चिंतपूर्णी माता की आरती – हिंदी में अर्थ, महत्व व लाभ सहित

चिंतपूर्णी आरती (Chintpurni Aarti)

आज हम आपके साथ चिंतपूर्णी आरती (Chintpurni Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित माँ चिंतपूर्णी माता का मंदिर बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है जो मातारानी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। चिंतपूर्णी माता मंदिर में माँ सती के चरण गिरे थे और तभी से ही इसकी मान्यता बहुत बढ़ गयी थी जिनके दर्शन करने हेतु देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्त हर वर्ष पहुँचते हैं।

इस लेख में हम आपके साथ चिंतपूर्णी माता आरती (Chintpurni Mata Aarti) तो साझा करेंगे ही किन्तु साथ में आपको उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि इस लेख में आपको चिंतपूर्णी आरती इन हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में हम आपके साथ चिंतपूर्णी आरती के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं चिंतपूर्णी माता की आरती

Chintpurni Aarti | चिंतपूर्णी आरती

चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ।

काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा,
सिंह पर भई असवार, भोली माँ।

चिंतपूर्णी…

एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,
तीजे त्रिशूल सम्भालो, भोली माँ।

चिंतपूर्णी…

चौथे हाथ चक्कर गदा,
पाँचवें छठे मुण्ड़ो की माला, भोली माँ।

चिंतपूर्णी…

सातवें से रुण्ड-मुण्ड विदारे,
आठवें से असुर संहारो, भोली माँ।

चिंतपूर्णी…

चम्पे का बाग लगा अति सुन्दर,
बैठी दीवान लगाय, भोली माँ।

चिंतपूर्णी…

हरीहर ब्रह्मा तेरे भवन विराजे,
लाल चंदोया बैठी तान, भोली माँ।

चिंतपूर्णी…

औखी घाटी विकटा पैंडा,
तले बहे दरिया, भोली माँ।

चिंतपूर्णी…

सुमर चरन ध्यानू जस गावे,
भक्तों दी पैज निभाओ, भोली माँ।

चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ।

Chintpurni Mata Aarti | चिंतपूर्णी आरती इन हिंदी

चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ।

हे चिंतपूर्णी माता!! आप हम सभी की चिंता को दूर करने वाली हो। आप ही इस जगत के प्राणियों का कल्याण करती हो और आप ही हमारी भोली माँ हो।

काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा,
सिंह पर भई असवार, भोली माँ।

आप ही माँ काली का रूप हो और आपकी गति पवन के समान है। आप सिंह की सवारी करती हो और हम सभी का कल्याण करने हेतु उस पर आती हो।

एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,
तीजे त्रिशूल सम्भालो, भोली माँ।

आपने अपने एक हाथ में तलवार तो दूसरे में खांडा पकड़ रखा है। तीसरे हाथ में आपके त्रिशूल है जिससे आप दुष्टों का संहार करती हो।

चौथे हाथ चक्कर गदा,
पाँचवें छठे मुण्ड़ो की माला, भोली माँ।

आपने अपने चौथे हाथ में गदा तो पांचवें व छठे हाथों में राक्षसों के कटे सिर की माला पकड़ी हुई है।

सातवें से रुण्ड-मुण्ड विदारे,
आठवें से असुर संहारो, भोली माँ।

आप अपने सातवें हाथ से राक्षसों के सिर को धड़ से अलग कर देती हैं तो आठवें हाथ से असुरों का संहार करती हैं।

चम्पे का बाग लगा अति सुन्दर,
बैठी दीवान लगाय, भोली माँ।

आपका दरबार बहुत ही सुन्दर सजा हुआ है और आप उस पर दीवान लगाकर बैठी हुई हैं और भक्तों की पुकार को सुन रही हैं।

हरीहर ब्रह्मा तेरे भवन विराजे,
लाल चंदोया बैठी तान, भोली माँ।

स्वयं भगवान विष्णु व भगवान ब्रह्मा आपके भवन में निवास करते हैं और आप लाल रंग के वस्त्रों में बैठी हुई हो।

