Chandrashila Tungnath: तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक के बारे में संपूर्ण जानकारी

चंद्रशिला (Chandrashila)

उत्तराखंड राज्य में स्थित चंद्रशिला (Chandrashila) एक बहुत ही सुंदर जगह है जो सैलानियों और श्रद्धालुओं दोनों के बीच लोकप्रिय है। सैलानियों या फिर ट्रेकर के लिए तो यह जगह किसी अद्भुत ट्रेक से कम नहीं है। ऐसे में हर वर्ष लाखों की संख्या में ट्रेकर चंद्रशिला पहाड़ी का ट्रेक करने जाते हैं और वहां के अद्भुत दृश्य को देखकर अभिभूत हो जाते हैं।

वहीं चंद्रशिला तुंगनाथ (Chandrashila Tungnath) मंदिर के पास स्थित होने के कारण और इसका सीधा संबंध भगवान श्रीराम से होने के कारण यह श्रद्धालुओं के बीच भी आस्था का केंद्र है। जैसे-जैसे तुंगनाथ महादेव की प्रसिद्धि भक्तों के बीच बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ही चंद्रशिला के बारे में भी भक्त जान रहे हैं क्योंकि इसका ट्रेक तुंगनाथ के आगे से ही निकलता है। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ चंद्रशिला ट्रेक के बारे में हरेक जानकारी सांझा करने वाले हैं।

Chandrashila | चंद्रशिला तुंगनाथ ट्रेक की जानकारी

उत्तराखंड राज्य को यूँ ही देवभूमि की संज्ञा नही दी गयी है। यहाँ का लगभग हर स्थल, हर पहाड़ी, हर मंदिर का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व है। उसी में एक है चंद्रशिला मंदिर जो कि रुद्रप्रयाग में तुंगनाथ मंदिर से ऊपर चंद्रशिला की पहाड़ियों पर स्थित है। चंद्रशिला मंदिर का इतिहास देव चंद्रमा व भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ है।

यदि आप धार्मिक यात्रा के साथ-साथ रोमांच का भी अनुभव चाहते हैं तो आपको चंद्रशिला ट्रेक (Chandrashila Trek) पर होकर आना चाहिए। आज हम आपको Chandrashila Trekking की पूरी जानकारी एक-एक करके देने वाले हैं। यहाँ आप जान पाएंगे कि आप तुंगनाथ या फिर देवरिया ताल के माध्यम से चंद्रशिला का ट्रेक किस-किस तरह से कर सकते हैं। चलिए जानते हैं।

चंद्रशिला का इतिहास

चंद्रशिला पीक का ट्रेक करने के लिए देश-विदेश से हर वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी यहाँ आते हैं लेकिन यह ट्रेक केवल अपनी सुंदरता के लिए ही नही अपितु धार्मिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है। इसके शिखर पर चंद्रशिला मंदिर बना हुआ है जिसका संबंध चंद्र देव व भगवान श्रीराम से है। आइए एक-एक करके दोनों कथाओं के माध्यम से चंद्रशिला मंदिर का इतिहास (Chandrashila History In Hindi) जान लेते हैं।

  • चंद्रशिला का अर्थ

सतयुग में राजा दक्ष हुए थे जिनकी कई पुत्रियाँ थी जिनमें से एक पुत्री सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था और उनके आत्म-दाह के बाद 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था। दक्ष की 27 पुत्रियों का विवाह देव चंद्रमा से हुआ था लेकिन चंद्रमा का विशेष स्नेह राजा दक्ष की बड़ी पुत्री रोहिणी से ही था।

जब अन्य 26 पुत्रियों के द्वारा इसकी शिकायत राजा दक्ष से की गयी तो उन्होंने चंद्रमा को बहुत समझाया। जब वे नही समझे तो उन्हें क्षय रोग से पीड़ित रहने का श्राप मिला। उसके बाद इस रोग से मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा ने कुछ समय के लिए चंद्रशिला की इस पहाड़ी पर ही शिवजी का ध्यान किया था। उसके बाद से ही इस शिला का नाम चंद्रशिला पड़ गया। इसके साथ ही इसे मून रॉक (Moon Rock) भी कहा जाता है।

