बाबा बालक नाथ चालीसा – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Baba Balak Nath Chalisa

आज हम आपके साथ बाबा बालक नाथ चालीसा (Baba Balak Nath Chalisa) का पाठ करेंगे। सनातन धर्म में ईश्वर व देवताओं के साथ-साथ ईश्वर के मानवीय स्वरूप की भी पूजा करने का विधान है। ईश्वर ने समय-समय पर धर्म की रक्षा करने तथा मनुष्यों को धर्म का संदेश देने के लिए कई रूपों में इस धरती पर अवतार लिया है जिनमें से एक बाबा बालक नाथ जी हैं।

बाबा बालक नाथ जी का महत्व हिमाचल प्रदेश व पंजाब राज्य में बहुत अधिक है। आज के इस लेख में आपको बाबा बालक नाथ की चालीसा (Baba Balak Nath Chalisa In Hindi) अर्थ सहित भी पढ़ने को मिलेगी। अंत में हम आपको बालक नाथ चालीसा पढ़ने से मिलने वाले फायदों और उसके महत्व के बारे में बताएँगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं बाबा बालक नाथ जी की चालीसा

Baba Balak Nath Chalisa | बाबा बालक नाथ चालीसा

॥ दोहा ॥

गुरु चरणों में सीस धर करूँ प्रथम प्रणाम।
बखशो मुझ को बाहुबल सेव करूँ निष्‍काम।
रोम रोम में रम रहा, रुप तुम्‍हारा नाथ।
दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ

