दशावतार स्तोत्र PDF फाइल, अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Dashavatara Stotram

आज हम दशावतार स्तोत्र (Dashavatara Stotram) का पाठ करेंगे। भगवान विष्णु के 10 पूर्ण अवतार हैं जिनमें से श्रीराम व श्रीकृष्ण अवतार सर्वप्रसिद्ध है। उनके हरेक अवतार का औचित्य सृष्टि में धर्म की रक्षा करना और अधर्म का नाश करना रहा है। उनके 9 अवतार जन्म ले चुके हैं जबकि अंतिम व दसवां अवतार भगवान श्री कल्कि का जन्म कलयुग के अंत में होगा।

ऐसे में उनके दस अवतारों की आराधना करने के उद्देश्य से दशावतार स्तोत्र (Dashavatar Stotram) की रचना की गयी है। आज के इस लेख में हम आपको दशावतार स्तोत्र अर्थ सहित भी देंगे ताकि हम इसका भावार्थ समझ सकें। साथ ही दशावतार स्तोत्र PDF फाइल भी साझा की जाएगी जिसे आप अपने मोबाइल में सेव करके रख सकते हैं।

अंत में हम आपके साथ दशावतार स्तोत्रम् का जाप करने का महत्व व लाभ भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री दशावतार स्तोत्र हिंदी में।

Dashavatara Stotram | दशावतार स्तोत्र

ॐ प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम्।
विहितवहित्रचरित्रमखेदम्।
केशव धृतमीनशरीर जय जगदीश हरे॥

क्षितिरतिविपुलतरे तव तिष्ठति पृष्ठे।
धरणिधरणकिणचक्रगरिष्ठे।
केशव धृतकच्छपरूप जय जगदीश हरे॥

वसति दशनशिखरे धरणी तव लग्ना।
शशिनि कलङ्ककलेव निमग्ना।
केशव धृतशूकररूप जय जगदीश हरे॥

तव करकमलवरे नखमद्भुतश‍ृङ्गम्।
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्।
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे॥

छलयसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन।
पदनखनीरजनितजनपावन।
केशव धृतवामनरूप जय जगदीश हरे॥

क्षत्रियरुधिरमये जगदपगतपापम्।
स्नपयसि पयसि शमितभवतापम्।
केशव धृतभृगुपतिरूप जय जगदीश हरे॥

वितरसि दिक्षु रणे दिक्पतिकमनीयम्।
दशमुखमौलिबलिं रमणीयम्।
केशव धृतरघुपतिवेष जय जगदीश हरे॥

वहसि वपुषि विशदे वसनं जलदाभम्।
हलहतिभीतिमिलितयमुनाभम्।
केशव धृतहलधररूप जय जगदीश हरे॥

निन्दसि यज्ञविधेरहह श्रुतिजातम्।
सदयहृदयदर्शितपशुघातम्।
केशव धृतबुद्धशरीर जय जगदीश हरे॥

म्लेच्छनिवहनिधने कलयसि करवालम्।
धूमकेतुमिव किमपि करालम्।
केशव धृतकल्किशरीर जय जगदीश हरे॥

श्रीजयदेवकवेरिदमुदितमुदारम्।
शृणु सुखदं शुभदं भवसारम्।
केशव धृतदशविधरूप जय जगदीश हरे॥

Dashavatar Stotram | दशावतार स्तोत्र अर्थ सहित

ॐ प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम्।
विहितवहित्रचरित्रमखेदम्।
केशव धृतमीनशरीर जय जगदीश हरे॥

पिछले युग के अंतिम समय में जब प्रलय आयी थी और सब कुछ जल मग्न हो गया था तब हे विष्णु!! आपने ही मत्स्य अवतार धारण कर नाव की सहायता से वेदों सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की रक्षा की थी। आपने ही इस युग के सतयुग के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। इसके लिए आपकी जय हो।

क्षितिरतिविपुलतरे तव तिष्ठति पृष्ठे।
धरणिधरणकिणचक्रगरिष्ठे।
केशव धृतकच्छपरूप जय जगदीश हरे॥