  • चंद्रशिला मंदिर की कहानी

यह तो हम सभी जानते हैं कि श्रीराम का जन्म इस धरती से पाप का अंत करने व राक्षस राजा रावण का वध करने के लिए हुआ था लेकिन रावण राक्षस होने के साथ-साथ ब्राह्मण पुत्र भी था। इसलिए रावण वध के कारण श्रीराम के ऊपर ब्रह्महत्या का पाप लगा था जिसके लिए श्रीराम ने कई तरह से पश्चाताप भी किया था।

उसी पश्चाताप के फलस्वरूप श्रीराम ने Chandrashila की इस पहाड़ी पर भी कुछ समय तक रहकर ध्यान किया था और भगवान शिव से क्षमा याचना की थी। श्रीराम के द्वारा इस पहाड़ी पर ध्यान लगाने के कारण चंद्रशिला पहाड़ी की महत्ता भक्तों के बीच और अधिक बढ़ गयी।

चंद्रशिला पहाड़ी कहां है?

यह उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता गाँव के पास है। चोपता गाँव से 3 से 4 किलोमीटर का ट्रेक करके तुंगनाथ मंदिर पंहुचा जाता है जो कि पंच केदार में से एक केदार है। तुंगनाथ मंदिर से ऊपर 1 से 1.5 किलोमीटर का ट्रेक और करके चंद्रशिला शिखर तक पंहुचा जा सकता है।

चंद्रशिला शिखर की समुंद्र तल से ऊंचाई लगभग 4,000 मीटर (13,123 फीट) है। यह शिला जिस पर्वत पर स्थित है उसे तुंगनाथ की पहाड़ियां ही कहा जाता है। एक तरह से चंद्रशिला तुंगनाथ (Chandrashila Tungnath) की पहाड़ियों का उच्चतम बिंदु है जहाँ से हिमालय की चोटियों के अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं। इन चोटियों में हिमालय की नंदादेवी, त्रिशूल, केदार, चौखम्भा व बंदरपूँछ आती है।

चंद्रशिला ट्रेक (Chandrashila Trek)

चंद्रशिला मंदिर तक पहुँचने के लिए चंद्रशिला पहाड़ी का ट्रेक जितना सुंदर व रोमांचक है उतना ही कठिन भी। तुंगनाथ मंदिर के बाद से इसकी चढ़ाई लगभग सीधी है जिसे करना किसी आम व्यक्ति के लिए बहुत ही मुश्किल है। यहाँ जाने के लिए ट्रैकिंग कंपनियां देवरिया चंद्रशिला ट्रेक के रास्ते का इस्तेमाल करती हैं।

कहने का तात्पर्य यह हुआ कि चंद्रशिला के शिखर तक पहुँचने के लिए दो रास्ते हैं। इसमें से एक रास्ता चोपता गाँव से होकर तुंगनाथ और फिर चंद्रशिला मंदिर तक का है तो वहीं दूसरा रास्ता देवरिया ताल से होकर चंद्रशिला तक जाता है। आइए चंद्रशिला ट्रेक के दोनों रास्तों के बारे में जान लेते हैं।

तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक (Tungnath Chandrashila Trek)

Chandrashila Trek
Tungnath Chandrashila Trek
ऋषिकेश-रुद्रप्रयाग-उखीमठ-चोपता-तुंगनाथ-चंद्रशिला

यह Chandrashila तक पहुँचने के लिए छोटा, सस्ता लेकिन कठिन ट्रेक है। आप चाहे जहाँ से भी आ रहे हैं और जैसे भी आ रहे हैं, मुख्यतया आप उतराखंड के ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून ही पहुंचेंगे। वहां से आप आसानी से स्थानीय बस सेवा या टैक्सी की सहायता से रुद्रप्रयाग होते हुए उखीमठ पहुँच सकते हैं। वैसे ऋषिकेश से उखीमठ की दूरी बाकि जगहों से सबसे कम है।

उखीमठ से आपको चोपता गाँव तक पहुंचना होगा। इससे आगे की यात्रा आपको बिना किसी साधन के करनी होगी क्योंकि यहीं से चंद्रशिला मंदिर का ट्रेक शुरू हो जाएगा जो कि लगभग 5 किलोमीटर का है। आइये इसके बारे में जाने।

