होली कैसे मनाते हैं? जाने होली मनाने का तरीका

Holi Kaise Manae Jaati Hai

आज हम जानेंगे कि होली कैसे मनाई जाती है (Holi Kaise Manae Jaati Hai) और इस दिन क्या कुछ किया जाता है। हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता हैं। यह मुख्यतया दो दिनों का त्यौहार होता हैं जिसे हम होलिका दहन व धुलंडी के नाम से जानते हैं।

होलिका दहन वाले दिन धार्मिक कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का दहन किया जाता हैं जिसमें से भगवान विष्णु का परम भक्त प्रह्लाद सकुशल बाहर आ जाता हैं। दूसरे दिन धुलंडी का त्यौहार मनाया जाता हैं जिसे हम रंगों का त्यौहार भी कहते हैं। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर रंग, फूल, पानी इत्यादि उड़ाते हैं और खुशियाँ मनाते हैं।

अब यह तो हमने आपको ऊपर-ऊपर से बता दिया लेकिन मुख्य प्रश्न वही है कि होली कैसे मनाते हैं (Holi Kaise Manate Hain) और उस दिन क्या-क्या करना होता है। ऐसे में आइए विस्तार से जान लेते हैं कि होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है

Holi Kaise Manae Jaati Hai | होली कैसे मनाई जाती है?

इसे हम दो भागों में विभाजित करेंगे। पहला है होलिका दहन और दूसरा धुलंडी। दरअसल ज्यादातर लोग रंगों से खेलने वाले दिन को ही होली समझ लेते हैं जबकि उसे धुलंडी या धुलेंडी के नाम से जाना जाता है। इससे वाला दिन होलिका दहन का दिन होता है। ऐसे में इन दो दिनों को मिलाकर ही होली कहा जाता है। आइए पहले होलिका दहन कैसे मनाते हैं, इसके बारे में जान लेते हैं।

इस दिन की कथा सतयुग के दैत्य हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी हुई हैं। इसमें हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद का वध करने के उद्देश्य से उसे अग्नि में धकेल देता हैं। उसकी बहन होलिका जलती चिता में प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठ जाती हैं। किंतु होलिका उस अग्नि में जलकर भस्म हो जाती हैं जबकि प्रह्लाद सकुशल बाहर आ जाता है। इसी उपलक्ष्य में हम होलिका दहन का पर्व मनाते हैं।

होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि सम्मिलित हैं। आइए एक-एक करके जानते हैं।

बड़कुल्ले बनाना

इसकी शुरुआत होलिका दहन से 10-15 दिन पहले ही हो जाती हैं। लोग शुभ मुहूर्त देखकर बड़कुल्ले बनाते हैं। यह गाय के गोबर की सहायता से बनाए जाते हैं जिन्हें विभिन्न आकार दिए जाते हैं। जैसे कि नारियल, सूरज, चंद्रमा, होलिका, माला बनाने वाले बड़कुल्ले इत्यादि।

जब यह सूख जाते हैं तब इन्हें रस्सी की सहायता से पिरोकर माला बनाई जाती हैं। इन सभी को होलिका दहन वाले दिन पूजा के लिए सुरक्षित रख लिया जाता हैं।

होलिका दहन की तैयारी

होलिका दहन से एक दिन पहले उस शहर के प्रशासन, धार्मिक संस्थाओं इत्यादि के द्वारा शहर-गाँव के मुख्य चौराहों, खुली जगहों, मंदिरों इत्यादि के आसपास होलिका दहन की तैयारी की जाती हैं। इसमें एक बड़े गोलाकार क्षेत्र में लकड़ियाँ, घास-फूस, बछंटियाँ इत्यादि रखी जाती हैं। इसमें सबसे बीच में एक मोटा बांस रखा जाता हैं जिसे प्रह्लाद कहा जाता हैं। होलिका को अलग से भी रखा जा सकता हैं या इन बछंटियों को ही होलिका मान लिया जाता हैं।

