सिद्धिदात्री माता का मंत्र क्या है? जाने माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि

सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata)

नवरात्र के नौवें दिन नवदुर्गा के नवम रूप सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata) की पूजा करने का विधान है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्र के आखिरी दिन इसलिए की जाती हैं क्योंकि इनकी कृपा हो जाने के बाद भक्त की कोई इच्छा शेष नही रह जाती हैं। मातारानी की कृपा से हमें आठों सिद्धियों की प्राप्ति होती हैं। इसलिये मातारानी के अंतिम रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विशेष महत्व हैं।

आज हम आपके साथ सिद्धिदात्री माता की कथा साझा करने वाले हैं। साथ ही आपको यहाँ सिद्धिदात्री माता का मंत्र (Siddhidatri Mata Mantra) भी पढ़ने को मिलेगा। आइए माता सिद्धिदात्री के बारे में जान लेते हैं।

Siddhidatri Mata | सिद्धिदात्री माता की कथा

जब ब्रह्मांड की रचना नही हुई थी तब भगवान शिव ने माँ सिद्धिदात्री की पूजा करके ही सभी सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन आठ सिद्धियों को प्राप्त करने के पश्चात ही भगवान शिव का रूप आधा पुरुष व आधा नारी का बना था। इस रूप में उनके दायी ओर का आधा शरीर स्वयं का तथा बायी ओर का आधा शरीर माँ देवी का था। उनके इसी रूप को अर्धनारीश्वर कहा जाता हैं।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार इन अष्ट सिद्धियों के नाम हैं:

  • अणिमा
  • महिमा
  • गरिमा
  • लघिमा
  • प्राप्ति
  • प्राकाम्य
  • ईशित्व
  • वशित्व

इस तरह से माँ दुर्गा के सभी 9 रूपों में यह अंतिम रूप अत्यंत विशिष्ट हैMaa Siddhidatri की कृपा से भगवान शिव का उद्धार हो गया था, हम तो फिर भी मनुष्य है। इसी कारण कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने माँ सिद्धिदात्री को प्रसन्न कर लिया तो उसके बाद उसे कुछ और करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

देवी सिद्धिदात्री का स्वरुप

माँ का स्वरुप अत्यंत सुखदायी हैं जिसमें वे हल्की मुस्कान लिए हुए रहती है। उनके सिर पर बड़ा सा मुकुट हैं तथा वे कमल पुष्प के आसन पर विराजमान हैं। माँ की चार भुजाएं हैं जिनमे से दायी ओर की ऊपर वाली भुजा में गदा तथा नीचे वाली भुजा में चक्र हैं। बायी ओर की ऊपर वाली भुजा में कमल पुष्प तथा नीचे वाली भुजा में शंख हैं। माँ लाल साड़ी पहने हुए रहती हैं।

Siddhidatri Mata Mantra | सिद्धिदात्री माता का मंत्र

यदि आप अपने ऊपर सिद्धिदात्री माता की कृपा दृष्टि बनाए रखना चाहते हैं तो उसके लिए आपको सिद्धिदात्री मंत्र का कंठस्थ होना जरुरी है। ऐसे में आज हम आपको सभी तरह के मां सिद्धिदात्री मंत्र देने जा रहे हैं जिनका जाप आप मां सिद्धिदात्री की पूजा करते समय कर सकते हैं।

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

  • माँ सिद्धिदात्री बीज मंत्र

ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

  • माँ सिद्धिदात्री स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सिद्धिदात्री माता का मंत्र (Siddhidatri Mata Mantra) बहुत ही शुभ फल देने वाला होता है। खासतौर पर नवरात्र के आखिरी दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप किया जाए तो मातारानी जल्दी प्रसन्न होती है।

माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि

Maa Siddhidatri की पूजा करने के लिए प्रातःकाल जल्दी उठे तथा स्नान करे। उसके पश्चात चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माँ की प्रतिमा को स्थापित करे। हल्दी, चंदन, कुमकुम, सुहागा, गुलाल, पुष्प, चूड़ियाँ इत्यादि माँ को चढ़ाएं। धूपबत्ती जलाएं व ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करे।

माँ को नारियल, हलवा, पंचामृत का भोग अत्यधिक प्रिय हैं, इसलिये इनका भोग अवश्य लगाए। कुछ लोग अष्टमी के दिन तो कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। यदि आप नवमी के दिन पूजन करते हैं तो कन्याओं के भोजन को सर्वप्रथम मातारानी को भोग लगाये तत्पश्चात सभी कन्याओं को खाने को दे।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

जैसे कि हम पहले ही बता चुके हैं कि माँ सिद्धिदात्री की पूजा सर्वश्रेष्ठ हैं। भक्तगण आठ दिनों तक माँ देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं तथा अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की। इस अंतिम दिन भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं तथा उसमे किसी प्रकार की इच्छा शेष नही रहती अर्थात उसे असीम आनंद की अनुभूति होती हैं।

इसी कारण माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण पाता हैं तथा सांसारिक मोहमाया से दूर होता हैं। इसलिए आपको भी सच्चे मन के साथ Siddhidatri Mata की पूजा करनी चाहिए।

सिद्धिदात्री माता से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: माता सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कैसे हुई?

उत्तर: माता सिद्धिदात्री माँ दुर्गा का ही एक रूप है यह माँ दुर्गा के नौ रूपों में अंतिम रूप माना जाता है माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव को आठों सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी

प्रश्न: सिद्धिदात्री नाम क्यों पड़ा?

उत्तर: माता सिद्धिदात्री हम मनुष्यों को आठों तरह की सिद्धियाँ प्रदान करने के लिए जानी जाती है बस इसी कारण उनका नाम सिद्धिदात्री माता रखा गया है

प्रश्न: मां सिद्धिदात्री की सवारी क्या है?

उत्तर: मां सिद्धिदात्री की सवारी सिंह होती है वे माँ दुर्गा का ही रूप है जिस कारण उनकी सवारी भी सिंह ही होती है

प्रश्न: सिद्धिदात्री कौन सी देवी है?

उत्तर: सिद्धिदात्री माँ दुर्गा का नौवां रूप मानी जाती है उन्हें सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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