  • सबसे पहले आप चोपता से तुंगनाथ मंदिर पहुंचेंगे जो कि वहां से 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • चोपता से तुंगनाथ का ट्रेक बहुत ही आसान है क्योंकि इसे पत्थरों व चट्टानों को काटकर बहुत आसान बनाया गया है।
  • इसे पूरा करने में आपको ज्यादा से ज्यादा 3 घंटे का समय लगेगा।
  • इसके बाद आता है Chandrashila Trekking का सबसे कठिन समय क्योंकि आगे की चढ़ाई लगभग सीधी चढ़ाई है।
  • तुंगनाथ मंदिर से चंद्रशिला मंदिर की दूरी लगभग 1 से 1.5 किलोमीटर की है जिसके लिए आपको सीधी चढ़ाई चढ़नी होगी।
  • इसलिए इसे बिना अनुभव के ना करें और सभी चीज़ों का पूरा ध्यान रखें।
  • इसे पूरा करने में 1 से 2 घंटे का समय लगेगा।
  • इस दौरान आप पूरी तरह से थक जाएंगे लेकिन जब आप चंद्रशिला शिखर पर पहुंचेगे तो सारी थकान वहां का नजारा देखते ही एक पल में दूर हो जाएगी।

यह ट्रेक छोटा तो है लेकिन यह सर्दियों के महीने में बंद हो जाता है। इसका कारण उखीमठ से चोपता तक सड़क मार्ग वाले रास्ते पर पड़ने वाली भारी बर्फबारी होती है। आप उखीमठ से चोपता पहुचते हैं जहाँ से चंद्रशिला व तुंगनाथ मंदिर बस 5 किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन दिसंबर से लेकर फरवरी माह के बीच में इस रास्ते में भारी बर्फबारी के कारण चोपता गाँव तक ही नहीं पंहुचा जा सकता है जिस कारण ट्रेक करने का प्रश्न ही नही उठता। इसलिए उस समय लोग चंद्रशिला देवरियाताल ट्रेक (Chandrashila Deoriatal Trek) करते हैं।

यह ट्रेक बस एक दिन में ही पूरा हो जाता है और आप एक दिन से ज्यादा यहाँ रुक भी नही सकते हैं क्योंकि ऊपर रुकने की कोई व्यवस्था नही है, ना ही तुंगनाथ मंदिर के आसपास और ना ही चंद्रशिला शिखर पर। यह पूरी तरह से चढ़ाई की जगह है और समतल भूमि ना के बराबर है। इसलिए आपको एक दिन में ही यह ट्रेक पूरा करके नीचे चोपता गाँव तक पहुंचना होता है। वैसे भी यह ट्रेक एक दिन में आसानी से पूरा किया जा सकता है।

चंद्रशिला देवरियाताल ट्रेक (Chandrashila Deoriatal Trek)

Deoria Tal In Hindi
Deoria Tal In Hindi
ऋषिकेश-रुद्रप्रयाग-उखीमठ-सरी गाँव-देवरियाताल-रोहिणी बुग्याल-स्यालमी-बनियाकुंड-तुंगनाथ-चंद्रशिला

यह ट्रेक तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक की अपेक्षा बड़ा, जंगलों से घिरा हुआ, महंगा व वर्षभर खुला रहने वाला ट्रेक है। इसका इस्तेमाल मुख्यतया ट्रैकिंग व ट्रेवल कंपनियों द्वारा किया जाता है। इस ट्रेक की कुल लंबाई 25 से 30 किलोमीटर के आसपास है जिसे पूरा करने में 4 से 6 दिन का समय लगता है।

आप जिस ट्रैकिंग कंपनी के द्वारा यह ट्रेक कर रहे हैं, उस पर दिनों की संख्या व बाकी चीजें निर्भर करती है। इसके साथ ही आप अपना खुद का कैंप व खाना लेकर भी इस ट्रेक पर जा सकते हैं। हालाँकि इसके लिए लोग चोपता वाला ट्रेक ही इस्तेमाल करते हैं जिसके बारे में हमने आपको ऊपर बताया है। आइये अब देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक के बारे में जान लेते हैं।

