छठ पूजा क्या है और क्यों मनाया जाता है? पढ़ें छठ पूजा पर निबंध

Chhath Puja In Hindi

छठ पूजा (Chhath Puja In Hindi) का त्यौहार हर वर्ष दो बार आयोजित किया जाता हैं जो मुख्यतया उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। उत्तर भारत में भी यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश व बिहार राज्य में प्रसिद्ध है। यह पर्व चार दिनों का पर्व होता हैं जिसमे मुख्य रूप से सूर्य देव व छठी माता की आराधना की जाती है।

छठ पूजा में हर दिन का अपना अलग महत्व होता है तथा इसमें व्रती को विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता हैं। आज हम आपको छठ पूजा पर निबंध (Chhath Puja Par Nibandh) लिख कर देंगे। इस निबंध में छठ पूजा व्रत की संपूर्ण विधि, उसका महत्व, सावधानियां व अन्य मुख्य बातो के बारे में बताया जाएगा।

Chhath Puja In Hindi | छठ पूजा क्या होती है?

छठ पूजा का त्यौहार मुख्य तौर पर बिहार व उत्तर प्रदेश के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। हालाँकि धीरे-धीरे छठ पूजा के व्रत की प्रसिद्धि बढती जा रही है और इसे भारत के अन्य राज्यों के लोगों के द्वारा भी मनाया जाने लगा है। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि वर्ष में दो बार छठ पूजा का त्यौहार मनाया जाता हैं जिसे चैती छठ व कार्तिक छठ कहा जाता हैं।

छठ एक दिन का पर्व ना होकर 4 दिनों का महापर्व होता है। इसमें हरेक दिन का अपना अलग महत्व व नाम होता है। जो लोग छठ का व्रत रख रहे होते हैं, उन्हें कठिन नियमों का पालन करना होता है। आइए दोनों तरह की छठ के बारे में जानकारी ले लेते हैं

  • चैती छठ पूजा

चैती छठ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक आयोजित की जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार चैती छठ मार्च से अप्रैल महीनो के बीच में पड़ता है। एक तरह से यह होली के बाद मनाया जाने वाला मुख्य पर्व होता है।

  • कार्तिक छठ पूजा

दूसरी होती है कार्तिक छठ जिसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक आयोजित किया जाता हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच में पड़ती है। यह छठ मुख्य छठ के नाम से जानी जाती है जो दीपावली के बाद आती है।

छठ पूजा पर निबंध (Chhath Puja Par Nibandh) के तहत अब हम आगे पढ़ेंगे छठ पूजा कैसे की जाती है अर्थात इसे करने की विधि क्या है। चलिए शुरू करते हैं।

छठ पूजा व्रत विधि

छठ पूजा का त्यौहार चार दिनों तक आयोजित किया जाता हैं जिसमे हर दिन का अपना विशेष महत्व हैं। आइए हर दिन के बारे में विस्तार से जानते हैं।

#1. नहाय खाय

यह छठ का प्रथम दिन है जो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आता है। इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए व उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करके भोजन ग्रहण करना चाहिए। स्नान करने के पश्चात भोजन ग्रहण करने के लिए कद्दू, लौकी की सब्जी, चने की दाल, चावल को मुख्य रूप से बनाए।

इस बात का ध्यान रखे कि भोजन सात्विक प्रवृत्ति का हो व उसमे किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन ना हो अर्थात मांस, प्याज, लहसुन इत्यादि चीज़े वर्जित है। इसलिये इस दिन सात्विक भोजन को ग्रहण करे। व्रती के भोजन ग्रहण करने के पश्चात ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन को ग्रहण करे।

#2. खरना या लोखंडा

यह नहाय खाय के अगले दिन अर्थात शुक्ल पक्ष की पंचमी को आता है। इस दिन व्रती को सुबह से ही अन्न तो क्या जल की भी एक बूँद ग्रहण नही करनी होती है। फिर शाम के समय सूर्यास्त होने के पश्चात व्रती एक समय का भोजन ग्रहण कर सकता है जिसे खरना या लोहंडा कहा जाता है। इस खरने में गुड़ के मीठे चावल या खीर व घी लगी रोटी बनायी जाती है।

