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Karni Chalisa In Hindi

आज हम आपको करणी चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Karni Chalisa In Hindi) समझाएंगे। करणी चालीसा के अर्थ को समझकर आप करणी माता के महत्व, गुणों, शक्तियों व महिमा के बारे में विस्तार से जान पाएंगे। करणी माता का जन्म आज से कई सदियों पहले राजस्थान राज्य में हुआ था। राजस्थान सहित भारतवर्ष में करणी माता का बहुत महत्व है।

इतना ही नहीं, आज के इस लेख में आपको करणी चालीसा PDF (Karni Chalisa PDF) फाइल और इमेज भी मिलेगी। इसे आप अपने मोबाइल में सेव करके रख सकते हैं और जब मन चाहे, तब पढ़ सकते हैं। आइए सबसे पहले करणी माता की चालीसा का हिंदी अर्थ जान लेते हैं।

Karni Chalisa In Hindi | करणी चालीसा हिंदी में – अर्थ सहित

॥ दोहा ॥

जय गणेश जय गज बदन, करण सुमंगल मूल।
करहू कृपा निज दास पर, रहहू सदा अनूकूल॥

जय जननी जगदीश्वरी, कह कर बारम्बार।
जगदम्बा करणी सुयश, वरणउ मति अनुसार॥

हे गणेश जी भगवान!! आपका शरीर गजानन का है और अब आप हम सभी का मंगल कर दीजिये। आप अपने इस सेवक पर कृपा कीजिये और मेरे सभी बिगड़े हुए काम बना दीजिये।

इस जगत का निर्माण करने वाली और हम सभी की ईश्वरी देवी को मैं बार-बार प्रणाम करता हूँ। मैं जगदंबा माता के रूप करणी माता के यश का वर्णन अपनी बुद्धि अनुसार करता हूँ।

॥ चौपाई ॥

सुमिरौ जय जगदम्ब भवानी। महिमा अकथन जाय बखानी॥

नमो नमो मेहाई करणी। नमो नमो अम्बे दुःख हरणी॥

आदि शक्ति जगदम्बे माता। दुःख को हरणि सुख की दाता॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैलि उजियारी॥

मैं जगदंबा व भवानी माता के रूप करणी माता का सुमिरन करता हूँ जिनकी कथा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। मेहाई करणी माता को मेरा नमन है, नमन है। अंबा माता को मेरा नमन है जो हमारे दुःख हर लेती हैं। वे ही माँ आदि शक्ति व जगदंबा माता का रूप हैं जो हमारे दुखों को हर कर सुख प्रदान करती हैं। करणी माता की ज्योति निरंकार है जिससे तीनों लोकों में उजाला हो रहा है।

जो जेहि रूप से ध्यान लगावे। मनवांछित सोई फल पावे॥

धौलागढ़ में आप विराजो। सिंह सवारी सन्मुख साजो॥

भैरो वीर रहे अगवानी। मारे असुर सकल अभिमानी॥

ग्राम सुआप नाम सुखकारी। चारण वंश करणी अवतारी॥

जो भी करणी माता का ध्यान करता है, उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। धौलागढ़ में करणी माता का निवास स्थान है जहाँ वे सिंह की सवारी करती हैं। भैरव बाबा युद्ध में उनकी अगवानी करते हैं जहाँ वे दुष्टों का नाश कर देती हैं। सुआप गाँव में चारण वंश में करणी माता ने अवतार लिया था जो मन को सुख देने वाला है।

मुख मण्डल की सुन्दरताई। जाकी महिमा कही न जाई॥

जब भक्तों ने सुमिरण कीन्हा। ताही समय अभय करि दीन्हा॥

साहूकार की करी सहाई। डूबत जल में नाव बचाई॥

जब कान्हे न कुमति बिचारी। केहरि रूप धरयो महतारी॥

उनका रूप बहुत ही सुंदर था जिसकी महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। जब कभी भी भक्तों ने उनके नाम का सुमिरन किया है, तब-तब मातारानी ने उन्हें अभय का वरदान दिया है। साहूकार की डूबती हुई नाव को मातारानी ने अपनी शक्ति से बचा लिया था। जब जांगलू के शासक कान्हा की मति मारी गयी तब करणी माता ने अपनी दैवीय शक्ति से उसे और उसके सैनिकों को दंड दिया।

मारयो ताहि एक छन माई। जाकी कथा जगत में छाई॥

नेड़ी जी शुभ धाम तुम्हारो। दर्शन करि मन होय सुखारो॥

कर सौहै त्रिशूल विशाला। गल राजे पुष्प की माला॥

शेखोजी पर किरपा कीन्ही। क्षुधा मिटाय अभय कर दीन्हीं॥

आप एक ही पल में चमत्कार कर देती थी और इसी कारण आपकी कथा संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हो गयी। नेड़ी जी में आपका शुभ धाम है जिनके दर्शन करने से हमारे मन को सुख मिलता है। आपने हाथों में त्रिशूल ले रखा है तो गले में पुष्पों की माला है। आपने ही भाटी राव शेख पर अपनी कृपा कर उसकी और उसके सैनिकों की भूख को शांत कर उन्हें अभय होने का वरदान दिया।

निर्बल होई जब सुमिरन कीन्हा। कारज सबि सुलभ कर दीन्हा॥

देशनोक पावन थल भारी। सुन्दर मंदिर की छवि न्यारी॥

मढ़ में ज्योति जले दिन राती। निखरत ही त्रय ताप नशाती॥

कीन्ही यहाँ तपस्या आकर। नाम उजागर सब सुख सागर॥

जो भी कमजोर व्यक्ति करणी माता का ध्यान करता है, उसके सभी काम बन जाते हैं। देशलोक में आपका पावन मंदिर है जिसकी छवि बहुत ही निराली है। उस मंदिर में आपके नाम की ज्योति दिन-रात जलती है और उसके दर्शन करने से ही हमारे संकट समाप्त हो जाते हैं। जिस किसी ने भी करणी माता के मंदिर में आकर तपस्या की है, उसे सभी तरह के सुखों की प्राप्ति हुई है।

