पुष्पक विमान (Pushpak Viman) भारतवर्ष के इतिहास में एक महान खोज थी जो आज की विमान सेवा से भी आधुनिक थी। इसे हमारे वैज्ञानिकों ने इतना आधुनिक बनाया था कि यह उस समय के लोगों के बीच किसी अद्भुत संरचना से कम नहीं था। वाल्मीकि रामायण व अन्य रामायण में इसकी विशालता, सुंदरता व शक्तियों के बारे में उल्लेख किया गया है।
जब हनुमान जी लंका गए थे व इस पुष्पक विमान को देखा था तब वे इसे देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे। इसकी विशालता व सुंदरता का वर्णन इस प्रकार किया गया है कि यह इतना ज्यादा विशाल व ऊँचा था कि ऐसा लग रहा था मानो यह आकाश को छुएगा। इसमें कई प्रकार के रत्न, सोने, धातुएँ इत्यादि जड़े गए थे। सोने के तो इसमें विशाल स्तंभ बनाए गए थे।
Pushpak Vimaan को ज्यादातर रावण से जोड़कर ही देखा जाता है जबकि ऐसा नहीं है। रावण से पहले यह किसी और के पास था और उसके बाद किसी और के पास। ऐसे में प्रश्न उठता है कि पुष्पक विमान किसका था? आज हम आपको इस रहस्यमयी व अद्भुत पुष्पक विमान के बारे में हरेक जानकारी देने जा रहे हैं।
Pushpak Viman | पुष्पक विमान
क्या आप जानते हैं कि यदि आज के समय में यह पुष्पक विमान आ जाए, तो यह दुनिया के बड़े से बड़े विमान, हवाई जहाज और अंतरिक्ष यानों से भी आधुनिक है। यह उस समय की महानतम संरचनाओं में से एक था जिसका निर्माण अच्छे उद्देश्य के लिए किया गया था। हालाँकि रावण ने इसका दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
यह विमान इतना आधुनिक था कि स्वयं हनुमान भी इसे देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे। इसमें सोने के स्तंभ, मणियाँ इत्यादि भरपूर मात्रा में उपयोग में लाए गए थे। आइए इसकी विशेषताओं के बारे में जान लेते हैं।
- Pushpak Vimaan बहुत तेज गति से उड़ सकता था अर्थात इसको जमीन से हवा में जाने और हवा से जमीन पर उतरने में समय नहीं लगता था।
- इसे मन की गति से चलाया जा सकता था। चालक इस पर बैठता व जहाँ उसकी इच्छा होती यह विमान उसी दिशा में चल पड़ता था। कहने का अर्थ यह हुआ कि पुष्पक विमान को अपने मन के अनुसार नियंत्रित किया जा सकता था।
- एक तरह से यह चालक के मनोभावों को पढ़ने का काम करता था जिसे हम आज के समय में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस या सेंसर तकनीक कहते हैं।
- यह आकार में बहुत ही बड़ा था। साथ ही इसमें ऐसी तकनीक का उपयोग किया गया था जिससे इसके आकार को आवश्यकता के अनुसार छोटा या बड़ा किया जा सकता था।
- इस तरह से इसे व्यक्तियों के बैठने की सुविधा के अनुसार बड़ा या छोटा किया जा सकता था। रामायण में उल्लेख है कि इसमें मुख्य चालक के सिंहासन को भी छोटा या बड़ा किया जा सकता था।
- यह दिखने में एक मोर के आकार का था जिसके दो पंख थे। रामायण में इसे एक सुंदर रथ की भाँति दिखाया गया है जिसमें बीच में बैठने के लिए सिंहासन रखा होता है।
- यह इतना सुंदर व भव्य था कि इसके कई स्तंभ तो सोने के बने हुए थे। इतना ही नहीं, इसमें बहुमूल्य रत्न, धातुएं, हीरे इत्यादि भी जड़े गए थे जो इसे विश्व की बहुमूल्य वस्तु बनाते थे।
- इसके लिए ईंधन के रूप में मुख्य रूप से तेल (पेट्रोल) का उपयोग किया जाता था। रामायण के अनुसार यह अग्नि व वायु की ऊर्जा के माध्यम से उड़ान भरा करता था।
- यह विमान इस तरह से बनाया गया था कि यह दिन और रात कभी भी उड़ान भर सकता था। कहने का अर्थ यह हुआ कि उस युग में भी यह रात के अँधेरे में एक जगह से दूसरी जगह जाने में सक्षम था।
- इसे हर कोई नहीं उड़ा सकता था। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसे चलाने के लिए विशेष मंत्रों को सीखने की आवश्यकता होती थी और उसके बाद ही यह शुरू होता था।
यह तो वे रहस्य हैं जो ग्रंथों में लिखे गए हैं या हमें उपलब्ध हैं। वहीं कुछ का तो यह भी मानना है कि यह Pushpak Viman इतना अद्भुत था कि इसे केवल एक देश से दूसरे देश ही नहीं बल्कि एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर भी लेकर जाया जा सकता था। रावण ने जब देवलोक या पाताल पर चढ़ाई की थी तो वह अपने पुष्पक विमान पर ही बैठ कर गया था।
इसी के साथ ही कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि इसके वेग को बढ़ाने के लिए इसमें ईंधन के तौर पर परमाणु ऊर्जा तक का भी उपयोग किया जाता था। परमाणु ऊर्जा के कारण ही पुष्पक विमान की गति इतनी बढ़ जाती थी कि यह एक ही मिनट में एक जगह से दूसरी जगह पहुँच जाता था। यदि आज के समय में इतनी तेज गति से किसी विमान को पृथ्वी पर उतारा जाए तो हमारी संचार व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
Pushpak Vimaan | पुष्पक विमान किसका था?
