क्या आप अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान (Bujurgo Ka Samman) करते हैं? क्या आप उन्हें वह आदर देते हैं जो उन्हें मिलना चाहिए? क्या आप अपने घर के बड़े बुजुर्गों की देखभाल (Bujurgo Ki Dekhbhal) अच्छे से करते हैं और उन्हें समय पर दवा-पानी देते हैं? आज की हमारी यह कहानी बुजुर्गों के सम्मान और भविष्य की सच्चाई पर लिखी गई है। इस कहानी को बहुत ही ध्यान से अंत तक पढ़िएगा, तभी आपको इसका मूल उद्देश्य समझ में आएगा।
बुजुर्गों का सम्मान – एक मार्मिक कहानी
मिश्रा जी अखबार पढ़ने की कोशिश कर रहे थे। केवल मोटे-मोटे अक्षर ही पढ़ पा रहे थे क्योंकि छोटे अक्षर तो धुंधले दिख रहे थे। दरअसल कुछ सप्ताह पहले नजर का चश्मा गलती से टूट गया था, बेटे को कई बार बोला था लेकिन वह हमेशा भूल गया का कहकर बात टाल देता था।
मिश्रा जी अखबार पढ़ ही रहे थे कि उनका बेटा रमेश ऑफिस से आया और आश्चर्य की बात थी कि वह अपने साथ बापूजी का चश्मा भी लेकर आया था। यह देखकर मिश्रा जी बहुत खुश हो गए। इतना ही नही आज इतने सालों बाद रमेश ने बापूजी से पूछा कि रात के खाने में क्या खाना पसंद करेंगे? यह प्रश्न सुन मिश्रा जी एकदम से सकपका गए क्योंकि पत्नी के जाने के बाद किसी ने पहली बार उनसे उनकी पसंद पूछी थी।
अचानक से हुए इस प्रश्न से सकपकाए मिश्रा जी ने बोल दिया कि बहु जो बना लेगी, वही खा लेंगे। लेकिन आज पता नही रमेश को क्या हो गया था कि जिद्द करने लगा कि बापूजी क्या खाएंगे, तो मिश्रा जी ने डरते हुए भिंडी की सब्जी बोल दी।
दूसरे कमरे से झांकती संगीता रमेश के इस व्यवहार को देखकर आश्चर्यचकित भी थी और गुस्से में भी। बापूजी से दस मिनट मीठी बाते करके जब रमेश अपने कमरे में गया तो संगीता ने प्रश्नों की बौछार कर दी। कहने लगी, तुम तो इस सप्ताह बापूजी को वृद्धाश्रम छोड़कर आने वाले थे तो अचानक से इतना प्यार कैसे उमड़ पड़ा? उनका चश्मा भी बनवा लिया और सब्जी भी उनकी पसंद की बनवाई जा रही हैं। आखिर हो क्या गया है तुम्हे? संगीता ने गुस्से में पूछा।
रमेश बात को टालने लगा लेकिन संगीता के गुस्से के आगे उसकी एक ना चली तो झुंझला कर बोला कि वो बस एक सिद्धि प्राप्त ज्योतिषी की वजह से। संगीता के मन में रहस्य गहरा गया और अब वह पूरी बात जाने बिना उसे छोड़ने वाली नही थी। रमेश पर जोर देने लगी कि उस ज्योतिष की वजह से कैसे? बताओ मुझे।
रमेश ने भी बता दिया कि मैं उनसे अपना भविष्य जानने गया था बस। इसके आगे वह कुछ नही बोला। आखिर संगीता आधी-अधूरी बात जाने बिना रमेश को कैसे छोड़ सकती थी। अब तो वह आग-बबूला हो गयी और रमेश को पूरी बात बताने को बोला।
रमेश भी जान चुका था कि अब बात बतानी ही पड़ेगी लेकिन बस एक पंक्ति में उसने अपनी बात कह दी और पूरी बहस उसी समय समाप्त हो गयी। रमेश ने संगीता को बताया कि ज्योतिषी ने मेरे भविष्य के बारे में बताया कि “तुम्हारा भविष्य बिल्कुल वैसा ही होगा जैसा तुम्हारे पिता जी का हैं।”
चर्चा समाप्त हो गयी, बापूजी को वृद्धाश्रम जाने का ख्याल त्याग दिया गया, हर दो दिन में उनकी पसंद की सब्जी बन जाती, बहु अब कड़वे शब्द बोलने से हिचकिचाती तो वही रमेश भी ऑफिस से आकर दस मिनट मिश्रा जी के साथ बैठने लगा था।
निष्कर्ष
बुजुर्गों का सम्मान (Bujurgo Ka Samman) करना या देना हमारा कर्तव्य होता है। यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि जो अभी युवा है, वह हमेशा युवा नहीं रहेंगे। एक दिन वे अपने बुजुर्गों की जगह लेंगे तो वही उनके बच्चे उनकी जगह। ऐसे में आपका बच्चा आपसे ही सब सीखता है। हमें शायद लगे कि हम अपने बच्चे को जैसा सिखाएँगे, वह वैसा ही करेगा लेकिन आपका आचरण कैसा है, आप दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह बाते बच्चे के मन में घर कर जाती है।
अब यदि आप अपने बुजुर्गों की देखभाल (Bujurgo Ki Dekhbhal) नहीं करते हैं या उनसे दूर रहते हैं या घर में रहकर उनका सम्मान नहीं करते हैं, तो ध्यान रखिए, आपका बच्चा हरेक चीज़ को ध्यान से देख रहा है। इसके माध्यम से वह यह सीखेगा कि बुजुर्गों के प्रति आपका यह व्यवहार साधारण है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाएगा, उसका वभाव भी ऐसा ही बनता चला जाएगा। इसलिए जैसा आपका आज का आचरण है, ठीक वैसा ही या उससे भी ज्यादा कटु आचरण आपको अपने बच्चों का देखने को मिलेगा।
बुजुर्गों के सम्मान से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: बुजुर्गों का सम्मान कैसे करें?
उत्तर: अपने घर के बुजुर्गों की पूरी देखभाल करना, उनके साथ अच्छा समय व्यतीत करना, उनके खाने-पीने का ध्यान रखना और समय-समय पर उनके स्वास्थ्य की जांच करवाते रहने को ही बुजुर्गों का सम्मान करना कहा जा सकता है।
प्रश्न: बड़ों का सम्मान कैसे करते हैं?
उत्तर: अपने से बड़ों का सम्मान करने के लिए उनकी चरण वंदना करना या पैरों को छूना, उनके सामने हाथ जोड़कर व सिर झुकाकर अभिवादन करना और उनके प्रति हमेशा आदरणीय शब्दों का उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न: परिवार में बुजुर्गों का क्या महत्व होता है?
उत्तर: एक परिवार में बुजुर्गों का बहुत ज्यादा महत्व होता है हमें उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। घर के बच्चों को भी अपने दादा-दादी का साथ मिलता है और वे अच्छे संस्कार ग्रहण करते हैं।
प्रश्न: बड़ों का सम्मान करना क्या है?
उत्तर: बड़ों का सम्मान करना संस्कार होता है। अब चाहे वह आपके घर के बड़े हो या अन्य कोई। जब भी आप किसी बड़े से बातचीत करे तो उनके लिए हमेशा सम्मानीय शब्दों का ही उपयोग करें। साथ ही उनका झुककर अभिवादन करना या चरण स्पर्श करना भी बड़ों का सम्मान करने में आता है।
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