आज हम आपके साथ सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक कारण (Surya Ko Jal Dene Ka Scientific Reason) साझा करने वाले हैं। हिंदू धर्म में प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा है लेकिन आखिरकार सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व (Surya Ko Jal Dene Ka Mahatva) क्या है? आजकल हम में से ज्यादातर लोग सभी परंपराओं के मूल या कारण को जानना चाहते हैं ताकि उन्हें इनके करने का औचित्य समझ में आ सके।
चिंता मत कीजिए क्योंकि आज हम आपको यही बताने वाले हैं। दरअसल सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक कारण जानकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे। हमारे ऋषि-मुनियों ने आज से सदियों पूर्व गहन अध्ययन कर सभी परंपराओं को निर्धारित किया था ताकि मानव सभ्यता को उसका सर्वोत्तम लाभ मिल सके जिसमें से एक सूर्य भगवान को जल चढ़ाना था। आइए जाने।
सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक कारण
इसे समझने के लिए सबसे पहले इसे करने की प्रक्रिया को समझना होगा, तभी हम इसके वैज्ञानिक महत्व को समझ पाएंगे। वह इसलिए क्योंकि जब किसी प्रक्रिया के लाभ जानने होते हैं तो वह प्रक्रिया किस तरह से की जा रही है, उसका जानना आवश्यक हो जाता है।
इसलिए सबसे पहले तो हम सूर्य को जल देने की विधि बताएँगे। इसके बाद आपको इस विधि के अनुसार किस-किस तरह के लाभ देखने को मिलते हैं, उसके बारे में जानकारी मिलेगी। इससे आपको सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक महत्व समझ में आ जाएगा।
सूर्य को जल देने की प्रक्रिया
- इसके लिए हमें सुबह जल्दी उठकर स्नान करना होता है।
- उसके बाद एक तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करना होता है।
- अब अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर, उन्हें थोड़ा आगे की ओर झुकाकर सूर्य देव की ओर जल को एक सीधी धारा में नीचे गिराना होता है।
- सूर्य देव को जल देते समय हमें उस जल की गिरती धारा में निरंतर देखना होता है।
- बर्तन का सारा जल चढ़ाने के पश्चात हमें उस जल को छूकर अपने माथे व आँखों पर लगाना होता है और फिर उसकी तीन परिक्रमा करनी होती है।
सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व
अब बात करते हैं इस प्रक्रिया के वैज्ञानिक लाभ की। इस पूरी प्रक्रिया से हमें एक नहीं बल्कि कई वैज्ञानिक फायदे होते हैं जैसे कि:
#1. आँखों के लिए
सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे अधिक फायदा जिसे मिलता है वह है हमारी आँखें। जी हां, सही सुना आपने। अब जानते हैं कैसे। आपने शायद स्कूल में पढ़ा होगा या प्रैक्टिकल भी करके देखा होगा कि प्रिज्म से सूर्य की किरणों को गुजारने पर वह सात रंगों में विभाजित हो जाती है।
ठीक उसी प्रकार, जब हम जल की धारा को सूर्य की ओर करके चढ़ाते हैं तब उसकी किरणें इसमें से सात रंगों में विभाजित होकर हमारी आँखों पर पड़ती है। इस प्रक्रिया में हमें निरंतर उस जल की धारा को देखना होता है। ऐसा करने से हमारी आँखों में रंगों का असंतुलन ठीक होता है तथा वे पहले की अपेक्षा और तेज व स्वस्थ बनती हैं।
इसलिए यदि आपके चश्मा लगा हुआ है या आँखें कमजोर हैं तो आज से ही नित्य रूप से सूर्योदय के समय सूर्य को जल देना प्रारंभ कर दीजिए। यह आपकी आँखों के लिए आश्चर्यजनक रूप से बहुत लाभदायक रहने वाला है।
