ब्रह्मास्त्र क्या होता है? जाने ब्रह्मास्त्र का इतिहास व शक्तियों के बारे में

Brahmastra In Hindi

आप सभी ने देवी-देवताओं की कहानी में ब्रह्मास्त्र के बारे में (Brahmastra In Hindi) तो अवश्य सुन रखा होगा। रामायण व महाभारत जैसे धारावाहिकों में आपने ब्रह्मास्त्र का उपयोग होते हुए भी देखा होगा। यह ब्रह्मा जी का सबसे बड़ा अस्त्र है। दरअसल हर देवी-देवता के पास अपनी शक्ति के अनुसार कोई ना कोई अस्त्र-शस्त्र होता था। इनका वे सही समय पर धर्म की रक्षा के लिए इस्तेमाल करते थे।

इसके अलावा उन अस्त्रों को उन देवी-देवता का आह्वान करके या निष्ठा की भावना से प्राप्त किया जा सकता था। उन सभी अस्त्रों में जो अस्त्र सबसे अधिक शक्तिशाली था वह था ब्रह्मा जी के द्वारा बनाया गया ब्रह्मास्त्र। इसके अंदर पूरे विश्व को समाप्त करने की शक्ति थी। अब यह ब्रह्मास्त्र क्या है (Brahmastra Kya Hai), इसके बारे में आपको आज के इस लेख में जानने को मिलेगा।

यह कोई साधारण अस्त्र नहीं था अपितु इसमें आज के परमाणु बम जितनी ताकत थी। यह अपने लक्ष्य का विनाश करके रख देता था व सालों साल तक वहां किसी जीवन का उदय नहीं होता था। रामायण-महाभारत में कई बार इस अस्त्र के इस्तेमाल का उल्लेख किया गया है। आज हम इसी ब्रह्मास्त्र के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Brahmastra In Hindi | ब्रह्मास्त्र क्या है?

ब्रह्मास्त्र कोई सामान्य अस्त्र नहीं बल्कि आज के समय के परमाणु बम से भी अधिक शक्तिशाली अस्त्र था। इसके अंदर सम्पूर्ण पृथ्वी को एक ही झटके में सर्वनाश करने की शक्ति निहित है। इसका निर्माण सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा किया गया था। हालाँकि ब्रह्मास्त्र के उसकी सर्वनाश की शक्ति के अनुसार अलग-अलग प्रकार होते थे, जिसमें से कोई अधिक शक्तिशाली होता था तो कोई कम शक्तिशाली।

ब्रह्मा जी एक बहुत बड़े वैज्ञानिक हैं जिन्हें सृष्टि के हरेक तत्व व अणु की जानकारी है। उन्होंने सभी तरह के तत्वों की शक्तियों को समाहित करके ही इस ब्रह्मास्त्र का निर्माण किया था। अब यह जो ब्रह्मास्त्र है वह दो तरह के अस्त्रों से मिलकर बना होता है जिसमें से पहला ब्रह्मशिरा अस्त्र है तो दूसरा ब्रह्मदंड। इन दोनों को मिलाकर ही ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। आइए ब्रह्मास्त्र क्या होता है (Brahmastra Kya Hota Hai) और इसके इन दोनों भागों के बारे में जान लेते हैं।

  • ब्रह्मशिरा अस्त्र

ब्रह्मा जी के चारों ओर चार मुख होते हैं व ऊपर मुकुट होता है। इस मुकुट की नोक पर ही ब्रह्मा जी के पांचवे मुख के रूप में यह ब्रह्मशिरा अस्त्र विद्यमान होता है। यह इतना शक्तिशाली होता है कि इसके अंदर पूरे विश्व को समाप्त करने की अद्भुत शक्ति होती है। इसे समस्त प्रकार की शक्तियों का प्रयोग व उन्हें समाहित करके बनाया गया था जो अत्यधिक उर्जावान अस्त्र है।