  • जब आप उखीमठ से चोपता गाँव जा रहे होते हैं, तब बीच में ही सरी नामक एक गाँव पड़ता है। यहीं से यह ट्रेक शुरू होता है।
  • सर्दियों में जब सरी गाँव से चोपता गाँव जाने का रास्ता भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाता है, तब लोग यहाँ से ट्रेक करना पसंद करते हैं।
  • इसके लिए कई ट्रेवल कंपनियों के द्वारा बुकिंग की जाती है। इसमें आपको तुंगनाथ मंदिर के भी दर्शन होते हैं लेकिन आधा मंदिर बर्फ से ढका हुआ होता है।
  • सबसे पहले तो आपको सरी गाँव उतर कर वहां से देवरिया ताल का ट्रेक करना होता है जो बस 3 किलोमीटर का ही है।
  • इसे पूरा करने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है। देवरिया ताल एक सुंदर झील है जहाँ का पानी एकदम साफ है।
  • आप इस झील में आसपास की पहाड़ियों के प्रतिबिंब साफ देख सकते हैं।
  • साथ ही यह ताल जंगलों से घिरा हुआ है जहाँ आपको कई तरह के रंग-बिरंगे फूल व पक्षी देखने को मिलेंगे।
  • फिर अगले दो दिन देवरिया ताल से रोहिणी बुग्याल व स्यालमी से होते हुए बनिया कुंड तक पंहुचा जाता है जिसकी दूरी 15 से 16 किलोमीटर के पास है।
  • यहाँ अलग-अलग जगहों पर आपके रुकने के लिए कैम्पस इत्यादि की व्यवस्था ट्रेवल कंपनियों के द्वारा की जाती है।
  • यह ट्रेक बांस व बुरांश के जंगलों से घिरा हुआ है जिसका रास्ता बहुत ही रोमांचक है।
  • अगले दिन बनिया कुंड से तुंगनाथ मंदिर होते हुए चंद्रशिला के शिखर तक पंहुचा जाता है।
  • यहाँ ध्यान रखें कि चाहे आप चोपता से चंद्रशिला जाएं या देवरिया ताल से, बीच में तुंगनाथ मंदिर आता ही है
  • एक तरह से तुंगनाथ मंदिर तक पहुँचने के अवश्य ही दो रास्ते हैं लेकिन तुंगनाथ से चंद्रशिला तक जाने का एक ही रास्ता है
  • इस कारण इस ट्रेक को सामान्य तौर पर तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक (Tungnath Chandrashila Trek) भी कह दिया जाता है।
  • लोग देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रेक करना इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि यहाँ ज्यादा सुंदरता व रोमांच देखने को मिलता है।
  • बनिया कुंड से तुंगनाथ मंदिर व चंद्रशिला का ट्रेक लगभग 7 से 10 किलोमीटर का है।
  • इस दिन आपको बनिया कुंड से चंद्रशिला पहुँच कर फिर उसी दिन वापस बनिया कुंड तक पहुंचना होता है क्योंकि बनिया कुंड से आगे रुकने की कोई व्यवस्था नही होती है।
  • कुछ कंपनियां उसी दिन सभी को वापस सरी गाँव ले आती है क्योंकि उतरना ज्यादा आसान होता है।

जब दिसंबर से फरवरी के महीनो में चोपता तुंगनाथ का ट्रेक बंद हो जाता है तब लोग बर्फ का मजा लेने इस ट्रेक से चंद्रशिला तक जाते हैं। हालाँकि इस दौरान वहां 10-10 फीट की बर्फ जम जाती है, इसलिए अपना पूरा ध्यान रखें। साथ ही इस ट्रेक के बीच में तुंगनाथ मंदिर तो आता है लेकिन वह इस दौरान बंद होता है क्योंकि भारी बर्फबारी के कारण लगभग आधे से ज्यादा मंदिर बर्फ से ढक जाता है। इस दौरान वहां की मुख्य मूर्ति को पास के गाँव मक्कूमठ में स्थापित कर दिया जाता है।

चंद्रशिला शिखर के आसपास का दृश्य

जब आप थके हारे, इतनी चढ़ाई करके चंद्रशिला के शिखर पर पहुंचेंगे तो कुछ ही पल में आपकी सारी थकान दूर हो जाएगी। तुंगनाथ मंदिर तो पहाड़ी के बीच में है जहाँ से केवल एक ओर का ही नजारा देखने को मिलता है लेकिन चंद्रशिला पहाड़ी की चोटी पर है जहाँ से आपको चारों ओर से अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।

