बाली सुग्रीव की कहानी – शुरू से अंत तक

रामायण बाली (Ramayan Bali)

आज हम आपको बाली और सुग्रीव की कहानी (Bali Aur Sugriv Ki Kahani) सुनाने जा रहे हैंबाली सुग्रीव का बड़ा भाई व किष्किंधा नगरी का राजा था। बाली व सुग्रीव दोनों वानर जाति से थे व अत्यंत बलशाली थे। भगवान ब्रह्मा जी से वरदान मिले होने के कारण बाली अत्यंत बलशाली था। बाली को यह वरदान प्राप्त था कि उसे किसी भी युद्ध में अपने से सामने वाले शत्रु की आधी शक्ति प्राप्त हो जाएगी व उसके शत्रु की आधी शक्ति समाप्त हो जाएगी।

दोनों भाइयों के बीच में भी अत्यधिक प्रेम था। बाली किष्किंधा नगरी का राजा था तो वहीं सुग्रीव अपने भाई का कामकाज संभालता था। बाली सुग्रीव की कहानी (Bali Sugriv Ki Kahani) में असली मोड़ तब आता है जब बाली का युद्ध एक मायावी राक्षस से होता है। उस युद्ध के परिणामस्वरुप बाली सुग्रीव को किष्किंधा नगरी से धक्के मारकर निकाल देता है जो उसकी मृत्यु का कारण बनता है। आइए जाने इस घटना के बारे में।

बाली और सुग्रीव की कहानी

बाली के वरदान के कारण आए दिन उसे तरह-तरह के राक्षस युद्ध के लिए चुनौती दिया करते थे। बाली किसी की भी चुनौती को अस्वीकार नहीं करता था व सबसे युद्ध करके उन्हें परास्त कर देता था। एक दिन मायावी नाम के एक राक्षस ने बाली को युद्ध के लिए चुनौती दी थी जिसे बाली ने स्वीकार कर लिया था।

मायावी का बड़ा भाई दुंदुभी राक्षस पहले बाली के हाथों मारा जा चुका था जिसका प्रतिशोध उसे लेना था। वह राक्षस अत्यंत मायावी था इसलिए बाली के युद्ध में जाते समय उसके छोटे भाई सुग्रीव को चिंता हुई। उसने भी बाली के साथ युद्ध में जाने की जिद्द की जिसे बाली ने मान लिया। बस यहीं से सुग्रीव बाली के बीच मनमुटाव (Bali Aur Sugriv Ki Kahani) की शुरुआत हो गई।

बाली व मायावी राक्षस का युद्ध

दोनों भाइयों को साथ में आता देखकर मायावी राक्षस दूर भाग गया व एक गुफा में चला गया। बाली को वह कई बार चुनौती दे चुका था इसलिए बाली इस बार उसका वध करने का निश्चय करके ही बाहर आया था। बाली उसे मारने के लिए उसकी गुफा में जाने लगा तो सुग्रीव ने मना किया। बाली ने सुग्रीव को यह कहकर बाहर खड़ा होने का आदेश दिया कि वह यहाँ गुफा के द्वार पर पहरा दे व उसकी प्रतीक्षा करे। यह कहकर बाली उस राक्षस से युद्ध करने गुफा के अंदर चला गया।

सुग्रीव ने किया गुफा का द्वार बंद

सुग्रीव को गुफा के बाहर खड़े कई महीने बीत गए लेकिन बाली बाहर नहीं आया। फिर एक दिन उसे अंदर से रक्त की धारा बाहर आती हुई दिखाई दी व किसी के करहाने की आवाज़ सुनाई दी। सुग्रीव को लगा कि उसका भाई उस मायावी के हाथों मारा जा चुका है। कहीं वह राक्षस बाहर आकर उस पर भी हमला ना कर दे व किष्किंधा को ना हड़प ले, इसी डर से सुग्रीव ने गुफा का द्वार एक विशाल चट्टान के सहारे बंद कर दिया व किष्किन्धा लौट आया।

