मां कुष्मांडा का मंत्र क्या है? पढ़ें कुष्मांडा देवी मंत्र अर्थ सहित

माता कुष्मांडा (Mata Kushmanda)

नवरात्र के चौथे दिन नवदुर्गा के चतुर्थ रूप माता कुष्मांडा की पूजा (Mata Kushmanda) करने का विधान है। ब्रह्मांड की रचना करने के कारण इन्हें कूष्मांडा कहा गया। जब सृष्टि में कुछ नहीं था तब कूष्मांडा माता ने ही अपने प्रभाव से इस ब्रह्मांड का निर्माण किया था, इसलिए इन्हें सृष्टि की रचयिता कहा गया। आज हम कुष्मांडा देवी की कथा आपको बताएंगे।

कुष्मांडा देवी मंत्र (Kushmanda Devi Mantra) बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। इनकी पूजा करने से भक्तजनों के सभी रोग दूर होते हैं तथा वे हमेशा स्वस्थ रहते हैं। एक तरह से कुष्मांडा देवी से हमारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है। ऐसे में आइए मां कुष्मांडा के बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।

Mata Kushmanda | कुष्मांडा देवी की कथा

माता कुष्मांडा को ब्रह्माण्ड की रचनाकार माना जाता है। यह उनके नाम से भी चरितार्थ होता है। कुष्मांडा का अर्थ होता है हल्की या दिव्य मुस्कान। माता कुष्मांडा की कथा के अनुसार जब ब्रह्माण्ड में चारों ओर अंधकार ही अंधकार था तब भगवान ब्रह्मा बहुत निराश हो गए थे। एक तरह से उन्होंने ब्रह्माण्ड की रचना तो कर दी थी लेकिन कहीं कोई प्रकाश नहीं था। इस कारण सब शांत और शिथिल पड़ा हुआ था।

तब भगवान ब्रह्मा ने माँ आदिशक्ति/ दुर्गा का आह्वान किया। माँ दुर्गा ने अपने स्वरुप कुष्मांडा देवी को प्रकट किया और उनके ऊपर ब्रह्माण्ड की रचना का दायित्व सौंप दिया। तब माता कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से ही संपूर्ण ब्रह्माण्ड में रोशनी का संचार कर दिया था। एक तरह से इन्हें भगवान ब्रह्मा के समकक्ष ही ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली देवी माना जाता है।

Maa Kushmanda का निवास स्थान सूर्य का आभामंडल माना जाता है। इस कारण कुष्मांडा देवी का शरीर सूर्य के समान तेज वाला है। उनके मुख से अत्यधिक तेज निकलता है। नीचे हम आपको कुष्मांडा देवी के रूप के बारे में भी जानकारी देने वाले हैं। चलिए जान लेते हैं।

माता कूष्मांडा का स्वरुप

Mata Kushmanda की सवारी सिंह है, इसलिए वे हमेशा उस पर विराजमान रहती हैं। इनकी आठ भुजाएं होती हैं इसलिए ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी प्रख्यात है। इनकी भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का पुष्प, चक्र, गदा, अमृत कलश तथा जपमाला होती है। यह जपमाला अष्ट सिद्धियों तथा निद्धियों को देने वाली होती है। माँ कुष्मांडा हल्की व मंद मुस्कान लिए हुए होती हैं।

कुष्मांडा देवी की विशेषता

माँ कूष्मांडा माँ दुर्गा का एक ऐसा रूप हैं जिसे सृष्टि की रचना करने वाली बताया गया है। इसलिए इन्हें आदि-शक्ति तथा आदि-स्वरूपा के नाम से भी जाना जाता है। ये ब्रह्मांड के मध्य में स्थित रहती हैं। साथ ही सूर्य के तेज को वहन करके भी यह उनके आभामंडल के मध्य में स्थित हैं अर्थात सूर्य के तेज व गर्मी को सहन करने की शक्ति माता में है।

कुष्मांडा देवी मंत्र (Kushmanda Devi Mantra)

आज हम आपको कुष्मांडा देवी के एक नहीं बल्कि तीन मंत्र बताने जा रहे हैं। इसमें से पहला मंत्र उनका बीज मंत्र है जिसका जाप कभी भी किया जा सकता है। वहीं अन्य दो मंत्र ध्यान/ प्रार्थना मंत्र व स्तुति मंत्र है। साथ ही हम आपको इन मंत्रों का अर्थ भी बताने वाले हैं। चलिए जानते हैं कुष्मांडा देवी मंत्र अर्थ सहित।