॥ चौपाई ॥

बालक नाथ ज्ञान (गिआन) भंडारा, दिवस रात जपु नाम तुम्‍हारा।

तुम हो जपी तपी अविनाशी, तुम हो मथुरा काशी।

तुमरा नाम जपे नर नारी, तुम हो सब भक्‍तन हितकारी।

तुम हो शिव शंकर के दासा, पर्वत लोक तुम्‍हारा वासा।

सर्वलोक तुमरा जस गावें, ॠषि (रिशी) मुनि तव नाम ध्‍यावें।

कन्‍धे पर मृगशाला विराजे, हाथ में सुन्‍दर चिमटा साजे।

सूरज के सम तेज तुम्‍हारा, मन मन्दिर में करे उजारा।

बाल रुप धर गऊ चरावे, रत्‍नों की करी दूर वलावें।

अमर कथा सुनने को रसिया, महादेव तुमरे मन वसिया।

शाह तलाईयां आसन लाये, जिसम विभूति जटा रमाये।

रत्‍नों का तू पुत्र कहाया, जिमींदारों ने बुरा बनाया।

ऐसा चमत्‍कार दिखलाया, सबके मन का रोग गवाया।

रिद्धि सिद्धि नवनिधि के दाता, मात लोक के भाग विधाता।

जो नर तुमरा नाम ध्‍यावें, जन्‍म जन्‍म के दुख विसरावे।

अन्‍तकाल जो सिमरण करहि, सो नर मुक्ति भाव से मरहि।

संकट कटे मिटे सब रोगा, बालक नाथ जपे जो लोगा।

लक्ष्‍मी पुत्र शिव भक्‍त कहाया, बालक नाथ जन्‍म प्रगटाया।

दूधाधारी सिर जटा रमाये, अंग विभूति का बटना लाये।

कानन मुंदरां नैनन मस्‍ती, दिल विच वस्‍से तेरी हस्‍ती।

अद्भुत तेज प्रताप तुम्‍हारा, घट-घट के तुम जानन हारा।

बाल रुप धरि भक्‍त रिमाएं, निज भक्‍तन के पाप मिटाये।

गोरख नाथ सिद्ध जटाधारी, तुम संग करी गोष्‍ठी भारी।

जब उस पेश गई न कोई, हार मान फि‍र मित्र होई।

घट घट के अन्‍तर की जानत, भले बुरी की पीड़ पछानत।

सूखम रुप करें पवन आहारा, पौनाहारी हुआ नाम तुम्‍हारा।

दर पे जोत जगे दिन रैणा, तुम रक्षक भय कोऊं हैना।

भक्‍त जन जब नाम पुकारा, तब ही उनका दुख निवारा।

सेवक उस्‍तत करत सदा ही, तुम जैसा दानी कोई ना ही।

तीन लोक महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहीं पाई।

बालक नाथ अजय अविनाशी, करो कृपा सबके घट वासी।

तुमरा पाठ करे जो कोई, वन्‍ध छूट महा सुख होई।

त्राहि त्राहि में नाथ पुकारूँ, दहि अक्‍सर मोहे पार उतारो।

लै त्रशूल शत्रुगण मारो, भक्‍त जना के हिरदे ठारो।

मात पिता वन्‍धु और भाई, विपत काल पूछ नहीं काई।

दुधाधारी एक आस तुम्‍हारी, आन हरो अब संकट भारी।

पुत्रहीन इच्‍छा करे कोई, निश्‍चय नाथ प्रसाद ते होई।

बालक नाथ की गुफा न्‍यारी, रोट चढ़ावे जो नर नारी।

ऐतवार व्रत करे हमेशा, घर में रहे न कोई कलेशा।

करूँ वन्‍दना सीस निवाये, नाथ जी रहना सदा सहाये।

बैंस करे गुणगान तुम्‍हारा, भव सागर करो पार उतारा।

Baba Balak Nath Chalisa In Hindi | बालक नाथ चालीसा अर्थ सहित

दरअसल जब भी किसी महापुरुष या संत के ऊपर चालीसा की रचना की जाती है तो उस चालीसा के माध्यम से उस महापुरुष के बारे में संक्षेप में सब कुछ बता दिया जाता है। इससे हमें उनका महत्व पता चलता है तथा साथ ही हमें उस संत का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसलिए आइए जाने बाबा बालक नाथ चालीसा इन हिंदी में।

॥ दोहा ॥

गुरु चरणों में सीस धर करूँ प्रथम प्रणाम।
बखशो मुझ को बाहुबल सेव करूँ निष्‍काम।
रोम रोम में रम रहा, रुप तुम्‍हारा नाथ।
दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ॥

मैं गुरुओं के चरणों में अपना शीश झुका कर उन्हें प्रणाम करता हूँ। यदि मुझसे कोई गलती हो जाती है तो कृपया मुझे क्षमा कर दीजियेगा क्योंकि मैं बिना किसी लाभ की इच्छा के काम करता हूँ। मेरे शरीर के हर अंग में बाबा बालक नाथ का ही नाम समा रहा है। हे बाबा बालक नाथ! मेरे सभी तरह के अवगुण दूर कर दो और मेरा उद्धार कर दो।

॥ चौपाई ॥

बालक नाथ ज्ञान (गिआन) भंडारा, दिवस रात जपु नाम तुम्‍हारा।

तुम हो जपी तपी अविनाशी, तुम हो मथुरा काशी।

तुमरा नाम जपे नर नारी, तुम हो सब भक्‍तन हितकारी।

तुम हो शिव शंकर के दासा, पर्वत लोक तुम्‍हारा वासा।

हे बाबा बालक नाथ! आप तो ज्ञान के भंडार हो। मैं दिन-रात आपका नाम जपता हूँ। आप अविनाशी हो और मथुरा-काशी नगरी में बसते हो। आपका नाम तो हर कोई जप रहा है और आप अपने भक्तों का हमेशा भला करते हो। आप भगवान शिव के अनुयायी हो और आपका निवास स्थान पर्वतीय क्षेत्र है।

सर्वलोक तुमरा जस गावें, ॠषि (रिशी) मुनि तव नाम ध्‍यावें।

कन्‍धे पर मृगशाला विराजे, हाथ में सुन्‍दर चिमटा साजे।

सूरज के सम तेज तुम्‍हारा, मन मन्दिर में करे उजारा।

बाल रुप धर गऊ चरावे, रत्‍नों की करी दूर वलावें।

इस धरती पर सभी लोग आपका गुणगान करते हैं और ऋषि-मुनि भी आपका ध्यान करते हैं। आपके कंधों पर हिरण की खाल का वस्त्र है और आपने हाथों में चिमटा पकड़ा हुआ है। आपका तेज सूर्य देव के समान है जिससे हमारे मन में प्रकाश फैलता है। आप बाल रूप में गाय माता की सेवा करते हैं।

अमर कथा सुनने को रसिया, महादेव तुमरे मन वसिया।

शाह तलाईयां आसन लाये, जिसम विभूति जटा रमाये।

रत्‍नों का तू पुत्र कहाया, जिमींदारों ने बुरा बनाया।

ऐसा चमत्‍कार दिखलाया, सबके मन का रोग गवाया।

आपकी अमर कथा सुनने को तो भगवान शिव भी हमारे मन में बस जाते हैं। आपने अपने शरीर पर भस्म लगा रखी है और सिर पर जटाएं हैं। आप रत्नों के पुत्र कहलाते हैं लेकिन जमींदारों ने आपका बुरा किया। फिर आपने अपनी शक्ति से ऐसा चमत्कार दिखाया कि सभी का मन निर्मल हो गया।