सुग्रीव बना किष्किन्धा नरेश

सुग्रीव ने वापस आकर सभी को बाली की मृत्यु का समाचार दिया। चूँकि सुग्रीव किष्किन्धा का राजकुमार था। इसलिए बाली की मृत्यु के पश्चात उसे किष्किन्धा का राजा बनाया गया। हालाँकि बाली सुग्रीव की कहानी (Bali Sugriv Ki Kahani) में यह सुग्रीव की बहुत बड़ी गलती साबित हुई जिसके गंभीर परिणाम उसे भुगतने पड़े।

अब वह किष्किन्धा का राजभार संभालने लगा था किंतु उस गुफा में बाली नहीं बल्कि उस मायावी राक्षस की मृत्यु हुई थी। बाली जब उस राक्षस को मारकर गुफा के द्वार पर आया तो द्वार बंद देखकर क्रोधित हो गया। उसने अपनी शक्ति से गुफा का द्वार तोड़ डाला व किष्किन्धा के राजमहल में पहुँच गया।

बाली का सुग्रीव पर क्रोध

वहाँ आकर उसने देखा कि उसका भाई किष्किन्धा का राजा बन चुका है। यह देखकर बाली का गुस्सा और भी प्रबल हो गया। उसे लगा कि उसके भाई ने सब जानते हुए यह षड्यंत्र रचा व उसे गुफा के अंदर बंद कर दिया व स्वयं किष्किन्धा नगर का राजा बन गया। उसने भरी सभा में सुग्रीव पर यह लांछन लगाया। सुग्रीव ने उसके चरणों में गिरकर क्षमा याचना की लेकिन बाली ने सभी के सामने उसे दुत्कार दिया व उसे बुरी तरह मारने लगा।

सुग्रीव का किष्किन्धा छोड़कर जाना

सुग्रीव किसी तरह अपनी जान बचाकर वहाँ से भागा। बाली ने उसकी पत्नी रुमा को भी हड़प लिया व सुग्रीव को देश निकाला दे दिया। बाली के डर से सुग्रीव को किसी ने भी शरण नहीं दी व साथ ही बाली के सिपाही उसकी हत्या की ताक में थे। इसी कारण सुग्रीव ने ऋष्यमूक पर्वत पर जाकर अपनी जान बचाई क्योंकि बाली को ऋषि मतंग का श्राप था कि वह उस पर्वत पर गया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

इस प्रकार बाली ने सुग्रीव को ना केवल किष्किन्धा से अपमानित करके बाहर निकाला अपितु उसकी धर्म पत्नी को भी उसके साथ नहीं जाने दिया। बाली ने उसे अपने साथ राजमहल में अपनी पत्नी बनाकर रखा। बाद में सुग्रीव ने स्वयं भगवान श्रीराम की सहायता से बाली का वध करवाया व पुनः किष्किन्धा का राजा बना। इस तरह से बाली और सुग्रीव की कहानी (Bali Aur Sugriv Ki Kahani) का यहीं अंत हो जाता है।

बाली और सुग्रीव की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: बाली और सुग्रीव का युद्ध क्यों हुआ?

उत्तर: बाली सुग्रीव को किष्किन्धा से निष्कासित कर देता है लेकिन उसकी पत्नी रूमा को अपनी पत्नी बनाकर रखता है इस कारण दोनों के बीच युद्ध होता है

प्रश्न: बाली ने श्रीराम को क्या श्राप दिया था?

उत्तर: बाली ने श्रीराम को कोई श्राप नहीं दिया था उसने तो मरते समय श्रीराम के पैरों में पड़कर क्षमा मांगी थी और अपने पुत्र अंगद को उनकी सेवा में समर्पित किया था

प्रश्न: बाली के मरने के बाद उसकी पत्नी का क्या हुआ?

उत्तर: बाली के मरने के बाद उसकी पत्नी तारा का विवाह श्रीराम के आदेश पर सुग्रीव के साथ करवा दिया गया था

प्रश्न: बाली किसका अवतार था?

उत्तर: बाली देवराज इंद्र का पुत्र था जो बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली था इसी कारण स्वयं भगवान श्रीराम को छुपकर उसका वध करना पड़ा था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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