सबसे मुख्य बात जो इस ट्रेक को करने के लिए प्रेरित करती है वह है यहाँ से होने वाले हिमालय की चोटियों के दर्शन। Chandrashila के शिखर से आप हिमालय के पहाड़ों का अद्भुत नजारा देख सकते हैं जो आपकी आँखों को एक अलग ही सुकून देंगे। साथ ही यहाँ बहती ठंडी-ठंडी हवा और उसकी सरसराहट मन को शांति प्रदान करेगी। हालाँकि समतल भूमि ना होने और ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण यहाँ ज्यादा देर तक रुका नही जा सकता है।

चंद्रशिला पहाड़ी कैसे पहुंचें?

वैसे तो आप लगभग जान ही चुके हैं कि Chandrashila Tungnath तक कैसे पहुंचा जाए लेकिन यहाँ हम आपको चंद्रशिला के सबसे नजदीकी हवाईअड्डा व रेलवे स्टेशन के बारे मे बताएँगे।

  • हवाई जहाज

चंद्रशिला के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। यहाँ से आप स्थानीय बस या टैक्सी की सहायता से चोपता या सरी गाँव पहुँच सकते हैं।

  • रेलगाड़ी

यदि आप रेलमार्ग से आ रहे हैं तो चंद्रशिला के पास का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश का है। यहाँ से आपको कई बस व टैक्सी उखीमठ जाने के लिए मिल जाएँगी। वहां से आगे के लिए भी आपको बस या टैक्सी मिल जाएँगी।

  • सड़क मार्ग

यदि आप अपने निजी वाहन से चंद्रशिला जा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि गूगल मैप का इस्तेमाल ना करें क्योंकि यह आपको उखीमठ के पास में किसी दूसरे चोपता गाँव में पहुंचा देगा। साथ ही सर्दियों में आप केवल सरी गाँव तक ही यहाँ जा सकते हैं।

इस तरह से आप चाहे कहीं से भी और किसी भी मार्ग से आ रहे हो, अंत में आपको बस या टैक्सी के माध्यम से ही चोपता या सरी गाँव पहुंचना होगा। वहीं से Chandrashila Trek शुरू होता है।

चंद्रशिला में कहां रुकें?

चंद्रशिला या तुंगनाथ में रुकने की कोई व्यवस्था नही है। इसलिए आपको एक दिन में ही ट्रेक पूरा करके वापास चोपता या बनियाकुंड या सरी गाँव आना पड़ेगा। बनियाकुंड में आपको अपना कैंप लगाना पड़ेगा या पूरा ट्रेक किसी ट्रैकिंग कंपनी के द्वारा बुक करवाना पड़ेगा।

चोपता, सरी गाँव में रुकने के लिए कई होटल, लॉज, कैम्पस इत्यादि मिल जाएंगे। साथ ही आप वापस उखीमठ भी जा सकते हैं जहाँ आपको सरकारी विश्रामगृह, बड़े-बड़े होटल व हॉस्टल की सुविधा आसानी से मिल जाएगी।

Chandrashila Tungnath | चंद्रशिला तुंगनाथ सर्दियों में

Tungnath Mahadev Mandir
Tungnath Mahadev Mandir

सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण चोपता से चंद्रशिला का ट्रेक तो बंद हो जाता है। साथ ही तुंगनाथ मंदिर भी उस समय बंद रहता है लेकिन देवरिया ताल से चंद्रशिला का ट्रेक हर समय खुला रहता है। हालाँकि इस समय यहाँ का तापमान -10 डिग्री के आसपास पहुँच जाता है और 10-10 फीट बर्फ जम जाती है।

आप मार्च के महीने में चोपता से Chandrashila का ट्रेक कर सकते हैं और बर्फ का आनंद उठा सकते हैं। हालाँकि दिवाली के बाद से लेकर फरवरी माह तक इस रास्ते से नही जा सकते हैं। वहीं तुंगनाथ मंदिर नवंबर से लेकर अप्रैल-मई के महीने तक लगभग 6 महीने के लिए बंद रहता है। उत्तराखंड राज्य की चार धाम संस्था के द्वारा मंदिर खुलने व बंद होने की तिथियाँ घोषित की जाती है।

