व था। पीपल का वृक्ष बहुत विशाल होता है जो सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहता है जिससे यह आने जाने वालों को धूप से आराम प्रदान करता है। इसलिए इसे दो गाँवो के बीच या जहाँ गाँव की मंत्रणा होती थी वहां लगाया जाता था।
पीपल की आयु कितनी होती है?
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा लेकिन पीपल का पेड़ कई सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहता है और मानव सभ्यता की सहायता करता है। सामान्यतया एक पीपल के वृक्ष की आयु एक हजार से लेकर पंद्रह सौ वर्षों तक की होती है। अर्थात जो पीपल का पेड़ आपके पूर्वजों ने आज से एक हज़ार वर्ष पहले लगाया था उसको स्पर्श करके आप उनकी अनुभूति ले सकते हैं या फिर आज आप एक पीपल का पेड़ लगाकर आगे की पीढ़ियों के लिए छोड़ सकते हैं।
वैसे कई पीपल के वृक्ष अपनी सामान्य आयु से भी ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं यदि उन्हें ढंग से संभाल कर रखा जाए और वहां का पर्यावरण अनुकूल हो उनके लिए तो। कुछ पीपल के वृक्ष की आयु पच्चीस सौ से लेकर तीन हज़ार वर्ष भी आंकी गयी है।
पीपल के पेड़ की विशेषता
पीपल के पेड़ का उपयोग विभिन्न बीमारियों के नाश और कई प्रकार की जड़ी-बूटियों व दवाइयों में किया जाता है जिसका स्वास्थ्य लाभ हमे मिलता है। पीपल का पेड़ हमे कई प्रकार के त्वचा के रोगों से बचाता है जैसे कि खुजली का होना या दाग का हो जाना इत्यादि। इसका उपयोग आप अपने चेहरे से झुर्रियां हटाने व रंगत लाने में भी कर सकते हैं।
यह शरीर के घावों को भरने में भी मददगार है व इसका लेप लगाने से उसमे आराम मिलता है। सर्दी, जुकाम, खांसी, नकसीर इत्यादि की समस्या को दूर करने में भी पीपल के पेड़ की अच्छी भूमिका है। यह हमारी कई अन्य बीमारियों जैसे कि पीलिया, सिर दर्द, मलेरिया, दांतों की समस्या, साँस लेने में समस्या इत्यादि में बहुत सहायता करता है।
ऐसे में इसे औषधियों गुणों की खान भी कहा जाता है जिसका उपयोग हम कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में कर सकते हैं। यदि आप पीपल के पेड़ और इसके पत्तों के और क्या-क्या लाभ हो सकते हैं, इसके बारे में विस्तार से जानने को इच्छुक हैं तो आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ना चाहिए। इस कारण भी हम पीपल के पेड़ को पूजनीय मानते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख को पढ़कर आप यह जान चुके हैं कि हिंदू धर्म में क्यों पीपल के पेड़ की पूजा (Peepal Ke Ped Ki Puja) की जाती है या फिर क्यों इसे इतना पूजनीय माना गया है। इसी तरह हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को माँ का दर्जा दिया गया है तो वहीं कई अन्य पेड़-पौधों को भी पूजनीय माना गया है। पीपल का पेड़ हम सभी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
यही कारण है कि श्रीकृष्ण ने भी पीपल के वृक्ष में अपना निवास बताया है। उनके द्वारा यह कथन कहने के पीछे लोगों को पीपल के पेड़ का महत्व ही बतलाना था। ऐसे में हर किसी को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और उसके गुणों का लाभ उठाना चाहिए।
पीपल के पेड़ की पूजा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: पीपल के पेड़ को भूतों से जोड़कर क्यों देखते हैं?
उत्तर: दरअसल पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना जाता है। इसी कारण हम पीपल के पेड़ को जल देते हैं। रात में पीपल के पेड़ के पास जाने से पितर नाराज हो जाते हैं। इसी को देखते हुए ही आमजन में यह भूत वाली धारणा फैलायी गयी है।
प्रश्न: पीपल की पूजा सुबह कितने बजे करनी चाहिए?
उत्तर: बहुत से लोग भूलवश पीपल के वृक्ष की पूजा सूर्योदय से पहले ही कर लेते हैं लेकिन आपको ऐसा करने से बचना चाहिए। सूर्योदय के पश्चात आप किसी भी समय पीपल के वृक्ष की पूजा कर सकते हैं।
प्रश्न: पीपल के पेड़ की पूजा कब और कैसे करनी चाहिए?
उत्तर: सूर्योदय के पश्चात आप पीपल के पेड़ की पूजा कर सकते हैं। इसके लिए पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का एक दीपक प्रज्ज्वलित करें और वृक्ष की परिक्रमा करें।
प्रश्न: पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
उत्तर: पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते समय आप शनि देव या महादेव से संबंधित किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। आप चाहे तो ॐ नमः शिवाए मंत्र का जाप कर सकते हैं।
प्रश्न: पीपल के पेड़ पर क्या क्या चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: पीपल के पेड़ पर मुख्य रूप से जल चढ़ाया जाता है और सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है। इसके अलावा आप पुष्प अर्पित कर सकते हैं।
प्रश्न: पीपल में जल कितने बजे देना चाहिए?
उत्तर: पीपल के वृक्ष में जल देने के लिए सूर्योदय के बाद का समय सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप दिन ढलने के समय वहां दीपक प्रज्ज्वलित कर सकते हैं।
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