Brahma Chalisa: भगवान ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता माना गया है और उनके द्वारा ही पृथ्वी की रचना की गयी है। ऐसे में ब्रह्मा देव चालीसा का महत्व भी अत्यधिक बढ़ जाता है। यदि आप भी ब्रह्मा चालीसा का पाठ करने का सोच रहे हैं तो आज हम आपके साथ वही साझा करेंगे।
इस लेख में आपको सर्वप्रथम ब्रह्मा जी की चालीसा (Brahma Ji Ki Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात ब्रह्मा चालीसा का अर्थ आपके साथ साझा किया जाएगा। अंत में हम आपको ब्रह्मा चालीसा पढ़ने के फायदे और महत्व भी बताएँगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री ब्रह्मा चालीसा।
Brahma Chalisa | ब्रह्मा चालीसा
॥ दोहा ॥
जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू, चतुरानन सुखमूल।
करहु कृपा निज दास पै, रहहु सदा अनुकूल॥
तुम सृजक ब्रह्मांड के, अज विधि घाता नाम।
विश्वविधाता कीजिये, जन पै कृपा ललाम॥
॥ चौपाई ॥
जय जय कमलासान जगमूला, रहहू सदा जनपै अनुकूला।
रुप चतुर्भुज परम सुहावन, तुम्हें अहैं चतुर्दिक आनन।
रक्तवर्ण तव सुभग शरीरा, मस्तक जटाजूट गंभीरा।
ताके ऊपर मुकुट बिराजै, दाढ़ी श्वेत महाछवि छाजै।
श्वेतवस्त्र धारे तुम सुन्दर, है यज्ञोपवीत अति मनहर।
कानन कुंडल सुभग बिराजहिं, गल मोतिन की माला राजहिं।
चारिहु वेद तुम्हीं प्रगटाये, दिव्य ज्ञान त्रिभुवनहिं सिखाये।
ब्रह्मलोक शुभ धाम तुम्हारा, अखिल भुवन महँ यश विस्तारा।
अर्द्धागिनि तव है सावित्री, अपर नाम हिये गायत्री।
सरस्वती तब सुता मनोहर, वीणा वादिनी सब विधि मुन्दर।
कमलासन पर रहे बिराजे, तुम हरिभक्ति साज सब साजे।
क्षीर सिंधु सोवत सुरभूपा, नाभि कमल भो प्रगट अनूपा।
तेहि पर तुम आसीन कृपाला, सदा करहु संतन प्रतिपाला।
एक बार की कथा प्रचारी, तुम कहँ मोह भयेउ मन भारी।
कमलासन लखि कीन्ह बिचारा, और न कोउ अहै संसारा।
तब तुम कमलनाल गहि लीन्हा, अंत बिलोकन कर प्रण कीन्हा।
कोटिक वर्ष गये यहि भांती, भ्रमत भ्रमत बीते दिन राती।
पै तुम ताकर अंत न पाये, ह्वै निराश अतिशय दुःखियाये।
पुनि बिचार मन महँ यह कीन्हा, महापद्म यह अति प्राचीन।
याको जन्म भयो को कारन, तबहीं मोहि करयो यह धारन।
अखिल भुवन महँ कहँ कोई नाहीं, सब कुछ अहै निहित मो माहीं।
यह निश्चय करि गरब बढ़ायो, निज कहँ ब्रह्म मानि सुखपाये।
गगन गिरा तब भई गंभीरा, ब्रह्मा वचन सुनहु धरि धीरा।
सकल सृष्टि कर स्वामी जोई, ब्रह्म अनादि अलख है सोई।
निज इच्छा इन सब निरमाये, ब्रह्मा विष्णु महेश बनाये।
सृष्टि लागि प्रगटे त्रयदेवा, सब जग इनकी करिहै सेवा।
महापद्म जो तुम्हरो आसन, ता पै अहै विष्णु को शासन।
विष्णु नाभितें प्रगट्यो आई, तुम कहँ सत्य दीन्ह समुझाई।
भैतहू जाइ विष्णु हितमानी, यह कहि बन्द भई नभवानी।
ताहि श्रवण कहि अचरज माना, पुनि चतुरानन कीन्ह पयाना।
कमल नाल धरि नीचे आवा, तहां विष्णु के दर्शन पावा।
शयन करत देखे सुरभूपा, श्यायमवर्ण तनु परम अनूपा।
सोहत चतुर्भुजा अति सुन्दर, क्रीट मुकट राजत मस्तक पर।
गल बैजन्ती माल विराजै, कोटि सूर्य की शोभा लाजै।
शंख चक्र अरु गदा मनोहर, पद्म सहित आयुध सब सुंदर।
पाय पलोटति रमा निरंतर, शेषनाग शय्या अति मनहर।
दिव्यरुप लखि कीन्ह प्रणामू, हर्षित भे श्रीपति सुख धामू।
बहु विधि विनय कीन्ह चतुरानन, तब लक्ष्मी पति कहेउ मुदित मन।
ब्रह्मा दूरि करहु अभिमाना, ब्रह्मरुप हम दोउ समाना।
तीजे श्री शिव शंकर आहीं, ब्रह्मरुप सब त्रिभुवन मांही।