जो लोग सोचते हैं कि पुष्पक विमान रावण का था तो वे गलत हैं। वह इसलिए क्योंकि रावण ने ना तो इसका निर्माण किया था, ना ही इसे खरीदा था और ना ही इसका कोई सदुपयोग किया था। इस विमान का निर्माण स्वयं भगवान ब्रह्मा जी के आदेश पर विश्वकर्मा जी ने किया था। इसके बाद यह विमान लंका के राजा कुबेर को उपहार स्वरुप मिला था। जब यह कुबेर के पास था तब इसका उपयोग देवता भी किया करते थे।
बाद में कुबेर के छोटे व सौतेले भाई रावण ने बलपूर्वक उससे लंका व पुष्पक विमान दोनों छीन लिए थे। तब से रावण ने इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया था। इस विमान की सहायता से ही रावण कहीं भी पहुँच जाता था और वहाँ रक्तपात मचा देता था। इसी विमान के द्वारा उसने माता सीता का अपहरण भी किया था। माता सीता के हरण के कारण ही यह विमान इतिहास में इतना प्रसिद्ध हो गया था।
इसके बाद प्रभु श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध कर दिया था। रावण वध के पश्चात श्रीराम ने लंका का राजा उसके छोटे भाई विभीषण को नियुक्त किया। इस तरह से अब इस विमान पर विभीषण का अधिकार हो गया था। इसी Pushpak Viman में बैठकर श्रीराम, लक्ष्मण व माता सीता अयोध्या वापस लौटे थे। उनके साथ विभीषण, सुग्रीव व कुछ अन्य लोग भी आए थे। लंका वापस लौटते समय विभीषण इसे अपने साथ वापस ले गए थे।
पुष्पक विमान से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: रामायण में पुष्पक विमान किसका था?
उत्तर: रामायण में पुष्पक विमान लंकापति का हुआ करता था। उस समय लंका का राजा रावण था जिस कारण पुष्पक विमान भी उसी का था।
प्रश्न: पुष्पक विमान की क्या विशेषता थी?
उत्तर: पुष्पक विमान मन की गति से नियंत्रित हो सकता था। यह वायु व अग्नि की ऊर्जा से चलता था और आकार में बड़ा या छोटा किया जा सकता था।
प्रश्न: राम ने पुष्पक विमान कहां भेजा और क्यों?
उत्तर: अपने राजतिलक के बाद श्रीराम ने विभीषण को पुष्पक विमान अपने साथ ही लंका ले जाने को कहा था। वह इसलिए क्योंकि नियम के अनुसार इस पर लंकापति का ही अधिकार था।
प्रश्न: रावण के पास कौनसा विमान था?
उत्तर: रावण के पास पुष्पक विमान था जो उसने अपने बड़े भाई कुबेर से बलपूर्वक छीन लिया था।
प्रश्न: रावण को पुष्पक विमान कैसे मिला?
उत्तर: रावण ने अपने बड़े व सौतेले भाई कुबेर पर आक्रमण कर दिया था। इसके बाद लंका नगरी और पुष्पक विमान दोनों ही रावण के हो गए थे।
प्रश्न: रामायण के बाद पुष्पक विमान का क्या हुआ?
उत्तर: रामायण के बाद पुष्पक विमान को श्रीराम के आदेशानुसार महाराज विभीषण को दे दिया गया था।
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