चंद्रशिला के आसपास घूमने वाली जगह

यदि आप Chandrashila Trekking करने आ ही रहे हैं तो आपको आसपास कई और जगह भी घूमने को मिलेंगी। ऐसे में आप मुख्य तौर पर इन जगहों पर भी कुछ दिन घूम सकते हैं और अपनी यात्रा को आनंदमय बना सकते हैं।

  • देवरिया ताल झील
  • तुंगनाथ महादेव मंदिर
  • चोपता गांव
  • कस्तूरी मृग अभयारण्य
  • उखीमठ इत्यादि।

इसी के साथ ही बहुत से सैलानी ऋषिकेश भी घूमने का प्लान बना लेते हैं। ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग की जाती है और इसके लिए एक से लेकर दो दिन का समय पर्याप्त होता है। तो आप ट्रेक जाते समय या वहां से वापस लौटते समय ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग का आनंद उठा सकते हैं।

चंद्रशिला ट्रेक के लिए टिप्स

Tungnath Chandrashila Trek करने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की जरुरत है। ऐसे में हम आपको कुछ टिप्स देने जा रहे हैं जो आपकी चंद्रशिला की यात्रा को सुगम और आनंदमय बना देगी।

  • यहाँ वर्षभर ठंडा मौसम रहता है, इसलिए गर्म कपड़े हमेशा साथ लेकर चलें।
  • ट्रैकिंग करने के लिए ट्रैकिंग वाले जूते व एक छड़ी भी साथ में रखेंगे तो पहाड़ों पर चढ़ने में आसानी होगी।
  • होटल इत्यादि की बुकिंग पहले ही करवा कर रखें।
  • बारिश के मौसम में यहाँ आने से बचें।
  • यहाँ पर मोबाइल सिग्नल भी बहुत कम ही मिलते हैं।
  • दिवाली के बाद से लेकर मार्च के महीने तक तुंगनाथ मंदिर बंद मिलेगा।
  • तुंगनाथ से चंद्रशिला की चढ़ाई सीधी व बहुत कठिन है।
  • इसलिए पहली बार जा रहे हैं तो एक गाइड हमेशा साथ में रखें।

तो इस तरह से आज आपने चंद्रशिला (Chandrashila) और वहां का ट्रेक करने के बारे में समूची जानकारी ले ली है। अब यदि आपका मन भी चंद्रशिला तुंगनाथ जाने का हो रहा है तो फिर देर किस बात की। आप आज ही उसके बारे में अपने परिवारवालों या मित्रों से पूछें और जल्द ही यहाँ की यात्रा पर निकल जाएं।

चंद्रशिला तुंगनाथ से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: चंद्रशिला क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: चंद्रशिला पहाड़ी का संबंध भगवान श्रीराम से होने के कारण यह धार्मिक आस्था का केंद्र है साथ ही यहाँ की सुंदरता का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है

प्रश्न: दिल्ली से चंद्रशिला कैसे जाएं?

उत्तर: दिल्ली से चंद्रशिला जाने के लिए आप ऋषिकेश की ट्रेन पकड़ सकते हैं वहां से चोपता की बस या टैक्सी ले चोपता से चंद्रशिला का ट्रेक शुरू होता है

प्रश्न: चंद्रशिला ट्रेक कहां से शुरू करें?

उत्तर: जब तुंगनाथ मंदिर खुला होता है अर्थात गर्मियों के महीने में चंद्रशिला ट्रेक चोपता गाँव से शुरू किया जा सकता है तो वहीं सर्दियों में देवरिया ताल झील से

प्रश्न: चंद्रशिला ट्रेक के लिए कितने दिन चाहिए?

उत्तर: चंद्रशिला ट्रेक के लिए सामान्य तौर पर 3 से 7 दिन का समय लगता है चोपता गाँव से 3 दिन तो वहीं देवरिया ताल से 6 से 7 दिन का समय लगता है

प्रश्न: मैं तुंगनाथ और चंद्रशिला कैसे जा सकता हूं?

उत्तर: यदि आपको तुंगनाथ और चंद्रशिला जाना है तो उसके लिए आपको पहले ऋषिकेश पहुंचना होगा वहां से बस या टैक्सी के माध्यम से चोपता गाँव जाना होगा। यहीं से तुंगनाथ और चंद्रशिला का ट्रेक शुरू होता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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