माँ लक्ष्मी और साहूकार की बेटी की दिवाली व्रत कथा

Diwali Ki Kahani

आज हम माता लक्ष्मी की दिवाली की कहानी (Diwali Ki Kahani) के बारे में जानेंगे। हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती हैं। इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा करने का विधान हैं। इसके पीछे साहूकार की बेटी और माता लक्ष्मी की कथा जुड़ी हुई हैं।

जो लोग दिवाली का व्रत रखते हैं, वे इस दिन इसी कथा को सुनते हैं। इस कारण इसे दिवाली व्रत कथा (Diwali Ki Katha) के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए आज हम आपको माँ लक्ष्मी और साहूकार की बेटी से जुड़ी दिवाली की कथा ही बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

Diwali Ki Kahani | दिवाली की कहानी

एक समय एक गाँव में साहूकार रहता था। वैसे तो साहूकार अमीर व्यक्ति होते हैं जो दूसरे लोगो को ब्याज पर पैसे देने का कार्य करते हैं लेकिन किसी कारणवश इस साहूकार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। आर्थिक स्थिति अच्छी नही होने के बाद भी साहूकार व उसकी बेटी धार्मिक कार्यों में सलंग्न रहते थे।

उस साहूकार की बेटी प्रतिदिन सुबह उठकर, स्नान इत्यादि करके पीपल के पेड़ को पानी देने जाया करती थी। सौभाग्य से उसी पेड़ पर माँ लक्ष्मी का भी वास था। एक दिन माँ लक्ष्मी उसके सामने साधारण महिला के रूप में आयी तथा अपना परिचय दिया। माँ लक्ष्मी ने उससे कहा कि वह उससे मित्रता करना चाहती हैं।

इस पर साहूकार की बेटी ने कहा कि वह मित्रता कर लेगी किंतु अपने पिता से पूछकर। यह कहकर वह अपने घर चली गयी तथा अपने पिता को सारी बात बतायी। उसके पिता ने उस महिला से मित्रता करने के लिए हामी भर (Diwali Ki Katha) दी।

  • दोनों के बीच हुई मित्रता

अगले दिन जब वह पुनः उस पीपल के पेड़ को पानी देने गयी तब उसे वही महिला पुनः दिखी। उसने उनसे मित्रता कर ली। अब जब भी साहूकार की बेटी उस पीपल के वृक्ष को पानी देने जाती तो माँ लक्ष्मी उसे वहां मिलती व दोनों के बीच कई देर तक बातचीत होती।

  • माता लक्ष्मी का आमंत्रण

एक दिन माँ लक्ष्मी ने उसे अपने घर आमंत्रित किया जिसके लिए वह मान गयी। जब वह उनके घर गयी तब माता लक्ष्मी ने उसकी बहुत आवाभगत की। उन्होंने साहूकार की बेटी के लिए विभिन्न तरह के व्यंजन बनाए थे जिसे दोनों ने मिलकर बहुत चाव से खाया।

  • साहूकार की बेटी का आमंत्रण

जब साहूकार की बेटी पुनः अपने घर जाने लगी तब माँ लक्ष्मी ने उससे पूछा कि क्या वह उन्हें अपने घर आमंत्रित नही करेगी। साहूकार की बेटी अपने घर की आर्थिक स्थिति जानती थी लेकिन मित्र का प्रस्ताव ठुकरा नही सकी। इसलिये उसने इसके लिए हामी भर दी।

  • साहूकार का परामर्श

घर आकर उसने सारी बात अपने पिता को बताई। साहूकार ने अपनी पुत्री को चिंतित देखकर उसे उपाय बताया। उसने उससे कहा कि वह साफ-सफाई करके खाना बनाने के लिए चूल्हा लगा ले व चौकी सजा ले। इसके साथ ही चार बत्ती के मुख वाला दीपक जला ले तथा माँ लक्ष्मी की आराधना करे।

  • रानी का नौलखा हार

उसने अपने पिता के कहे अनुसार वैसा ही किया तथा माँ लक्ष्मी की आराधना करने लगी। तभी आकाश में एक उड़ती हुई चील आई जिसके पंजो में रानी का नौलखा हार था। वह हार चील से उसी साहूकार के घर पर गिर गया। वह हार पाकर दोनों बहुत खुश हुए।

  • माता लक्ष्मी का आशीर्वाद

उन्होंने उस हार को बेचकर माँ लक्ष्मी के लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था की। उसके बाद माँ लक्ष्मी भगवान गणेश के साथ उस साहूकार के घर पधारी। वहां उन दोनों ने मिलकर माँ लक्ष्मी व भगवान गणेश की बहुत सेवा की तथा किसी चीज़ की कोई कमी नही होने दी। माँ लक्ष्मी दोनों की सेवा से बहुत प्रसन्न हुई तथा उनके वरदान से उस साहूकार व उसकी बेटी की आर्थिक स्थिति अच्छी हो गयी तथा अब वे धनवान बन गए।

तो यह थी लक्ष्मी माता और साहूकार की बेटी की दिवाली की कहानी (Diwali Ki Kahani)। अब यदि आप दिवाली का व्रत रखने जा रहे हैं तो उस समय इस कथा को सुनना और सुनाना बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही यह कहानी हमें बताती है कि यदि मन सच्चा है तो ईश्वर हमारे लिए कोई ना कोई मार्ग अवश्य निकाल देते हैं।

दिवाली व्रत कथा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: दिवाली पर लक्ष्मी की कहानी क्या है?

उत्तर: दिवाली पर माता लक्ष्मी की कहानी साहूकार की बेटी से जुड़ी हुई है इस कहानी को दिवाली का व्रत करते समय सुना जाता है यह कहानी हमने इस लेख में विस्तार से दी है

प्रश्न: दीपावली की कथा क्या है?

उत्तर: दीपावली की कथा का संबंध भगवान श्रीराम और माता लक्ष्मी दोनों से है इस दिन और भी कई घटनाएँ घटित हुई थी जिस कारण दीपावली का महत्व बहुत बढ़ जाता है

प्रश्न: दिवाली की असली कहानी क्या है?

उत्तर: दिवाली की असली कहानी भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या नगरी लौटने से जुड़ी हुई है

प्रश्न: दीपावली मनाने के पीछे की कहानी क्या है?

उत्तर: दीपावली मनाने के पीछे की कहानी एक नहीं बल्कि कई है इस दिन भगवान श्रीराम वनवास के बाद वापस अयोध्या लौटे थे तो वही माता लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी को बहुत सारा धन दिया था

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *