
आज हम आपको होली की कहानी (Holi Ki Kahani) बताने जा रहे हैं। हम हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह ऐसा समय होता है जब ना तो ज्यादा सर्दी होती है और ना ही ठंड। चारों ओर सुहाना मौसम होता है। उसी समय दो दिनों का होली का पर्व मनाया जाता है जिसे होलिका दहन व धुलंडी के नाम से जाना जाता है।
हालाँकि क्या कभी आपने सोचा है कि होली का इतिहास (Holi Story In Hindi) क्या है। ज्यादातर लोगों को होलिका दहन की कथा के बारे में पता होगा लेकिन इस दिन से जुड़ी कुछ और कथाएं भी प्रचलित हैं। आज हम आपको होली मनाने का कारण व इस पर्व से जुड़ा संपूर्ण इतिहास बताएँगे।
Holi Ki Kahani | होली की कहानी
होली त्योहार का इतिहास बहुत ही गौरवशाली है। वह इसलिए क्योंकि इस दिन से एक नहीं बल्कि चार-चार कथाएं जुड़ी हुई है। आपमें से बहुत लोगों को होली की कहानी क्या है और यह क्यों मनाई जाती है, इसके बारे में नहीं पता होगा। वहीं कुछ लोग एक या दो कहानियों के बारे में ही जानते होंगे।
ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको होली की कथा बताने वाले हैं। यह कथाएं भगवान शिव, भगवान श्रीकृष्ण, राक्षसी होलिका और राजा रघु से जुड़ी हुई है। आइए इनके बारे में जान लेते हैं।
#1. भगवान शिव से जुड़ा होली का इतिहास
माता सती के आत्म-दाह के बाद भगवान शिव चिरकाल के लिए साधना में चले गए थे। उसी समय तारकासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में त्राहिमाम मचा दिया था। उसका वध केवल भगवान शिव और माता पार्वती का पुत्र ही कर सकता था। माता सती ने ही पुनर्जन्म लेकर पार्वती का रूप लिया था।
भगवान शिव को तपस्या से जगाने का काम देव इंद्र ने कामदेव को सौंपा। कामदेव शिवजी को तपस्या से उठाने में तो सफल रहे लेकिन उनके क्रोध को ना रोक सके। शिवजी ने अपनी तीसरी आँख खोलकर उसी समय कामदेव को भस्म कर दिया। क्रोध शांत होने के बाद शिवजी ने कामदेव को क्षमा किया और कृष्ण पुत्र होने का आशीर्वाद दिया।
उसके बाद शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ और कार्तिक का जन्म हुआ। भगवान कार्तिक के हाथों ही तारकासुर का वध हुआ। इसी घटना के उपलक्ष्य में होली का त्यौहार मनाया जाता है। ऐसे में होली का इतिहास (Holi Story In Hindi) बहुत ही प्राचीन है।
#2. होलिका है होली मनाने का कारण
सतयुग में हिरण्यकश्यप नामक दैत्य हुआ था जिसने तीनों लोकों पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था किंतु उसका स्वयं का पुत्र प्रह्लाद ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। उसने अपने पुत्र को मारने की बहुत चेष्ठा की थी लेकिन असफल रहा था। हिरण्यकश्यप की एक बहन होलिका थी जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि कोई भी अग्नि उसे जला नहीं सकेगी।
तब एक योजना बनाई गई और होलिका एक चिता पर प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठ गई। आश्चर्य की बात यह रही कि वह अग्नि प्रह्लाद का कुछ नहीं बिगाड़ सकी जबकि होलिका वहीं जलकर भस्म हो गई। इसी घटना के उपलक्ष्य में हम हर साल आजतक होलिका का दहन करते हैं और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाते हैं।
#3. भगवान कृष्ण जुड़ी होली की कहानी
