आज हम रामजी की आरती (Ramji Ki Aarti) करेंगे। भगवान श्रीराम की एक नहीं बल्कि कई आरतियाँ प्रसिद्ध हैं जो समय-समय पर भिन्न-भिन्न महापुरुषों व ऋषियों के द्वारा लिखी गयी है। हरेक आरती के माध्यम से श्रीराम के गुणों व व्यक्तित्व का वर्णन किया जाता है ताकि आमजन उनकी आराधना करने के साथ-साथ उनसे प्रेरणा ले सकें।
ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ राम जी आरती का पाठ करने वाले हैं। इसी के साथ ही आपको रामजी आरती (Ram Ji Aarti) हिंदी अर्थ सहित भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप राम आरती का भावार्थ भी समझ सकें। अंत में हम आपके साथ राम की आरती का महत्व व लाभ भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले करते हैं भगवान राम जी की आरती।
Ramji Ki Aarti | रामजी की आरती
हरति सब आरती आरती रामकी।
दहन दुख-दोष निरमूलिनी कामकी॥
सुभग सौरभ धूप दीपबर मालिका।
उड़त अघ-बिहँग सुनि ताल करतालिका॥
भक्त-हृदि-भवन अज्ञान-तम-हारिनी।
बिमल बिग्यानमय तेजबिस्तारिनी॥
मोह-मद-कोह-कलि-कंज-हिम-जामिनी।
मुक्तिकी दूतिका देह-दुति दामिनी॥
प्रनत-जन-कुमुद-बन-इंदु-कर-जालिका।
तुलसि अभिमानमहिषेस बहु कालिका॥
Ram Ji Aarti | रामजी आरती अर्थ सहित
हरति सब आरती आरती रामकी।
दहन दुख-दोष निरमूलिनी कामकी॥
राम की आरती हमारे सभी तरह के दुखों, संकटों, विपदाओं, कष्टों इत्यादि का हरण कर लेती है। रामजी की आरती में इतनी शक्ति है कि जो कोई भी इसका पाठ करता है, उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं, दोष का निवारण हो जाता है और कामना का समूल नाश हो जाता है।
सुभग सौरभ धूप दीपबर मालिका।
उड़त अघ-बिहँग सुनि ताल करतालिका॥
श्रीराम के स्वागत में हम सुगंधित धूप व दीपक को एक पंक्ति में माला रूप में सजाते हैं जो हमारा सौभाग्य बनाने का काम करता है। उस समय हम अपने हाथों से जो ताल बजाते हैं, उससे हमारे सभी विघ्न व कष्ट उड़ जाते हैं अर्थात दूर हो जाते हैं।
भक्त-हृदि-भवन अज्ञान-तम-हारिनी।
बिमल बिग्यानमय तेजबिस्तारिनी॥
रामजी की यह आरती भक्तों के हृदय से अज्ञानता के प्रकाश को दूर कर, उसमें ज्ञान की ज्योत प्रज्ज्वलित करती है। इससे हमें सृष्टि के पंच तत्वों तथा हमारे औचित्य का महत्व समझ में आता है।
मोह-मद-कोह-कलि-कंज-हिम-जामिनी।
मुक्तिकी दूतिका देह-दुति दामिनी॥
राम जी आरती के माध्यम से हमारे अंदर से कामना, अहंकार, क्रोध व कलयुग की बुरी भावनाओं का नाश होता है तथा उन पर हमारा नियंत्रण स्थापित होता है। इससे हम भवसागर को पार कर जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाते हैं और मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
प्रनत-जन-कुमुद-बन-इंदु-कर-जालिका।
तुलसि अभिमानमहिषेस बहु कालिका॥
राम की आरती हम सभी मनुष्यों के मन को आनंदित करने वाली चंद्रमा की किरणों के समान है जो बहुत ही शीतल है और अंधकार में भी प्रकाश दिखाती है। महर्षि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित यह रामजी की आरती हम सभी के अभिमान को दूर कर हमारा उद्धार कर देती है, ठीक उसी तरह जिस तरह काली माँ ने महिषासुर के अभिमान का अंत कर दिया था।
राम की आरती का महत्व
भगवान श्रीराम का रूप सभी से निराला है। उन्होंने अपने समयकाल में धर्म की परिभाषा जिस रूप में की और स्वयं भी उसका जिस तरह से पालन किया, वह हम सभी के लिए सदियों तक प्रेरणा स्रोत बन गया। उनके कर्मों के कारण ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम की संज्ञा दी गयी अर्थात मर्यादा में रहने वाले तथा पुरुषों में सबसे उत्तम व्यक्तित्व वाले।
इस तरह से राम जी आरती के माध्यम से हमें उनके चरित्र के बारे में तो जानने को मिलता ही है और साथ ही उनकी आराधना भी हो जाती है। रामजी की आरती के माध्यम से हम भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यही राम की आरती का महत्व होता है।
राम जी आरती का लाभ
वैसे तो राम जी को समर्पित कई तरह की आरतियाँ प्रचलित हैं लेकिन यदि आप सच्चे मन के साथ उनकी कोई भी आरती करते हैं तो आप पर श्रीराम की कृपा होती है। श्रीराम शब्दों के नहीं अपितु भावों के भूखे हैं और यदि आपके भाव सच्चे हैं तो आप उनके सामने केवल यूँ ही बैठ जाएं तो भी वे आपका उद्धार कर देंगे।
राम की आरती के माध्यम से हम स्वयं को श्रीराम के और निकट महसूस करते हैं और उनके चरित्र को अपने मन में उतार पाते हैं। इससे हमारा मन पहले की तुलना में शांत होता है और मानसिक शांति का अनुभव हमारे बिगड़े सभी काम को बनाने में बहुत सहायता करता है। हम सभी को एक समान दृष्टि से देख पाने और चीज़ों के बीच में भेद पता लगाने में सक्षम होते हैं। यही रामजी की आरती (Ramji Ki Aarti) के लाभ होते हैं।
राम जी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: श्री राम का कौन प्यारा है?
उत्तर: जो मनुष्य कभी भी बुरा कर्म नहीं करता है, अपने परिवार के साथ संपूर्ण विश्व के कल्याण का कार्य करता है, दीन-दुखियों का सहारा बनता है और ईश्वर के बताये मार्ग का अनुसरण करता है, वही व्यक्ति श्रीराम को सबसे प्यारा है।
प्रश्न: राम जी को रामचंद्र क्यों कहा जाता है?
उत्तर: राम जी को रामचंद्र कहने के पीछे कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। इसमें से एक प्रचलित कथा के अनुसार भगवान श्रीराम के व्यक्तित्व को देखकर उनके प्रिय भक्त हनुमान ने उनके चरित्र की तुलना चंद्रमा के समान शीतलता प्रदान करने वाले से की थी।
प्रश्न: श्री राम का अर्थ क्या है?
उत्तर: श्री राम का अर्थ होता है ऐसे व्यक्तित्व वाला जो संपूर्ण विश्व में प्रेम का संचार कर दे, मन पवित्र कर दे, चित्त शांत कर दे और धर्म का प्रसार कर दे।
प्रश्न: राम जी के परम मित्र कौन थे?
उत्तर: कई लोग श्री राम जी के परम मित्र के रूप में हनुमान का नाम लेते हैं लेकिन वे श्री राम के परम मित्र नहीं अपितु परम भक्त के नाम से जाने जाते हैं। ऐसे में श्री राम के परम मित्र के रूप में सबसे पहले नाम महाराज सुग्रीव का लिया जाता है।
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