समुंद्र मंथन के समय जब देवता व दानवों के द्वारा मंदार पर्वत को मथनी के रूप में चुना गया तब उसे आधार देने के लिए आपने कच्छप अवतार धारण किया था। आपने ही अपनी पीठ पर पर्वत का भार सहन किया और इस सृष्टि के कल्याण का कार्य किया। आपके कारण ही हमें चौदह बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए थे।

वसति दशनशिखरे धरणी तव लग्ना।
शशिनि कलङ्ककलेव निमग्ना।
केशव धृतशूकररूप जय जगदीश हरे॥

असुर हिरण्याक्ष के द्वारा पृथ्वी को समुंद्र में डुबो देने के कारण आपने ही हमारी रक्षा के लिए शूकर रूप में वराह अवतार धारण किया था। आपने अपने सींघों की सहायता से हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को समुंद्र से बाहर लाये थे। इस तरह से आपने पृथ्वीवासियों के जीवन रक्षा की थी।

तव करकमलवरे नखमद्भुतश‍ृङ्गम्।
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्।
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे॥

हिरण्यकश्यप के कारण तीनों लोकों में धर्म की हानि हो रही थी और आपके भक्त प्रह्लाद को भी कई तरह के कष्ट झेलने पड़ रहे थे। ऐसे में आपने नरसिंह अवतार धारण कर हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा जी से मिला वरदान विफल कर उसका वध कर दिया था। इस तरह से आपने पुनः धर्म की स्थापना की थी।

छलयसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन।
पदनखनीरजनितजनपावन।
केशव धृतवामनरूप जय जगदीश हरे॥

पाताल लोक के राजा बलि का सौवां यज्ञ पूरा होने से पहले और उसके अहंकार का नाश करने के उद्देश्य से आपने वामन अवतार लिया था। आपने अपने दो पग से ही आकाश, पाताल व धरती को नाप दिया था और तीसरे कदम से बलि के अहंकार का नाश किया था। इस तरह से आपने देवराज इंद्र को पुनः स्वर्ग लोक का सिंहासन सौंपकर धर्म की पुनर्स्थापना की थी।

क्षत्रियरुधिरमये जगदपगतपापम्।
स्नपयसि पयसि शमितभवतापम्।
केशव धृतभृगुपतिरूप जय जगदीश हरे॥

जब पृथ्वी पर हैहयवंश के क्षत्रियों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था तब आपने ही परशुराम रूप में उसका 21 बार इस पृथ्वी से नाश कर दिया था। इस तरह से आपने जमदग्नि ऋषि की मृत्यु का प्रतिशोध लिया था और धर्मरक्षा की थी।

वितरसि दिक्षु रणे दिक्पतिकमनीयम्।
दशमुखमौलिबलिं रमणीयम्।
केशव धृतरघुपतिवेष जय जगदीश हरे॥

त्रेतायुग में पृथ्वी सहित पाताल व स्वर्ग लोक में राक्षस राजा रावण का आंतक छा गया था। तब आपने रघुकुल में श्रीराम के रूप में जन्म लिया और दुष्ट रावण का उसकी सेनासहित वध कर दिया था। इस तरह से आपने तीनों लोकों को फिर से भयमुक्त करने का कार्य किया था।

वहसि वपुषि विशदे वसनं जलदाभम्।
हलहतिभीतिमिलितयमुनाभम्।
केशव धृतहलधररूप जय जगदीश हरे॥

द्वापर युग में आपने नीले वर्ण में जन्म लिया था जो सभी को ही सम्मोहित कर लेता था। इस रूप में आपने यमुना माता को धन्य कर दिया, सृष्टि को प्रेम का संदेश दिया और दुष्टों का नाश कर दिया था। आपका यह श्रीकृष्ण रूप श्रेष्ठ था जिसने मनुष्यों को आगे का मार्ग दिखाने का कार्य किया था।

निन्दसि यज्ञविधेरहह श्रुतिजातम्।
सदयहृदयदर्शितपशुघातम्।
केशव धृतबुद्धशरीर जय जगदीश हरे॥

