आज हम मित्रता पर निबंध (Mitrata Par Nibandh) लिखने जा रहे हैं। हर व्यक्ति जन्म से ही कुछ रिश्ते लेकर आता है जिसे हम खून के रिश्ते भी कहते हैं। यह रिश्ते उसके माता-पिता के परिवार से बनते हैं। अब इन रिश्तों के अलावा एक रिश्ता ऐसा है जिसे हर व्यक्ति अपनी इच्छा से बना सकता है या तोड़ भी सकता है। वह रिश्ता होता है मित्रता का।
अब आपके लिए मित्रता का अर्थ (Essay On Friendship In Hindi) क्या है? आप इसे किस रूप में लेते हैं? आपके भी मित्र होंगे लेकिन आपका उनके प्रति व्यवहार कैसा है या उनका आपके प्रति व्यवहार किस तरह का है!! ऐसे में आज हम आपको सच्ची मित्रता क्या होती है और उसे किस तरह से निभाया जाता है, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।
मित्रता पर निबंध (Mitrata Par Nibandh)
मित्रता/ दोस्ती/ Friendship….
क्या अर्थ है आपके लिए इसका? आजकल के समय में आप लोग यह समझते हैं कि किसी से सोशल मीडिया पर कुछ बात कर लेने से वह आपके मित्र हो गए, फिर अगले महीने नए मित्र और पिछले महीने वाले मित्र को भूल गए, आजकल लोग छोटी-छोटी सी बात पर जैसे कि किसी पोस्ट से गुस्सा हो जाना, किसी बात से नाराज़ हो जाना, किसी विचार में भिन्नता इत्यादि किसी कारण से मित्रता तोड़ देते हैं और नए मित्र की खोज में लग जाते हैं। शायद आप उस रिश्ते को मित्रता नाम देते होंगे लेकिन हमारी नज़र में वह केवल जान-पहचान होती है जो कभी भी किसी भी बात पर यूँ टूट जाए।
मित्रता वह होती है जिसमे आपके राजनैतिक, धार्मिक, सामाजिक इत्यादि विचारों में भिन्नता, पैसो-कद की ऊँच-नीच, रंग-रूप, इत्यादि कुछ भी मायने नही रखता, मित्रता में केवल और केवल आपसी समझ व एक दूसरे के प्रति दिल का साफ होना मायने रखता है। वह इतनी कमजोर नही होती कि किसी बात पर, विचारो में किसी प्रकार की भिन्नता इत्यादि पर यूँ टूट जाए। और यदि वह ऐसे टूट जाती है तो समझ जाइएगा कि वह मित्रता नही केवल जान-पहचान थी, जिसे आप मित्रता की संज्ञा दे रहे थे।
जो लोग अपने दोस्तों से दो दिन सोशल मीडिया पर चैट ना होने पर बोलते हैं कि तुम तो हमे भूल ही गए, ये वही हैं जिनसे अगर एक महिना चैट ना की जाए तो वे शायद एक दूसरे के लिए फिर से अजनबी हो जाएं। जबकि मित्रता वह होती है जब आप एक-दूसरे से छह माह बिना बात किये भी फिर से मिले तो जैसे छह माह पहले मिले थे वैसे ही मिले।
मित्रता का अर्थ (Essay On Friendship In Hindi)
जब भी सच्ची और निश्चल मित्रता का नाम आता है तब हमारे सामने हमेशा कान्हा-सुदामा की मित्रता याद आती है लेकिन ऐसा क्यों? दरअसल भगवान विष्णु ने श्रीराम व श्रीकृष्ण के रूप में इसलिये ही जन्म लिया था कि वे हमे मानवीय मूल्यों और रिश्तो के बारे में और अच्छे से समझा सकें।
भगवान विष्णु के कई और अवतार भी हुए लेकिन वह अल्पकाल के लिए थे लेकिन श्रीराम व श्रीकृष्ण के रूप में उन्होंने जन्म से लेकर देहत्याग तक संपूर्ण मानव जीवन व्यतीत किया। इसी जीवनकाल में उन्होंने कई सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किये थे जिसमे से एक श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता थी।