सात तरह के होलिका दहन के पकवान बनाना

होलिका दहन वाले दिन होली की पूजा करने उस जगह जाते हैं जहाँ रात में होलिका दहन होना होता हैं। इसके लिए लोग अपने घर में रसोई को साफ करके उसमें सात तरह के पकवान बनाते हैं जैसे कि हलवा, पूड़ी, सब्जी, गुजिया इत्यादि। कुछ लोग दोपहर के समय इन पकवानों को बनाकर होली की पूजा करते हैं तो कुछ शाम के समय।

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं।

फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।

होलिका दहन होना

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं।

होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं।

कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं। फिर उस राख में गूगल को मिलाकर घर में धुआं करते हैं ताकि सकारात्मकता बनी रहे। इस प्रकार होलिका दहन के पर्व की समाप्ति हो जाती हैं।

Holi Kaise Manate Hain | होली कैसे मनाते हैं?

अब अगले दिन वह त्यौहार आ ही जाता हैं जिसकी सभी वर्षभर प्रतीक्षा करते हैं जो हैं रंगों का त्यौहार होली। इस दिन चारों ओर केवल रंग ही रंग दिखाई देते हैं और सभी खुशी-खुशी एक-दूसरे के ऊपर रंग, पानी, फूल इत्यादि डालते हैं। आइए जाने इस दिन क्या-क्या किया जाता हैं।

होली की कथा सुनना

इस दिन घर की सभी महिलाएं जल्दी उठकर स्नान इत्यादि कर लेती हैं और फिर होली की कथा को सुनती हैं। यह कथाएं अलग-अलग जातियों और जगहों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। कुछ जगहों पर सूत के कपड़े की कथा भी सुनी जाती हैं जिसमे कथा सुनने के पश्चात उस सूत के धागे की गांठ बनाकर गले की चैन में बांध ली जाती हैं जिसे पिछली रात होलिका दहन के दर्शन करवाए गए थे। इसे लगभग एक माह तक बांधकर रखना होता हैं और फिर किसी शुभ मुहूर्त वाले दिन इसे उतार लिया जाता हैं।

होली खेलना

इसके बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं।

होली की राम-राम

इसके बाद सभी लोग अच्छे से नहा-धोकर और नए वस्त्रों को धारण करके अपनी जान-पहचान के लोगों के घर जाते हैं और होली की राम-राम करते हैं। इसमें घर आये मेहमानों को नए पकवान खिलाये जाते हैं, हंसी-मजाक किया जाता हैं और सुख-दुःख साँझा किये जाते हैं। होली की राम-राम के साथ ही रंगों के इस पावन त्यौहार की समाप्ति हो जाती हैं।

इस तरह से आपने जान लिया है कि होली कैसे मनाई जाती है (Holi Kaise Manae Jaati Hai) और इस दिन क्या कुछ करना होता है। यह आपसी मेलझोल को बढ़ाने का त्यौहार होता है। ऐसे में आप भी पुराने गिला-शिकवे भुलाकर अपनों को गले लगाए और होली का त्योहार मनाए।

होली मनाने से जुड़े प्रश्नोत्तर

प्रश्न: होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

उत्तर: होली का त्यौहार अपने के साथ रंगों और फूलों से मनाया जाता है इस दिन सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर तरह-तरह के रंग और फूल डालते हैं और होली की बधाई देते हैं

प्रश्न: होली का त्योहार कैसे मनाते हैं?

उत्तर: होली का त्योहार रंगों और फूलों से मनाया जाता है इस दिन हम सभी अपनों पर अलग-अलग रंग डालते हैं और खुशियाँ मनाते हैं

प्रश्न: होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता?

उत्तर: होली का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन हर जगह भिन्न-भिन्न रंग उड़ते हुए दिखाई देते हैं साथ ही लोग एक-दूसरे पर फूल और पानी भी डालते हैं

प्रश्न: होली का त्योहार कैसे मनाया जाता है?

उत्तर: होली का त्योहार बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है इस दिन सभी लोग अपने जानने वालों पर तरह-तरह के रंग, पुष्प और पानी डालते हैं

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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