वैसे तो सुग्रीव भगवान श्रीराम के मित्र थे लेकिन एक समय ऐसा आया जब लक्ष्मण का सुग्रीव पर क्रोध (Lakshman Ka Sugriv Par Krodh) पूरी किष्किन्धा नगरी को ध्वस्त कर सकता था। भगवान श्रीराम विष्णु के अवतार थे तो वहीं लक्ष्मण स्वयं शेषनाग के। वे अपने बड़े भाई श्रीराम की व्यथा को बिल्कुल भी नहीं देख सकते थे।
यदि श्रीराम को जरा सा भी दुःख पहुँचता तो लक्ष्मण किसी से भी लड़ जाते थे चाहे वह स्वयं देवता हो या कहीं का राजा। भगवान श्रीराम के दुःख को देखकर व सुग्रीव के द्वारा उन्हें दिए वचन को भूल जाने के कारण लक्ष्मण को उस पर क्रोध आया था। हालाँकि बाद में लक्ष्मण सुग्रीव संवाद (Laxman Sugriv Samvad) ने लक्ष्मण के क्रोध को शांत कर दिया था और सुग्रीव को भी समय रहते समझ आ गया था।
Lakshman Ka Sugriv Par Krodh | लक्ष्मण का सुग्रीव पर क्रोध
जब भगवान श्रीराम माता सीता की खोज में सुग्रीव के पास पहुँचे थे तब दोनों के बीच मित्रता हो गई थी। इसी मित्रता में भगवान श्रीराम ने उन्हें किष्किन्धा का राजा बनाने व सुग्रीव ने माता सीता की खोज में सहायता करने का वचन दिया था। भगवान श्रीराम ने सुग्रीव के बड़े भाई बाली का वध करके अपना वचन निभाया था। अब सुग्रीव किष्किन्धा का राजा बन चुका था।
राजा बनने के पश्चात सुग्रीव ने माता सीता की खोज करने के लिए श्रीराम से आज्ञा लेनी चाही लेकिन उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि अभी वर्षा ऋतु का समय है। इस समय सभी नदी नाले अपने ऊफान पर होते हैं इसलिए इस समय उनकी खोज नहीं की जा सकती। साथ ही सुग्रीव को राजा बनते ही अपने राज्य को स्थिर करने की भी आवश्यकता थी। इसलिए भगवान राम ने चार माह के पश्चात शरद ऋतु के आगमन से माता सीता की खोज करने के लिए सुग्रीव को कहा।
सुग्रीव डूब गए भोग विलासिता में
भगवान श्रीराम से आज्ञा पाकर सुग्रीव किष्किन्धा चले गए व अपना राज्य सँभालने लगे। चार मास में सुग्रीव अपने राज्य की भोग विलासिता में इतने ज्यादा डूब गए थे कि उन्हें श्रीराम को दिया अपना वचन याद ही नहीं रहा। वे प्रतिदिन मदिरा के सेवन, नृत्य इत्यादि देखने में व्यस्त रहते। कई बार उनके मंत्री हनुमान व जाम्बवंत जी के द्वारा उन्हें उनका दिया हुआ वचन याद करवाने का प्रयास किया गया लेकिन वे इतने मदहोश थे कि उन्होंने उनकी भी नहीं सुनी।
भगवान श्रीराम ने भेजा लक्ष्मण को
जब चार मास से अधिक का समय बीत गया तो भगवान श्रीराम के धीरज का बांध टूट गया। उन्हें सुग्रीव के द्वारा अपना वचन भूल जाने का दुःख हुआ व इसके लिए उन्होंने लक्ष्मण को किष्किन्धा भेजा। उन्होंने लक्ष्मण को सुग्रीव को उसका वचन याद दिलाने व श्रीराम का पराक्रम बताने को भेजा। यह सुनकर लक्ष्मण अत्यंत क्रोध में किष्किन्धा नगरी की ओर निकल पड़े। साथ ही उन्होंने लक्ष्मण को संयम रखने का भी परामर्श दिया व केवल सुग्रीव को कठोरता से उसका वचन याद दिलाने को कहा।
तारा का लक्ष्मण को समझाना
लक्ष्मण अत्यंत क्रोध में किष्किन्धा की ओर निकल पड़े। उनके क्रोध से पूरी किष्किन्धा नगरी थरथरा गई। स्वयं हनुमान व जाम्बवंत जी भी डर गए व उन्होंने बाली की पत्नी तारा से सहायता मांगी क्योंकि लक्ष्मण एक स्त्री के ऊपर वार नहीं कर सकते थे। तारा ने जाकर लक्ष्मण का क्रोध थोड़ा शांत किया। तब तक हनुमान व जाम्बवंत ने सुग्रीव को सचेत किया व उन्हें सब स्थिति का ज्ञान करवाया।
Laxman Sugriv Samvad | लक्ष्मण सुग्रीव संवाद
लक्ष्मण के क्रोध के बारे में सुनकर सुग्रीव अत्यंत भयभीत हो गए। उन्होंने तुरंत लक्ष्मण के सामने जाकर क्षमा मांगी। लक्ष्मण ने तमतमाते हुए सुग्रीव को कटु वचन कहे। लक्ष्मण चाहते तो सुग्रीव को चोट पहुँचा सकते थे लेकिन तारा ने बुद्धिमता से उनके क्रोध को थोड़ा शांत कर दिया था। इस कारण लक्ष्मण ने सुग्रीव को केवल कटु वचन ही कहे।
सुग्रीव ने हाथ जोड़कर लक्ष्मण के सामने बार-बार क्षमा मांगी। इतना ही नहीं, उसने तुरंत श्रीराम से मिलने की इच्छा प्रकट की और पूरी वानर सेना को माता सीता की खोज में लगाने को कहा। सुग्रीव के क्षमा मांगने व उसी समय भगवान श्रीराम से मिलकर माता सीता की खोज शुरू करने का सुनकर लक्ष्मण का सुग्रीव पर क्रोध (Lakshman Ka Sugriv Par Krodh) शांत हो गया था।
लक्ष्मण सुग्रीव संवाद से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सुग्रीव ने राम से मैत्री क्यों की?
उत्तर: सुग्रीव को उसके भाई बाली ने राज्य से अपमानित करके निकाल दिया था। ऐसे में श्रीराम की सहायता से वह अपने साथ हुए अपमान का बदला ले सकता था। इसलिए सुग्रीव ने राम से मैत्री की थी।
प्रश्न: लक्ष्मण का सगा भाई कौन है?
उत्तर: लक्ष्मण का सगा भाई शत्रुघ्न है। लक्ष्मण व शत्रुघ्न दोनों राजा दशरथ और सबसे छोटी रानी सुमित्रा के पुत्र थे।
प्रश्न: सुग्रीव के पुत्र का नाम क्या है?
उत्तर: रामायण में सुग्रीव के पुत्र का कोई उल्लेख नहीं है। हालाँकि अपने भाई बाली की मृत्यु के पश्चात उसने उनके पुत्र अंगद को अपना पुत्र मान लिया था।
प्रश्न: राम ने सुग्रीव की मदद कैसे की?
उत्तर: श्रीराम ने बाली का वध कर, सुग्रीव को उसको खोया हुआ राज्य किष्किन्धा और पत्नी रूमा दिलवाकर सुग्रीव की मदद की थी।
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