जय करणी दुःख हरणी मइया। भव सागर से पार करइया॥

बार बार ध्याऊं जगदम्बा। कीजे दया करो न विलम्बा॥

धर्मराज नै जब हठ कीन्हा। निज सुत को जीवित करि लीन्हा॥

ताहि समय मर्याद बनाई। तुम पह मम वंशज नहि आई॥

हम सभी के दुखों को हरने वाले करणी माता की जय हो। वे ही हमें भवसागर पार करवा सकती हैं। मैं बार-बार करणी माता का ध्यान करता हूँ और अब आप बिना देरी किये मुझ पर दया कीजिये। आपने ही धर्मराज अर्थात यमराज से अपनी बहन के पुत्र लक्ष्मण को पुनः जीवित करने की हठ की और तब यमराज ने उन्हें चूहे के रूप में पुनः जीवित किया था। उसी समय आपने चूहों को अपना वंशज घोषित कर दिया।

मूषक बन मंदिर में रहि है। मूषक ते पुनि मानुष तन धरि है॥

दिपोजी को दर्शन दीन्हा। निज लिला से अवगत कीन्हा॥

बने भक्त पर कृपा कीन्ही। दो नैनन की ज्योति दीन्ही॥

चरित अमित अति कीन्ह अपारा। जाको यश छायो संसारा॥

सभी चूहे आपके मंदिर में आपके वंशज बनकर रहते हैं। आपने ही दिपोजी को दर्शन देकर उन्हें अपनी लीला से अवगत करवाया था। दिपोजी के साथ ही आपका विवाह हुआ था और वे आपकी महिमा को भी जान गए थे। आपने दिपोजी और उनके परिवार पर बहुत उपकार किया था जिस कारण उनका यश संपूर्ण विश्व में फैल गया था।

भक्त जनन को मात तारती। मगन भक्त जन करत आरती॥

भीड़ पड़ी भक्तों पर जब ही। भई सहाय भवानी तब ही॥

मातु दया अब हम पर कीजै। सब अपराध क्षमा कर दीजे॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो॥

जो भी भक्तगण मगन होकर करणी माता की आरती करता है, माता उसका उद्धार कर देती हैं। जब कभी भी करणी माता के भक्तों पर संकट आया है, तब-तब मातारानी ने उनकी सहायता की है। हे करणी माता!! अब आप अपने इस भक्त पर भी कृपा कीजिये और मेरे सभी अपराधों को क्षमा कर दीजिये। मुझे कई तरह के कष्टों ने घेरा हुआ है और आपके बिना मेरा दुःख कोई नहीं हर सकता है।

जो नर धरे मात कर ध्यान। ताकर सब विधि हो कल्याण॥

निशि वासर पूजहिं नर-नारी। तिनको सदा करहूं रखवारी॥

भव सागर में नाव हमारी। पार करहु करणी महतारी॥

कंह लगी वर्णऊ कथा तिहारी। लिखत लेखनी थकत हमारी॥

जो मनुष्य माता करणी का ध्यान करता है, उसका कल्याण हो जाता है। जो नर-नारी प्रतिदिन करणी माता का ध्यान करते हैं, मातारानी सदैव उनकी रक्षा करती हैं। हे करणी माता!! हमारी नाव भवसागर में फंस गयी है और अब आप ही उसे पार करवाइए। मैं किस तरह से आपकी महिमा का वर्णन करूँ क्योंकि लिख-लिख कर मेरी लेखनी भी थक चुकी है।

पुत्र जानकर कृपा कीजै। सुख सम्पत्ति नव निधि कर दीजै॥

जो यह पाठ करे हमेशा। ताके तन नहि रहे कलेशा॥

संकट में जो सुमिरन करई। उनके ताप मात सब हरई॥

गुण गाथा गाऊं कर जोरे। हरह मात सब संकट मोरे॥

मुझे अपना पुत्र मानकर ही कृपा कर दीजिये और मुझे सुख-संपत्ति व नव निधियां प्रदान कीजिये। जो कोई भी श्री करणी चालीसा का पाठ (Shri Karni Chalisa) करता है, उसके जीवन में किसी भी तरह का कलेश नहीं रह जाता है। संकट के समय जो कोई भी करणी माता का सुमिरन करता है, उसके सभी संकट टल जाते हैं। मैं हाथ जोड़कर करणी माता के गुणगान करता हूँ और अब आप मेर सभी संकटों को दूर कर दीजिये।

॥ दोहा ॥

आदि शक्ति अम्बा सुमिर, धरि करणी का ध्यान।
मन मंदिर में बास करो मैया, दूर करो अज्ञान॥

मैं माँ आदि शक्ति व अंबा माता का सुमिरन करता हूँ और करणी माता का ध्यान करता हूँ। आप मेरे मन के मंदिर में बस कर अज्ञानता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैला दीजिए।

करणी चालीसा इमेज

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करणी चालीसा (Karni Chalisa)
करणी चालीसा (Karni Chalisa)

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करणी चालीसा PDF | Karni Chalisa PDF

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यह रहा उसका लिंक: करणी चालीसा PDF

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निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने करणी चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Karni Chalisa In Hindi) पढ़ ली हैं। यदि आपको करणी चालीसा PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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