व्रती को इसी भोजन को ग्रहण करना होता है। व्रती के भोजन ग्रहण करने के पश्चात इसे सभी घरवालो व पड़ोस वालो में प्रसाद रूप में वितरित कर दिया जाता है। इस बात का ध्यान रखे कि व्रत के भोजन में ना चीनी का इस्तेमाल किया जाता है व ना ही नमक का। इसके बाद शुरू होता है 36 घंटे का कठोर व्रत।

#3. संध्या अर्घ्य

यह शुक्ल पक्ष की षष्ठी को आता हैं जो छठ का मुख्य दिन होता हैं। इस दिन व्रती को सुबह से ही कुछ भी खाना-पीना नही होता हैं तथा शाम की सूर्य पूजा के लिए तैयारियां करनी होती हैं। पूजा के सामान के लिए उसे निम्न चीजों की आवश्यकता होती हैं:

  • चावल
  • नारियल
  • दूध
  • दीपक/दीया
  • लाल सिंदूर
  • नींबू
  • शहद
  • कपूर
  • चंदन
  • पांच प्रकार के फल
  • पान
  • लौंग
  • इलाइची
  • हल्दी
  • अदरक
  • सब्जी
  • ठेकुआ
  • खीर-पूड़ी इत्यादि।

ठेकुआ छठ पूजा (Chhath Puja In Hindi) में मुख्य रूप से स्थान रखता हैं। संध्या के समय इन सभी सामान को बांस की टोकरी में बांधकर घाट पर जाए व डूबते सूर्य को अर्घ्य दे। उसके बाद छठ के गीत गाये और सूर्य देव की उपासना करे।

#4. उषा अर्घ्य

यह छठ का अंतिम दिन होता हैं जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को आता है। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है इसलिये इसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती को वही प्रक्रिया दोहरानी होती हैं जो उसने पिछले दिन अर्थात संध्या अर्घ्य के समय की थी।

सभी व्रती अपने परिवार वालो के साथ पुनः घाट पर जाते है व उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर उन्हें अपना धन्यवाद प्रकट करते हैं। इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रती अपना व्रत तोड़ते है। ध्यान रखे व्रती दो रात व एक दिन के पश्चात कुछ ग्रहण करता है। इसके बाद छठ पूजा का भलीभांति समापन हो जाता है।

छठ पूजा का अर्थ

चूँकि यह त्यौहार तो चार दिनों का हैं लेकिन इसमें तीसरे दिन का पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता हैं जो कि शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है। इसलिये इसका नाम छठ पड़ा। इसके साथ ही इस दिन छठी माता की पूजा की जाती हैं जिन्हें सूर्य देव की ही एक बहन माना गया है। छठ पूजा पर निबंध (Chhath Puja Par Nibandh) के तहत आइए अब जानते हैं छठ पूजा में व्रत करने के नियम।

छठ पूजा के नियम

कुछ बातों को छठ पूजा में विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं, जैसे कि:

  • इस दौरान अपने आसपास साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखे।
  • पूर्ण रूप से सात्विक भोजन को ही ग्रहण करे, तामसिक भोजन का त्याग करे।
  • व्रती के भोजन ग्रहण करने के पश्चात ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करे।
  • व्रती बेड इत्यादि पर ना सोकर भूमि पर सोए।
  • व्रती अपने शरीर के साथ-साथ मन को भी शुद्ध रखे व किसी प्रकार के बुरे विचार मन में ना आने दे।

अन्य सावधानियां जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे।

छठ व्रत का पुत्र प्राप्ति से संबंध

एक समय में राजा प्रियव्रत व उसकी पत्नी मालिनी रहते थे। उन दोनों की कोई संतान नही थी जिस कारण दोनों परेशान थे। ऋषि कश्यप के द्वारा करवाए गए पुत्र कामेष्टि यज्ञ से भी उन्हें जो पुत्र प्राप्त हुआ वह मरा हुआ निकला। अंत में उन्हें छठी माता ने दर्शन दिए और छठ पूजा का व्रत (Chhath Puja In Hindi) करने को कहा।