रिद्धि सिद्धि नवनिधि के दाता, मात लोक के भाग विधाता।

जो नर तुमरा नाम ध्‍यावें, जन्‍म जन्‍म के दुख विसरावे।

अन्‍तकाल जो सिमरण करहि, सो नर मुक्ति भाव से मरहि।

संकट कटे मिटे सब रोगा, बालक नाथ जपे जो लोगा।

आप ही हमें सभी तरह की रिद्धि-सिद्धि देने वाले हैं और हमारे भाग्य विधाता हैं। जो भी व्यक्ति आपके नाम का ध्यान करता है, उसके सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं। जो अपने अंत समय में आपका ध्यान करता है, उसे मुक्ति मिल जाती है। जो आपके नाम का जाप करते हैं, उनके सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।

लक्ष्‍मी पुत्र शिव भक्‍त कहाया, बालक नाथ जन्‍म प्रगटाया।

दूधाधारी सिर जटा रमाये, अंग विभूति का बटना लाये।

कानन मुंदरां नैनन मस्‍ती, दिल विच वस्‍से तेरी हस्‍ती।

अद्भुत तेज प्रताप तुम्‍हारा, घट-घट के तुम जानन हारा।

आप माता लक्ष्मी के पुत्र व भगवान शिव के भक्त माने जाते हो जिसने बालक नाथ के रूप में जन्म लिया है। आप दूध के आधार व सिर पर जटाओं को लिए हुए हो। साथ ही आपने अपने शरीर के अंगों पर विभूति लगाई हुई है। आपके कानो में मुंदरा व आँखों में मस्ती दिखाई देती है। हमारे दिलों में आप ही बसते हो। आपका तेज सबसे अद्भुत है और आप हर जगह बसते हो।

बाल रुप धरि भक्‍त रिमाएं, निज भक्‍तन के पाप मिटाये।

गोरख नाथ सिद्ध जटाधारी, तुम संग करी गोष्‍ठी भारी।

जब उस पेश गई न कोई, हार मान फि‍र मित्र होई।

घट घट के अन्‍तर की जानत, भले बुरी की पीड़ पछानत।

आपने अपने बाल रूप में अपने भक्तों का मन जीत लिया है और उनके सभी पाप मिटा दिए हैं। आपके साथ सिद्ध गोरख नाथ जी ने बैर लिया और फिर उन्हें हार माननी पड़ी थी। आपने सभी के मन की बात जान ली और उन्हें क्या पीड़ा है, इसका आपको ज्ञान हो गया था।

सूखम रुप करें पवन आहारा, पौनाहारी हुआ नाम तुम्‍हारा।

दर पे जोत जगे दिन रैणा, तुम रक्षक भय कोऊं हैना।

भक्‍त जन जब नाम पुकारा, तब ही उनका दुख निवारा।

सेवक उस्‍तत करत सदा ही, तुम जैसा दानी कोई ना ही।

आपने वायु को अपने अंदर समा लिया था जिस कारण आपका एक नाम पौनाहारी भी पड़ा। आपके दरबार में तो दिन-रात ज्योत जलती रहती है और आप ही हम सभी के रक्षक हो। जब-जब भक्तों ने आपका नाम लिया है, तब-तब आपने उनका दुःख दूर किया है। आपके सेवक हमेशा ही यह कहते हैं कि आपके जैसा दानवीर और कोई नहीं है।

तीन लोक महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहीं पाई।

बालक नाथ अजय अविनाशी, करो कृपा सबके घट वासी।

तुमरा पाठ करे जो कोई, वन्‍ध छूट महा सुख होई।

त्राहि त्राहि में नाथ पुकारूँ, दहि अक्‍सर मोहे पार उतारो।

तीनों लोकों में आपकी ही महिमा फैली हुई है और इसका भेद कोई नहीं जान पाया है। आप बालकनाथ के रूप में अजेय व अविनाशी हो और अब आप हम सभी पर कृपा कीजिये। जो कोई भी बाबा बालक नाथ चालीसा का पाठ करता है, उसे सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। मैं त्राहिमाम करता हुआ आपका नाम पुकारता हूँ और अब आप मेरा उद्धार कर दीजिये।

लै त्रशूल शत्रुगण मारो, भक्‍त जना के हिरदे ठारो।

मात पिता वन्‍धु और भाई, विपत काल पूछ नहीं काई।

दुधाधारी एक आस तुम्‍हारी, आन हरो अब संकट भारी।

पुत्रहीन इच्‍छा करे कोई, निश्‍चय नाथ प्रसाद ते होई।

आप अपना त्रिशूल उठा कर मेरे शत्रुओं का नाश कर दीजिये और अपने भक्तों के मन में वास कीजिये। संकट में हमारे माता, पिता, भाई, बहन कोई नहीं पूछता है। उस समय में आपसे ही हमारी आशा है, इसलिए अब उस संकट को दूर कर दीजिये। जो भी भक्त आपसे पुत्र प्राप्ति की याचना करता है, आप उसके मन की इच्छा को पूरी कर देते हैं।

