ब्रज में होली कैसे खेलते हैं? जाने बृज की होली के कार्यक्रम

ब्रज की होली (Braj Ki Holi)

ब्रज की होली (Braj Ki Holi): क्या आपके यहाँ होली को धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं? भारत के कई राज्यों में होली की बहुत धूम देखने को मिलती हैं तो कही यह त्यौहार सूना-सूना सा रह जाता हैं। किंतु जो ब्रज की होली होती हैं वह पूरे विश्व की सबसे बेस्ट होली कही जा सकती हैं।

आपको चाहे होली का त्यौहार पसंद हो या नही, या फिर रंगों से डर लगता हो या नही लेकिन जीवन में एक बार ब्रज की होली को देखने अवश्य जाए। वहां की होली को देखकर जो आनंद की अनुभूति होगी वह शायद ही आपको किसी और चीज़ में हो। आज हम आपको बृज की होली (Brij Ki Holi) के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

Braj Ki Holi | ब्रज की होली

देश के ज्यादातर भागों में केवल धुलंडी वाले दिन ही रंग उड़ाने और होली खेलने की परंपरा हैं। कुछ जगह पर इसे एक से ज्यादा दिन खेला जाता होगा लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रज भूमि में होली एक या दो दिन की नही बल्कि एक महीने से ज्यादा समय तक खेली जाती हैं।

यहाँ पर रंग-गुलाल उड़ने की शुरुआत माँ सरस्वती के पावन पर्व बसंत पंचमी से ही हो जाती हैं। उसके बाद हर दिन मथुरा-वृंदावन के किसी ना किसी मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं और गलियों-कूचों में रंग उड़ते रहते हैं। रंग उड़ने का यह सिलसिला लगभग चालीस दिनों तक चलता हैं और रंग पंचमी के बाद समाप्त हो जाता हैं।

होलाष्टक से जमता हैं होली का असली रंग

ब्रज की होली केवल भारतवर्ष में ही नही अपितु विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध हैं। इसे देखने लाखों की संख्या में श्रद्धालु व सैलानी मथुरा नगरी पहुँचते हैं। यहाँ लोगों के आने का सिलसिला होली से दस दिनों पहले से शुरू हो जाता हैं।

दरअसल बृज की होली (Brij Ki Holi) की आधिकारिक शुरुआत तो बसंत पंचमी से हो जाती हैं लेकिन असली होली का रंग जमना होलाष्टक के बाद से शुरू होता हैं। होलाष्टक होली से 8 दिन पहले लग जाता हैं। इसके बाद देश-विदेश से हजारों मंडलियाँ, नृतक, भजन गाने वाले इत्यादि वहां अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाने पहुँच जाते हैं। साथ ही इसके साक्षी बनने के लिए प्रतिदिन लाखों की संख्या में सैलानी भी आते हैं।

कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि बसंत पंचमी से होली की जो शुरुआत होती हैं वह होलाष्टक में अपने चरम पर पहुँच जाती हैं। इस समय आपको हर गली-कूचों, मंदिरों, घरों इत्यादि से रंग-गुलाल उड़ते हुए दिखेंगे। कब कहाँ से आपके ऊपर रंग आकर लग जाए, आपको पता भी नही चल पाएगा।

Brij Ki Holi | बृज की होली के कार्यक्रम

होलाष्टक लगते ही ब्रज की होली (Braj Ki Holi) कैलेंडर निकाल दिया जाता हैं। इसमें लिखा होता हैं कि ब्रज के किस क्षेत्र में किस दिन कौन सी होली खेली जाएगी ताकि भक्त अपनी सुविधानुसार वहां जा सके।

#1. बरसाने की लड्डू होली

क्या आपने आजतक लड्डुओं की होली खेली हैं? यदि नही तो आपको यह होली बरसाने के श्रीजी मंदिर में देखने को मिलेगी। श्रीजी राधारानी का एक भव्य मंदिर हैं। यहाँ पर भक्तों के ऊपर लड्डुओं की बरसात कर दी जाती हैं। एक-दूसरे के ऊपर लड्डू उछाले जाते हैं।

सभी भक्तों में उन लड्डुओं को पकड़ने की होड़ लगी रहती हैं। कोई इन्हें पकड़कर अपने झोली में डाल लेता हैं तो कोई इन्हें उसी समय भगवान का प्रसाद समझकर खा जाता हैं।

#2. बरसाने की लट्ठमार होली

बृज की होली (Brij Ki Holi) में बरसाने की लट्ठमार होली विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यह बरसाने की संकरी गलियों में खेली जाती हैं। दरअसल द्वापर युग में जब कान्हा नंदगांव में रहा करते थे तब वहां के कई पुरुष बरसाने की महिलाओं के साथ होली खेलने जाया करते थे। तब वहां की महिलाएं उन पर लट्ठ से वार करती थी और भगा देती थी। इन पुरुषों को हुरियारे कहा जाता था।