  • ब्रह्मदंड

ब्रह्मशिरा अस्त्र के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से ही इस ब्रह्मदंड अस्त्र का निर्माण ब्रह्मा जी द्वारा किया गया था। यह भी ब्रह्मशिरा अस्त्र जितना ही शक्तिशाली है जो उसे अपने अंदर समाहित करके उसे रोक सकता है। यह एक प्रकार से ब्रह्मा जी ने अपनी हड्डियों का प्रयोग करके बनाया था, जिससे ब्रह्मशिरा अस्त्र के प्रकोप से बचा जा सके।

जब इन दोनों अस्त्रों को मिला दिया जाता है तब उसे सम्पूर्ण रूप से ब्रह्मास्त्र का नाम दिया जाता है। जिसे रोकना लगभग असंभव होता है। इस तरह से हम ब्रह्मास्त्र को बहुत ही शक्तिशाली अस्त्र कह सकते हैं जिसका तोड़ असंभव है। हालाँकि ईश्वरीय शक्ति के अनुरूप इसके प्रभाव को क्षीण किया जा सकता है।

ब्रह्मास्त्र का इतिहास

अब यदि हम ब्रह्मास्त्र के इतिहास की बात करें तो वह बहुत ही पुराना है। इतना पुराना कि उस समय तक मानव सभ्यता भी शुरू नहीं हुई थी। ब्रह्मा जी को ही इस सृष्टि का रचयिता माना जाता है। ऐसे में जब उन्होंने हमारी पृथ्वी को भी नहीं बनाया था, उससे पहले भी ब्रह्मास्त्र को बना लिया गया था।

इसके पीछे कई तरह के कारण थे जिसमें सबसे प्रमुख कारण अधर्म का नाश कर धर्म की पुनर्स्थापना मुख्य है। इसलिए हम यदि ब्रह्मास्त्र के इतिहास की बात करें तो इसे आप पृथ्वी के निर्माण से पहले का अस्त्र कह सकते हैं।

ब्रह्मास्त्र क्यों बनाया गया था?

चूँकि ब्रह्मा जी को हिंदू धर्म व मानव सभ्यता का रचयिता कहा जाता है। इसलिए धर्म व सत्य की रक्षा के लिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र जैसे शक्तिशाली अस्त्र का निर्माण किया था, जिससे आवश्यकता पड़ने पर दुष्टों का नरसंहार किया जा सके।

इसका प्रयोग सामान्य या किसी छोटे युद्ध के लिए नहीं किया जा सकता व ना ही इसका इस्तेमाल हर कोई कर सकता था। इसको प्राप्त करने के लिए भी ब्रह्मा जी की शुद्ध मन से उपासना करनी होती थी या अपने सिद्धि प्राप्त गुरु से इसे लिया जा सकता था। इस कारण ब्रह्मास्त्र का रहस्य या फिर ब्रह्मास्त्र क्या है (Brahmastra Kya Hai), इसे हर कोई नहीं समझ पाता था।

ब्रह्मास्त्र किस मंत्र से चलता है?

इसका प्रयोग हर कोई नहीं कर सकता था। इसके प्रयोग के लिए विशेष साधना करके इसे प्राप्त किया जा सकता था। इसे चलाने के लिए विशेष मंत्र का जाप करना होता था। उदाहरण के तौर पर महाभारत के युद्ध में कर्ण ने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र चलाने का प्रयास किया था। किन्तु महर्षि परशुराम के दिए गए श्राप के कारण वह मंत्र भूल गया था और इसका इस्तेमाल नहीं कर पाया था।

एक बार इसे चार्ज करके तैयार कर दिया जाए तब इसे वापस नहीं लिया जा सकता थे अर्थात इसे अब चलाना ही पड़ेगा। फिर इसे केवल ब्रह्मदंड अस्त्र के द्वारा ही रोका जा सकता था। ऐसे में सामान्य व्यक्ति ब्रह्मास्त्र को चलाने का मंत्र नहीं जान सकता था। इसके लिए कठोर साधना करके ब्रह्मास्त्र को प्राप्त करना होता था। उसी के साथ ही इसे चलाने का मंत्र भी दिया जाता था।

