रामायण में अश्वमेघ यज्ञ कब व कैसे हुआ? जाने अश्वमेध यज्ञ के बारे में

रामायण (Ramayan In Hindi)

अश्वमेध यज्ञ रामायण (Ashwamedha Yagna Ramayan) में उस समय हुआ था जब भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुए 10 वर्ष के आसपास का समय व्यतीत हो चुका था। अब यहाँ यह प्रश्न उठता है कि भगवान श्रीराम ने अश्वमेघ यज्ञ करने का निर्णय क्यों लिया था?

दरअसल यह यज्ञ आदिकाल से भारत के सबसे शक्तिशाली राजा करते आ रहे थे। इस यज्ञ का उद्देश्य संपूर्ण भारत में एक सर्वश्रेष्ठ शक्ति स्थापित कर सभी को उसके अधीन कार्य करना होता था। इसके द्वारा संपूर्ण भारत एक सूत्र में बंधकर कार्य करता था। आज हम जानेंगे कि रामायण में अश्वमेघ यज्ञ (Ashwamedha Yagya Ramayan) करने के क्या मुख्य कारण थे।

Ashwamedha Yagna Ramayan | अश्वमेध यज्ञ रामायण

श्रीराम के द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने के पीछे लंका का राजा रावण भी था। इसके बारे में अयोध्या के राजगुरु महर्षि वशिष्ठ ने बताया है। दरअसल लंका का राजा रावण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र तथा ऋषि विश्रवा का पुत्र था। हालाँकि उसकी माता राक्षस कुल की थी लेकिन पिता के ब्राह्मण होने के कारण रावण भी एक ब्राह्मण था। भगवान श्रीराम के द्वारा रावण तथा उनके वंश का वध किए जाने के कारण उनके ऊपर ब्रह्म हत्या का दोष था।

शास्त्रों में ब्रह्म हत्या को अति-निंदनीय बताया गया है जिसका भगवान श्रीराम ने अभी तक प्रायश्चित नहीं किया था। इसी कारण उनके राज में कंबोधर ऋषि ने भी उनसे अन्न लेना अस्वीकार कर दिया था। अश्वमेघ यज्ञ (Ashwamedha Yagya Ramayan) के द्वारा भगवान श्रीराम ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो सकते थे। इसलिए उन्होंने इस यज्ञ को करने का निर्णय लिया।

अखंड भारत था मुख्य उद्देश्य

यह रीति बहुत पहले से चली आ रही थी। भारत देश पर किसी एक राजा का आधिपत्य न होकर यह विभिन्न संप्रदायों तथा राज्यों में विभाजित रहता था जिस पर अनेक छोटे बड़े राजाओं का शासन होता था। ऐसे में भारत के सबसे बड़े राज्य का शक्तिशाली राजा भारत का मुख्य राजा माना जाता था।

जब कभी भी कोई शक्तिशाली राजा आता तो वह संपूर्ण भारत या भारत की अत्यधिक भूमि पर एकछत्र शासन स्थापित करने के लिए अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करवाता था। इस यज्ञ के पश्चात एक घोड़ा भारत की भूमि पर छोड़ा जाता था जो चारों ओर भ्रमण कर वापस आता था। जहाँ-जहाँ वह भ्रमण करता था वहाँ-वहाँ की भूमि उस राजा के अधीन हो जाती थी।

इसी कारण भगवान श्रीराम ने संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने तथा भविष्य में किसी प्रकार के युद्ध को रोकने के उद्देश्य से अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन (Ashwamedha Yagna Ramayan) करवाया। इससे भारत के विभिन्न राज्य आपस में बंटे न होकर एक बड़े राजा के अधीन होकर कार्य करना चुनते हैं।

अश्वमेध यज्ञ रामायण से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: अश्वमेध यज्ञ में किसकी बलि दी जाती थी?

उत्तर: अश्वमेध यज्ञ में किसी की भी बलि नहीं दी जाती थी इस दौरान एक घोड़े को भारत भ्रमण पर भेजा जाता था जो अखंड भारत बनाने का काम करता था

प्रश्न: क्या राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था?

उत्तर: जी हाँ, भगवान श्रीराम के द्वारा भी अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करवाया गया था

प्रश्न: राजा अश्वमेध यज्ञ क्यों करवाया था?

उत्तर: संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने के उद्देश्य से बड़े राजा के द्वारा अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करवाया जाता था

प्रश्न: रामायण में घोड़े की बलि क्या है?

उत्तर: रामायण में घोड़े की बलि एक मिथक है रामायण में किसी भी जगह इसका उल्लेख नहीं दिया गया है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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