तब से बरसाने की लट्ठमार होली प्रसिद्ध हो गयी। इसमें नंदगांव से हुरियारे भाग लेते हैं तो बरसाने की महिलाएं। महिलाओं के हाथों में बांस के बड़े-बड़े लट्ठ होते हैं जिन्हें वे पुरुषों पर बरसाती हैं तो वही पुरुषों के पास इन लट्ठों के वार से बचने के लिए ढाल होती हैं जिससे वे अपना बचाव करते हैं।

#3. नंदगांव की लट्ठमार होली

जिस दिन बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती हैं उसी के अगले दिन नंदगांव में भी लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता हैं। अब इसमें नंदगांव की महिलाएं भाग लेती हैं तो बरसाने के पुरुष हुरियारे बनकर। अब नंदगांव की महिलाएं लट्ठ बरसाती हैं तो बरसाने के पुरुष उससे स्वयं को बचाते हुए नज़र आते हैं।

#4. गोकुल की छड़ीमार होली

ब्रज की होली (Braj Ki Holi) में में गोकुल की छड़ीमार होली का भी बहुत महत्व है। दरअसल बरसाना और नंदगांव में जो लट्ठमार होली खेली जाती थी, उस समय तक कान्हा थोड़े बड़े हो चुके थे। किंतु जब वे छोटे थे तो गोकुल में होली खेलने जाया करते थे। तब लट्ठों की मार से कान्हा को चोट लग सकती थी। इसलिये वहां की महिलाएं छड़ी से कान्हा को पीटा करती थी और भगाती थी। बस तभी से गोकुल की छड़ीमार होली भी बहुत प्रसिद्ध हैं।

#5. वृंदावन की फूलों की होली

वृंदावन में फूलों की होली भी बहुत प्रसिद्ध हैं। यह ज्यादातर सभी मंदिरों में बड़ी ही धूमधाम के साथ खेली जाती हैं। इसमें मंदिर के चारों और से भक्तों के ऊपर पुष्प वर्षा की जाती हैं। फूलों की होली तो आजकल देश के विभिन्न भागों में बड़े ही उत्साह के साथ खेली जाती हैं। जिन्हें रंगों से किसी तरह की एलर्जी या समस्या हैं तो वे फूलों से ही होली खेलना पसंद करते हैं।

#6. बांके बिहारी मंदिर की रंगभरनी एकादशी

इसके बाद आता हैं मुख्य रंगों के त्यौहार का आधिकारिक आयोजन। श्रीकृष्ण का सबसे मुख्य और प्रसिद्ध मंदिर हैं वृन्दावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर। रंगभरनी एकादशी के दिन यहाँ मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं जिसे देखने लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँच जाते हैं।

इस दिन रंगों का जो गुब्बार उठता हैं वह देखते ही आँखें चौंधियां जाती हैं। चारों ओर से विभिन्न रंगों के बादल ही बादल नज़र आते हैं। आप इस दिन कुछ भी करके स्वयं को रंगों से बचा ही नही सकते। आपका शरीर एक नही बल्कि कई रंगों से सराबोर हो जायेगा, कुछ ऐसी ही होली इस दिन खेली जाती हैं।

यह सब कार्यक्रम होली के मुख्य दिन से पहले ही आयोजित कर लिए जाते हैं। होलिका दहन वाले दिन तक ज्यादातर सभी सैलानी अपने परिवारवालों के साथ होली खेलने के लिए अपने-अपने घरों को निकल जाते हैं। होली वाले दिन वहां ज्यादातर स्थानीय लोग और कुछ कृष्ण भक्तगण ही बचते हैं। इस तरह से होली वाले दिन ब्रज की होली (Braj Ki Holi) ब्रजवासियों के द्वारा ही खेली जाती है।

ब्रज की होली से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: ब्रज की होली क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: ब्रज क्षेत्र वही है जहाँ श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था यहीं पर वे ब्रजवासियों के साथ होली खेला करते थे इस कारण आज भी यहाँ पर होली उसी उत्साह व उमंग के साथ खेली जाती  है

प्रश्न: ब्रज में होली कैसे खेलते हैं?

उत्तर: ब्रज में होली एक नहीं बल्कि कई तरह से खेली जाती है इसमें लड्डू होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली और छड़ीमार होली प्रमुख है रंग तो यहाँ बसंत पंचमी के बाद से होली तक उड़ते रहते हैं

प्रश्न: होली के अवसर पर ब्रज में क्या चलता है?

उत्तर: होली के अवसर पर ब्रज में होली का एक सप्ताह का लंबा कार्यक्रम चलता है इस दौरान तरह-तरह की होली खेली जाती है जिसे खेलने देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं

प्रश्न: ब्रज में रसिया कब मनाया जाता है?

उत्तर: ब्रज में होली के अवसर पर रसिया कार्यक्रम मनाया जाता है यह होली से लगभग 10 दिन पहले चालू हो जाता है जो एक सप्ताह तक चलता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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