दरअसल कान्हा व सुदामा गुरुकुल के मित्र थे। गुरुकुल में चाहे कोई राजा का बेटा हो या रंक का, सभी को समान रूप से रहना होता है व जीवन व्यतीत करना होता है। जब दोनों की शिक्षा समाप्त हो गयी तो श्रीकृष्ण राजा बन गए जबकि सुदामा की आर्थिक स्थिति और खराब हो गयी।
सुदामा की एक पत्नी और चार बच्चे थे लेकिन कई दिनों तक उनके पास खाने तक को भी कुछ नही था। ऐसी स्थिति में सुदामा एक दिन अपने मित्र कान्हा से मिलने द्वारका पहुँच जाते हैं। उस समय श्रीकृष्ण ने जातिगत भेदभाव, ऊँच-नीच का भेदभाव, धनी-निर्धनता का भेदभाव, लोक-लज्जा का डर इत्यादि सबकुछ भुलाकर द्वारका की प्रजा के सामने सुदामा को रोते हुए गले लगा लिया था। बस इसी का नाम मित्रता है कि दोनों में इतना अंतर होने के बाद भी और इतने वर्षो के पश्चात मिलने के बाद भी मित्रता में कोई भेदभाव नही आया।
अंत में अपनी बात समाप्त करते हुए कहूँगा कि…
जिस मित्रता के लिए आपको कुछ दिखावा करना पड़े, उन्हें इम्प्रेस करने की कोशिश करनी पड़े, वह नाराज़ ना हो जाए यह सब ध्यान देना पड़े, वह मित्रता नही होती बल्कि मित्रता वह होती है जिसके सामने आप जो हो वही रहें और वह आपके सामने जो है वैसा ही रहे।
इस तरह से यह मित्रता पर निबंध (Mitrata Par Nibandh) यहीं पर समाप्त होता है। आशा है कि आपको सच्ची मित्रता का अर्थ समझ में आ गया होगा।
मित्रता से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सच्चे मित्रों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
उत्तर: एक सच्चा मित्र वह होता है जो दूसरों के सामने हमेशा अपने मित्र की बड़ाई करे लेकिन अपने मित्र के सामने उसके हित-अनहित की खुलकर बात करे। एक सच्चा मित्र हर सुख-दुःख में अपने मित्र का साथ देता है।
प्रश्न: सरल शब्दों में दोस्ती क्या है?
उत्तर: सरल शब्दों में दोस्ती उस रिश्ते को कहते हैं जहाँ दो लोग एक साथ अच्छा समय बिताते हैं, हँसते-खेलते हैं, अपने सुख-दुःख साझा करते हैं और विपत्ति में एक-दूसरे के काम भी आते हैं।
प्रश्न: दोस्ती का महत्व क्या है?
उत्तर: दोस्ती हमें समानता, समर्थन, समर्पण, सामंजस्य इत्यादि कई बातों को समझने में मदद करती है। इसकी सहायता से हम रिश्तों को बेहतर तरीके से देख और समझ पाते हैं।
प्रश्न: सच्ची मित्रता का मूल अर्थ क्या है?
उत्तर: सच्ची मित्रता का मूल अर्थ होता है पारस्परिक संबंधों को अटूट बनाना, अपने मित्र की भावनाओं का सम्मान करना, उसका सुख-दुःख का साथी बनना और उसके हित-अनहित की बात उसके समक्ष करना।
प्रश्न: सच्चे मित्र का कर्तव्य क्या है?
उत्तर: सच्चे मित्र का कर्तव्य होता है कि वह अपने मित्र के हित-अनहित में उसके समक्ष बात करे। एक सच्चा मित्र हर चीज़ में अपने मित्र का साथ देने की बजे, उसके गलत होने आर अपना परामर्श देगा तो वही सही होने पर पूरे विश्व से लड़ जाएगा।
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