आज हम आपके साथ आरती श्री रामायण जी की (Aarti Shri Ramayan Ji Ki) का पाठ करेंगे। रामायण एक ऐसी कथा है जिसको मनुष्य आत्मसात कर ले तो उसका उद्धार हो जाए। यह मानवीयता की पराकाष्ठा है जो हमें त्याग, प्रेम, भक्ति इत्यादि उच्च मानवीय भावनाओं की धर्म शिक्षा देकर जाती है।
यहीं कारण है कि आज हम आपको आरती रामायण जी की (Aarti Ramayan Ji Ki) लिखित में देने जा रहे हैं। उसके बाद आपको श्री रामायण जी की आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ और महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं आरती श्री रामायण जी की लिखी हुई।
Aarti Shri Ramayan Ji Ki | आरती श्री रामायण जी की
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की॥
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥
शुक सनकादिक शेष अरु शारद।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥
आरती श्री रामायण जी की॥
गावत बेद पुरान अष्टदस।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस॥
मुनि जन धन संतान को सरबस।
सार अंश सम्मत सब ही की॥
आरती श्री रामायण जी की॥
गावत संतत शंभु भवानी।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी॥
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की॥
आरती श्री रामायण जी की॥
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की॥
दलनि रोग भव मूरि अमी की।
तात मातु सब बिधि तुलसी की॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की॥
तो यह थी आरती रामायण जी की (Aarti Ramayan Ji Ki) जिसका पाठ आप कभी भी कर सकते हैं। रामायण में भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन लिखित रूप में है। ऐसे में रामायण आरती करने से हम भगवान श्रीराम की ही आराधना कर रहे होते हैं। आइए अब रामायण जी की आरती करने से मिलने वाले लाभ और महत्व के बारे में भी जान लेते हैं।
श्री रामायण जी की आरती का महत्व
रामायण सभी ने पढ़ी होगी या फिर रामानंद सागर जी का धारावाहिक देखा होगा। एक तरह से रामायण के माध्यम से सभी को श्रीराम व माता सीता की कथा का ज्ञान होगा। रामायण सनातन धर्म का एक ऐसा ग्रंथ है जो संपूर्ण रूप से भावों से भरा हुआ है। इसे पढ़ने, सुनने और देखने वाले का तन व मन दोनों ही शुद्ध हो जाते हैं। ऐसे में जो कोई भी रामायण आरती का पाठ करता है, उसका उद्धार होना तय है।
रामायण ग्रंथ के बारे में बताने के लिए ही रामायण जी की आरती की रचना की गयी है। इसके माध्यम से एक तो रामायण ग्रंथ के बारे में जानकारी दी गयी है और उसी के साथ-साथ संपूर्ण ग्रंथ की आराधना भी की गयी है। रामायण आरती के माध्यम से आप एक बारी में ही श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, हनुमान इत्यादि देवपुरुषों की आरती कर लेते हैं। यही रामायण जी आरती का महत्व होता है।
रामायण जी की आरती के लाभ
हम कभी श्रीराम की आरती करते हैं तो कभी सीता माता की आरती करते हैं तो कभी किसी की। हर किसी की आरती से हमें भिन्न-भिन्न लाभ देखने को मिलते हैं किन्तु रामायण आरती इन सभी आरतियों का संगम कही जा सकती है। एक तरह से रामायण इन सभी ईश्वरीय स्वरूपों के गुणों को अपने अंदर समेटे हुए है। तो वहीं रामायण जी की आरती इन सभी अवतारों की आरतियों की शक्तियां अपने अंदर लिए हुए है।
ऐसे में जो भी भक्तगण सच्चे मन के साथ श्री रामायण जी की आरती का पाठ करता है, उसका तो बेड़ा पार हो जाता है। उसके जीवन से हर दुःख व संकट मिट जाते हैं और आगे का मार्ग प्रशस्त होता है। उसे किसी भी तरह का भय नहीं सताता है और मन शुद्ध होता है। घर का वातावरण भी सकारात्मक बनता है तथा सभी के साथ रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है। यही रामायण आरती का जाप करने के मुख्य लाभ होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने आरती श्री रामायण जी की (Aarti Shri Ramayan Ji Ki) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने आरती रामायण जी की पढ़ने से मिलने वाले लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
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