#2. विटामिन डी की आपूर्ति होना
यह तो हम सभी जानते हैं कि सूर्य विटामिन डी का सबसे प्रमुख स्रोत है लेकिन इस प्रक्रिया को करने से ही इस चीज़ का लाभ मिलेगा ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्य को जल देने की प्रक्रिया सूर्योदय या सूर्य उदय होने के 1 से 2 घंटे के भीतर की जाती है।
सूर्य से जो हमें विटामिन डी मिलता है वह इसी समय सबसे लाभदायक होता है क्योंकि इसके बाद सूर्य की किरणें तेज हो जाती हैं जो हानिकारक भी होती हैं। इसलिए लोग सुबह के समय सैर या मोर्निंग वॉक करने जाते हैं। आप भी सूर्य को जल देने की क्रिया के साथ-साथ विटामिन डी लेकर एक पंथ दो काज कर सकते हैं।
#3. दिल के रोग ना के बराबर
सुबह के समय सूर्य का प्रकाश हमारे लिए कई तरह से लाभदायक होता है जिनमें से एक है दिल का स्वस्थ रहना। जब आप सूर्य देव को जल चढ़ा रहे होंगे तब आपका सीना सूर्य देव की ओर होता है। ऐसे में सूर्य का प्रकाश उस पर सीधा पड़ता है।
इस प्रक्रिया से सूर्य का प्रकाश सीधे दिल में प्रवेश करने से दिल की कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। इससे ना केवल आपका दिल स्वस्थ रहेगा बल्कि आप दीर्घायु भी होंगे।
#4. त्वचा के रोगों से मुक्ति
आपने ध्यान दिया होगा तो हमने सूर्य को जल देने की प्रक्रिया में सबसे पहले यही बताया कि इसे बिना स्नान किए नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि स्नान करने के पश्चात आपके शरीर के असंख्य रोमछिद्र खुल जाते हैं और उनमें से मैल व गंदगी निकल जाती है।
जब आप सूर्य देव को जल दे रहे होते हैं तब त्वचा के असंख्य रोमछिद्रों के द्वारा भी सुबह के समय का सूर्य का प्रकाश व उसकी किरणें अवशोषित की जाती है। यह आपकी त्वचा के लिए अत्यंत लाभदायक होता है व कई प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक सिद्ध होता है।
#5. मानसिक शांति का अनुभव
यह सूर्य को जल देने का एक ऐसा लाभ है जो आज के समयकाल में लगभग सभी की एक मूलभूत आवश्यकता बन गया है। सूर्य देव को प्रतिदिन जल देने की क्रिया से आपका दिमाग पहले की अपेक्षा ज्यादा शांत व केन्द्रित रहेगा। इससे आपको अपना ध्यान इधर-उधर ना भटकने और काम पर ध्यान देने में सहायता मिलेगी।
कुछ दिनों के बाद सूर्य को जल देने के अभ्यास के पश्चात आप स्वयं अपने आप में मानसिक शांति का अनुभव कर पाएंगे। बस आप इसे शुरू करके देखिए। यदि किसी कारणवश आप सुबह जल्दी उठकर सूर्य भगवान को जल देने में अक्षम हैं तो सूर्यास्त के समय भी उन्हें जल दिया जा सकता है। इस क्रिया से लाभ तो मिलेगा लेकिन सूर्योदय के समय जितना नहीं।
सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक कारण से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूर्य को जल चढ़ाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है?
उत्तर: सूर्य को जल चढ़ाने के पीछे वैज्ञानिक कारण यही है कि इसके माध्यम से व्यक्ति को कई तरह के शारीरिक व मानसिक लाभ देखने को मिलते हैं। इसका रहस्य सूर्य को जल देने की प्रक्रिया में छुपा हुआ है।
प्रश्न: सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
उत्तर: सूर्य को अर्घ्य इसलिए दिया जाता है क्योंकि इससे व्यक्ति को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। जैसे कि चर्म रोगों से मुक्ति, दिल का स्वस्थ होना इत्यादि।
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