आज हम आपके साथ कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) का पाठ करेंगे। कुबेर को यक्षों का राजा व भगवान शिव का द्वारपाल नियुक्त किया गया है। वे सुख-समृद्धि व धन प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं जिन्हें उत्तर दिशा का दिकपाल भी बनाया गया है। साथ ही वे देवताओं के कोषाध्यक्ष भी हैं।
ऐसे में श्री कुबेर चालीसा (Shri Kuber Chalisa) के माध्यम से हम कुबेर देवता को प्रसन्न कर सकते हैं और अपने घर-परिवार में सुख-समृद्धि ला सकते हैं। इसलिए आज के इस लेख में हम आपके साथ कुबेर चालीसा का पाठ करने जा रहे हैं। लेख के अंत में आपको कुबेर चालीसा के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले करते हैं श्री कुबेर चालीसा का पाठ।
Kuber Chalisa | कुबेर चालीसा
॥ दोहा ॥
जैसे अटल हिमालय,
और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,
अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,
सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो,
धन माया के ढ़ेर॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी,
धन माया के तुम अधिकारी।
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी,
पवन वेग सम सम तनु बलधारी।
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी,
सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी।
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी,
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी।
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं,
युद्ध करैं शत्रु को मारैं।
सदा विजयी कभी ना हारैं,
भगत जनों के संकट टारैं।
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता,
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता।
विश्रवा पिता इडविडा जी माता,
विभीषण भगत आपके भ्राता।
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया,
घोर तपस्या करी तन को सुखाया।
शिव वरदान मिले देवत्य पाया,
अमृत पान करी अमर हुई काया।
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में,
देवी देवता सब फिरैं साथ में।
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में,
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में।
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं,
त्रिशूल गदा हाथ में साजैं।
शंख मृदंग नगारे बाजैं,
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं।
चौंसठ योगनी मंगल गावैं,
ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं।
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं,
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं।
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं,
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं।
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं,
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं।
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं,
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं।
नागों में जैसे शेष बड़े हैं,
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं।
कांधे धनुष हाथ में भाला,
गले फूलों की पहनी माला।
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला,
दूर दूर तक होए उजाला।
कुबेर देव को जो मन में धारे,
सदा विजय हो कभी न हारे।
बिगड़े काम बन जाएं सारे,
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे।
कुबेर गरीब को आप उभारैं,
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं।
कुबेर भगत के संकट टारैं,
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं।
शीघ्र धनी जो होना चाहे,
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं।
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं,
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं।
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं,
अड़े काम को कुबेर बनावैं।
रोग शोक को कुबेर नशावैं,
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं।
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे,
कुबेर गिरे को पुनः उठा दे।
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे,
कुबेर भूले को राह बता दे।
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे,
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे।
रोगी का रोग कुबेर घटा दे,
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे।
बांझ की गोद कुबेर भरा दे,
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे।