ब्रह्मास्त्र की शक्ति

ब्रह्मास्त्र क्या होता है (Brahmastra Kya Hota Hai), इसके बारे में अच्छे से जानना है तो उसके लिए आपको इसकी शक्तियों के बारे में जानना होगा। यह इतना शक्तिशाली व विध्वंसकारी अस्त्र था कि इसे चलाने से पहले कई बार सोचना पड़ता था क्योंकि यह अत्यंत विनाश का कारण बन सकता था। आइए इसकी कुछ विशेषताएं जानते हैं:

  • ब्रह्मशिरा अस्त्र को ब्रह्मास्त्र से शक्तिशाली माना जाता है जो ब्रह्मा जी का पांचवा मुख भी है।
  • यह एक दम अचूक अस्त्र था अर्थात यह जिस भी लक्ष्य पर छोड़ा जाएगा वह लक्ष्य पूरी तरह विनाश की भेंट चढ़ जाएगा।
  • ब्रह्मास्त्र जहां भी गिरता है वहां धरती एक आग के गोले में बदल जाती है व आसपास भयंकर आग लग जाती है व विभिन्न प्रकार के हानिकारक रसायन फैल जाते हैं।
  • इससे उस क्षेत्र में कोई भी जीव जंतु, पेड़ पौधे कुछ नहीं बचता, चाहे समुंद्र हो या पहाड़, सब नष्ट हो जाता है।
  • इसका प्रकोप इतना भयानक है कि कम से कम 12 वर्षों तक उस धरती पर फिर से किसी जीवन का उदय नहीं हो पाता। यहाँ तक कि गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो जाती है।
  • उस जगह पर पृथ्वी में दरारें पड़ जाती है व वर्षों तक वर्षा भी नहीं होती है व सूर्य के दर्शन नही होते हैं, जिस कारण वहां भयंकर सूखा पड़ता है।
  • इसे समूचे ब्रह्मांड की हर एक पदार्थ की ऊर्जा को समाहित करके बनाया गया था जिस कारण यह अत्यंत विनाशकारी अस्त्र था।
  • यह किसी बड़े युद्ध में धर्म व सत्य की रक्षा करने के उद्देश्य से चलाया जाने वाला अंतिम अस्त्र होता था।
  • जब दो ब्रह्मास्त्र आपस में टकराते हैं तो इससे पूरे विश्व के सामने भयानक संकट उत्पन्न हो जाएगा।
  • इसे एक बार शुरू करने के बाद केवल वही व्यक्ति सही मंत्रोच्चार के साथ वापस ले सकता था।
  • इसका भगवान शिव, आदिशक्ति, भगवान विष्णु व शेषनाग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ब्रह्मास्त्र का प्रयोग महाभारत

ब्रह्मास्त्र (Brahmastra In Hindi) का सबसे ज्यादा प्रयोग महाभारत के युद्ध के समय किया गया था। महाभारत के युद्ध में जो जनहानि हुई थी और किस तरह से श्रीकृष्ण के नेतृत्व में अधर्म पर धर्म की विजय सुनिश्चित हुई थी, वह हम सभी जानते हैं। किन्तु ब्रह्मास्त्र का प्रयोग केवल महाभारत में ना होकर श्रीराम रावण के युद्ध में और उससे पहले भी कई बार हो चुका था।

हमने ऊपर आपको ब्रह्मास्त्र के दो भागों में एक ब्रह्मशिरा अस्त्र के बारे में भी बताया। इतिहास में कुछ लोगों के द्वारा केवल ब्रह्म शिरा अस्त्र का भी इस्तेमाल किया गया था जबकि कुछ शक्तिशाली लोगों के द्वारा ब्रह्मास्त्र को भी चलाया गया था। इसलिए ब्रह्मशिरा सहित ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कब-कब किया गया था, आइए इसके बारे में जान लेते हैं।

