दशहरा की असली कहानी क्या है? जाने इसका दशहरा नाम क्यों पड़ा

Dussehra Ki Kahani

आज हम आपको दशहरा की कहानी (Dussehra Ki Kahani) विस्तार से बताने जा रहे हैं। दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक हैं। यह वही दिन हैं जब भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अधर्म के प्रतीक महापापी रावण का सेनासहित संहार किया था तथा विश्व में पुनः धर्म की स्थापना की थी।

हम सभी आज तक उसी अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में दशहरा का पर्व (Dussehra Story In Hindi) हर वर्ष मनाते हैं। ऐसे में उस समय क्या कुछ घटित हुआ था और किस प्रकार श्रीराम ने रावण का अंत किया था, आइए उस संपूर्ण घटनाक्रम के बारे में जान लेते हैं।

दशहरा की कहानी (Dussehra Ki Kahani)

त्रेता युग में जब रावण जैसे पापी राजा का अत्याचार बहुत बढ़ गया था तथा उसके कारण धर्म का नाश होने लगा था तब सभी देवता सहायता मांगने भगवान विष्णु के पास गए थे। यदि सृष्टि में धर्म की हानि होने लगती हैं तथा अधर्म जीतने लगता हैं तब-तब भगवान विष्णु जन्म लेते हैं व धर्म की पुनः स्थापना करते हैं।

इसलिये भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर पुत्र रूप में जन्म लिया जिनका नाम श्रीराम था। महर्षि वशिष्ठ से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की तथा उसके बाद पुनः अयोध्या आ गए। तब राजा दशरथ उनके राज्याभिषेक की तैयारी कर ही रहे थे कि श्रीराम की सौतेली माँ कैकेयी ने षड़यंत्र के तहत उन्हें चौदह वर्ष का वनवास दिलवा दिया।

यह सब कुछ योजना के तहत हो रहा था क्योंकि यदि भगवान श्रीराम को वनवास नही मिलता तो रावण जैसे पापी का अंत भी नही हो पाता। चौदह वर्ष का वनवास भी आवश्यक था क्योंकि रावण की राक्षसों की सेना इतने वर्षों में बहुत बड़ी हो गयी थी तथा भयंकर राक्षस भारत की धरती पर हर जगह फैल चुके थे।

रावण का साम्राज्य समुंद्र के उस पार लंका में था लेकिन इधर भारत की भूमि पर भी उसके राक्षस रहा करते थे। इसलिये तेरह वर्षों तक श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण सहित एक-एक करके इस ओर के सभी राक्षसों का वध कर दिया। आइए जाने उसके बाद क्या कुछ हुआ जिस कारण हम सभी दशहरा का त्यौहार (Dussehra History In Hindi) मनाते हैं।

  • शूर्पनखा की नाक काटना

वनवास के अंतिम वर्ष में भगवान की माया से ऐसी घटना घटी जिसने सीधा रावण को चुनौती दे डाली। रावण की बहन शूर्पनखा की नाक व एक कान लक्ष्मण के द्वारा काट दिए गए। यह बात जब रावण तक पहुंची तो वह उनसे सीधे युद्ध करने की बजाए धोखे से श्रीराम की पत्नी सीता का हरण कर लंका ले आया।

  • लंका पर चढ़ाई

अब यह श्रीराम को सीधी चुनौती थी। उन्होंने किष्किन्धा के राजा बाली का वध करके उनके छोटे भाई सुग्रीव को वहां का राजा नियुक्त किया। अब सुग्रीव की सेना के साथ श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई शुरू कर दी। इसके लिए भारत की भूमि से लेकर लंका तक समुंद्र पर सौ योजन लंबे सेतु का निर्माण किया गया जो रामसेतु (Dussehra Story In Hindi) कहलाया।

  • शुरू हुआ भीषण युद्ध

इस सेतु के द्वारा श्रीराम सहित पूरी सेना लंका पहुँच गई। फिर भीषण युद्ध शुरू हुआ जिसमे एक-एक करके रावण के सभी पराक्रमी योद्धा, भाई-बंधू, पुत्र इत्यादि मारे गए। अंत में केवल रावण बचा था हालाँकि उसका एक भाई विभीषण युद्ध से पहले ही श्रीराम की सेना के साथ जा मिला था जो बाद में लंका का राजा बना था।

  • रावण का अंत

दशहरा (Dussehra History In Hindi) से पहले तक जब रावण के सभी योद्धा मारे गए तब रावण ने स्वयं युद्धभूमि में जाने के निर्णय किया। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन श्रीराम व रावण के बीच भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में श्रीराम में एक-एक करके रावण के सभी दस मस्तक काट डाले जो कि बुराई के प्रतीक थे।

अंत में श्रीराम ने रावण की नाभि में स्थित अमृत को सुखा डाला तथा ब्रह्मास्त्र का अनुसंधान करके उस पापी का अंत कर दिया। श्रीराम की अधर्म पर धर्म की इसी विजय के प्रतीक के रूप में हम सभी दशहरा पर्व मनाते हैं।

इस दिन रावण, कुंभकरणमेघनाद के पुतलो को जलाया जाता हैं। लोग नए वस्त्र धारण करते हैं तथा अपने घर पर पकवान बनाते हैं। किसी शुभ कार्य की शुरुआत भी इसी दिन से ही की जाती हैं। यह पर्व हमे हमेशा धर्म का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता हैं। तो यह थी दशहरा की कहानी (Dussehra Ki Kahani) जो हमें दिखाती है कि बुराई की अंत में हार तय है और अच्छाई सदैव अविजयी रहेगी।

दशहरे की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: दशहरा की कहानी क्या है?

उत्तर: दशहरा की कहानी के अनुसार त्रेता युग में इसी दिन भगवान विष्णु के सातवें पूर्ण अवतार भगवान श्रीराम ने लंका के राक्षस राजा रावण का वध किया था इसी उपलक्ष्य में हम सभी दशहरा पर्व मनाते हैं

प्रश्न: दशहरा की असली कहानी क्या है?

उत्तर: दशहरा की असली कहानी भगवान श्रीराम के द्वारा पापी रावण का वध करने से जुड़ी हुई है हजारों वर्षों पहले इसी दिन भगवान श्रीराम के द्वारा अधर्मी रावण का अंत कर दिया गया था

प्रश्न: दशहरा का असली नाम क्या है?

उत्तर: दशहरा असली नाम ही है हालाँकि इसी दिन विजयादशमी भी पड़ता है दशहरे की कथा भगवान श्रीराम के द्वारा रावण का वध करने से जुड़ी हुई है जबकि विजयादशमी की कथा माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर का वध करने से जुड़ी हुई है

प्रश्न: दशहरा नाम क्यों पड़ा?

उत्तर: दशहरा संस्कृत भाषा का शब्द है जिसमें दश का अर्थ दस से है जबकि हरा का अर्थ हार या पराजय से है भगवान श्रीराम ने इसी दिन रावण के दस सिरों को काटकर उसका वध कर दिया था जिस कारण इसका नाम दशहरा पड़ा था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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