माता के कहेनुसार दोनों ने छठ पूजा का व्रत किया जिसके फलस्वरूप दोनों को एक सुंदर पुत्र प्राप्त हुआ। इसके बाद इस पर्व का संबंध पुत्र प्राप्ति से भी जुड़ गया। इस कथा के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।

छठ पूजा से जुड़ी अन्य कथाएं

  • त्रेता युग में भगवान श्रीराम जब अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या लौटे थे तब राज्याभिषेक से पहले उन्होंने अपनी पत्नी सीता सहित भगवान सूर्य देव की उपासना की थी और छठ का व्रत रखा था। इसके बाद ही उन्होंने राजसिंहासन का पद स्वीकार किया था। विस्तार से पढ़ें…
  • महाभारत काल में भी सूर्य देव की महत्ता को विस्तार से बताया हुआ है। छठ पूजा का कुंती, द्रौपदी व राजा कर्ण से भी संबंध रहा हैं। स्वयं श्रीकृष्ण ने पांडवो की समस्या को दूर करने के लिए द्रौपदी को छठ का व्रत रखने को कहा था। विस्तार से पढ़ें…

छठ पूजा का महत्व

  • छठ हमें अपने आसपास साफ-सफाई रखने का संदेश देती है।
  • यह केवल बाहरी शुद्धि ही नही अपितु मनुष्य को आंतरिक शुद्धि रखने की भी प्रेरणा देती है।
  • छठ पूजा हमे अपने जीवन में सात्विक आहार अपनाने की प्रेरणा देती है।
  • छठ पूजा हमे सूर्य देव की महत्ता को बताती है। इस पृथ्वी को जो भी मूलभूत सुविधाएँ मिलती हैं वह सभी सूर्य देव से ही मिलती हैं अर्थात अग्नि, धूप, प्रकाश, विभिन्न तरंगे इत्यादि।
  • छठ पूजा हमे जल की महत्ता भी बतलाती हैं। इस दिन व्रती को गंगा या उसकी सहायक नदियों में खड़े होकर सूर्य देव को जल अर्पित करना होता है। विस्तार से पढ़ें…

घर के पास नदी-तालाब नही है तो क्या करे

जिनके घरो के आसपास कोई नदी या तालाब नही हैं या जो वहां तक जा पाने में असमर्थ हैं वे अपने घर में ही पूरे विधि-विधान के साथ इसका आयोजन कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने घर के बाहर या आसपास मिट्टी में एक गड्डा खोदे। यह गड्डा इतना गहरा हो कि इसमें व्रती का आधा शरीर आसानी से आ जाए।

गड्डा खोदते समय इस बात का ध्यान रखे कि वहां से उगता हुआ व डूबता हुआ सूर्य आसानी से दिख जाए। गड्डे को खोदने के बाद इसके आसपास साफ-सफाई कर दे व इसे चारो ओर रंगोली, दीयो से सजा दे। अब इसमें स्वच्छ जल भर दे। व्रती इस गड्डे में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ पूजा व्रत (Chhath Puja In Hindi) कर सकते है। इसमें भी आपको वही विधि का पालन करना हैं जो नदी में खड़े होकर करना होता है। अन्य तरीके जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।

छठ पूजा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: छठ पूजा क्या है और क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: छठ पूजा में सूर्य देव और छठी माता की पूजा की जाती है इसके माध्यम से महिलाएं अपनी संतान के स्वस्थ रहने और पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करती है

प्रश्न: छठ माता कौन है?

उत्तर: छठ माता को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री के नाम से जाना जाता है साथ ही उन्हें सूर्य देव की बहन भी माना जाता है छठी माता का व्रत रखने से महिलाओं को संतान प्राप्ति होती है

प्रश्न: छठ पूजा की असली कहानी क्या है?

उत्तर: छठ पूजा की असली कहानी राजा प्रियव्रत व उसकी पत्नी मालिनी से जुड़ी हुई है उन्होंने छठी माता का व्रत रखा था जिस कारण उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई थी

प्रश्न: छठ देवी कौन है?

उत्तर: छठ देवी को प्रकृति का ही स्वरुप माना जाता है उन्हें सूर्य देव की बहन और भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना जाता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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