ब्रह्मशिरा अस्त्र का प्रयोग

  • इसका प्रयोग सर्वप्रथम ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने क्रोधित होकर महर्षि वशिष्ठ के विरुद्ध किया था किन्तु महर्षि वशिष्ठ के पास ब्रह्मदंड होने की वजह से वे बच गए थे। ब्रह्मदंड ने अपने अंदर ब्रह्मशिरा अस्त्र को समाहित करके रोक दिया था।
  • भगवान श्रीराम ने कुंभकरण से युद्ध के समय उसका मस्तक काटने के लिए ब्रह्म दंड चलाया था जिससे उसकी मृत्यु हुई थी।
  • महाभारत के युद्ध के बाद, अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वथामा ने पांडवों का नाश करने के उद्देश्य से ब्रह्मशिरा अस्त्र को शुरू कर दिया था व दूसरी ओर अर्जुन ने भी यह देखकर ब्रह्मशिरा अस्त्र अश्वथामा की ओर लगा दिया था। इसे देखकर नारदमुनि व महर्षि वेदव्यास ने उन्हें इन अस्त्रों को वापस लेने को कहा। अर्जुन ने अपना अस्त्र वापस ले लिया किन्तु अश्वथामा उसे वापस लेने की विधि नहीं जानता था। इसलिए उसने उसे पांडवों की नगरी द्वारका में ना छोड़कर वहां से कौसो मील दूर समुंद्र में छोड़ा किन्तु उसकी रेडियो एक्टिव तरंगों के कारण द्वारका में सभी गर्भवती स्त्रियों की कोख में ही उनकी संतानों की मृत्यु हो गयी जिसमे पांडवों का आखिरी वंशज अभिमन्यु का पुत्र परीक्षित भी था जिसे बाद में भगवान कृष्ण ने जीवित कर दिया था।

ब्रह्मास्त्र किसने चलाया था?

  • महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद ने अपने पिता की मृत्यु से आहत होकर ब्रह्मास्त्र को शनिदेव पर तान दिया था। तब अपने प्राणों की रक्षा के लिए शनिदेव ने प्रण लिया था कि वे 12 वर्ष से कम की आयु के किसी भी बच्चे को कभी भी परेशान नही करेंगे। इसी कारण उनके जीवन की रक्षा हो पाई थी।
  • रामायण काल में रावण पुत्र इंद्रजीत (मेघनाथ) ने इसे हनुमान पर तब चलाया था जब वे लंका दहन कर रहे थे किन्तु हनुमान जी को भगवान ब्रह्मा जी से वरदान मिला हुआ था, इस कारण उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।
  • जब भगवान राम व माँ सीता चित्रकूट में थे तब देव इंद्र के पुत्र जयंत ने कौवा बनकर माँ सीता को कई जगह काट लिया था। माँ सीता को रक्त आता देखकर प्रभु राम इतने क्रोधित हुए थे कि उन्होंने जयंत पर ब्रह्मास्त्र तान दिया। जयंत ने भगवान राम से अपने प्राणों की भिक्षा मांगी जिस कारण उनकी केवल दाई आँख फूटी थी।
  • जब भगवान राम अपनी वानर सेना के साथ समुंद्र पार करके लंका जाना चाहते थे लेकिन समुंद्र देव उन्हें कोई रास्ता नहीं दे रहे थे। इससे क्रोधित होकर प्रभु राम ने समुंद्र पर ब्रह्मास्त्र तान दिया था किन्तु समुंद्र देव वरुण के क्षमा मांगने पर वे शांत हुए थे और उन्होंने इसे राजस्थान के ध्रुमतुल्य नामक स्थान पर छोड़ दिया था जहाँ पर आज विशाल मरुस्थल है।
  • लक्ष्मण ने रावण पुत्र अतिकाय का वध करने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया था।
  • इंद्रजीत व लक्ष्मण के बीच हुए भीषण युद्ध में लक्ष्मण ने इंद्रजीत पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने का सोचा था, किंतु प्रभु राम ने उन्हें समझाया कि अभी इसका उपयोग उचित नही क्योंकि इससे पूरी लंका समाप्त हो जाएगी।
  • लक्ष्मण व मेघनाथ के बीच हुए अंतिम युद्ध में इसे मेघनाथ के द्वारा लक्ष्मण के ऊपर चलाया गया था। चूँकि लक्ष्मण स्वयं शेषनाग के अवतार थे, इसलिए यह उनको बिना नुकसान पहुंचाए वापस लौट गया था।
  • यह भगवान राम व राक्षस रावण के बीच हुए अंतिम युद्ध में प्रभु श्री राम द्वारा प्रयोग में लाया गया था जिससे रावण व उसकी सेना का नाश हुआ था।

