श्रीराम रावण का युद्ध होने से पहले बाली रावण का युद्ध (Bali Ravan Ka Yudh) भी हुआ था। इस युद्ध में रावण को ना केवल हार का सामना करना पड़ा था बल्कि उसे छह महीने तक अपमानित भी होना पड़ा था। इस तरह से बाली रामायण का एक ऐसा पात्र था जिसने भगवान श्रीराम से पहले ही रावण को हरा दिया था।
जो रावण अपने आप को सर्वशक्तिमान समझता था, वही बाली के सामने क्षमा मांगने को विवश हो गया था। आखिरकार बाली और रावण का युद्ध क्यों हुआ व बाली ने रावण को कैसे हरा दिया था? आइए जाने बाली और रावण की कहानी के बारे में।
Bali Ravan Ka Yudh | बाली रावण का युद्ध
बाली को स्वयं भगवान ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसे जो कोई भी युद्ध की चुनौती देगा उसका आधा पराक्रम बाली के अंदर आ जाएगा। अर्थात बाली जिस किसी से भी युद्ध करेगा तब उसके प्रतिद्वंद्वी का आधा बल बाली के अंदर आ जाएगा व साथ ही उसके प्रतिद्वंद्वी की शक्ति भी आधी रह जाएगी।
चूँकि बाली पहले से ही बहुत शक्तिशाली था व अपने प्रतिद्वंद्वी का आधा बल उसके अंदर आ जाने से वह संभवतया उससे अधिक शक्तिशाली हो जाता।था। इसलिए उसे सामने से हराना असंभव था।
बाली और रावण का युद्ध क्यों हुआ?
रावण लंका का राजा था जो अपने पराक्रम के बल पर कई राजाओं को अपने अधीन कर चुका था। वह एक राक्षस प्रजाति का था जिसे स्वयं भगवान से वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु किसी देवता, असुर, राक्षस, किन्नर, गन्धर्व, यक्ष, सर्प, नाग, गरुड़ इत्यादि से नहीं होगी। लेकिन उसने अपने इस वर में मानव व वानर को नहीं माँगा था। चूँकि बाली एक वानर था इसलिए रावण की मृत्यु उसके हाथ से हो सकती थी।
जब रावण को बाली के पराक्रम व शौर्य का पता चला तो वह उससे ईर्ष्या करने लगा। एक दिन इसी ईर्ष्या में वह बाली की नगरी किष्किंधा गया व उसे युद्ध के लिए ललकारा। बाली किसी भी शत्रु की ललकार को अनदेखा नहीं करता था व उससे युद्ध अवश्य करता था। इसलिए वह रावण से युद्ध करने गया।
बाली ने रावण को काख़ में दबाया
बाली व रावण के बीच में भीषण युद्ध हुआ व वरदान स्वरुप रावण की आधी शक्ति बाली के अंदर प्रवेश कर गई जिस कारण बाली ने रावण को हरा दिया। उसके बाद उसने रावण को अपने कारावास में बंदी बना लिया व उसका प्रतिदिन अपमान करने लगा।
बाली प्रतिदिन सुबह किष्किंधा की चारों दिशाओं में समुंद्र के चक्कर लगाकर आता था व सूर्य देव की पूजा करता था। अब वह राक्षस राजा रावण को अपनी काख में दबाकर चारों दिशाओं में घूमता व सभी के सामने उसे लज्जित करता। बाली के द्वारा प्रतिदिन इस प्रकार लज्जित होने से रावण को स्वयं का बहुत अपमान महसूस हुआ। लगभग 6 माह तक बाली रावण को अपनी काख में दबाए यूं ही घूमता रहा व अंत में रावण ने बाली से क्षमा मांग ली।
रावण ने बाली से क्षमा मांग कर उसके सामने मित्रता का प्रस्ताव रखा। बाली ने भी रावण को क्षमा कर दिया व उससे मित्रता कर ली। इसके बाद रावण वापस लंका चला गया व तब से लंका व किष्किंधा के बीच राजनीतिक संधि हो गई। इस तरह से बाली रावण का युद्ध (Bali Ravan Ka Yudh) रावण के लिए लज्जा और अपमान के सिवाए कुछ नहीं था।
बाली और रावण की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: बाली ने रावण का घमंड कैसे तोड़ा?
उत्तर: जब दुष्ट रावण ने किष्किंधा नरेश बाली को युद्ध की चुनौती दी तब बाली ने ना केवल उसे पराजित किया बल्कि छह माह तक उसे अपमानित कर उसका घमंड तोड़ डाला था।
प्रश्न: क्या बाली रावण से ज्यादा ताकतवर था?
उत्तर: बाली को भगवान ब्रह्मा का वरदान था कि वह जिस किसी से भी युद्ध करेगा तो उसे उसके प्रतिद्वंद्वी की आधी शक्ति मिल जाएगी। साथ ही उसके प्रतिद्वंद्वी की शक्ति भी आधी रह जाएगी। इस तरह से युद्धभूमि में बाली रावण से ज्यादा ताकतवर था।
प्रश्न: क्या बाली रावण को मार सकता है?
उत्तर: बाली रावण को मार सकता था लेकिन इसके लिए उसे रावण की मृत्यु का भेद पता होना आवश्यक था जो उसकी नाभि में था।
प्रश्न: बाली कहाँ का राजा था?
उत्तर: बाली दक्षिण भारत में दंडकारण्य के वनों में किष्किंधा नगरी का राजा था। उसे वानर प्रजाति का राजा भी कहा जाता है।
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