आज हम आपको पोंगल त्योहार पर निबंध (Pongal Festival Essay In Hindi) 10 पंक्तियों में लिख कर देंगे। जिस दिन पोंगल का त्योहार मनाया जा रहा होता है, उसी दिन ही कई अन्य त्योहार भी मनाए जा रहे होते हैं। इनमे मकर संक्रांति, बिहू, उत्तरायण प्रमुख है।
अब सभी का पोंगल को लेकर सबसे मुख्य प्रश्न होता है कि पोंगल का त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है (Pongal Kaha Manaya Jata Hai)। पोंगल तमिलनाडु का एक प्रमुख त्यौहार हैं जो प्रतिवर्ष जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतया किसानो से जुड़ा हुआ है। आइए पोंगल त्यौहार पर निबंध पढ़ लेते हैं।
Pongal Festival Essay In Hindi | पोंगल त्योहार पर निबंध
वैसे तो पोंगल त्योहार पर लिखने को बहुत कुछ है लेकिन यहां हम 10 पंक्तियों के माध्यम से इसके बारे में सभी विशेष जानकारी आपको दे देंगे। अब यदि आप पोंगल विषय पर निबंध लिखने जा रहे हैं या आपको इस पर कोई भाषण देना है तो आप इन पंक्तियों को आधार बनाकर इस पर बहुत कुछ लिख सकते हैं।
आज के इस लेख में हम मुख्यतया पोंगल का त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है (Pongal Kaha Manaya Jata Hai), इस पर विशेष रूप से बताएँगे। इससे आपको पोंगल त्योहार को अच्छे से समझने में मदद मिलेगी।
- यह एक दिन का त्यौहार ना होकर चार दिनों का सामूहिक पर्व होता हैं, जिनके नाम क्रमशः भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कन्नुम पोंगल हैं। यह सामान्यतया 14 जनवरी से शुरू होकर 17 जनवरी तक मनाया जाता है।
- पोंगल के पहले दिन अर्थात भोगी पोंगल के दिन इंद्र देव की पूजा की जाती हैं और वर्षा के लिए उनका आभार प्रकट किया जाता हैं। इस दिन घर की साफ-सफाई करके कचरे को गोबर और लकड़ी के साथ जला दिया जाता हैं।
- पोंगल के दूसरे दिन अर्थात सूर्य पोंगल के दिन पोंगल का व्यंजन बनाया जाता है। इसे पोंगल ही कहा जाता है। इसे सूर्य देव को अर्पित किया जाता है व उसके पश्चात सभी को प्रसाद रूप में वितरित कर दिया जाता है।
- पोंगल के तीसरे दिन किसान अपने बैलो, गायो और बछड़ो की पूजा करते हैं और उन्हें सजाते है। इस दिन खेती में सहायता करने वाले बैलों की मुख्य रूप से पूजा की जाती है और उनकी दौड़ भी आयोजित की जाती हैं जिसे जल्लीकट्टू कहते हैं।
- मट्टू पोंगल के पीछे भगवान शिव की कथा जुड़ी हुई है। इसी दिन भगवान शिव ने अपने एक बैल मट्टू को धरती पर किसानो की सहायता करने और उनके खेत जोतने के लिए भेजा था।
- पोंगल के आखिरी दिन एक-दूसरे के घर जाकर बधाई दी जाती है। इस दिन भाई-दूज की ही भांति बहने अपने भाइयो के तिलक करती हैं और उनके स्वास्थ्य की मंगल कामना करती है। बदले में भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं।
- इस त्यौहार की कथा भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी हुई है। एक समय श्रीकृष्ण ने इंद्र देव का मान भंग करने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। उसके बाद श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों के हुए नुकसान की भरपाई के लिए खेती में उनकी सहायता की थी।
- पोंगल के प्रसाद को हमेशा घर के बाहर सूर्य देव की रोशनी में ही बनाने की परंपरा है तभी इसकी महत्ता मानी जाती है। इसे सामान्यता मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है।
- तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ विप्लव या उबालना होता है। इसमें नए चावलों को गुड़ के साथ उबाल कर मीठी खीर बनायी जाती हैं जिसे पगल कहते है, इसलिये इसका नाम पोंगल पड़ा।
- जिस समय तमिलनाडु में पोंगल का त्यौहार मनाया जा रहा होता हैं उसी समय भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग त्यौहार मनाए जा रहे होते हैं जैसे कि मकर संक्राति, बिहू, माघी, उत्तरायण इत्यादि।
इस तरह से आज हमन आपको पोंगल त्योहार पर निबंध (Pongal Festival Essay In Hindi) लिख कर दे दिया है। अब इसे आप ऐसे का ऐसा लिखकर दे सकते हैं या फिर इसमें कुछ कांट-छांट कर सकते हैं।
पोंगल त्यौहार पर निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: पोंगल का त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: पोंगल का त्योहार 14 जनवरी से शुरू होकर 17 जनवरी तक चलता है। यह चार दिनों का त्योहार होता है जिसे तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह अन्न का सम्मान करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
प्रश्न: पोंगल का त्योहार कैसे बनाया जाता है?
उत्तर: पोंगल का त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है। इसमें इंद्र व सूर्य देव का धन्यवाद किया जाता है। इसी के साथ ही घर पर पोंगल की डिश भी बनाई जाती है।
प्रश्न: पोंगल फेस्टिवल के बारे में कैसे लिखें?
उत्तर: यदि आप पोंगल फेस्टिवल के बारे में लिखना चाहते हैं तो इस लेख को पढ़े। इस लेख में हमने पोंगल पर 10 पंक्तियों में निबंध लिखा है।
प्रश्न: पोंगल पोंगल का क्या अर्थ है?
उत्तर: तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ उफान या विप्लव होता है। हिंदी में इसे समझा जाए तो इसे उबालना कहा जाता है। इस दिन चावलों को गुड़ के साथ उबाला जाता है।
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