क्या आप जानना चाहते हैं कि रामायण में शिव धनुष किसने तोड़ा (Shiv Dhanush Kisne Toda) था? महाराज जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था। इस स्वयंवर की मुख्य शर्त यही थी कि जो भी शिव धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, सीता का विवाह उसी से ही होगा। अब इस शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर की बात, उसे उठाना ही बहुत मुश्किल था।
इसका कारण था, इस शिव धनुष का वजन हजारों किलोग्राम का होना। ऐसे में जब सभी राजा इस शिव धनुष को नहीं उठा पाए थे तब श्री राम ने धनुष तोड़ा (Ram Ne Dhanush Toda) था। आज हम आपको सीता स्वयंवर में रखे इसी शिव धनुष के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
Shiv Dhanush Kisne Toda | शिव धनुष किसने तोड़ा?
सतयुग में जब असुरों के द्वारा देवताओं पर आक्रमण किया जा रहा था व देवता उनसे पराजित हो रहे थे तब सभी महर्षि दधीचि से सहायता मांगने के लिए गए। महर्षि दधीचि ने देवताओं की सहायता के उद्देश्य से अपनी हड्डियों का दान दे दिया। उनकी हड्डियों से विश्वकर्मा जी ने एक वज्र व तीन शक्तिशाली धनुषों का निर्माण किया। उन धनुषों में से एक था पिनाक धनुष जो उन्होंने भगवान शिव को दिया था। अन्य दो धनुषों के नाम गांडीव व सारंग थे।
अब आपके मन में कई तरह के प्रश्न होंगे, जैसे कि राजा जनक के पास शिव धनुष कैसे आया, शिव धनुष का वजन कितना था इत्यादि। ऐसे में आज हम आपके हरेक प्रश्न का उत्तर देने वाले हैं। आइए जानते हैं।
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राजा जनक के पास शिव धनुष कैसे आया?
उस समय मिथिला के राजा देवव्रत थे जो भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। भगवान शिव ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर यह धनुष उन्हें उपहार स्वरुप दे दिया। राजा देवव्रत जनक के पूर्वज थे जिसके फलस्वरूप यह धनुष जनक के पास आया।
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शिव धनुष किस चीज का बना हुआ था?
महर्षि दधीचि की हड्डियों से बने होने के कारण यह अत्यंत शक्तिशाली धनुष था। इस धनुष का निर्माण असुरों के नाश के उद्देश्य से किया गया था। यह अत्यंत विशाल धनुष था जिसे हर कोई उठा भी नहीं सकता था। कहते हैं कि इसे माता सीता के स्वयंवर में करीब पांच हज़ार लोग उठाकर लाए थे।
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शिव धनुष का वजन कितना था?
कहते हैं कि इस शिव धनुष का भार लगभग 21 हज़ार किलोग्राम था। जब राजा जनक के पास वह धनुष था तो उसे कोई भी उठा नहीं पाता था लेकिन माता सीता खेल-खेल में उसे उठा लेती थी। यह सब राजा जनक देख चुके थे। तभी उन्होंने निश्चय कर लिया था कि एक दिन सीता का विवाह उसी से करवाया जाएगा जो इस धनुष को उठा कर इस पर प्रत्यंचा चढ़ा दे।
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सीता स्वयंवर धनुष यज्ञ
जब सीता विवाह के योग्य हो गई तो राजा जनक ने चारों दिशाओं से राजाओं को आमंत्रित किया। उन्होंने सीता से विवाह रखने के लिए शर्त रखी कि जो भी इस शिव धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसका विवाह सीता से करवा दिया जाएगा।
उस सभा में भारत के कई जनपदों से शक्तिशाली राजा आए हुए थे। सभी को अपनी शक्ति पर घमंड था लेकिन कोई भी उस शिव धनुष को नहीं उठा पाया। उसी सभा में अयोध्या के दोनों राजकुमार भगवान श्रीराम व लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र जी के साथ आए हुए थे। जब विश्वामित्र जी ने सभा में सभी को उस शिवधनुष को उठाने में असफल होते हुए देखा तो उन्होंने राम को वह धनुष उठाने की आज्ञा दी।
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Ram Ne Dhanush Toda | राम ने धनुष तोड़ा
गुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम सबसे अंत में खड़े हुए व शिव धनुष को उठाने के लिए उसके पास गए। अन्य राजाओं की तरह उनमें घमंड नहीं था। इसलिए उन्होंने सबसे पहले शिव धनुष को प्रणाम किया जिससे वह शिव धनुष स्वयं ही उनके लिए हल्का हो गया। कहते हैं कि जो भी इसे घमंड से उठाने की चेष्ठा करता था तो वह और भी ज्यादा भारी हो जाता था। फलस्वरूप वह किसी से नहीं उठ पाता था।
भगवान श्रीराम के द्वारा शिव धनुष को प्रणाम करने के पश्चात उन्होंने उसे उठा लिया। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में लिखा है कि भगवान श्रीराम ने कब उस धनुष को पकड़ा, कब उसे उठाया व कब उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, यह कोई ध्यान से देख तक नहीं पाया क्योंकि यह उन्होंने बहुत तेज गति से किया। जब भगवान श्रीराम शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए उसे खींच रहे थे तब एक तेज ध्वनि से वह शिव धनुष दो टुकड़ों में टूट गया।
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भगवान परशुराम का क्रोध
धनुष के टूटने की आवाज़ इतनी ज्यादा तेज थी कि यह चारों दिशाओं में फैल गई। यह आवाज दूर पर्वत पर बैठकर साधना कर रहे भगवान परशुराम के कानों में भी पड़ी। शिव धनुष टूटने का आभास पाकर भगवान परशुराम तेज गति से वहाँ पहुँच गए। उन्होंने इसका कारण पूछा किंतु अपने सामने स्वयं भगवान विष्णु के सातवें अवतार को देखकर उनका गुस्सा शांत हो गया व वे वहाँ से चले गए।
रामायण में शिव धनुष के टूटने के बाद इसका उल्लेख नहीं मिलता है। कहते हैं कि इसके बाद यह स्वयं ही वहाँ से लुप्त हो गया था व भगवान शिव के पास चला गया था। इस तरह से रामायण में शिव धनुष किसने तोड़ा (Shiv Dhanush Kisne Toda), इसका उत्तर श्रीराम है। इसके बाद ही उनका विवाह माता सीता के साथ हुआ था।
शिव धनुष से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: राम ने धनुष तोड़ा था उसका नाम क्या है?
उत्तर: राम ने धनुष तोड़ा था उसका नाम पिनाक था। वैसे उसे शिव धनुष भी कहा जाता था।
प्रश्न: सीता स्वयंवर में धनुष का क्या नाम था?
उत्तर: सीता स्वयंवर में धनुष का नाम शिव धनुष या पिनाक था। भगवान शिव का धनुष होने के कारण इसे शिव धनुष ही कहा जाता था।
प्रश्न: राम ने किसका धनुष तोड़ा था?
उत्तर: श्री राम ने भगवान शिव का पिनाक धनुष तोड़ा था। वे उस पर प्रत्यंचा चढ़ा रहे थे और इसी दौरान वह टूट गया था।
प्रश्न: शिव धनुष का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर: शिव धनुष का निर्माण महर्षि दधीचि की हड्डियों से हुआ था। उनकी हड्डियों से ही देव इंद्र के वज्र का निर्माण हुआ था।
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