तुम सों होई सृष्टि विस्तारा, हम पालन करिहैं संसारा।
शिव संहार करहिं सब केरा, हम तीनहुं कहँ काज धनेरा।
अगुणरुप श्री ब्रह्मा बखानहु, निराकार तिनकहँ तुम जानहु।
हम साकार रुप त्रयदेवा, करिहैं सदा ब्रह्म की सेवा।
यह सुनि ब्रह्मा परम सिहाये, परब्रह्म के यश अति गाये।
सो सब विदित वेद के नामा, मुक्ति रुप सो परम ललामा।
यहि विधि प्रभु भो जनम तुम्हारा, पुनि तुम प्रगट कीन्ह संसारा।
नाम पितामह सुंदर पायेउ, जड़ चेतन सब कहँ निरमायेउ।
लीन्ह अनेक बार अवतारा, सुंदर सुयश जगत विस्तारा।
देवदनुज सब तुम कहँ ध्यावहिं, मनवांछित तुम सन सब पावहिं।
जो कोउ ध्यान धरै नर नारी, ताकी आस पुजावहु सारी।
पुष्कर तीर्थ परम सुखदाई, तहँ तुम बसहु सदा सुरराई।
कुण्ड नहाइ करहि जो पूजन, ता कर दूर होई सब दूषण।
Brahma Ji Ki Chalisa | ब्रह्मा जी की चालीसा का हिंदी अर्थ
इस चालीसा में सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा के रूप का वर्णन किया गया है जैसे कि उनके चार मुख हैं, वे कमल के आसन पर विराजते हैं, वे श्वेत वस्त्र पहनते हैं और कानो में कुण्डल हैं इत्यादि। साथ ही उनकी उत्पत्ति के बारे में भी उल्लेख किया गया है जो कि भगवान विष्णु के नाभि कमल से हुई थी।
भगवान ब्रह्मा की पत्नी माता सरस्वती, सावित्री व गायत्री हैं। वे ही चारों वेदों के रचयिता हैं और उन्होंने ही इस सृष्टि की रचना की है। वे ही सभी संतो, ऋषि, मुनियों, मनुष्यों के रखवाले हैं और उसका पालन-पोषण करते हैं। त्रिदेव में एक देव वे हैं जिनका उत्तरदायित्व विनाश के बाद पुनः सृष्टि का सृजन करना होता है।
इस प्रकार ब्रह्मा देव चालीसा (Brahma Dev Chalisa) में भगवान ब्रह्मा के गुणों, रूप, कार्य, अधिकारों, महत्व इत्यादि का विस्तृत वर्णन देखने को मिलता है। इसी के साथ सभी बोलिए ब्रह्म देव की जय।
ब्रह्मा देव चालीसा का महत्व
भगवान ब्रह्मा इस सृष्टि के रचनाकार है। उनके द्वारा ही हम सभी की रचना की गई है। भगवान ब्रह्मा की चालीसा के माध्यम से ब्रह्मा जी के बारे में बताया गया है। ब्रह्मा जी की रचना स्वयं भगवान विष्णु ने की है। वे भगवान विष्णु की नाभि में से निकले कमल से प्रकट हुए है। भगवान ब्रह्मा की चालीसा पढ़ने से हम पर उनकी कृपा होती है।
अब यदि किसी व्यक्ति पर भगवान ब्रह्मा की कृपा हो जाती है तो उसका उद्धार तय है। उसे जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। एक तरह से उसका उद्धार हो जाता है। यहीं ब्रह्मा चालीसा का महत्व होता है।
ब्रह्मा चालीसा पढ़ने के फायदे
यदि आप हर दिन सच्चे मन के साथ ब्रह्मा जी की चालीसा का पाठ करते हैं तो इससे आपके हरेक कष्ट और शरीर के विकार दूर होते हैं। भगवान ब्रह्मा की कृपा से हमारी बुद्धि का भी विकास होता है। वह इसलिए क्योंकि ब्रह्मा जी के साथ-साथ माता सरस्वती की कृपा भी हम पर होती है।
ऐसे में हमारी बुद्धि तेज होती है, आँखों में तेज आता है और शरीर सभी रोगों से मुक्त हो जाता है। वही यदि आपके जीवन में किसी प्रकार का आर्थिक या सामाजिक संकट चल रहा है तो वह भी दूर होता है। यहीं सब ब्रह्मा चालीसा पढ़ने के फायदे होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री ब्रह्मा चालीसा (Brahma Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही आपने ब्रह्मा चालीसा के पाठ से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं।
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