  • माता कूष्मांडा बीज मंत्र

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

अर्थ: मैं कुष्मांडा देवी को नमस्कार करता हूँ

  • मां कूष्मांडा ध्यान मंत्र

सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

अर्थ: कुष्मांडा देवी ने अमृत से भरा हुआ कलश ले रखा है जिसे वे देवताओं को पीने के लिए देती हैं। वहीं दूसरी ओर, मातारानी राक्षसों का लहू पी जाती हैं। उन्होंने अपने हाथों में कमल पुष्प लिए हुए हैं। ऐसी Maa Kushmanda हमें हमेशा शुभ फल दें।

  • कूष्मांडा देवी स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

अर्थ: कुष्मांडा माता के रूप में देवी माँ हर जगह विद्यमान हैं। मैं देवी के इस रूप को बारम्बार प्रणाम करता हूँ।

तो यह थे कुष्मांडा देवी मंत्र (Kushmanda Devi Mantra) जिनका जाप आप कर सकते हैं। वैसे तो मातारानी के नाम और मंत्रों का जाप कभी भी किया जा सकता है लेकिन नवरात्र के चौथे दिन इसका विशेष महत्व होता है।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

इसके लिए आप प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें तथा चौकी पर माता रानी की प्रतिमा को स्थापित करें। फिर कुमकुम, चंदन, हलवे व दही के साथ माता का पूजन करें। माँ को लाल व हरा रंग प्रिय है, इसलिए इसका ध्यान रखें। इसके साथ ही माता को कुम्हड़े का भोग अवश्य लगाएं क्योंकि यह फल माता को सर्वाधिक प्रिय है। इसे एक तरह से पेठा भी कह सकते हैं। यह ब्रह्मांड की भांति अंदर से खाली होता है तथा इसी कारण माता का नाम भी कूष्मांडा पड़ा था।

कूष्मांडा देवी का महत्व

यदि हम पूरे विधि-विधान से नवरात्र के चौथे दिन Mata Kushmanda की पूजा करते हैं तो इससे हमारा अनाहत चक्र सक्रिय होता है। माँ कूष्मांडा हमें सभी प्रकार के रोगों से दूर रखती हैं तथा काया को निरोगी बनाती हैं। यदि आपको कोई गंभीर या असहनीय बीमारी है तो आपको अपने उपचार के साथ-साथ मातारानी के इस रूप का ध्यान करना चाहिए। इससे आपके उस रोग को जल्दी ठीक होने में बहुत मदद मिलेगी।

इसके साथ ही कुष्मांडा माता की कृपा से हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। हमें हर तरह के तनाव, चिंता, अवसाद, दुखों, इत्यादि से मुक्ति मिलती है। व्यापारियों के लिए भी कुष्मांडा देवी की पूजा करना अत्यंत लाभदायक होता है जिससे उनके व्यापार में आई हरेक बाधा दूर होती है।

कुष्मांडा देवी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मां कुष्मांडा का मंत्र क्या है?

उत्तर: मां कुष्मांडा का मंत्र “सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च, दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे” है इसका जाप मुख्य तौर पर नवरात्र के चौथे दिन किया जाता है

प्रश्न: कुष्मांडा माता को क्या पसंद है?

उत्तर: कुष्मांडा माता को पेठा अत्यधिक पसंद है पेठा भी ब्रह्माण्ड की भांति अंदर से खाली होता है इस कारण मातारानी के इस स्वरुप को पेठे का फल अत्यधिक प्रिय होता है

प्रश्न: कुष्मांडा माता का क्या भोग है?

उत्तर: कुष्मांडा माता का भोग पेठा होता है ऐसे में उन्हें पेठे से बना हलवा, मिठाई या कोई अन्य चीज़ भोग के रूप में लगाई जा सकती है

प्रश्न: कुष्मांडा माता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?

उत्तर: कुष्मांडा माता को कमल के पुष्प अर्पित किए जा सकते हैं इसके अलावा उन्हें चमेली का फूल भी चढ़ाया जा सकता है

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *