रामायण में स्वयंप्रभा कौन थी? जाने स्वयंप्रभा का योगदान

Swayam Prabha Ramayana

रामायण में स्वयंप्रभा कौन थी (Swayam Prabha Ramayana) व किस तरह से उसने माता सीता को ढूंढने में सहायता की थी? दरअसल माता सीता का पता लगाने में कई लोगों ने अपने-अपने स्तर पर सहायता की थी जिसमें से एक स्वयंप्रभा भी थी

ऐसे में आज हम आपको स्वयं प्रभा का रामायण में क्या योगदान (Swayamprabha Ramayan) था और उन्होंने किस तरह से सीता माता की खोज में निकले वानर दल की सहायता की थी, के बारे में बताने वाले हैं

Swayam Prabha Ramayana | स्वयंप्रभा कौन थी?

स्वयंप्रभा मेरुसावर्नी की पुत्री थी जिसका जन्म भगवान ब्रह्मा के वरदान से हुआ था। जब भगवान हनुमान वानर दल के साथ दक्षिण दिशा में माता सीता की खोज में निकले थे तब उनकी भेंट माता स्वयंप्रभा से हुई थी। माता सीता को ढूंढते-ढूंढते वानर दल को भूख व प्यास लगी थी तभी उन्हें एक गुफा दिखाई दी।

उन्होंने उस गुफा में जाने का निश्चय किया व अंदर जाकर देखा तो वहाँ कई प्रकार के स्वादिष्ट फल, जल इत्यादि खाने की वस्तुएं थी जिन्हें खाकर संपूर्ण वानर दल अपना पेट भर सकता था।

  1. तब वानर दल को स्वयंप्रभा ने दर्शन दिए व अपना परिचय दिया। उन्होंने बताया कि इस वन का निर्माण मय नाम के मायावी ने अपनी माया के प्रभाव से किया था।
  2. मय एक दानव था जिसका मन माया नाम की एक अप्सरा पर आ गया था। तब मय ने माया अप्सरा को पाने के लिए देव इंद्र से युद्ध किया जिसमें देव इंद्र ने उसका वध कर डाला।
  3. उसके वध के पश्चात इस सुंदर वन की रक्षा करने का उत्तरदायित्व भगवान ब्रह्मा ने हेमा को सौंप दिया। हेमा ने इसका दायित्व माँ स्वयंप्रभा को दिया।
  4. उसके पश्चात स्वयंप्रभा (Swayamprabha Ramayan) ही उस वन की रक्षा कर रही थी। उनकी आज्ञा के बिना कोई भी उस वन में नहीं आ सकता था व अगर आ आए तो जीवित बाहर नहीं जा सकता था।
  5. यह सुनकर हनुमान, जाम्बवंत ने अपना परिचय दिया व यहाँ आने का औचित्य बताया। यह सुनकर माता स्वयंप्रभा ने वानर दल को वहाँ भोज करने की अनुमति दे दी। इसके बाद वानर दल ने वहाँ अपनी भूख प्यास मिटाई व जमकर भोजन किया।
  6. सभी के भोजन करने के पश्चात माता स्वयंप्रभा ने वानर दल की माता सीता को खोजने में सहायता करने का सोचा।
  7. उनकी सहायता करने के लिए माता ने संपूर्ण वानर दल को अपनी शक्ति के प्रभाव से सीधे समुंद्र तट तक पहुँचा दिया। वहाँ पहुँचाने के बाद माता स्वयंप्रभा बद्रिक आश्रम की ओर प्रस्थान कर गई।

इस तरह से आज आपने रामायण में स्वयंप्रभा कौन थी (Swayam Prabha Ramayana) व किस तरह से उसने माता सीता का पता लगवाने में वानर सेना की सहायता की थी, के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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