बालक नाथ की गुफा न्‍यारी, रोट चढ़ावे जो नर नारी।

ऐतवार व्रत करे हमेशा, घर में रहे न कोई कलेशा।

करूँ वन्‍दना सीस निवाये, नाथ जी रहना सदा सहाये।

बैंस करे गुणगान तुम्‍हारा, भव सागर करो पार उतारा।

बालक नाथ जी की गुफा की महिमा अपरंपार है और भक्तगण वहां रोटी का भोग लगाते हैं। जो भक्तगण बाबा बालक नाथ के लिए रविवार को व्रत करते हैं, उनके घर में सुख-शांति का वास होता है। मैं अपना सिर झुका कर आपकी वंदना करता हूँ और अब आप मेरा साथ दीजिये। मैं आपका हर समय गुणगान करता हूँ और अब आप हमें भव सागर पार करवा दीजिये।

बालक नाथ चालीसा का महत्व

जब भी किसी महापुरुष, कुल देवता, ईश्वर, संत इत्यादि के ऊपर चालीसा लिखी जाती है तो उस चालीसा का मुख्य उद्देश्य उसके माध्यम से उस व्यक्ति या महापुरुष के बारे में संक्षेप में संपूर्ण जानकारी दे देना होता है। यही बात बालक नाथ चालीसा (Balak Nath Chalisa) के माध्यम से प्रतीत होती है क्योंकि आपको बालकनाथ चालीसा पढ़ कर यह अवश्य ही ज्ञात हो गया होगा कि आखिरकार क्यों बाबा बालक नाथ जी की महत्ता इतनी अधिक है।

दरअसल बाबा बालक नाथ चालीसा के माध्यम से बाबा बालकनाथ की महत्ता, गुणों, प्रसिद्धि, चमत्कारिक शक्तियों इत्यादि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी है। यही कारण है कि बाबा बालक नाथ की चालीसा की महत्ता इतनी बढ़ जाती है। उनकी शक्तियों व गुणों को देखते हुए ही दूर-दूर से भक्त उनके दर्शन करने पहुँचते हैं।

बाबा बालक नाथ चालीसा के फायदे

यदि आप नियमित रूप से बालक नाथ चालीसा का पाठ करते हैं और उनमें अपनी आस्था रखते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर रहती है। जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा बालक नाथ की सेवा करता है और उनकी प्रसिद्धि का बखान करता है, उसके और उसके परिवार के सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। बाबा बालक नाथ चालीसा का प्रभाव इतना अधिक होता है कि उसका पाठ करने वाले भक्तों को कुछ ही दिनों में उनकी शक्तियों का प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है।

यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में जहाँ बाबा बालक नाथ जी का मंदिर है वहां पर हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं और अपना शीश नवाते हैं। ऐसे में यदि आप प्रतिदिन अपने घर पर बाबा बालकनाथ चालीसा का पाठ करते हैं तो आपको अवश्य ही इसका बहुत लाभ मिलता है। आपका जो भी काम नहीं बन पा रहा था या उसमे कोई दुविधा आ रही थी तो वह भी दूर हो जाती है और समाज में आपका यश फैलता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने बाबा बालक नाथ चालीसा (Baba Balak Nath Chalisa) अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने बालक नाथ चालीसा पढ़ने से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।

बाबा बालक नाथ चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: बाबा बालक नाथ की पूजा कैसे करते हैं?

उत्तर: बाबा बालक नाथ की पूजा करने के लिए आप सुबह जल्दी उठ कर स्नान इत्यादि करके बाबा बालक नाथ चालीसा का पाठ करें और गाय माता को रोटी खिलाएं।

प्रश्न: बाबा बालक नाथ की चढ़ाई कितनी है?

उत्तर: बाबा बालक नाथ के मंदिर तक पहुँचने में लगभग 300 के आसपास सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है।

प्रश्न: बालक नाथ का गुरु कौन है?

उत्तर: बालक नाथ जी के गुरु का नाम गुरु दत्तात्रेय जी था।

प्रश्न: बाबा बालक नाथ में महिलाओं की अनुमति क्यों नहीं है?

उत्तर: बाबा बालक नाथ में महिलाओं की अनुमति इसलिए नहीं है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार उन्होंने ब्रहचर्य का पालन किया था।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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