अपने अगले अवतार में आप बुद्ध के रूप में जन्मे थे। इस अवतार में आपने यज्ञ में पशु बलि की निंदा की और सृष्टि के सभी जीवों को एक समान दृष्टि से देखने की शिक्षा प्रदान कर करुणा का परिचय दिया।

म्लेच्छनिवहनिधने कलयसि करवालम्।
धूमकेतुमिव किमपि करालम्।
केशव धृतकल्किशरीर जय जगदीश हरे॥

कलयुग के अंत में आप मलेच्छों का नाश करने के लिए धूमकेतु के समान कल्कि अवतार में जन्म लेंगे जो अपनी तलवार से सभी दुष्टों का नाश कर देंगे। आपके इस कल्कि अवतार की जय हो।

श्रीजयदेवकवेरिदमुदितमुदारम्।
शृणु सुखदं शुभदं भवसारम्।
केशव धृतदशविधरूप जय जगदीश हरे॥

श्री जयदेव जी के द्वारा रचित यह दशावतार स्तोत्र सभी के मन को सुख देने वाला, शुभ फल देने वाला और त्रिभुवन के सार को अपने में समेटे हुए है।भगवान श्री विष्णु के इन दस अवतारों को हमारा नमन है।

दशावतार स्तोत्र PDF

अब हम दशावतार स्तोत्र की पीडीएफ फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: दशावतार स्तोत्र PDF

ऊपर आपको लाल रंग में आरती दशावतार स्तोत्र की PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

दशावतार स्तोत्र का महत्व

भगवान विष्णु को इस सृष्टि का पालनहार माना जाता है जबकि भगवान ब्रह्मा का कार्य सृष्टि की रचना और भगवान शिव का कार्य उसका संहार करना है। ऐसे में सृष्टि के निर्माण के बाद से लेकर संहार तक उसके सञ्चालन का उत्तरदायित्व भगवान विष्णु के हाथ में ही होता है। जब भी धरती पर धर्म की हानि होती है और अधर्म बहुत बढ़ जाता है, तब-तब भगवान विष्णु का किसी रूप में जन्म होता है और वे धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं।

अभी तक भगवान विष्णु के 9 पूर्ण अवतार हो चुके हैं तो अंतिम अवतार का जन्म लिया जाना शेष है। ऐसे में उनके दस अवतारों को समर्पित यह दशावतार स्तोत्र (Dashavatara Stotra) भगवान विष्णु की शक्तियों, कार्यों, गुणों व महत्व पर प्रकाश डालता है। दशावतार स्तोत्रं के माध्यम से हम दसों अवतार की आराधना एक साथ कर पाते हैं। यही दशावतार स्तोत्रम् का महत्व होता है।

दशावतार स्तोत्र के लाभ

हम भगवान विष्णु के दस अवतारों की भिन्न-भिन्न आरती व स्तोत्र का पाठ करते हैं किन्तु इस दशावतार स्तोत्र के माध्यम से हम दस अवतारों की आराधना एक साथ ही कर लेते हैं। इससे हमें भगवान विष्णु के हरेक अवतार का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अब यदि हमें उनके प्रत्येक अवतार का आशीर्वाद मिल जाए तो इससे बढ़कर हमें और क्या ही चाहिए।

दशावतार स्तोत्रं के माध्यम से हमारे हरेक संकट का निवारण हो जाता है, विपदा टल जाती है व शत्रु भी मित्र में बदल जाते हैं। जीवन सुखमय बनता है, घर धन-धान्य से भरा रहता है तथा रिश्तों में घनिष्ठता देखने को मिलती है। संतान से सुख प्राप्त होता है, व्यवसाय व नौकरी में उन्नति होती है तथा मन शांत होता है। यदि हम प्रतिदिन सच्चे मन के साथ दशावतार स्तोत्रम् का पाठ करते हैं तो अंतिम समय में विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने दशावतार स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित (Dashavatara Stotram) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने दशावतार स्तोत्र पढ़ने से मिलने वाले लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको दशावतार स्तोत्र PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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