आज हम आपके समक्ष कुंभकरण रावण संवाद (Kumbhkaran Ravan Samvad) रखने जा रहे हैं। कुंभकरण रामायण का एक ऐसा पात्र था जो अत्यंत बलशाली होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी था। उसने ना केवल अपने भाई रावण को समझाने का प्रयत्न किया था बल्कि रावण के ना मानने पर स्वयं युद्धभूमि में जाने का भी निर्णय लिया था।
युद्ध में जाने से पहले कुंभकरण ने रावण को समझाने का भरसक प्रयास किया था लेकिन रावण नहीं माना था। ऐसे में लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि कुंभकरण राक्षस प्रजाति का होने के बाद भी श्रीराम के पक्ष में क्यों बोल रहा था। इसका उत्तर रावण कुंभकरण संवाद (Ravan Kumbhkaran Samvad) के माध्यम से ही मिल जाता है जिसके बारे में आज हम बात करेंगे।
Kumbhkaran Ravan Samvad | कुंभकरण रावण संवाद
जब भगवान श्रीराम समुंद्र पर रामसेतु बनाकर लंका पहुँच गए थे और रावण के कई बेटे व योद्धा उस युद्ध में मारे गए थे। तब अहंकार में भरकर रावण स्वयं युद्ध करने गया किंतु वहाँ उसे श्रीराम के द्वारा हार का मुख देखना पड़ा। स्वयं का ऐसा अपमान देखकर रावण ने कुंभकरण को निद्रा से जगाया व उसे युद्धभूमि में जाने का आदेश दिया।
कुंभकरण को युद्ध के परिणाम का पता था लेकिन अपने बड़े भाई की आज्ञा मानकर उसने युद्धभूमि में जाने का निर्णय लिया था। हालाँकि इससे पहले उसने रावण को माता सीता को लौटाने व श्रीराम से क्षमा मांगने का कहा लेकिन ऐसा क्यों? इसका रहस्य Ravan Kumbhkaran Samvad में ही छुपा है। आइए जानते हैं।
#1. कुंभकरण का धर्मवादी होना
हालाँकि कुंभकरण ने एक राक्षसी माँ की कोख से जन्म लिया था किंतु उसके पिता एक महान ऋषि विश्रवा थे। रावण अपनी माँ के ज्यादा संपर्क में रहा था व पिता को कम मानता था इसलिए उसमें राक्षसी गुण ज्यादा थे। किंतु कुंभकरण ने अपनी माँ व पिता दोनों का अनुसरण किया था। इसलिए उसमें राक्षस रुपी अहंकार व रक्तपात की भावना के साथ-साथ अपने पिता के दैवीय गुणों का भी समावेश था।
चूँकि कुंभकरण भगवान ब्रह्मा के वरदान के कारण 6 माह तक सोता था व केवल एक दिन के लिए ही जागता था। उस एक दिन में वह इतना भूखा होता था कि वह सारा दिन भोजन करने में व बाकि मदिरापान इत्यादि चीजों में लगा देता था। इसलिए उसे अपने भाई रावण के द्वारा किए जा रहे अधर्म का ज्ञान नहीं था। जब उसने रावण के द्वारा माता सीता का अपहरण किए जाने व भगवान श्रीराम से युद्ध करने की बात को सुना तो उसने रावण को समझाने का प्रयत्न किया।
#2. इश्वाकु वंश के राजा का श्राप
एक बार जब रावण विश्व विजय पर निकला था तब कुंभकरण भी उसके साथ था। तब रघुवंश के ही राजा अनरण्य से उनका भयंकर युद्ध हुआ था व उसमें राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई थी। किंतु मरने से पहले राजा अनरण्य ने रावण को श्राप दिया था कि उनके कुल से ही कोई व्यक्ति एक दिन रावण का वध करेगा।
यह बात कुंभकरण को याद थी व भगवान श्रीराम का पराक्रम सुनकर व उनके विष्णु का अवतार होने के कारण उसे यह अनुभूति हो गई थी कि यह श्राप सच होने वाला है। इसलिए उसने रावण को उस श्राप की याद दिलाई थी।
#3. नारद का कुंभकरण को सचेत करना
एक बार देवताओं के ऋषि नारद मुनि ने भगवान राम के अयोध्या में जन्म लेने के बाद कुंभकरण को संकेत दे दिया था कि इस धरती पर राक्षसों का नाश करने के लिए स्वयं भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर जन्म लिया है। इस कारण भी उसने रावण को माता सीता को लौटा देने को कहा था।
#4. भगवान ब्रह्मा की बात
भगवान ब्रह्मा ने माता सीता के लक्ष्मी माता के रूप होने की बात कुंभकरण को बताई थी। यह बात भी कुंभकरण ने रावण को याद दिलाई व उन्हें सचेत किया कि उन्होंने स्वयं माता लक्ष्मी का अपहरण किया है।
#5. कायरों की भाँति स्त्री का अपहरण
जब रावण ने कुंभकरण को इसका कारण अपनी बहन का प्रतिशोध लेने के लिए बताया तो कुंभकरण को यह बात भी पसंद नहीं आई। उसके अनुसार एक राजा को यदि प्रतिशोध ही लेना था तो रावण को वीरों की भाँति श्रीराम व लक्ष्मण से युद्ध करना था ना कि कायरों की भाँति एक स्त्री का अपहरण। इससे रावण की महत्ता लंका की प्रजा के सामने कम होती व लोग उन्हें कमजोर समझते।
इन सब बातों के पश्चात भी कुंभकरण ने युद्ध भूमि में जाने का निर्णय लिया। क्योंकि उसे समझ आ गया था कि रावण की बुद्धि अब भ्रष्ट हो चुकी है व उसे समझाने का कोई भी प्रयास विफल ही होगा। उसने अपने भाई के प्रति प्रेम व लंका के राजा के प्रति अपना कर्तव्य निभाने के लिए युद्ध भूमि में जाकर स्वयं नारायण के हाथों मरना उचित समझा।
इस तरह से कुंभकरण रावण संवाद (Kumbhkaran Ravan Samvad) का यहीं अंत हो जाता है और कुंभकरण युद्ध करने के लिए निकल जाता है।
कुंभकरण रावण संवाद से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कुंभकर्ण ने रावण से क्या पूछा?
उत्तर: कुंभकरण ने रावण से पूछा था कि ऐसा क्या हो गया था कि उसे उसकी नींद पूरी होने से पहले ही यूँ आनन-फानन में उठाया गया है।
प्रश्न: रावण की बात सुनकर कुम्भकरण ने क्या कहा?
उत्तर: रावण की बात सुनकर कुम्भकरण ने उसे माता सीता को सम्मान सहित श्रीराम को लौटाने को कहा था। साथ ही श्रीराम से क्षमा मांगने को भी कहा था।
प्रश्न: कुंभकरण किसका अवतार था?
उत्तर: कुंभकरण जय-विजय में से विजय का दूसरा अवतार था जिसका वध भगवान श्रीराम के हाथों हुआ था।
प्रश्न: राम ने कुंभकरण को कैसे मारा?
उत्तर: श्रीराम ने पहले तो कुंभकरण की दोनों भुजाएं काट दी थी। इसके बाद बाण से उसके पेट को फाड़ डाला था।
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