यह होली की कहानी (Holi Ki Kahani) श्रीकृष्ण के द्वारा राक्षसी पूतना वध से जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया था जिसे उनके पिता वासुदेव रातों रात ही मथुरा से गोकुल गाँव में नन्द बाबा के घर छोड़ आए थे। जब कंस को यह पता चला कि देवकी की आठवीं संतान गोकुल में है तो उसने पूतना को उसका वध करने भेजा।
पूतना षडयंत्र के तहत नंदबाबा के घर में चली गई और कृष्ण को दूध पिलाने लगी। उसने अपने स्तनों पर विष लगा रखा था ताकि दूध पीकर श्रीकृष्ण की मृत्यु हो जाए। किंतु आश्चर्य की बात यह रही कि श्रीकृष्ण के शिशु रूप ने पूतना का ही वध कर डाला। यह दिन भी फाल्गुन मास की पूर्णिमा का ही दिन था जिस दिन बुराई पर अच्छाई की विजय हुई थी।
#4. राजा रघु जुड़ी होली की कथा
यह कथा भगवान श्रीकृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को सुनाई थी। उनके अनुसार प्राचीन समय में एक राजा रघु थे जिनके राज्य में प्रजा एक राक्षसी से परेशान थी। यह राक्षसी मालिन की बेटी थी जिसे भगवान शिव का वरदान प्राप्त था कि उसे सर्दी-गर्मी में नहीं मारा जा सकेगा और ना ही किसी देव-दानव के द्वारा अस्त्रों-शस्त्रों से मारा जा सकेगा।
इसी वरदान का दुरूपयोग वह उस राज्य के छोटे बच्चों पर कर रही थी। वह उन्हें खा जाती थी या परेशान करती थी। किंतु शिव ने यह भी कहा था कि जहाँ बच्चे क्रीडा, शोरगुल इत्यादि कर रहे हो, सर्दी गर्मी दोनों ना हो और अग्नि हो तो उसका वध हो सकता है। तब फाल्गुन मास की पूर्णिमा का दिन चुना गया क्योंकि उस समय ना ज्यादा सर्दी होती है और ना ही ज्यादा गर्मी।
सभी छोटे बच्चों को वहाँ एकत्रित किया गया और शोरगुल करने को कहा गया। वहाँ एक विशाल अग्नि भी प्रज्ज्वलित की गई और उसकी प्रदक्षिणा की गई। इतना शोरगुल सुनकर और बच्चों को वहाँ देखकर वह राक्षसी वहाँ आ गई लेकिन उसका वरदान निष्प्रभावी हो गया। इस कारण उसी समय उसकी मृत्यु हो गई और राज्य से एक भीषण संकट टल गया।
इन सभी होली की कहानी (Holi Ki Kahani) के कारण ही होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है ताकि लोग इन कथाओं के माध्यम से शिक्षा ले सकें और त्योहार का आनंद भी उठा सकें।
होली के इतिहास से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: होली की असली कहानी क्या है?
उत्तर: होली की असली कहानी राक्षस हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से जुड़ी हुई है। इसी दिन होलिका भगवान ब्रह्मा से मिले वरदान के कारण भी अग्नि में जलकर भस्म हो गई थी जबकि विष्णु भक्त प्रह्लाद बच गए थे।
प्रश्न: होली की शुरुआत कहाँ से हुई?
उत्तर: होली की शुरुआत सतयुग में होलिका दहन के समय से हुई मानी जाती है। इसके बाद द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने होली खेलकर इसे और भी ज्यादा प्रसिद्ध कर दिया था।
प्रश्न: होली मनाने के पीछे कौन सी कहानी प्रचलित है?
उत्तर: होली मनाने के पीछे चार तरह की कहानियां प्रचलित है। यह कहानियां भगवान शिव, भगवान श्रीकृष्ण, राक्षसी होलिका और राजा रघु से जुड़ी हुई है। इन सभी कहानियों को हमने इस लेख में बताया है।
प्रश्न: होली मनाने का कारण क्या है?
उत्तर: होली मनाने का कारण द्वापर युग में श्रीकृष्ण के द्वारा रंगों से होली खेलना है। उससे पहले भी होली का त्योहार मनाया जाता था लेकिन श्रीकृष्ण के द्वारा धूमधाम के साथ होली खेलने के कारण यह और भी ज्यादा प्रसिद्ध हो गई।
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