इस तरह से ब्रह्मास्त्र को इतिहास में कई युद्ध में प्रयोग में लिया गया था किन्तु इसको चलाने के पीछे स्पष्ट संदेश यही था कि यह अंतिम विकल्प के रूप में प्रयोग में लिया जाए। वह भी तब जब अधर्म बहुत अधिक बढ़ गया हो और उसका नाश किया जाना आवश्यक हो। हालाँकि फिर भी कई बार यह गलत हाथों में चले जाने के कारण इसका अनुचित प्रयोग भी किया गया किन्तु ईश्वरीय शक्ति के कारण ज्यादा जनहानि नहीं हो पायी थी।

ब्रह्मास्त्र कैसे प्राप्त करें?

बहुत लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिरकार वे किस तरह से इस शक्तिशाली अस्त्र को प्राप्त कर सकते हैं। तो यहाँ हम आपको यह बात पहले ही बता दें कि आज के समय में ब्रह्मास्त्र कुछ और नहीं बल्कि परमाणु बम ही है जो कुल देशों में से चुनिंदा देशों के पास ही है। उस पर भी उन देशों की सरकार व सेना का नियंत्रण होता है।

वर्तमान में नज़र डालें तो इसे केवल कुटील अमेरिका के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान पर इस्तेमाल में लाया गया था जिसके दुष्परिणाम आज भी वहां के लोग देखते हैं। ऐसे में विश्व स्तर पर इसके इस्तेमाल को लेकर बहुत ही कठोर प्रतिबंध लगाए गए हैं। ब्रह्मास्त्र को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को वर्षों वर्ष तक ब्रह्मा जी की कठोर साधना करनी होती है और उसके बाद ही ब्रह्मा जी अपने विवेक के आधार पर ही इसे प्रदान करते हैं।

इस प्रकार ब्रह्मास्त्र (Brahmastra In Hindi) ब्रह्मा जी के द्वारा बनाया हुआ सबसे शक्तिशाली, विध्वंसकारी व अद्भुत अस्त्र था जो उस समय का एक परमाणु बम था। इसे हमारे इतिहास में सबसे बड़े अस्त्र के रूप में जाना जाता है व इसके सम्पूर्ण प्रयोग का कहीं भी उल्लेख नहीं है। जब भी इसका प्रयोग किया गया तब इसके केवल एक हिस्से को छोड़ा गया। सबसे बड़ा और शक्तिशाली ब्रह्मास्त्र तो स्वयं ब्रह्मा जी के पास उनके पांचवें मुख के रूप में है।

ब्रह्मास्त्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: क्या है ब्रह्मास्त्र का रहस्य?

उत्तर: ब्रह्मास्त्र भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा बनाया गया बहुत ही शक्तिशाली अस्त्र है जिसके अंदर संपूर्ण पृथ्वी का विनाश करने की शक्ति है यह एक तरह से आज के समय का परमाणु बम है

प्रश्न: ब्रह्मास्त्र की उत्पत्ति कैसे हुई?

उत्तर: ब्रह्मास्त्र की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा की गयी थी उन्होंने पृथ्वी के हरेक तत्व की शक्ति को समाहित करके इस शक्तिशाली अस्त्र का निर्माण किया था

प्रश्न: ब्रह्मास्त्र से क्या होता है?

उत्तर: ब्रह्मास्त्र बहुत ही विध्वंसकारी अस्त्र है इसका जिस भी क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है वहां कोई जीवित नहीं रहता है और सदियों तक वहां विनाश के निशान देखे जा सकते हैं

प्रश्न: ब्रह्मास्त्र कौन चलाना आता था?

उत्तर: ब्रह्मास्त्र कोई भी यूँ ही नहीं चला सकता था इसके लिए भगवान ब्रह्मा की कठिन तपस्या कर उनसे ब्रह्मास्त्र व उसे चलाने का मंत्र प्राप्त करना होता था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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