कारागार से कुबेर छुड़ा दे,
चोर ठगों से कुबेर बचा दे।
कोर्ट केस में कुबेर जितावै,
जो कुबेर को मन में ध्यावै।
चुनाव में जीत कुबेर करावैं,
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं।
पाठ करे जो नित मन लाई,
उसकी कला हो सदा सवाई।
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई,
उसका जीवन चले सुखदाई।
जो कुबेर का पाठ करावै,
उसका बेड़ा पार लगावै।
उजड़े घर को पुनः बसावै,
शत्रु को भी मित्र बनावै।
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई,
सब सुख भोग पदार्थ पाई।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई,
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई।
॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी,
श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,
कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब,
जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी,
दया की दृष्टि फेर॥
ऊपर आपने श्री कुबेर चालीसा का पाठ (Shri Kuber Chalisa) कर लिया है। अब हम कुबेर चालीसा के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।
श्री कुबेर चालीसा का महत्व
सनातन धर्म में हर देवता का अपना महत्व होता है जबकि कुबेर को यक्षों का राजा नियुक्त किया गया है। एक ओर जहाँ कुबेर के सभी भाई रावण, कुम्भकरण व विभीषण को पूजनीय नहीं माना गया है तो दूसरी ओर, कुबेर के अंदर सद्गुणों को देखते हुए उन्हें यक्षों का राजा नियुक्त किया गया। इतना ही नहीं, उन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष व भगवान शिव का द्वारपाल तक नियुक्त किया गया है। इसी के साथ ही वे उत्तर दिशा के स्वामी व दिकपाल के रूप में भी प्रख्यात हैं।
ऐसे में कुबेर चालीसा के माध्यम से कुबेर देवता के महत्व, गुणों, शक्तियों, कर्मों इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। कुबेर देवता का मनुष्य तथा तीनों लोकों के प्राणियों के लिए क्या महत्व है, यह हमें कुबेर चालीसा के माध्यम से पता चलता है। यही कारण है कि कुबेर चालीसा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है और हमें नियमित रूप से कुबेर देवता को प्रसन्न करने के लिए श्री कुबेर चालीसा का पाठ करना चाहिए।
कुबेर चालीसा के लाभ
अब यदि आप कुबेर चालीसा पढ़ने के फायदे जानने को यहाँ आये हैं तो आज आप यह जान लीजिये कि यदि कोई व्यक्ति अपने घर में कुबेर देवता की मूर्ति या चित्र लाकर भी उसे उत्तर दिशा में रखता है तो उससे भी उसे बहुत ज्यादा लाभ देखने को मिलता है। अब यदि वह इसी के साथ ही प्रतिदिन कुबेर देवता की मूर्ति या चित्र के सामने कुबेर चालीसा का पाठ भी करता है तो उसके घर में सुख-समृद्धि का आना तय है।
यदि कुबेर चालीसा का प्रतिदिन पाठ किया जाए तो कुबेर देवता बहुत प्रसन्न होते हैं। वे हमारे व्यवसाय, करियर, नौकरी इत्यादि की सभी बाधाओं को दूर करते हैं और उसमें उन्नति करवाते हैं। इसी के साथ ही यदि परिवार में धन या संपत्ति संबंधित कोई विवाद चल रहा है तो वह भी दूर होता है और आप लाभ में रहते हैं। घर के सभी सदस्यों की उन्नति होती है और घर का वातावरण भी शांतिमय बनता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने कुबेर चालीसा के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
कुबेर चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कुबेर जी का मंत्र क्या है?
उत्तर: कुबेर जी का मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः” है जिसका आपको प्रतिदिन कुबेर चालीसा व आरती के साथ जाप करना चाहिए।
प्रश्न: कुबेर भगवान को कैसे खुश किया जाए?
उत्तर: यदि आप कुबेर भगवान को खुश करना चाहते हैं तो अपने घर की उत्तर दिशा की ओर मुख करके नियमित रूप से कुबेर चालीसा व आरती का पाठ करें।
प्रश्न: कुबेर मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: वैसे तो आप कुबेर मंत्र का जाप अपनी इच्छा अनुसार कितनी भी बार कर सकते हैं लेकिन दिन में 108 बार जाप करने से इसका ज्यादा शुभ फल देखने को मिलता है।
प्रश्न: कुबेर जी का दिन कौन सा है?
उत्तर: दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार आता है और यह दिन कुबेर देवता को ही समर्पित होता है। ऐसे में इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ कुबेर देवता की पूजा करनी चाहिए।
प्रश्न: कुबेर जी को क्या पसंद है?
उत्तर: कुबेर जी धन के देवता माने जाते हैं। ऐसे में जो व्यक्ति अपने को मिले धन का सदुपयोग करता है और उसे धर्म कार्य में लगाता है तो वह व्यक्ति कुबेर देवता को पसंद आता है और वे उसकी और उन्नति करवाते हैं।
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