औखी घाटी विकटा पैंडा,
तले बहे दरिया, भोली माँ।

आपका निवास स्थान पहाड़ों के बीच घाटियों में है और आपके मंदिर के नीचे से झरना बहता है।

सुमर चरन ध्यानू जस गावे,
भक्तों दी पैज निभाओ, भोली माँ।

जो कोई भी भक्तगण आपका ध्यान करता है और इस चिंतपूर्णी आरती का पाठ करता है, आप उसके सभी काम बना देती हो और उसका उद्धार करती हो।

ऊपर आपने चिंतपूर्णी माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Chintpurni Mata Ki Aarti) पढ़ ली है। इससे आपको चिंतपूर्णी माता आरती का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम चिंतपूर्णी आरती के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

चिंतपूर्णी माता की आरती का महत्व

माँ चिंतपूर्णी को माता सती के द्वारा दिखायी गयी दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है जो छिन्नमस्तिका माता का ही एक रूप हैं। गुप्त नवरात्रों के समय इनकी पूजा करने का विधान है। इसी के साथ ही माँ सती के चरणों का यहाँ गिरना इसके महत्व को और अधिक बढ़ाने का ही काम करता है। चिंतपूर्णी आरती के माध्यम से हमें यही बताने का प्रयास किया गया है।

चिंतपूर्णी माता आरती के माध्यम से हमें माता चिंतपूर्णी के गुणों, महत्व, शक्तियों इत्यादि का ज्ञान होता है। यदि हम सच्चे मन से चिंतपूर्णी माता की आरती का पाठ करते हैं तो उसके कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। मां आदिशक्ति के प्रसिद्ध रूप चिंतपूर्णी का वर्णन करने के कारण मां चिंतपूर्णी आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

चिंतपूर्णी आरती के लाभ

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन से माता चिंतपूर्णी का ध्यान कर चिंतपूर्णी आरती का पाठ करते हैं तो माँ की कृपा आप पर बरसती है। मातारानी के सभी रूप अलग-अलग जरुर हैं लेकिन अंत में वे माता आदिशक्ति का ही रूप हैं। ऐसे में आप उनकी किसी भी रूप में पूजा करें लेकिन माँ आदिशक्ति आपसे प्रसन्न हो जाती हैं। यही चिंतपूर्णी माता आरती का सबसे बड़ा लाभ होता है।

यदि आपके ऊपर मातारानी की कृपा दृष्टि होती है तो संसार की कोई भी नकारात्मक शक्ति आपके ऊपर हावी नहीं हो सकती है और आपका मन भी शांत होता है। इससे आपके अंदर काम करने की ऊर्जा आती है और मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है। आपका यश चारों दिशाओं में फैलता है तथा सभी तरह की बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने चिंतपूर्णी आरती हिंदी में अर्थ सहित (Chintpurni Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने चिंतपूर्णी माता की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

चिंतपूर्णी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: हिमाचल में कितनी देवियां हैं?

उत्तर: हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल 5 शक्तिपीठ स्थापित हैं जिनके नाम चिंतपूर्णी, ज्वाला, चामुंडा, नयना व ब्रजेश्वरी है।

प्रश्न: नगरकोट का वर्तमान नाम क्या है?

उत्तर: हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा जिले का नाम पहले नगरकोट था किन्तु वर्तमान में इसे कांगड़ा के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न: चिंतपूर्णी में क्या खास है?

उत्तर: चिंतपूर्णी मंदिर में माता सती के चरण गिरे थे जिसके बाद यह एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हुआ।

प्रश्न: चिंतपूर्णी मंदिर कैसे पहुंचे?

उत्तर: चिंतपूर्णी मंदिर हिमाचल के ऊना जिले में स्थित है जहाँ के लिए आपको आसानी से कई तरह की बस मिल जाएगी।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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